लाखों में कमाई

मोनिका इस वक्त शिटाके मशरूम के साथ कुल तीन तरह के मशरूम की प्रजातियां उगा रही हैं। बकौल मोनिका छोटे निवेश से भी मशरूम के जरिये अच्छी आय संभव है, जिससे पहाड़ की आर्थिकी बदल सकती है। उनके अनुसार मशरूम के औसतन पाँच टन तक के उत्पादन में करीब डेढ़ लाख रूपये से लेकर दो लाख रूपये तक की लागत आती है, लेकिन अगर कोई छोटे पैमाने पर काम शुरू करना चाहता है तो महज पाँच हजार रूपये के निवेश से महीने में तीस हजार रूपये तक कमा सकता है।
कम लागत में लाखों की कमाई के लिए करें अदरक की खेती
अदरक की खेती में किसान बहुत काम लगत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए अदरक की फसल किसानों के लिए फायदे की खेती साबित हो सकती है। मुख्य रूप से सुप्रभात , सुरभी और सुरूचि तीन किस्मों की अदरक पाई जाती है। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में हिमगिरी, आई आई एस आर महिमा , आई आई एस आर रजाता आदि प्रजातियां भी होती हैं। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि अधिक मुनाफे के लिए अदरक की खेती किस तरह की जाए तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
अदरक की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
इसके साथ ही बालुई, चिकनी, लाल या लेटेराइट मिट्टी में भी इसकी अच्छी उपज होती है।
इसकी खेती के लिए गर्म और नमीयुक्त जलवायु सर्वोत्तम है।
अदरक की बुआई के लिए मई का महीना सबसे उपयुक्त है।
फरवरी और मार्च महीने में भी इसकी बुआई की जा सकती है।
अच्छी फसल के लिए 25 से 30 टन गोबर खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
आलू, टमाटर, मूंगफली, मिर्च, बैंगन आदि फसलों के साथ अदरक की खेती नहीं की जाती है।
बैंक अकाउंट में गलती से आ गए 11677 करोड़ रुपए, कुछ ही घंटों में कर डाली लाखों की कमाई
खबरों कि मानें तो इस मुद्दे पर कोटक सिक्योरिटीज ने किसी भी प्रकार की टिप्पणी से इनकार कर दिया। बताया जा रहा है कि निवेशकों के पैन कार्ड या उनकी डीमैट खाता संख्या को वेरीफाई नहीं किया जा सकता है।
गुजरात के एक बैंक से हैरान कर देने वाला सामने आया है। दरअसल, यहां एक व्यकित के डीमैट अकाउंट में अचानक 11,677 करोड़ रुपये आ गए। उस व्यक्ति के लिए यह एक लॉटरी लगने से कम नहीं थी। इसके बाद उस व्यक्ति ने इस रकम में से 2 करोड़ रुपये शेयर बाजार में निवेश कर दिए और लाखों रुपये कमा लिए।
अहमदाबाद के रहने वाले रमेश सागर बीते कई सालों से शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। एक साल पहले उन्होंने कोटक सिक्योरिटीज के साथ अपना डीमैट खाता खोला था। उन्होंने बताया कि इसी वर्ष 27 जुलाई को अचानक मेरे खाते में 116,77,24,43,277 रुपये दिखने लगे।
उन्होंने कहा इसके बाद फटाफट मैंने इसमें से दो करोड़ रुपये का शेयर बाजार में लगा दिए। इसके बाद उसपर 5 लाख रुपये मुनाफा भी कमा लिया। इसके बाद उसी रात मैंने बैंक को राशि वापस कर दी। सागर कहते हैं, 'मैंने अकाउंट में जमा हुए पैसे में से लगभग 2 करोड़ रुपये बैंक निफ्टी कॉल-पुट में कारोबार किया। उस समय रुपए शेयर बाजार में निवेश करते समय मैंने एक बार नुकसान के बारे में सोचा था। लेकिन मुझे शेयर बाजार के बारे में जानकारी थी। इसलिए मुझे ज्यादा डर नहीं लगा।'
खबरों कि मानें तो इस मुद्दे पर कोटक सिक्योरिटीज ने किसी भी प्रकार की टिप्पणी से इनकार कर दिया। बताया जा रहा है कि निवेशकों के पैन कार्ड या उनकी डीमैट खाता संख्या को वेरीफाई नहीं किया जा सकता है। ऐसे में इस मुद्दे पर बैंक किसी तरह की टिप्पणी नहीं कर सकता है।
ऑफ सीजन में करें ट्रैक्टर से लाखों की कमाई
