पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है

इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको 5 ऐसे महत्वपूर्ण पॉइंट्स बताऊंगा जिनकी मदद से आप स्वयं बिना किसी एडवाइजर के अपने म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो को रिव्यु कर सकते हैं।
fund manager kaise bane/ फंड मैनेजर कैसे बने?
fund manager kaise bane- क्या आप को फ़ंड के बारे में जानना पढ़ना अच्छा लगता है क्या आप ने 12वीं में कॉमर्स, फाइनेंस, इकोनॉमी की पढ़ाई की है तो आप के लिए fund manager kaise bane करियर ऑप्सन अच्छा साबित हो सकता है। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में फंड मैनेजर (fund manager kaise bane) का रोल बहुत ही अहम होता है। फंड मैनेजर ही किसी भी फंड हाउस का चेहरा होता है। आप को बता दें कि फंड मैनेजर की साख पर ही निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई निवेश करता है।
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fund manager kaise bane
शेयर बाजार का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। कंपनियों या फिर फंड हाउस में कई प्रोफेशनल काम करते है। इन्हीं में से फंड मेंनेजर की एक पोस्ट होती है। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में फंड मैनेजर का रोल बहुत ही अहम होता है। वह ही किसी भी फंड हाउस fund manager kaise bane का चेहरा होता है। फंड मैनेजर की साख पर ही निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई निवेश करता है। जोकि एक जिम्मेदारी की पोस्ट होती है।
फंड मैनेजर वह शख्स होता है, जिस पर म्यूचुअल फंड स्कीमों के पैसे लगाने की जिम्मेदारी होती है। फंड मैनेजर पर फंड के मकसद के हिसाब से इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी पर अमल करने की जिम्मेदारी होती है। फंड मैनेजर निवेश करने से पहले बाजार और अर्थव्यवस्था के ट्रेंड्स पर नजर रखता है। फंड मैनेजर ही किसी भी निवेश के पोर्टफोलियो की दिशा तय करता है। कोई भी निवेशक फंड मैनेजर्स के प्रदर्शन को कई तरह से आंकता है। इनमें निवेश का तरीका, फंड मैनेजमेंट का इतिहास और पुराना रिटर्न देखते हैं। इसके साथ ही मैनेजमेंट टीम का साइज और उसकी क्वॉलिटी भी चेक करते है।
Education पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है Qualification
मैनेजर बनने के लिए न्यूनतम योग्यता कम से कम कॉमर्स, फाइनेंस, इकोनॉमी में स्नातक की डिग्री है। हालांकि एक सफल फंड मैनेजर बनने के लिए इच्छुक उम्मीदवार को एमबीए जैसे स्पेलाइजेशन ग्रेजुएट डिग्री लेनी चाहिए। मैजेंजमेंट के प्रतिष्ठित संस्थानों से फाइनेंस, में विशेषज्ञता या प्रमुख विश्वविद्यालयों के व्यवसाय प्रशासन के विभागों से, या चार्टर्ड अकाउंटेंट के इंस्टीट्यूट से करना चाहिए। आप को बता दें कि स्टॉक एक्सचेंज जैसे संगठन द्वारा संचालित विभिन्न निवेश मेनेजमेंट कोर्स भी नौकरी पाने के लिए आसान हो सकते हैं।
