डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है

HDFC Demat Account: क्या आप HDFC में खोलना चाहते हैं डीमैट अकाउंट, फॉलो करें ये आसान स्टेप्स
Demat Account Online in HDFC: एचडीएफसी बैंक में अकाउंट खुलवाना बेहद आसान है, अगर आप चाहे तो ऑनलाइन अकाउंट खुलवा सकते हैं। वहीं ऑनलाइन इन स्टेप्स की मदद से आसानी एचडीएफसी डिमेट अकाउंट भी खोल सकते हैं।
- ऑनलाइन आप आसानी से एचडीएफसी बैंक में अकाउंट खोल सकते हैं।
- एचडीएफसी में डीमैट अकाउंट खोलने के लिए ये तरीके अपना सकते हैं।
- डीमैट अकाउंट में म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, शेयर आदि निवेश हो सकते हैं।
एचडीएफसी बैंक ग्राहकों को डीमैट अकाउंट सेवाएं प्रदान करता है। बता दें कि डीमैट अकाउंट एक सुरक्षित, ऑनलाइन और निर्बाध मोड है जो आपके निवेशों को स्टोर और सुरक्षित रखता है। आपके डीमैट अकाउंट में जीरो शेयर भी हो सकते हैं क्योंकि इसमें कई शेयरों पर इसकी कोई न्यूनतम आवश्यकता नहीं है। यह आपके निवेश को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में स्टोर करता है। डीमैट अकाउंट में म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, शेयर आदि निवेश हो सकते हैं।
एचडीएफसी डीमैट अकाउंट व्यापारियों के लिए बेहतर है और साथ ही इससे बहुत सारे लाभ मिलते हैं। बता दें कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग और निवेश करना चाहते हैं तो कोई उम्र के होने के बावजूद आप एचडीएफसी डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। इसके लिए सिर्फ पैन कार्ड डिटेल, पहचान और पते का प्रमाण भरना होगा, इसके अलावा आपको केवाईसी फॉर्म भी भरना होगा। नाबालिग और वयस्क दोनों ही स्टॉक में निवेश कर सकते हैं। नाबालिग अपने माता-पिता के नाम से डीमैट अकाउंट खुलवा सकता है। वहीं जब तक नाबालिग 18 साल से ऊपर का नहीं हो जाता तब तक उसके माता-पिता अकाउंट के प्रभारी होंगे।
आप नेट बैंकिंग के माध्यम से या फिर ब्रांच अकाउंट में जाकर एचडीएफसी डीमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं। एचडीएफसी के ग्राहक नहीं होने पर आप बैंक के ब्रांच में जा सकते हैं और चेक बुक के साथ ऑरिजनल डॉक्यूमेंट को जमा कर सकते हैं। इस दौरान आपको बैंक में अकाउंट खोलने और केवाईसी फॉर्म भरने की भी आवश्यकता होती है। वहीं इन तरीकों के जरिए आप ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
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इन स्टेप्स के जरिए खोलें ऑनलाइन एचडीएफसी डीमैट अकाउंट
- सबसे पहले अपने क्रेडेंशियल डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है के साथ एचडीएफसी नेट बैंकिंग में लॉगिन करें। अब ओपन डीमैट अकाउंट ऑप्शन पर क्लिक करें।
- 'ऑनलाइन आवेदन करें' ऑप्शन पर क्लिक करें, जिसके बाद फॉर्म स्क्रीन पर आ जाएगा।
- फॉर्म में जरूरी डिटेल भरें। इसके बाद ऑथोराइज्ड एचडीएफसी सिक्योरिटी रिप्रेजेंट को आपको कॉल करने के लिए चेकबॉक्स पर क्लिक करें।
- इसके बाद आपको सबमिट बटन पर क्लिक करना होगा।