तो वो सारे Implement के बारे में हम आपको एक एक करके बतायेगे। उदाहरण के तौर पर - आटा की चक्की, गन्ने की जूस की मशीन, Dozer मशीन, Backhoe Loader, Hole Digger etc. ये सारे ऐसे Implement है जिन्हे आप जब चाहो Tractor में लगा सकते हो और जब चाहे निकाल सकते हो।
जब Off लाखों में कमाई Season होता है। जैसे गर्मी के सीजन में गन्ने की मशीन लगा कर आप शहर में भी या गांव में या सड़क के किसी भी चौराहे या बस स्टैंड पर जहाँ आपको लगता है, की लोग आते जाते है वहां पर भी आप इस मशीन का उपयोग कर के 3 से 4 महीनों में अच्छी Income Generate कर सकते है।
ऐसे सीजन में आप बीच बीच में समय निकल कर आप आटा की चक्की लगाकर गांव गांव में जाकर भी आप कमाई कर सकते है। अब बात करते है सर्दी के सीजन की तो इस सीजन में Tractor का काम खेतों में बहुत ही कम होता है। इस परिस्थिति में आटे की चक्की का विकल्प सही होगा।
जब आपके खेत खाली हो जाते है तो काफी किसान अपने खेतो लाखों में कमाई को समतल बनवाने की सोचते है, जिसे को आप ट्रेक्टर में Dozer लगा कर खेतो को बड़ी आसानी से समतल कर सकते है।
अब हम बात करते है Backhoe Loader की ये क्या काम करता है और इससे हम क्या क्या काम कर सकते है। Backhoe Loader ये एक ऐसा Implement है। जो JCB की जरूरत पूरी करता है। तो चलिए जानते है ये कैसे JCB की जरूरत पूरी करता है। यह Implement बिल्कुल JCB की तरह लाखों में कमाई होता है, इसको Tractor में फिट करने के लिए ट्रेक्टर को कम से कम 50 HP का होना जरुरी है। इसमें 2 Part होते है, एक ट्रेक्टर के आगे का Part और पिछला Part।
जो आगे का Part होता है उससे हम कई सारे काम कर सकते है जैसे खेतो को समतल बनाना और मिट्टी को इकट्ठा कर ट्राली में भी भर सकते है, और बात करे तो खेतो में पड़ा भूषा को load करना ऐसे कई काम कर सकते है। इसका पिछले Part जिससे हम कई सारे काम कर सकते है। जैसे खुदाई करना, गांव में इकट्ठा देशी खाद को ट्राली में भरना etc
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24 की उम्र में नौकरी छोड़ कर की मशरूम की खेती, लाखों की कमाई और एक दर्जन को रोजगार भी!
आ म तौर पर लोगों का सपना पढ़-लिखकर बढ़िया नौकरी हासिल करना और लग्जरी जीवन जीना होता है, लेकिन कुछ लोग लीक से हटकर काम करते हैं। अपने मन का काम करने के साथ ही साथ वह औरों के लिए भी बेहतर जीवन जीने की राह प्रशस्त करते हैं। मोनिका पंवार एक ऐसा ही नाम है।
उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले में स्थित चंबा ब्लॉक के नागणी गाँव की रहने वाली केवल 24 साल की मोनिका आज स्थानीय युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं। पढ़ाई में तेज मोनिका बीटेक की डिग्री लेकर नोएडा की मल्टीनेशनल इंफोटेक कंपनी में जॉब कर रहीं थीं। सब कुछ बढ़िया चल रहा था, लेकिन अपनी जड़ों की तरफ लौटने और अपने लोगों के लिए कुछ करने की चाह उन पर इस कदर सवार थी कि उन्होंने डेढ़ साल के भीतर ही नौकरी छोड़कर गाँव लौटने और मशरूम की खेती करने का फैसला कर लिया। मोनिका पंवार
मोनिका ने इसके लिए बेसिक ट्रेनिंग भी ली। शुरुआती संघर्ष को देखते हुए उनका यह निर्णय कठिन जरूर था, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई। दिसंबर, 2017 से आज काम शुरू करने के दो साल के भीतर मोनिका अपने तीन कमरों के प्लांट से 250 किलोग्राम मशरूम का रोज उत्पादन कर रही हैं, जो 120 रूपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। साफ है कि एक माह में वह करीब सवा चार लाख रूपये का मशरूम उगा रही हैं। लागत काटकर भी वह लाखों की कमाई कर रही हैं।
