बाजार का लगातार अध्ययन

सोना 352 रुपये मजबूत, चांदी में 1,447 रुपये का उछाल
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में जिंस अनुसंधान विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवनीत दमानी ने कहा, ‘‘अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल के भाषण के बाद आगे ब्याज दरों में मामूली बढ़ोतरी की उम्मीद बंधी है। इससे सोने और चांदी की कीमतों में एक माह की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली।’’
भाषा राजेश राजेश रमण
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ
शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ जिनसे आप जान सकें शेयर बाज़ार की भाषा जिससे कि आपको इस बाजार और इसकी शब्दावली को समझने में आसानी होगी। कई प्रकार के शब्द जो कि शेयर बाजार में प्रयोग किए जाते हैं बाजार कि ट्रेडिंग के बारे में, शेयरों के बारे में या कम्पनियों के बारे में जिनका अर्थ हमें मालूम नहीं होता है। आज समझेंगे शेयर बाजार की भाषा जिससे इस बाजार को समझने में और भी आसानी होगी। शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाली शब्दावली आपको बाजार का लगातार अध्ययन मजेदार भी लगेगी और इसे समझे बिना बाजार को समझना नामुमकिन सा भी है। शेयर बाजार के बारे में अधिक जानकारी और अन्य पहलुओं को जानने के लिये Share Market in easy Hindi विस्तार से पढ़ें।
शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ
शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ
कई बार हम जब टीवी पर कोई बिजनेस चैनल देखते हैं या कोई वित्त सम्बंधी लेख या समाचार पढ़ते हैं तो हमें ऐसे शब्दों का सामना करना पड़ता है जिनके प्रयोग शेयर बाजार में होते हैं मगर हम उनका अर्थ समझ नहीं पाते। इसी का ध्यान रखते हुए हम यहाँ दे रहे हैं शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ। चलिए देखते हैं कुछ सबसे महत्वपूर्ण शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ जिन्हें समझना आपके लिए जरूरी है यदि आप शेयर बाजार को सीखना चाहते हैं।
वार्षिक रिपोर्ट में कम्पनी की वार्षिक वित्तीय स्थिति का उल्लेख होता है जिसे शेयर होल्डरों के लिए तैयार किया जाता है। इसमें कम्पनी की बैलेन्स शीट के अलावा बहुत सारी जानकारी होती है, फ़ंड फ़्लो यानी नक़दी प्रवाह, आने वाले वर्षों के लिए ग्रोथ टार्गेट और मनेजमेंट की नीतियाँ आदि। कम्पनी की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ कर कम्पनी की वित्तीय स्थिति का निर्धारण करना आसान हो जाता है।
आर्बिट्रेज अलग-अलग बाजारों और अलग-अलग मूल्यों पर समान खरीदने और बेचने को कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि स्टॉक एक बाजार में 100 रुपए में मिल रहा है और दूसरे पर 105 रुपए पर कारोबार कर रहा है तो व्यापारी उन शेयरों को ₹100 में खरीद सकता है और दूसरे बाजार पर ₹105 के लिए बेच सकता है। इसी क़ीमत में अंतर की कमाई को आर्बिट्रेज कहेंगे।
मंदे बाज़ार को बीयर मार्केट कहते हैं। जब बाज़ार में क़ीमतें नीचे की और जा रहीं हों और हर तरफ़ निराशा का वातावरण हो तो उसे बीयर मार्केट कहेंगे।
किसी शेयर की क़ीमत बाज़ार की तुलना में कैसे बदलती है उस नाप को बीटा कहते हैं। जिन शेयरों की क़ीमतें बाज़ार के साथ साथ चलतीं हैं वे कम बीटा वाले शेयर होते हैं और जो शेयर बाज़ार की दिशा के अनुसार तेज़ी से चलते हैं उन्हें अधिक बीटा वाले शेयर कहा जाता है। उदाहरण के लिए यदि बाज़ार 1% बढ़े मगर किसी कम्पनी का शेयर 5% बढ़े तो उस कम्पनी का बीटा हुआ 5. इसी प्रकार गिरते हुए बाज़ार में भी बाज़ार की तुलना में किसी शेयर की क़ीमत कितनी गिरी उससे उसका बीटा वैल्यू गिनी जाएगी। आम तौर पर कम बीटा वाले शेयरों को अधिक सुरक्षित शेयर माना जाता है और अधिक बीटा वाले शेयरों को जोखिम वाला भी माना जा सकता है।
जब हम शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ लिखने बैठे तो सबसे पहले जो शब्द ध्यान में आया वो था ब्लू चिप। आम तौर पर अपने उद्योग में अग्रणी और बड़ी कम्पनियाँ ब्लू चिप कहलातीं हैं जिनका लगातार शानदार रिकार्ड रहा हो और प्रबंधन मज़बूत हो। ब्लू चिप आम तौर पर कैसिनो में सबसे अधिक वैल्यू के चिप होते हैं इसी लिए बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों के लिए भी यह नाम पड़ा। शेयर मार्केट बाजार का लगातार अध्ययन में अलग अलग रंगों का महत्व भी पढ़िये।
