व्यापार मार्ग

1947 में भारत के स्वतंत्र होने पर राजदूतों का आदान-प्रदान करने वाला अमेरिका पहला देश था। अमेरिका-भारत के कूटनीतिक संबंधों व्यापार मार्ग के इतिहास के बारे में अधिक जानकारी के लिए, स्पैन में अमेरिका-भारत की दोस्ती के 60 वर्ष देखें। आज, अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंध पांच स्तंभों पर आधारित हैं:व्यापार मार्ग रणनीतिक सहयोग, ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन; शिक्षा एवं विकास; अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं कृषि;विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, व्यापार मार्ग स्वास्थ्य व नवप्रवर्तन।
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Indian Geography Hand Written Notes By Nitin Sir
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भारत-अफगान व्यापार के लिए जमीनी मार्गों को बंद करने पर पाकिस्तान कर रहा विचार
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में भारत के लिए वायुक्षेत्र बंद करने और अफगानिस्तान के साथ भारत के व्यापार के लिए पाकिस्तानी जमीनी मार्ग के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया गया।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री भारत के लिए वायु क्षेत्र को पूरी तरह बंद करने पर विचार व्यापार मार्ग कर रहे हैं, अफगानिस्तान के लिए भारतीय व्यापार को लेकर पाकिस्तानी जमीनी मार्गों के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोकने का भी सुझाव आया है। इन फैसलों की कानूनी औपचारिकताओं पर विचार हो रहा है. मोदी ने शुरू किया, हम उसे खत्म करेंगे।’’
अमेरिकी दूतावास व्यापार मार्ग नई दिल्ली
नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास दुनिया के सबसे बड़े डिप्लोमैटिक मिशनों में एक है। यह इस बात को प्रतिबिंबित करता है कि अमेरिका भारत के साथ रिश्तों को कितना महत्वपूर्ण मानता है। दूतावास अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट से लेकर फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन तक 17 अमेरिकी संघीय सरकारी एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करता है। पूरे देश में अमेरिका-भारत संबंधों में मजबूती सुनिश्चित करते हुए दूतावास चार कांसुलेट्स —मुंबई, कोलाकाता, चेन्नई और हैदराबाद के कामकाज में समन्वय स्थापित करता है। इसके साथ ही दूतावास बंगलोर के निवासियों के लिए वेबसाइट के द्वारा वर्चुअल कांसुलेट भी संभालता है।
अमेरिकन सेंटर दूतावास का सांस्कृतिक केंद्र है जो व्यापार मार्ग कला प्रदर्शिनियों, पुस्तक विमोचन और संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। यह कनाट प्लेस में 24 कस्तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली पर स्थित है। इसमें अमेरिकन लाइब्रेरी व्यापार मार्ग है जो एक सार्वजनिक लाइब्रेरी है और सोमवार से शनिवार खुलती है।
कभी भारत में रेशम मार्ग से होता था व्यापार
भारतीय इतिहास में व्यापार के क्षेत्र की जब भी चर्चा होती है, तो उसमें रेशम मार्ग का उल्लेख मिलता है। आज से दो हजार साल पहले चीन में खुला व्यापार मार्ग रेशम मार्ग विश्वविख्यात है । यह मार्ग चीन और एशिया , यूरोप तथा अफ्रीका के देशों के साथ व्यापार का पुल रहा था ।
रेशम मार्ग प्राचीन व्यापार मार्ग चीन से मध्य एशिया से हो कर दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया , यूरोप तथा उत्तरी अफ्रीका तक जाने वाला थल व्यापार रास्ता था । बड़ी मात्रा में चीन के रेशम और रेशम वस्त्र इसी मार्ग से पश्चिम तक पहुंचाये जाने के कारण इस मार्ग का नाम रेशम मार्ग रखा गया । पुरातत्वीय खोज से पता चला है कि रेशम मार्ग ईसा पूर्व पहली शताब्दी के व्यापार मार्ग चीन के हान राजवंश के समय संपन्न हुआ था , उस समय रेशम मार्ग आज के अफगानिस्तान , उज्जबेकस्तान , ईरान और मिश्र के अल्जेंडर नगर तक पहुंचता था और व्यापार मार्ग इस का एक दूसरा रास्ता पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के काबुल व्यापार मार्ग से हो कर फारसी खाड़ी तक व्यापार मार्ग पहुंचता था , जो दक्षिण की दिशा में आज के कराची तक पहुंच जाता था और फिर समुद्री मार्ग से फारसी खाड़ी और रोम तक पहुंच जाता था ।