उन्होंने अपने प्लांट के जरिये गाँव के ही करीब एक दर्जन लोगों को रोजगार दिया है। अन्य महिलाओं के लिए वह प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही हैं। उन्हें उनके पैरों पर खड़ा कर रही हैं। बकौल मोनिका आने वाले जनवरी महीने तक उनका चार और कमरों का कोल्ड स्टोरेज युक्त प्लांट तैयार हो जाएगा, इसके बाद वह उत्पादन में और बढ़ोतरी करने के साथ ही और बहुत लोगों को भी रोजगार देने में सक्षम हो पाएंगी। द बेटर इंडिया के साथ मोेनिका ने अपने सफर की दास्तां साझा की।
नौकरी छोड़ने के बाद आसान नहीं था सफर मोनिका अपने उगाये मशरुम के साथ
बकौल मोनिका वह नौकरी जरूर कर रही थीं, लेकिन दिमाग में यही चल रहा था कि अपने लोगों के बीच पहाड़ पर लौटा जाए, उनके लिए भी कुछ किया जाए। ऐसे में मशरूम की खेती का विचार मन में आया। मशरूम उत्पादन के लिए निवेश, परिस्थिति सब कुछ आदर्श थीं। लिहाजा, कदम इस दिशा में बढ़ा दिया। जिस वक्त नौकरी छोड़कर अपना काम करने की सोची उस वक्त मुश्किलात का अंदाजा जरूर था, लेकिन वह अंदाजे से ज्यादा आईं।
“स्किल्ड लेबर न मिलना एक बड़ी समस्या थी। ऐसे में मैंने लोगों को ट्रेनिंग देकर साथ लगाया। मशरूम तो अच्छा पैदा हुआ, लेकिन एक बड़ी समस्या ट्रांसपोर्टेशन की सामने आई। ट्रांसपोर्टेशन मैदान के मुकाबले पहाड़ में महंगा है। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्र में अक्सर लैंडस्लाइड हो जाता है और रास्ते बंद हो जाते हैं, जिससे मशरूम खराब हो जाता है,” मोनिका ने बताया।
लेकिन इन समस्याओं ने उनका रास्ता नहीं रोका। इस वक्त पूरे गढ़वाल में उनका मशरूम सप्लाई हो रहा है। टिहरी जिले से लेकर श्रीनगर, उत्तरकाशी के होटलों तक उनका मशरूम सप्लाई हो रहा है। अब उनकी नजर एक्सपोर्ट पर है। कुछ आर्डर पर बात चल रही है। इतना सब तब हो पा रहा है, जबकि फिलहाल केवल नौ महीने काम होता है। तीन महीने कमरों को स्टरलाइज किया जाता है ताकि फंगस का संक्रमण न रहे।
टेक्निकल डिग्री से मिली मदद
खेती के शौक के बावजूद बीटेक करने की बात लाखों में कमाई पर मोनिका बताती हैं कि खेती में दिलचस्पी के चलते ही उन्होंने भरसार कृषि विश्वविद्यालय के लिए भी पेपर दिया था। उसमें बेहतरीन प्रदर्शन किया और ऑल इंडिया 29वीं रैंक हासिल की। मोनिका के मुताबिक ऐसे में उनके सामने वहां जाने का भी मौका था। लेकिन कुछ समय सोच विचार के लिए भी लिया। और अंततः उन्होंने बीटेक करने को प्राथमिकता दी। इसके लिए रूड़की कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग को तरजीह दी। क्योंकि बकौल मोनिका उनको लगा कि एक टेक्निकल डिग्री पास होने से किसी भी तरह की समस्या के बारे में सोचने और उसे हल करने का तरीका और अंदाज बदल जाता है। वह मानती हैं कि यह डिग्री प्लांट से जुड़ी मशीनों को जानने और काम को बेहतर करने में उनकी मदद कर रही है। मोनिका के अनुसार काम बेहतर चल रहा है, लेकिन वह यहीं नहीं रूकना चाहतीं। काम को और पंख लगा कर इतना फैलाना चाहती हैं कि सबको लाखों में कमाई यहीं काम दे सकें। और किसी को भी अपना घर छोड़ कर नौकरी या बिजनेस के लिए कहीं और जाने को मजबूर न होना पड़े।
उम्र कम होने की वजह से लोग गंभीरता से नहीं लेते थे
चंबा के सेंटृस स्कूल से स्कूलिंग करने वाली मोनिका हंसते हुए बताती हैं, “जिस वक्त मैं अपना काम करने के लिए निकलीं तो एक दिक्कत यह भी पेश आई कि उम्र कम होने की वजह से लोग प्रोफेशनली सीरियसली लाखों में कमाई नहीं लेते थे, लेकिन जब मैंने उन्हेें अपना प्रोजेक्ट आत्मविश्वास के साथ बताया तो लोगों का भी मुझ पर विश्वास बढ़ा और नतीजा सुखद रहा।”
आज गाँव की युवतियां मोनिका की राह पर चलकर उनकी तरह बनना चाहती हैं। गाँव के लोगों को पहले खेती फायदे का सौदा नहीं लगती थी। वह अपने बच्चों को इससे जोड़ना भी नहीं चाहते थे, लेकिन अब मोनिका पंवार की कामयाबी से उनके विचार बदल रहे हैं।