जब हर तरफ़ तेज़ी हो और बाज़ार में उत्साह का माहौल हो तो उसे बुल मार्केट कहेंगे। आप यहाँ शेयर बाजार में बुल और बेयर का मतलब विस्तार से पढ़ सकते हैं।
कम्पनी या व्यक्ति जो हमारे लिए बाज़ार में ख़रीद फ़रोख़्त करे और उसके बदले में कमीशन ले उसे ब्रोकर कहते हैं। ब्रोकर को दी जाने वाली कमीशन ब्रोकरेज कहलाती है।
बिड या बोली वह क़ीमत जिसके बदले में कोई ख़रीदार कसी शेयर को खरीदने के लिए तैयार होता है। आस्क प्राइस वह क़ीमत होती है जिस पर कोई शेयर होल्डर अपने शेयर को बेचने को तैयार होता है। आस्क और बीड के अंतर को स्प्रेड कहा जाता है।
एक ही दिन में बाज़ार बंद होने से पहले सौदे को बेचना और ख़रीदना डे ट्रेडिंग कहलाता है। बहुत से लोग डे ट्रेडिंग करते हैं हालाँकि इसमें काफ़ी जोखिम रहता है। जो लोग डे ट्रेडिंग करते हैं उन्हें डे ट्रेडर्ज़ कहते हैं।
डिवीडेंड या लाभांश कम्पनी के लाभ के उस हिस्से को कहते हैं जो कम्पनी शेयर होल्डरों को देती है। विस्तार से डिवीडेंड के बारे में यहाँ पढ़ें।
जब खरीदने या बेचने का आदेश पूरा हो जाता है तो बाज़ार ने लेनदेन का क्रियान्वयन कर दिया है। यदि आप 100 शेयर बेचने का बाजार का लगातार अध्ययन आदेश देते हैं, तो इसका मतलब है कि सभी 100 शेयर बिक गए हैं।
मुंबई स्टॉक एक्स्चेंज के संवेदी सूचकांक को सेंसेक्स कहते हैं। तीस शेयरों पर आधारित यह सूचकांक बाज़ार की गति और दिशा का सूचक है।
नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज के सूचकांक को निफ़्टी कहते हैं। पचास प्रमुख शेयरों पर आधारित निफ़्टी नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज की गति को दर्शाता है।
आईपीओ जनता के लिए कंपनी द्वारा स्टॉक की पहली बिक्री या पेशकश है। यहाँ आईपीओ के बारे में हिंदी में आप विस्तार से पढ़ सकते हैं।
एक विशिष्ट अवधि के दौरान एक स्टॉक की औसत मूल्य-प्रति-शेयर को उसका मूविंग ऐव्रिज कहा जाता है। स्टॉक के मूविंग ऐव्रिज में अध्ययन करने के लिए कुछ आम समय फ्रेम में 50 और 200 दिन मूविंग ऐव्रिज क़ीमत होती हैं।
एक निवेशक ने कितनी सिक्युरिटीज़ में निवेश किया है उन सब के संग्रह को पोर्टफोलियो कहेंगे। फिर चाहे उसमें एक ही शेयर हो या कई शेयर या अन्य प्रतिभूतियां।
सर्किट ब्रेकर शेयरों की कीमतों और सूचकांकों पर लगाया जाता है। यह कीमतों में गिरावाट के खतरे को कम करता है।
मल्टीबैगर ऐसे शेयरों को कहा जाता हैं जिनकी कीमतों में कई गुणा बढ़ौतरी कि क्षमता की उम्मीद होती है।
FMCG शेयर उन कंपनियों के शेयर होते हैं जो Fast Moving Consumer Goods बेचतीं है। यानि वह कंपनियां जो सामान्य घरेलु उत्पाद बेचतीं हैं जिनकी मांग सदैव बनी रहती है।
शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ की जानकारियाँ आपको एक बेहतर निवेशक बनने में मदद करेंगी। मैंने यहाँ इन्हें आसान हिंदी में समझने की कोशिश की है जिससे नए निवेशकों को भी शेयर बाज़ार की शब्दावली समझने में कठिनाई ना हो।
नोटबुक बाजार का लगातार अध्ययन बनाने का व्यापार कैसे शुरू करें? | लागत, प्रॉफिट व मशीन | Notebook Manufacturing Business in Hindi
|| नोटबुक बनाने का व्यापार कैसे शुरू करें?, Notebook Manufacturing Business in Hindi, Approvals and licenses required for NoteBook Making business, नोटबुक निर्माण व्यवसाय स्थापित करने में कितना समय लगता है? ||
Notebook Manufacturing Business in Hindi : – 31.5 करोड़ की कुल छात्र आबादी के साथ, भारत नोटबुक और पाठ्यपुस्तकों के लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक है। लगातार बढ़ती छात्र-छात्राओं की आबादी और नए कॉलेजों और स्कूलों के निरंतर विकास के कारण भारतीय स्टेशनरी की मांग वर्तमान में अपने चरम सीमा पर (Machines required for NoteBook Making business) है। हालांकि इस नोटबुक बनाने के व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा वास्तव में बहुत अधिक है।