निवेश मेनेजमेंट अपने आप में एक बड़ी टर्म fund manager kaise bane है। ऐसे में इस फील्ड में जाने के लिए कैडिडेट के को कॉमर्स, फाइनेंस, इकोनॉमी में स्ट्रॉग बैकग्राउट होना चाहिए। आइए जान लेते है कि एक fund manager के लिए स्टेप क्या है।
स्टेप-1
12वीं क्लास को कॉमर्स या फाइनेंस सब्जेक्ट्स से क्लियर करने के बाद इच्छुक फंड मैनेजर्स इस फील्ड से संबंधित डिप्लोमा/अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं । कुछ स्नातक पाठ्यक्रम जो उम्मीदवार फंड मैनेजर बनने fund manager kaise bane के लिए आगे बढ़ा सकते हैं:
डाइरेक्ट इक्विटी – कंपनी के ओनरशिप के साथ अपने शेयर को प्राप्त करना
जब हम किसी कंपनी के इक्विटी शेयरों में इन्वेस्ट करते हैं तो हम कानूनी रूप से कंपनी के ओनरशिप को खरीदते हैं। कुल राशि जो कंपनी जुटाने की योजना बना रही है उसे शेयरों में छोटे भाग में विभाजित किया जाता है जिनका प्राइज़ रुपये में है। यदि आप इन शेयरों की मैम्बरशिप लेते है जिससे हमें कंपनी की बैठकों में भाग लेने और निर्णयों पर हमारी ओपिनियन को आवाज़ देने का अधिकार मिलता है लेकिन हम इन्वेस्ट करते हैं इसका मेन कारण भाग किया हुआ है – जो हमारे लिए एक निवेशक के लिए एक प्राइज़ की तरह है क्योंकि यह हमारे पैसे का उपयोग कर रहा है कंपनी एक प्राफ़िट कमाती है जो अब बोनस के रूप में मालिकों को डिवाइड किया जाता है। कोई भी कंपनी को वापस शेयर देना छोड़ सकता है या प्रीमियम के लिए उसे थर्ड पार्टी को बेच सकता है।
म्यूचुअल फंडों ने इक्विटी में इन्वेस्ट का विकल्प प्रदान किया है | क्योंकि अधिकांश इन्वेस्टरो के पास न तो स्टॉक रुझानों (Trends) पर नजर रखने के लिए समय है और न ही अपने इन्वेस्ट को द बेस्ट रखने के लिए अप टु डेट फाइनेंसिएल समाचारों के साथ अपडेट होने का । इस प्रकार म्यूचुअल फंड ने इस सोच में अपनी पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है नीव ( Foundation ) मजबूत की | और हमारे इन्वेस्ट का मैनेजमेंट करने वाले आकर्षक प्रोफेशन पर जोर दिया। यह प्रशिक्षित लोग होते हैं – जिन्हें अक्सर पोर्टफोलियो मैनेजर कहा जाता है जिन्होंने तय किया है कि कौन सा शेयर हमारे पैसे का निवेश कर सकेगा। चूंकि यह प्रोफेशनल रूप से किया जाता है म्यूचुअल फंड किए गए लाभ के आधार पर अर्निंग करता है और रिगुलर फीस भी ले सकता है|
म्यूचुअल फंड्स और इक्विटी
इक्विटी पर म्यूचुअल फंड का सबसे अच्छा लाभ यह है कि इसमें रिस्क कम हो जाता है क्योंकि अधिकांश म्यूचुअल फंड विभिन्न कंपनियों के कई शेयरों में इन्वेस्ट करना चाहते हैं जिससे रिस्क के टोटल रिस्क में कमी आती है | (जैसे कि किसी एक में प्रॉफ़िट –लॉस द्वारा बंद की जा सकती है) । हालाँकि जो रिस्क है वह यह है कि कभी-कभी इन्वेस्ट की पूरी टोकरी (Whole basket) अच्छा नहीं कर सकती है।
म्यूचुअल फंड का एक लॉस (हानि ) यह है कि डाइरेक्ट इन्वेस्ट के रूप में हमें इक्विटी में पर्सनल इन्वेस्ट के मामले में एक स्पेशल पार्ट से पैसे निकालने की स्वतंत्रता नहीं हो सकती है। इसके अलावा सभी लाभ किसी के साथ शेयर करने की व्यवस्था के बिना शेयरहोल्डर हैं। इस प्रकार एक हाई रिस्क के लिए इक्विटी में अधिक से अधिक प्राइज़ है।