महिलाओं को प्रशिक्षण से दिखाई स्वावलंबन की राह
मोनिका के पिता की 2014 में मूत्यु हो गई थी। वह ज्वेलरी का कारोबार करते थे। ऐसे में उनकी माँ लाखों में कमाई शुचिता ने कारोबार को बिखरने नहीं दिया। उन्होंने खुद आगे बढ़कर पिता का कारोबार संभाला। मोनिका के पास ज्वेलरी के व्यवसाय को भी आगे बढ़ाने का मौका था। उन्हें डांस का शौक था, लिहाजा कुछ समय उन्होंने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कोरियाग्राफी भी की, लेकिन अंततः जब जीवन और करियर की बात आई तो उन्होंने खेती को ही चुना।
उन्हें यह लगता था कि यही क्षेत्र है, जिसमें वह बड़े पैमाने पर पहाड़ की आर्थिकी के लिए कुछ कर सकती हैं। अपने गाँव में रह सकती हैं और वहां की महिलाओं को भी साथ लेकर आगे बढ़ा सकती हैं। आखिरकार उनकी पहल रंग लाई। उनके दिए प्रशिक्षण के बाद महिलाएं स्वावलंबी बनी हैं। छोटे निवेश से इसके उत्पादन से जुड़ गई हैं।
छोटे निवेश से भी अच्छी आय संभव
मोनिका इस वक्त शिटाके मशरूम के साथ कुल तीन तरह के मशरूम की प्रजातियां उगा रही हैं। बकौल मोनिका छोटे निवेश से भी मशरूम के जरिये अच्छी आय संभव है, जिससे पहाड़ की आर्थिकी बदल सकती है। उनके अनुसार मशरूम के औसतन पाँच टन तक के उत्पादन में करीब डेढ़ लाख रूपये से लेकर दो लाख रूपये तक की लागत आती है, लेकिन अगर कोई छोटे पैमाने पर काम शुरू करना चाहता है तो महज पाँच हजार रूपये के निवेश से महीने में तीस हजार रूपये तक कमा सकता है।
सपने देखें और किसी की परवाह न करें
मोनिका के अनुसार बहुत सारे युवा ऐसे हैं जो अपने क्षेत्र के लिए कुछ करना चाहते हैं। लेकिन वह समाज के दबाव में आकर अपनी यह लाखों में कमाई इच्छा पूरी नहीं कर पाते। उनके मुताबिक युवा सपने जरूर देखें और अगर समाज को बेहतर बनाने का कोई आईडिया उनके पास है तो उसे अप्लाई जरूर करें। आज का एक बेहतरीन कदम कल की तस्वीर बदल सकता है इसलिए सबसे पहले अपने मन की सुनें। अपनी उपलब्धियों के लिए हाल ही में मोनिका को उन्हीं के संस्थान में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सम्मानित भी किया है।
मोनिका से संपर्क करने के लिए आप उन्हें [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं!
संपादन – मानबी कटोच
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फूलों की खेती से लाखों में कमाई कर रहे इस गांव के किसान, मात्र एक एकड़ से आप भी कर सकते हैं शुरूआत
कुरुक्षेत्र: हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के बीड सुजरा गांव के किसान पारंपरिक खेती की जगह फूलों की खेती (kurukshetra flowers farming) करते हैं. फूलों की खेती कर इस गांव के किसान पारंपरिक खेती के मुकाबले ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. इस गांव के किसानों की जिंदगी की कहानी भी बड़ी मुश्किलों से भरी है. दरअसल, ये किसान साल 1914 में दिल्ली से स्थानांतरित होकर कुरुक्षेत्र के बीहड़ जंगलों में आकर बसे थे. इन लोगों ने अपनी मेहनत के बल पर इस जंगल को उपजाऊ जमीन में बदल दिया. अब ये गांव हरियाणा के नंबर वन फूल उत्पादक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. इस गांव के फूल पूरे देश में मशहूर हैं. इस खेती में पानी कम लगता है और इससे काफी मुनाफा हुआ. किसान एक एकड़ से साल में लगभग दो से ढाई लाख रुपये आसानी से कमा लेते हैं. इस लाखों में कमाई गांव के लोग सालाना 10 करोड़ रुपये का फूल का व्यापार करते हैं. यहां से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर में फूल भेजे जाते हैं.