उत्तोलन को परिभाषित करना

4. जजमानी प्रथा (Jajmani System) - जाति प्रथा में प्रत्येक जाति के एक निश्चित वंशानुगति व्यवसाय रहे हैं, जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति जीविकोपार्जन करता है। भारतीय समाज में प्राचीनकाल से ही अनेक जातियाँ एक-दूसरे से प्रकार्यात्मक रूप से जुड़ी रहती हैं।
गाँव का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं
गांव से तात्पर्य मनुष्यों की बस्ती से हैं जहाँ खेती-बाड़ी मुख्य पेशा होता है। गांव शब्द को सामान्यतः स्पष्ट कर देना आसान नहीं है, क्योंकि आज गांव और शहर में परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध होते जा रहे हैं। कुछ प्रमुख समाज विद्वानों ने गांव शब्द को स्पष्ट करने में ग्राम या ग्रामीण जीवन की एक सामान्य रूपरेखा प्रस्तुत की है। गांव या ग्रामीण समुदाय को परिभाषित करते हुए कुछ प्रमुख विद्वानों ने लिखा है कि -
"गांव नाम का प्रयोग सामान्यतः किसानों की बस्तियों से किया जाता है। जिन वृहत क्षेत्रों में एक समूह के लगभग सभी महत्वपूर्ण हितों की संतुष्टि की जाती है उनको ग्रामीण समुदाय मान लेने के लिए समाजशास्त्रियों की प्रतिबद्धता बढ़ती जा रही है। - सिम्स "
ग्राम मानव के सामूहिक निवास की प्रथम व्यवस्था और कृषि व्यवस्था के विकास का उत्पादक है। - डॉ. ए. आर. देसाई
भारतीय ग्राम की विशेषताएं
1. ग्रामीण समुदाय परिवार पर आधारित तथा नियन्त्रित (Family as Fundamental and Controlling unit of उत्तोलन को परिभाषित करना Rural Community) - गाँव में परिवार को सामाजिक जीवन की आधारभूत इकाई माना जाता है, इसीलिए इसका महत्वपूर्ण स्थान होता है।
2. संयुक्त परिवार प्रणाली (Joint Family System) - भारतीय संयुक्त परिवार प्रणाली ग्रामीण समुदाय में ही दिखाई पड़ती है। सामान्यतः भारत में इस प्रकार के अधिकांश गाँव पाये जाते हैं. जिनमें संयुक्त संगठन के आधार पर अनेक नाते-रिश्तेदारों की एक सहयोगी व्यवस्था होती है और जिनमें शामिल सम्पत्ति, शामिल वमन, अधिकार एवं कर्तव्यों का समावेश होता है।
3. खेती ही मूल्य व्यवसाय (Farming as the Main Occupation) - भारत जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत भाग प्रत्यक्षतः कृषि पर आश्रित है, यदि इसमें अप्रत्यक्षतः व्यक्तियों का शामिल किया जाता है तो यह प्रतिशत 75 तक बढ़कर पहुंच सकता है।
Define Meaning in Hindi। Define का हिन्दी में अर्थ
Define Meaning in Hindi (Define का हिन्दी अर्थ) : आज के इस Article में आप Define नामक इस अंग्रेजी शब्द का हिन्दी में अर्थ (Define Ka Hindi Arth) या फिर उत्तोलन को परिभाषित करना कहे तो Define Ka Hindi Me Matlab या डिफाइन मीनिंग इन हिन्दी या Define Means in Hindi।
जानने के साथ-साथ इस Word से संबंधित (Related) और भी काफी सारी बातों को जान पाएंगे। उम्मीद करती हूं, कि आज का यह आर्टिकल (Define Meaning in Hindi। Define का हिन्दी में अर्थ) आपके लिए Helpful उत्तोलन को परिभाषित करना होगी।
Define Meaning in Hindi। Define का हिन्दी में अर्थ
Define का हिंदी में अर्थ (Define Meaning in Hindi) या मतलब होता है : परिभाषित करें। (Paribhashit Karen.)
जैसा कि हम जानते हैं, Define एक अंग्रेजी शब्द है। अगर हम इसके प्रयोग की बात करें तो हम अपने दैनिक जीवन (Daily Life) में उत्तोलन को परिभाषित करना सामान्य तौर पर अंग्रेजी बोल-चाल की भाषा में इसका प्रयोग करते है।
साथ ही अगर हम वाक्यों में इसके प्रयोग की बात करे तो Verb (kriya) एवं Noun (sangya) दोनों ही रूपों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। परंतु अगर हम वाक्यों में इसके सर्वाधिक प्रयोग की बात करें तो Verb के रूप में इसका सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाता है।
तो आइए सबसे पहले जानते है। Define के अन्य हिन्दी अर्थो (Other Hindi Meaning of Define) को Verb एवं Noun दोनों ही रूपों (Form) में-
औसत का फार्मूला, ट्रिक और परिभाषा | Average Formula in Hindi
गणित के सबसे महत्वपूर्ण टॉपिकों में से सबसे प्रसिद्ध टॉपिक औसत फार्मूला है, क्योंकि इसके अंतर्गत व्यावहारिक ज्ञान जैसे औसत रन, औसत आयु, औसत प्राप्तांक, औसत भार, औसत चाल आदि पर आधारित विशेष प्रश्न प्रतियोगिता परीक्षा में पूछे जाते है. इसलिए, शिक्षकगण इन प्रश्नो को हल उत्तोलन को परिभाषित करना करने के लिए औसत की मूल अवधारणा पर विशेष बल देते है.
