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रुझान कितने समय तक चलते हैं?

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PPF Investment: पांच सौ रुपये से पीपीएफ अकाउंट खोलें, 15 साल में पाएं सुरक्षित भविष्य

लोगों में पैसे कमाने की चाह संग निवेश से अच्छा रिटर्न पाने की होड़ भी है. बाजार में कई स्कीमें हैं, लेकिन सुरक्षित निवेश के लिए जानकार पीपीएफ अकाउंट शुरू करने की सलाह देते हैं.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 03 Jul 2021 11:02 PM (IST)

PPF Investment: पीपीएफ में लोगों के बढ़ रहे रुझान की सबसे बड़ी वजह गवर्नमेंट बैकिंग होने के चलते इसका रिस्क फ्री होना है. इसमें जमा होने वाली अधिकतम सालाना डेढ़ लाख की नगदी तो टैक्स फ्री होती ही है, मेच्योरिटी के समय या पहले भी सिचुएशनल विड्रॉल के वक्त मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता. 15 साल का लॉकिंग पीरियड, एफडी से अधिक रिटर्न और टैक्स में छूट के चलते इसकी डिमांड बढ़ गई है.

किसके लिए फायदेमंद
हर भारतीय के लिए पीपीएफ अकाउंट खोलना फायदेमंद है. यह सिर्फ एक बार ही खुल सकता है, किसी नाबालिग के लिए भी खोलना है तो खाता अभिभावक ही ऑपरेट कर पाएगा. इसे अब एनआरआई अब नहीं खोल पाएंगे, लेकिन पहले से खुलवा रखा है तो 15 साल तक ऑपरेट करने में कोई दिक्कत नहीं है.

कहां और कैसे करें शुरुआत
पीपीएफ अकाउंट देश के किसी भी पॉपुलर सरकारी या निजी बैंक में शुरू किया जा सकता है. इसके अलावा पोस्ट ऑफिस में भी इसके खाते खुलते हैं. इसमें हर साल कम से कम 500 रुपये और अधिकतम डेढ़ लाख जमा कराए जा सकते हैं. जो कम से कम एक और अधिकतम 12 किस्तों में डाली जा सकती है. पैसा कैश, चेक, डीडी या फिर ऑनलाइन माध्यम से भी ट्रांसफर किया जा सकता है. खाता खोलने के लिए फॉर्म-1, दो फोटो, पैन कार्ड, आईडी और एड्रेस प्रूफ की जरूरत होती है.पहले से बैंक में अकाउंट है तो वहां ऑनलाइन ऑपरेशन में ऑप्शन मिल जाएगा. यह अकाउंट बैंक से बैंक, ब्रांच और डाकघर में भी ट्रांसफर कर सकते हैं.

कितना समय देना होगा
पीपीएफ अकाउंट के लिए कम से कम 15 साल लॉकिंग पीरियड है, यानी इसे खोलने के बाद आप 15 याल से पहले पैसा कुछ इमरजेंसी सिचुएशन छोड़कर नहीं निकाल सकते. इसकी मेच्योरिटी 15 फुल वित्तीव वर्ष होते हैं, अगर आज जुलाई में खाता शुरू करते हैं तो आपका वित्तीय वर्ष अगले साल अप्रैल से माना जाएगा, हालांकि खाते की रकम पर ब्याज का लाभ जुलाई से ही मिलने लगेगा. 15 साल पूरे होने पर इस खाते को पांच-पांच साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है.

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कितना रिटर्न
पीपीएफ अकाउंट पर औसत ब्याज वर्तमान में करीब आठ प्रतिशत है, ये घटता-बढ़ता रहता है, जिसे हर तिमाही केंद्र सरकार तय करती है. बीते दो सालों में इसका रिटर्न साढ़े सात से नौ प्रतिशत रहा है, यह मंथली कम्पाउडिंग होने के चलते महीने की पांच तारीख से अंतिम दिन तक खाते की न्यूनतम रकम पर ब्याज मिलता है.