इंडेक्स फंड इन्वेस्टमेंट –
यह इन्वेस्ट उन लोगों के लिए आदर्श है जो सिविलाइज रिटर्न के साथ बहुत कम रिस्क वाले इन्वेस्ट पोर्टफोलियो चाहते हैं। इसे एक निष्क्रिय प्रबंधित (Idle managed) फंड के रूप में जाना जाता है क्योंकि पोर्टफोलियो मैनेजर निफ्टी जैसी बेंचमार्क पर सूचीबद्ध कंपनियों की इक्विटी की तलाश करता है। ये निफ्टी या सेंसेक्स की तरह एक विशेष सूचकांक को ट्रैक करते हैं और सूचकांक के रिटर्न से मेल खाने का प्रयास किया जाता है। चूंकि यह स्थापित प्रदर्शन बेंचमार्क वाली कंपनियों की एक टोकरी है इसलिए कम रिस्क है और निगरानी आसान है। वे भी कम कास्टली हैं क्योंकि कास्ट के मामले में आउटले इंडेक्स के लगभग मैकेनिकल ट्रैकिंग के कारण कम है।
इक्विटी या म्युचुअल फंड पर इस निवेश का नुकसान (लॉस) यह पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है है कि एक निवेशक को भारी बाजार रिटर्न में नकदी की कमी हो सकती है जो कि म्यूचुअल फंड या इक्विटी में पर्सनल इनवेस्टमेंट द्वारा एक्टिव इनवेस्टमेंट से पसिबल हो सकता है।
आपके पोर्टफोलियो में Global Equity Fund पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है क्यों जरूरी है और यह आपके निवेश को कैसे फायदा पहुंचा सकता है?
डीएनए हिंदी: ग्लोबल फंड (Global Fund) आपको अपने देश सहित दुनिया में कहीं भी निवेश करने की पॉवर देते हैं. यह सिक्योरिटीज के वैश्विक ब्रह्मांड से सर्वोत्तम निवेश की पहचान करने में मदद करता है. उन्हें निष्क्रिय रूप से भी प्रबंधित किया जा सकता है. आप अपने पोर्टफोलियो में अलग-अलग शेयर जोड़ कर अपने पोर्टफोलियो को मजबूत बना सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय निवेश पर विचार करते समय वैश्विक फंड का चयन करें, यह आपके जोखिम को कम करने में मदद करेंगे.
मार्केट को उभरते और सीमावर्ती, दो अलग-अलग विकसित बाजारों में बांटा गया है. यहां हर कैटेगरी में अपनी श्रेणी और जोखिम वाले देश शामिल होते हैं. जोखिम से बचने के सबसे बड़े अवसर हासिल करने के लिए, निवेशक को उभरते बाजारों का चयन करना चाहिए, क्योंकि ऐसे देश दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं हैं. इसके चलते ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
(ii) बेंचमार्क रिटर्न से तुलना
अगर आपके पास एक एक्टिव फण्ड हैं तो आप उसकी तुलना उसके बेंचमार्क इंडेक्स से अवश्य करनी चाहिए। एक्टिव फण्ड में आप थोड़ा अधिक एक्सपेंस रेश्यो का भुगतान कर रहे होते हैं। इसमें फण्ड मैनेजर की जिम्मेदारी बनती हैं की वो निवेशकों को बेंचमार्क से अधिक रिटर्न बना कर दे।
अगर आपकी स्कीम बेंचमार्क से भी कम रिटर्न दे रही हैं और आप एक्टीव फण्ड में अधिक एक्सपेंस रेश्यो भी दे रहे हैं तो आपके वास्तविक रिटर्न काफी कम हो सकते हैं।
आपको अपने अंतिम एक वर्ष के रिटर्न बेंचमार्क से compare करने चाहिए। अगर फंड के रिटर्न बेंचमार्क से कम हैं तो आपको फंड में बदलाव के बारे में सीरियसली सोचना चाहिए।