विद्यार्थियों यानि प्रतियोगी को Average Formula in Hindi और प्रश्न से पुर्णतः ज्ञान प्रदान करने के लिए इसके बेसिक इकाईयों को समझना आवश्यक है. प्रतियोगिता परीक्षा को ध्यान में रखते है हुए यहाँ ऐसे सूत्र एवं ट्रिक्स को सामिल किया गया है जो औसत के प्रशों को हल करने में सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है.
मैथ्स की तैयारी करने के लिए फार्मूला का अध्ययन करना अतिआवश्यक होता है. शिक्षक के परामर्श अनुसार यहाँ सिर्फ वैसे ही फार्मूला उपलब्ध कराया गया है जो आवश्यक है.
औसत क्या है | Average in Hindi
सामान्यतः औसत एक ऐसी गणितीय मान या संख्या है जो दी गयी संख्याओ के योगफल तथा दी गयी संख्याओं की संख्या के अनुपात से बनता है. औसत को परिभाषित इस प्रकार किया जाता है:
गणितीय औसत की परिभाषा: –
दो या दो से अधिक सजातीय पदों का औसत वह संख्या होता है, जो दिए गए पदों के योगफल से उन्ही पदों की संख्या को भाग देने पर प्राप्त होती है.
सरल शब्दों में, दो या दो से अधिक सजातीय राशियों के जोड़ को उन्ही राशियों की संख्या से भाग करने पर प्राप्त भागफल उन राशियों का औसत कहलाता हैं.
Note:-
औसत को मध्यमान या माध्य से भी सम्बोधित किया जाता है.
अर्थात औसत = (सभी राशियों का योग) / (राशियों की उत्तोलन को परिभाषित करना संख्या)
उदाहरण:
Q. 3, 6, 8, 17 का औसत ?
अंकों का योग = 5 + 6 + 8 + 17 = 36
राशियों की कुल संख्या = 4
इसलिए, औसत = 36 / 4 = 9 ans.
औसत पर आधारित महत्वपूर्ण तथ्य
- यदि सभी संख्याओं में x गुणा की जाती है, तो उनके औसत में भी x गुणा की कमी होती है.
- किसी संख्या में x से भाग की जाती है, तो उनके औसत में भी x से भाग होती है.
- अगर सभी संख्याओं में x की वृद्धि होती है, तो उनके औसत में भी x की वृद्धि होती है.
- यदि सभी संख्याओं में x की कमी होती है, तो उनके औसत में भी x की कमी होती है.
- दो क्रमागत पदों या संख्याओं का अन्तर समान हो, तो औसत = पहली संख्या + अन्तिम संख्या / 2
प्रतियोगिता एग्जाम विशेषज्ञों के अनुसार फार्मूला प्रश्न को हल करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण इकाई होता है. जिसे नजरअंदाज कभी नही किया जाता है. इसलिए, Average Formula in Hindi का सभी आवश्यक फार्मूला का समूह यहाँ उपलब्ध कराया गया है. उम्मीद है आपको पसंद आएगा. धन्यवाद.
Hey, मैं Jikesh Kumar, Focusonlearn का Author & Founder हूँ. शिक्षा और शिक्षण शैली को सम्पूर्ण भारत में प्रसार के लिए हम अन्तःमन से कार्यरत है. शिक्षा एवं सरकारी योजना से सम्बंधित सभी आवश्यक जानकारी इस वेबसाइट के माध्यम से प्रदान किया जाता है जो शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने में सक्षम है.
स्टार संयोजन प्रतिरोधक भार के साथ 180 डिग्री चालन:
स्टार संयोजन प्रतिरोध भार के साथ तीन-फेज इन्वर्टर का विन्यास जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। निम्नलिखित सम्मेलन का पालन किया जाता है।
- एक नोड बिंदु a, b या c को छोड़कर और तटस्थ बिंदु n में प्रवेश करने वाली धारा को धनात्मक माना जाता है।
- तीनों प्रतिरोध बराबर हैं, R a = R b = R c = R
प्रचालन के इस मोड में, प्रत्येक स्विच 180° के लिए संचालित होता है। इसलिए किसी भी समय तीन स्विच चालू रहते हैं। एक चक्र में संचालन के छह संभावित तरीके हैं और प्रत्येक मोड 60° अवधि का है और प्रत्येक मोड की व्याख्या इस प्रकार है:
मोड
Inverters Question 2:
एकल-फेज़, फुल-ब्रिज वोल्टेज स्रोत DC/AC परिवर्तक(कन्वर्टर) में, कितने स्विच का उपयोग किया जाता है?