इस तरह होगी निकासी
प्री मेच्योर विड्रॉल पर आप दो तरीके से पैसा निकाल सकते हैं. पहला तीसरे से छह वित्तीय वर्ष तक आप लोन ले सकते है, जिसमें खाते पर मिल रहे ब्याज से दो प्रतिशत अधिक इंट्रेस्ट चुकाना होगा. अगर सात से 15वें साल के बीच लोन चाहिए तो आंशिक निकासी का विकल्प भी मिल जाता है.

कुछ कमियां भी
- इस खाते की बड़ी बंदिश है कि आप इसे किसी लोन या लायबिलिट के अंगेस्ट नहीं यूज कर सकते. यहां तक कि दिवालिया होने पर ही रकम नहीं निकाली जा सकती है.

- प्री मेच्योर विड्रॉल कम से कम पांच साल बाद होगा वो भी परिजन की सीरियस बीमारी के लिए पूरे दस्तोवज लगाने के बाद. खाता धारक खुद हायर एजुकेशन के लिए इसे बंद कर सकता है, लेकिन ऐसा करने के लिए उसे ब्याज दर पर एक परसेंज की पेनाल्टी भरनी होगी.

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Published at : 03 Jul 2021 11:02 PM (IST) Tags: Bank Interest PPF Cash NRI dd Post Office cheque tax free profits Salaried Saving Scheme Secure Future Locking Period हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

एक महीने में कपास की कीमतें 5% बढ़ीं, आगे तेजी या मंदी?

कपास का भाव इसके एमएसपी से 15 फीसदी ऊपर पहुंच गया है. अमेरिका और ब्राजील सहित प्रमुख कपास उत्पादक देशों में कपास का उत्पादन घटने का अनुमान है .

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अमेरिका और ब्राजील सहित प्रमुख कपास उत्पादक देशों में कपास का उत्पादन घटने का अनुमान है क्योंकि किसानों ने मक्का और सोयाबीन की बुआई को तरजीह दी है जिन्होंने घरेलू कीमतों को भी समर्थन दिया है. भारतीय कपास की कीमतें वैश्विक कपास की कीमतों से 13% सस्ती हैं. निर्यात पहले के 60 लाख टन के अनुमान से अधिक होने की उम्मीद है. उद्योग भारत से कपास के आयात के संबंध में पाकिस्तान सरकार के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा है.

खांडेश जिनिंग एंड प्रेसिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप जैन ने कहा, "पाकिस्तान पारंपरिक रूप से भारतीय कपास का सबसे बड़ा आयातक है. वह भारतीय कपास के लिए अपने दरवाजे खोल सकता है." सीसीआई के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि 207 लाख रुझान कितने समय तक चलते हैं? गांठ के कुल स्टॉक में से अब हमारे पास केवल 50 लाख गांठ बची हैं. 1 मार्च से, सीसीआई ने मिलर्स के साथ-साथ व्यापारियों को भी एक मुफ्त अवधि की पेशकश की है, जिससे खरीदार आज की कीमत पर कपास खरीद सकते हैं और 90 दिनों के बाद इसे उठा सकते हैं.

एमएसपी से 15 फीसदी ऊंचे दाम पर कपास

सफेद सोना यानी कपास की खेती इस साल किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हुई है. वैश्विक बाजार में रूई के दाम में आई तेजी के बाद देश में कपास का भाव इसके एमएसपी से 15 फीसदी से ज्यादा तेज हो गया है और किसान अब सरकारी एजेंसी की खरीद के मोहताज नहीं रह गए हैं. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गणत्रा कहते हैं कि सफेद सोना वाकई इस साल किसानों के लिए सोना बन गया है. सरकार ने कपास (लंबा रेशा) का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,825 रुपये प्रति क्विंटल और मध्यम रेशा वाली कपास का एमएसपी 55,15 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. कारोबारियों ने बताया कि गुजरात में कपास का भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल है.

गणत्रा ने आईएएनएस को बताया कि बीते तीन साल के बाद रूई में इतनी बड़ी तेजी आई है, जिससे अगले सीजन में कपास की खेती के प्रति किसानों की दिलचस्पी निस्संदेह बढ़ेगी और कपास की बुवाई के रकबे में पिछले साल के मुकाबले कम से कम 10 फीसदी का इजाफा होगा.
रूई का भाव अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर बीते 25 फरवरी को 95.57 सेंट प्रति पौंड तक उछला था, जो 11 जून 2018 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है, जब आईसीई पर रूई का भाव 96.49 सेंट प्रति पौंड तक चढ़ा था. हालांकि रूई का भाव इस साल के ऊंचे स्तर से टूटकर गुरुवार को 88 सेंट प्रति पौंड पर आ गया फिर भी रूई का भाव करीब तीन साल के ऊंचे स्तर पर बना हुआ है.

केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि रूई का भाव काफी ऊंचा हो गया था, जिसके बाद मुनाफावसूली हावी होने के कारण कपास के दाम में गिरावट आई है, हालांकि फंडामेंटल अभी भी मजबूत है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई के दाम में बीते एक सप्ताह के दौरान आई गिरावट के बाद भारतीय बाजार में में भी नरमी आई है.

अतुल गणत्रा ने बताया कि जब वैश्विक बाजार में कॉटन 95 सेंट के ऊपर चला गया था, तब भारतीय कॉटन यानी रूई और अमेरिका के कॉटन के दाम में 14 सेंट का अंतर था जो अब घटकर सात सेंट रह गया है, जिससे निर्यात मांग जो बीते दिनों बढ़ी थी उसमें नरमी आ गई है. उन्होंने बताया कि कॉटन का भाव गुजरात में बीते दिनों जहां 47,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी में 356 किलो) हो गया था, वहां रुझान कितने समय तक चलते हैं? अब घटकर 4,6000 रुपये प्रति कैंडी पर आ गया है.

गणत्रा ने बताया कि फरवरी के आखिर तक भारत का काटन निर्यात 34 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) हो चुका था और व्यक्तिगत तौर पर उनका अनुमान है कि चालू सीजन में भारत से 60 लाख गांठ तक निर्यात करेगा, हालांकि एसोसिएशन का अनुमान अब तक 54 लाख गांठ ही है, लेकिन इस महीने होने वाली बैठक में सदस्यों के बीच विचार-विमर्श किया जाएगा.

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के अनुसार, देश में रूई का उत्पादन चालू कॉटन सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में 360 लाख गांठ है, पिछले साल का बकाया स्टॉक 125 लाख गांठ और आयात 14 लाख गांठ को मिलाकर कुल आपूर्ति 499 लाख गांठ रहेगी, जबकि घरेलू खपत मांग 330 लाख गांठ और निर्यात 54 लाख गांठ होने के बाद 30 सितंबर 2021 को 115 लाख गांठ कॉटन अगले सीजन के लिए बचा रहेगा.

हालांकि कपड़ा मंत्रालय के तहत गठित कमेटी ऑनफ कॉटन प्रोडक्शन एंड कन्जंप्शन (सीओसीपीसी) के अनुसार, देश में चालू सीजन 2020-21 में कॉटन का उत्पादन 371 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जिसमें से 28 फरवरी 2021 तक 294.73 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी थी.

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Earthquake in Indonesia: इंडोनेशिया में भूकंप से भारी तबाही, अब तक 252 लोगों की मौत, पीएम मोदी ने जताया दुख

Earthquake: इंडोनेशिया के मुख्य द्वीप जावा में भूकंप रुझान कितने समय तक चलते हैं? के चलते अब तक 252 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 31 लोग अब भी लापता हैं और सैकड़ों घायल हैं.

Earthquake in Indonesia: इंडोनेशिया में भूकंप से भारी तबाही, अब तक 252 लोगों की मौत, पीएम मोदी ने जताया दुख

इंडोनेशिया के मुख्य द्वीप जावा में सोमवार को आए भीषण भूकंप और उसके बाद आए झटकों के कारण कई मकान गिर गए.