- सबमिट करने के बाद, आपको एक मैसेज प्राप्त होगा। इसके साथ ही आपके दिए डिटेल को चेक करने के लिए सिक्योरिटी रिप्रेजेंट की तरफ से कॉल आएगा।
- डॉक्यूमेंट वेरिफाई करने के बाद, आपको अपने पहचान प्रमाण, निवास प्रमाण के साथ एक ईमेल भेजना होगा।
- अकाउंट खुलने के बाद आपके रजिस्टर मोबाइल नंबर पर मैसेज आ जाएगा।
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शेयर बाजार में निवेश का प्लान बना रहे हैं तो आपको यह जरूर पता होना चाहिए
पिछले कुछ वर्षों के दौरान निवेश की प्रक्रिया (Investment Process) में भारी बदलाव देखा गया है। नई तकनीक (New Technology) के साथ चीजें अधिक डाइनामिक (Dynamic) हो गई हैं। आज, ई-कॉमर्स (E Commerce) धीरे-धीरे पसंदीदा विकल्प बन रहा है। शेयर मार्केट (Share Market) के लिए भी कुछ ऐसा ही है। आप हर दिन जो काम करते हैं, उन्हें देखते हुए इक्विटी या डेट (Equity or Debt) जैसे फाइनेंसेस को मैनेज करना परेशानियों से भरा हो सकता है। शुक्र है, डिपॉजिटरी एक्ट 1996 ने सभी के लिए अपनी फाइनेंशियल सिक्योरिटीज का मैनेजमेंट (Management Of Financial securities) केवल कुछ क्लिक जितना आसान बना दिया है।
शेयर बाजार में निवेश का प्लान बना रहे हैं तो आपको यह जरूर पता होना चाहिए
डीमैट अकाउंट क्या है?
डीमैट अकाउंट एक बैंक खाते की तरह होता है। अंतर सिर्फ इतना है कि यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में नकदी के बजाय स्टॉक से जुड़ा है। डीमैट खाता अपने ऑपरेटिव फंक्शन के लिए डीमैटरियलाइजेशन के कंसेप्ट का उपयोग करता है। डीमैटरियलाइजेशन वह प्रक्रिया है जिसमें फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदल जाते हैं। मतलब, डीमैट खाता एक छत के नीचे निवेशक के सभी शेयरों को संग्रहीत करने के लिए तकनीक का उपयोग करता है। इनमें सरकारी सिक्योरिटी, म्यूचुअल फंड्स, शेयर, बॉन्ड आदि शामिल हैं।
डीमैट अकाउंट को ऑनलाइन कैसे खोल सकते हैं ?
सबसे पहले अपने पसंदीदा डिपॉजिटरी पार्टिसिपंट (Broker) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। वहां सरल लीड फॉर्म भरें, जिसमें पूछे गए अनुसार अपना नाम, फोन नंबर और निवास स्थान की जानकारी दें। फिर आपको अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी प्राप्त होगा। अगले फॉर्म को पाने के लिए ओटीपी दर्ज करें। अपने केवाईसी डिटेल्स जैसे जन्म तिथि, पैन कार्ड डिटेल्स, कॉन्टेक्ट डिटेल्स, बैंक अकाउंट डिटेल्स आदि भरें।
खुल गया आपका डीमैट अकाउंट
यह सब प्रक्रिया पूरी करते ही आपका डीमैट अकाउंट खुल गया है। इसके बाद आपको अपने ईमेल और मोबाइल पर डीमैट अकाउंट नंबर और इसके अन्य डिटेल्स प्राप्त हो जाएंगे। इसके बाद आप चाहे तो डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है डीमैट अकाउंट खोलने वाली कंपनी के नंबर पर फोन करके शेयर मार्केट में ट्रेड कर सकते हैं। यदि आप चाहते हैं कि खुद ही ट्रेड करें तो आपके पास ट्रेडिंग के लिए लॉग इन और पासवर्ड आ जाएगा। इसका उपयोग कर आप खुद ही खरीद या बिक्री का आर्डर प्लेस कर पाएंगे।
कितने हो सकते हैं डीमैट अकाउंट?