एक नोटबुक, एक किताब या कागज़ के पन्नों का ढेर है (जिसे नोटपैड, राइटिंग पैड, ड्रॉइंग पैड, या लीगल पैड के रूप में भी जाना जाता है) जिसे रिकॉर्डिंग नोट्स, अन्य लेखन, ड्राइंग या स्क्रैप बुकिंग जैसे उद्देश्यों के लिए उपयोग में लिया जाता है। बाजार में नोटबुक भिन्न भिन्न आकार और पन्नों में उपलब्ध रहती (Approvals and licenses required for NoteBook Making business) है। इनका आकार आवश्यकता के अनुसार बदलता रहता है। नोटबुक की मांग बाजारों में कभी भी कम नहीं होगी क्योंकि इसकी आवश्यकता अभी भी बाजार का लगातार अध्ययन बाजार का लगातार अध्ययन तेजी से बढ़ ही रही है, यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसे कभी भी ग्राहक की हानि नहीं हो बाजार का लगातार अध्ययन सकती है और यह एक ऐसा व्यवसाय है जो अपने उत्पादन के साथ स्टारडम तक ले जा सकता है। नोटबुक लिखने की एक ऐसी शैली है, जिसमें लोग जो सोचते या सुनते हैं, उसे पल भर में लिख देते हैं।
स्कूलों के साथ-साथ कॉलेजों में भी नोटबुक और अभ्यास पुस्तकों की मांग हमेशा अधिक रहती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि नोटबुक स्टेशनरी आइटम की जान होती है। सभी छात्र नोटबुक का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में करते हैं। व्यावसायिक संस्थानों और अधिकांश कार्यालयों में विभिन्न प्रकार की नोटबुक, रजिस्टर, पैड आदि की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, नोटबुक निर्माण व्यवसाय हमेशा मांग में रहता है।
बाजार स्थिरीकरण योजना, मौद्रिक प्रबंधन के लिए साधन, ______ में पेश किया गया था।
Key Points
- बाजार स्थिरीकरण योजना, जो मौद्रिक प्रबंधन का एक साधन है, 2004 में शुरू की गई थी।
- बाजार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) एक मौद्रिक नीति उपकरण है जो आरबीआई द्वारा अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति का प्रबंधन करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- वर्ष 2002-2004 के दौरान बाजार स्थिरीकरण योजना शुरू की गई थी, भारत में भारी पूंजी प्रवाह हुआ था। इस वजह से रुपये की मजबूती हुई।
- एमएसएस के तहत जारी बिल या बांड को मार्केट स्टेबिलाइजेशन बॉन्ड के नाम से जाना जाता है।
- जब प्रणाली में अधिक तरलता हो तो बाजार स्थिरीकरण योजना का उपयोग किया जाता है।
Additional Information
- बाजार स्थिरीकरण बांड भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा की गई नीलामी के माध्यम से जारी किए जाते हैं।
- रिजर्व बैंक ऐसे ट्रेजरी बिलों और दिनांकित प्रतिभूतियों को जारी करने की राशि, कार्यकाल और समय का निर्णय और सूचित करता है।
- रिजर्व बैंक ने पहली बार फरवरी 2004 में एमएसएस बांड की शुरुआतकी थी जब देश में डॉलर के प्रवाह को रखा गया था, जिसे रुपये में बदलने की जरूरत थी ।
Important Points
- एमएसएस के तहत प्राप्त धन को भारतीय रिजर्व बैंक के पास रखा जाना चाहिए। इसे सरकार को हस्तांतरित नहीं किया जाना चाहिए।
- एमएसएस के मुताबिक सरकार और आरबीआई के बीच एक साल के दौरान आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली एमएसबी की कुल सीमा के बारे में समझौता हुआ है।
- एमएसएस के तहत जारी प्रतिभूतियों या बांड / टी-बिल वित्तीय संस्थानों द्वारा खरीदे जाते हैं।
- एमएसएस के तहत बांड बेचने से प्राप्त धन आरबीआई के पास रखा जाता है। साथ ही बांड खरीदने वाले संस्थानों को ब्याज भुगतान देना होगा।
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Last updated on Nov बाजार का लगातार अध्ययन 25, 2022
The Forest Department of Delhi has released the supplementary result for Delhi Forest Guard. The result is announced for the 2019 cycle. A total number of 253 candidates are shortlisted for the post of Forest Guard. The department has also released the Document Verification/Physical Endurance Test date for the selected candidates for the 2019 cycle. The DV is scheduled to be conducted on 8th August 2022. Candidates who will be finally selected will get a salary range between Rs. 5,200 - Rs. 20,200. Know the Delhi Forest Guard Result details here.