Earthquake in Indonesia: इंडोनेशिया के मुख्य द्वीप जावा में सोमवार को आए भीषण भूकंप और उसके बाद आए झटकों के कारण कई मकान गिर गए. इस घटना में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. अब तक 252 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 31 लोग अब भी लापता हैं और सैकड़ों घायल हैं. मरने वालों में ज्यादातर बच्चे हैं. ध्वस्त इमारतों के मलबे में शव दबे हुए हैं, जिसके चलते आगे मरने वालों की संख्या और बढ़ने की आशंका है. भूकंप से दर्जनों इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और अपनी जान बचाने के लिए सड़कों और गलियों में भाग रहे लोगों में से कई घायल और खून से लथपथ नजर आए. वहां आज मंगलवार को भी बचाव व राहत अभियान जारी है. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा कि भूकंप की तीव्रता 5.6 रही और यह पश्चिम जावा प्रांत के सियांजुर क्षेत्र में 10 किलोमीटर (6.2 मील) की गहराई में केंद्रित था. भूकंप के चलते डरे हुए लोग अपने मकानों और इमारतों से बाहर निकलकर सड़क पर आ गए थे.

पीएम मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडोनेशिया में भूकंप से हुई मौतों पर मंगलवार को शोक जताया और कहा कि दुख की इस घड़ी में भारत वहां के लोगों के साथ खड़ा रुझान कितने समय तक चलते हैं? है. मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘इंडोनेशिया में भूकंप से जान व माल को हुई क्षति से दुखी हूं. पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘दुख की इस घड़ी में भारत इंडोनेशिया के साथ खड़ा है.’’ मोदी ने इस ट्वीट को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के ट्विटर हैंडल से भी टैग किया है.

महिला ने बताई आप बीती

एक महिला ने द एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि जब भूकंप आया, तो सियानजुर में उसका घर “इस तरह हिलने लगा जैसे वह नाच रहा हो.” महिला ने आगे कहा, “मैं रो रही थी और मैंने तुरंत अपने पति और बच्चों को पकड़ लिया.” महिला ने बताया कि उसके परिवार के साथ भागने के कुछ ही समय बाद घर ध्वस्त हो गया. महिला ने कंक्रीट और लकड़ी के मलबे के ढेर को देखते हुए कहा, “अगर मैंने उन्हें बाहर नहीं निकाला होता तो हम भी इसके शिकार हो सकते थे.” अधिकारियों ने बताया कि मारे गए लोगों के अलावा 300 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए और कम से कम 600 से अधिक लोगों को मामूली चोटें आईं हैं.

आदत अपनाने के लिए 21/90 का नियम

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मित्रों हम सब कुछ आदतें छोड़ना और कुछ अपनाना चाहते हैं। लेकिन अकसर एक दो दिन बाद कोशिश करना छोड़ देते हैं। आदत को अपनाना मुश्किल है। आपकी इसी मुश्किल का हल हम लाए हैं। इसी हल का नाम है 21/90 । आइये इसे समझते हैं।

21/90 नियम कहता है :

किसी भी बदलाव को आदत के रूप में विकसित होने में 21 दिन लगते हैं, और 90 दिनों में वह आदत आपकी जीवन शैली बन जाती है। अर्थात, कोई काम लगातार 21 दिनों तक करने से आदत बन जाती है।

तो अगर आप भी किसी आदत को अपनाने का तरीका ढूंढ रहें हैं तो अपनाइये 21/90 का नियम :

1) लक्ष्य निर्धारित करें।

सबसे पहले निर्धारित करें कि आप कौन सी आदत अपनाना चाहते हैं।

2) अगले दिन से उसे दिनचर्या में शामिल करें।

जो भी आपने निश्चय किया है, अब उसे अभ्यास में लाना आरंभ करें। जैसे अगर आपने रोज़ व्यायाम करने की ठानी है तो रोज़ सुबह उठें और व्यायाम के लिए बैठें।

3) खुद को प्रेरित करें।

नई आदत बनाने में कठिनाई तो होती है। या तो आप बहाने मार कर उसे कल पर टाल देते हैं, या तो "मुझसे नहीं होगा" यह सोंच कर शुरू किये काम को आधा छोड़ देते हैं। इसीलिए खुद को प्रेरत करें कि आपने जो सोंचा है वो कर दिखाएंगे। ।

निरंतरता आदत को अपनाने के लिए सबसे ज़रुरी है। बिना एक भी दिन छोड़े, रोज़ दोहराएं, चाहे मन हो या न हो।

इस तरह 21 दिनों तक निरंतर अभ्यास करें और खुद को अनुशासित रखें। पहले यह अच्छा नहीं लगेगा लेकिन 21 दिनों के बाद आप खुद नई आदत को दोहराना चाहेंगे।

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