एक निवेशक (Investor) के कई डीमैट अकाउंट (Dmat Account) हो सकते हैं। यह एक ही डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (Depository participants), या अलग-अलग डीपी के साथ भी हो सकते हैं। जब तक, निवेशक सभी अप्लिकेशंस के लिए आवश्यक केवाईसी डिटेल्स (KYC Deatils) प्रदान कर सकता है, तब तक वह आवेदक कई डीमैट अकाउंट संचालित (Operate) कर सकता है।
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Demat Account क्या होता है? | Demat account के फायदे क्या हैं?
आज के समय में मोबाइल internet लगभग हर सभी के पास है जिससे वे जब चाहे जहां चाहें किसी भी प्रकार की जानकारी ले सकते हैं लेकिन सभी जानकारी का हमारी आपकी बोलचाल की भाषा में मिलना लगभग नामुमकिन है। जिस प्रकार मैं अपने पिछले ब्लॉग Stock Market क्या है ? से जुड़ी जानकारी एक सरल भाषा में आप सभी तक पहुँचाने में सफल रहा हूँ, आज का मेरा आर्टिकल स्टॉक मार्केट से ही जुड़े एक पेहलु Demat Account क्या होता है? Demat Account in Hindi से आपको एक सरल भाषा में रूबरू कराना है।
आज हम जानेगें कि Demat Account Kya Hai? , Demat Account की जरुरत क्यों पड़ी, इसका स्टॉक मार्केट से क्या सम्बन्ध है?,डीमैट अकॉउंट कैसे काम करता है? और सबसे जरूरी उनके लिए जो स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते हैं।
इन सभी बिंदुओं पर हमेशा की तरह सीधे और सरल भाषा में जानकारी आप सभी तक पहुँचाना जानकारी4U का संकल्प है। तो बिना देर किए आइए शुरू करते हैं –
Demat का क्या मतलब है? What is DEMAT meaning in Hindi
Demat account के बारे में जानने से पहले Demat क्या है? ये जानना जरूरी है जिससे आगे की जानकारी को समझना आपके लिए आसान हो जाएगा।
DEMAT को पूर्तयः DEMATERIALISATION कहते हैं जिसका अर्थ है “कागज रहित करना ”, यानि की शेयर के कागजी रूप को बदल कर Digitalised करना या उन्हें Dematerlize करना , इस सम्पूर्ण प्रोसेस को DEMATERIALISATION इन शार्ट DEMAT केहते हैं।
DEMAT Account क्या होता है? | Demat Account in Hindi
जिस प्रकार से हम अपने पास रखे हार्ड कॅश को dematerialize करने के लिए , जिससे उसकी सुरक्षा बढ़ सके साथ ही लेन-देन करने में सहूलियत हो सके हम बैंक में अकाउंट खुलवाते हैं उसी प्रकार से शेयर / Equities की स्टॉक मार्केट में खरीद-फरोख के दौरान उन्हें एक जगह रखने की सुविधा के लिए जिस अकॉउंट को उपयोग में लाते हैं उसे डीमैट अकॉउंट कहते हैं। Demat Account में आपके शेयर को Dematerialize करके डिजिटल रूप में सेव कर दिया जाता है।
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए डीमैट जरूरी होता है क्योंकि शेयर खरीदने और बेचने पर शेयर डीमैट अकाउंट से ही संचालित होते हैं। ट्रांजैक्शन के 2 दिन बाद ही शेयर डीमैट अकाउंट में आ जाते हैं।
ऊपर लिखित जानकारी से हमें Demat अकाउंट का Stock मार्केट से सीधे सम्बन्ध होने का भी ज्ञात होता है क्युकी स्टॉक मार्केट में यदि आपको निवेश करना है तो खरीदे शेयर को रखने के लिए Demat Account का होना अनिवार्य है।
Demat Account की क्यों जरुरत पड़ी?