एकल फेज़ पूर्ण उत्तोलन को परिभाषित करना ब्रिज परिवर्तक(कन्वर्टर):
- एकल फेज पूर्ण ब्रिज परिवर्तक(कन्वर्टर) मूल रूप से एक वोल्टेज स्रोत DC/AC परिवर्तक(कन्वर्टर) है।
- एकल फेज अर्ध ब्रिज परिवर्तक(कन्वर्टर) के विपरीत, इस इन्वर्टर को तीन तार वाले DC इनपुट आपूर्ति की आवश्यकता नहीं होती है।
- बल्कि, दो तार DC इनपुट विद्युत स्रोत इस आवश्यकता को पूरा करता है।
- थायरिस्टर्स के टर्न ऑन( ON) और टर्न ऑफ( OFF) समय को नियंत्रित करके आउटपुट आवृत्ति को नियंत्रित किया जा सकता है।
- एक एकल-फेज पूर्ण-ब्रिज इन्वर्टर को नीचे दिए गए आरेख उत्तोलन को परिभाषित करना में दर्शाया गया है, जहां चार विद्युत स्विच हैं: Q1, Q2, Q3, और Q4।
- स्विच युग्म(Q1, Q4) और (Q2, Q3) बारी-बारी से आयोजित किए गए हैं।
- भार के दो टर्मिनल क्रमशः ब्रिज परिपथ के बाएं हाथ के सिरे और दाएं हाथ के सिरे के मध्य बिंदुओं के साथ संंयोजित होते हैं।
- माना जाने वाला भार प्रतिबाधा फेज़ कोण (ϕ) के साथ RL भार है।
- इसके अलावा, चार डायोड, D 1 –D 4 हैं, जो भार प्रेरक में संग्रहीत ऊर्जा द्वारा संचालित भार धारा के लिए पथ प्रदान करने के लिए नियोजित किए गए हैं।
- एक चक्र की अवधि को T द्वारा दर्शाया जाता है।
संपत्ति अंतरण अधिनियम के तहत पट्टा क्या है ?
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 105 के तहत पट्टा को परिभाषित किया गया है जिसके तहत एक करार यानी एग्रीमेंट के द्वारा अचल संपत्ति के उपयोग के अधिकार को किसी निश्चित समयवधि के लिए शर्तों सहित अंतरित करना उसके बदले में प्रतिफल के रूप में धन, खेती की भूमि है तो फसल के अंश , या मूल्यवान वस्तु प्राप्त करना पट्टा कहलाता है।
संपत्ति अंतरण अधिनियम के तहत पट्टे के आवश्यक तत्व क्या है ?
- पक्षकार।
- पट्टे की विषय उत्तोलन को परिभाषित करना वस्तु।
- अचल संपत्ति के उपयोग के अधिकार का अंतरण।
- उपभोग के अधिकार की अवधि।
- प्रतिफल जो कि प्रीमियम या किराया।
उपरोक्त सभी पट्टे के आवश्यक तत्वों का एक-एक कर विस्तार से विवरण किया जा रहा है, ताकि आप लोगो को समझ में अच्छे से आये और याद भी हो जाये।
1. पक्षकार - किसी भी पट्टे की प्रथम प्रमुख आवश्यक तत्व उसके दो पक्षकार होते है प्रत्येक पट्टे की लेनदेन में दो पक्षकारों का होना अनिवार्य है जो कि :-
- पट्टाकर्ता
- पट्टेदार / पट्टाग्रहीता होते है।
1. पट्टाकर्ता - पट्टाकर्ता वह व्यक्ति होता है जो किसी अचल संपत्ति का स्वामी होता है और उसके द्वारा उस अचल संपत्ति का पट्टा किया जाता है जिसके अंतर्गत वह अपनी उस अचल संपत्ति के उपयोग या उपभोग के अधिकार को एक करार के द्वारा अंतरित करता है।
संपत्ति अंतरण अधिनियम के तहत पट्टे की अवधि।
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 106 के तहत यदि लिखित संविदा, स्थानीय विधि या स्थानीय प्रथा का आभाव हो तो कुछ पट्टो की अवधि का निर्धारण कुछ इस प्रकार से होगा :-
- यदि अचल संपत्ति का पट्टा कृषि या विनिर्माण कार्यो के उद्देश्य के लिए दिया गया हो तो साल दर साल का माना जायेगा।
- यदि अचल संपत्ति का पट्टा किसी अन्य उद्देश्य के लिए दिया गया हो तो माह दर माह का माना जायेगा।
वैसे तो प्रत्येक पट्टे का जब करार होता है तो उस करार के दस्तावेज में पट्टे की अवधि लिखित होती है जिससे यह स्पष्ट रूप पट्टे की अवधि मालूम होती है।