बेंचमार्क वो इंडेक्स होता हैं जिसके रिटर्न को फण्ड ट्रैक करता हैं। उदाहरण के लिए एक्सिस ब्लू चिप फण्ड का बेंचमार्क S&P BSE 100 TRI हैं। बेंचमार्क इंडेक्स के बारे में भी जानकारी भी आपको मनीकण्ट्रोल और वैल्यू रिसर्च से प्राप्त हो जाएगी।
(iii) Mutual Fund Ratios
म्यूच्यूअल फंड रेश्यो किसी भी म्यूच्यूअल फंड को analyze करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। आपको निम्न रेश्यो म्यूच्यूअल फण्ड को रिव्यु करते समय देखना चाहिए।
अल्फा रेश्यो – ये रेश्यो हमें बताता है कि क्या फंड अपने बेंचमार्क से अधिक रिटर्न बना पा रहा हैं या नहीं? अगर किसी फण्ड का अल्फा रेश्यो 5% हैं तो इसका मतलब हुआ की फण्ड अपने बेंचमार्क से 5% अधिक रिटर्न बना रहा हैं।
अल्फा रेश्यो जितना अधिक होगा उतना अच्छा माना जाएगा। नेगेटिव अल्फा होने का मतलब हैं पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है की फण्ड अपने बेंचमार्क से कम रिटर्न बना कर दे रहा हैं।
बीटा रेश्यो – बीटा रेश्यो आपके फण्ड की वोलैटिलिटी को मापता हैं। आदर्श (standard) बीटा रेश्यो एक माना जाता हैं।
जिस फण्ड का बीटा रेश्यो एक से कम पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है होगा उसकी वोलैटिलिटी कम होगी। जिस फण्ड का बीटा एक से अधिक होगा उसमें अधिक वोलैटिलिटी होती हैं।
(iv) Fund Overlapping
आपके म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो में तीन से पांच स्कीम हो सकती है। हो सकता है कि आपकी एक स्कीम में दूसरी स्कीम के कई स्टॉक समान (common) हो।
उदाहरण के लिए आपकी A स्कीम के पोर्टफोलियो में 10% HDFC बैंक का हिस्सा हैं। आपकी B स्कीम में भी 10% पोर्टफोलियो HDFC बैंक का ही हैं। ऐसी स्थिति में दोनों में कॉमन स्टॉक होने की वजह से इसे फण्ड ओवरलैप कहा जायेगा।
अधिक कॉमन स्टॉक होने से अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम रखने का कोई विशेष महत्व नहीं रह जाता। फण्ड ओवरलैप जितना कम हो उतना अच्छा होता हैं।
आप इस लिंक पर जाकर अपने फण्ड का ओवरलैप चेक कर सकते हैं – Mutual Fund Portfolio overlap check
भारत का श्रेष्ठ म्यूच्यूअल फंड ऐप
‘‘चॉइस इंडिया द्वारा लॉन्च किए गए म्यूच्यूअल फंड ऐप के मार्फत हम सरलतापूर्वक निवेश कर सकते हैं क्योंकि एसआईपी म्यूच्यूअल फंड में हर कोई निवेश करना चाहता है। यह निवेश करने का श्रेष्ठ मंच है। आप सरलता से स्टॉक का विवरण प्राप्त कर सकते हैं और यह कागजरहित निवेश है। इंवेस्टिक को मैं पसंद करती हूं।’’
‘‘यह मुझे मिला श्रेष्ठ म्यूच्यूअल फंड ऐप है। एप बहुत सरल है जिससे शुरूआत करने वाला भी ५०० रू.जैसी छोटी रकम द्वारा निवेश कर निवेश कर सकता है और सीख सकता है। एसआईपी कैल्क्युलेटर और पोर्टफोलियो मैनेजर जैसी विशेषताएं प्रभावशाली हैं। सभी तरह के निवेश के लिए अति संस्तुत।’’
‘‘अच्छी तरह से तैयार किए गए इस एप ने मार्केट एवं म्यूच्यूअल फंडों के पूर्व विश्लेषणों को जानने एवं समझने में मेरी मदद की। वित्तीय रिपोर्ट और निवेश पर सिफारिश प्रदान करने में ऑप्टिमो श्रेष्ठ है। टीम को धन्यवाद।’’