स्टॉक मार्केट जब वजूद में आया उस समय टेक्नोलॉजी का इतना विस्तार नहीं हुआ था नाही Digitalised करने का कोई माध्यम था। उस समय शरहोल्डर्स को कम्पनीज एक प्रकार का कागजी सर्टिफिकेट सबूत के तौर पर देती थीं जिसे शरहोल्डर्स Future में दिखा के अपने शेयर बेच सकते थे।
इस पूरी प्रक्रिया में कुछ प्रमुख ख़ामियाँ थीं , जैसे –
पहली खामी यह थी कि Certificate कागज़ रूप में होते थे जिससे certificate के ख़राब होने , खो जाने , चोरी होने का खतरा रहता था। शेयर होल्डर पर एक अतिरिक्त ज़िम्मेदारी उन्हें संभाल कर रखने की बढ़ जाती थी। Demat अकाउंट होने से शेयर को आसानी से सेव करना आसान हो गया और उनकी सुरक्षा भी बढ़ गई।
दूसरी खामी शेयर के खरीदने और बेचने की थी क्युकी शेयर physical रूप में होते थे ,यदि किसी को शेयर बेचना या खरीदना हो तो उन्हें पहले जांच के एक official और लम्बे प्रोसेस से गुजरना होता था ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके की शेयर्स सही निवेशक के पास ही जा रहे। Demat Account के माध्यम से शेयर्स को आसानी से और कम समय में खरीदना और बेचना आसान हो गया।
तीसरी खामी को दूर करना सबसे जरूरी था ,स्टॉक मार्किट को सुचारु रूप से चलाने के लिए ट्रैकिंग सिस्टम का आसान होना बहुत जरूरी था। कंपनियों को अपने शेयर्स और शेयर्ड होल्डर्स को ट्रैक करने के लिए पहले ज्यादा लोगों की जरुरत पड़ती थी साथ ही गलती और हेरा – फेरी की सम्भावना भी रहती थी। डीमैट अकाउंट होने से सभी शेयर्स और उनके शरहोल्डर्स को ट्रैक करना बहुत आसान हो गया।
National Stock Exchange ने 1996 से ही शेयर होल्डर्स को Demat Account में शेयर्स को जमा करवाने के निर्देश दे दिए थे।
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Demat Account कैसे काम करता है?
Demat account आपके बैंक खाते की तरह ही काम करता है। जिस प्रकार से आप डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है अपने पैसों को बैंक में सेव करके रखते हैं और जरुरत पड़ने पर Online transaction करके कुछ भी खरीद सकते हैं उसी सिद्धांत पर Demat Account के माध्यम से शेयर डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है के transaction किए जाते हैं।
Demat Trading Account कहाँ और कैसे खोलें?
आज के इस digital समय में हर चीज की ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध है। Demat Account भी हम online banking की तरह उपयोग में ला सकते हैं और खुलवा भी सकते हैं।
आज मार्केट में कई discount ब्रोकर companies हैं जो online mode के जरिये आपका अकाउंट खोलती हैं, जैसे
**आप अपने बैंक के द्वारा भी डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं लेकिन उनका मेंटेनेंस चार्ज थोड़ा ज्यादा होता है।
Demat Account का क्या फ़ायदा है ?
- यदि आप स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो Demat अकाउंट होना अनिवार्य है।
- Demat Account होने से शेयर चोरी नहीं होते है नाही Physical certificate की तरह ख़राब होने का कोई डर होता है।
- शेयर के खरीद और बेच में किसी प्रकार का धोखा नहीं होता।
- निवेशक अपने शेयर्स को जब चाहे जहा चाहे ट्रैक कर सकता है।
निष्कर्ष :
उम्मीद करता हूँ आज आप सभी को Demat Account क्या है? What is Demat Account in Hindi से जुड़ी जानकारी और डीमैट अकॉउंट कहाँ और कैसे खुलवाए? से जुड़े सवालों की जानकारी देने में सफल रहा हूँ।
किसी प्रकार की कोई जानकारी इस आर्टकिल में अपडेट करनी हो जो आप को लगता है यह होना जरुरी है ,कृपया कमेंट डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है बॉक्स में बताएं।
अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई है तो कृपया इसे नीचे दिए सोशल platform के जरिए शेयर करें ताकि ये जानकारी औरो तक डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है भी पहुंच स के।
काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी
हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।
IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।
कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।
क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।
IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।
जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।
IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।
प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डीमैट अकाउंट का क्या मतलब होता है डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।
आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।
अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।
ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।