शुरुआती लोगों की मुख्य गलतियाँ

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का चयन कैसे करें

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का चयन कैसे करें
अच्छी क्वॉलिटी वाले शेयर की पहली कसौटी है निवेश की सुरक्षा. यानी ऐसी कंपनी जिसकी वित्तीय स्थिति और हाल के वर्षों का परफॉर्मेंस अच्छा हो. निवेश की सुरक्षा के लिहाज से कम से कम 500 करोड़ रुपये के मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनी पर ध्यान देना एक अच्छी रणनीति साबित हो सकती है. इसके अलावा शेयर का PEG यानी Price-earnings to Growth रेशियो एक से कम होना चाहिए. इससे कंपनी के शेयर की सही वैल्यूएशन का पता चलता है.

ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए शीर्ष तकनीकी संकेतक

सैकड़ों तकनीकी संकेतक व्यापारी अपनी ट्रेडिंग शैली और व्यापार करने के लिए सुरक्षा के प्रकार के आधार पर उपयोग कर सकते हैं। यह लेख विकल्प व्यापारियों के बीच लोकप्रिय कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी संकेतकों पर केंद्रित है। इसके अलावा, कृपया ध्यान दें कि यह आलेख तकनीकी शब्दावली में शामिल विकल्प शब्दावली और गणना से परिचित है।

(यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि तकनीकी ट्रेडिंग या विकल्प आपके लिए हैं, तो अपनी पसंदीदा शैली तय करने के लिए स्टॉक ट्रेडर टाइप ट्यूटोरियल के इन्वेस्टोपेडिया परिचय की जांच करें ।)

कैसे विकल्प ट्रेडिंग अलग है

व्यापारी निर्धारित करने में सहायता के लिए तकनीकी संकेतकों का उपयोग अक्सर अल्पकालिक व्यापार में किया जाता है :

  • आंदोलन की सीमा (कितना?)
  • चाल की दिशा (किस तरह?)
  • चाल की अवधि (कब तक?)

चूंकि विकल्प समय क्षय के अधीन हैं, इसलिए होल्डिंग अवधि महत्व रखती है। एक स्टॉक ट्रेडर अनिश्चित काल तक एक स्थिति धारण कर सकता है, जबकि एक विकल्प ट्रेडर विकल्प की समाप्ति तिथि द्वारा परिभाषित सीमित अवधि से विवश होता है। समय की कमी को देखते हुए, गति संकेतक, जो ओवरबॉट और ओवरसोल्ड स्तरों की पहचान करते हैं, विकल्प व्यापारियों के बीच लोकप्रिय हैं।

आइए विकल्पों के व्यापारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ सामान्य संकेतकों-संवेग और अन्य को देखें।

चाबी छीन लेना

  • RSI मान 0100 से लेकर। 70 से ऊपर के मान आमतौर पर ओवरबॉट स्तरों को इंगित करते हैं, और 30 से नीचे का मान ओवरसोल्ड स्तरों को दर्शाता है।
  • बोलिंगर बैंड के बाहर एक मूव मूव संकेत कर सकता है कि एसेट रिवर्सल के लिए पका हुआ है, और विकल्प व्यापारी खुद को उसके अनुसार स्थिति दे सकते हैं।
  • इंट्राडे मोमेंटम इंडेक्स इंट्राडे कैंडलस्टिक्स और आरएसआई की अवधारणाओं को जोड़ती है, जो ओवरबॉट और ओवरसोल्ड स्तरों का संकेत देकर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए एक उपयुक्त रेंज (आरएसआई के समान) प्रदान करता है।
  • 80 से अधिक पढ़ने वाला एक पैसा प्रवाह सूचकांक इंगित करता है कि एक सुरक्षा ओवरबॉट है; 20 से नीचे का पढ़ना बताता है कि सुरक्षा ओवरसोल्ड है।
  • पुट-कॉल अनुपात, पुट ऑप्शन बनाम कॉल ऑप्शंस और इसके मूल्य में बदलाव का उपयोग करके ट्रेडिंग वॉल्यूम को मापता है, जो समग्र बाजार धारणा में बदलाव का संकेत देता है।
  • खुली रुचि एक विशेष प्रवृत्ति की ताकत के बारे में संकेत प्रदान करती है।

सापेक्ष शक्ति सूचकांक (RSI)

सापेक्ष शक्ति सूचकांक एक गति सूचक है कि समय के एक निर्धारित अवधि में हाल के घाटे के लिए हाल ही में लाभ की भयावहता तुलना और oversold स्थिति अधिक खरीददार का निर्धारण करने की कोशिश में एक सुरक्षा की गति और मूल्य आंदोलनों के परिवर्तन को मापने के लिए है। आरएसआई मान 0-100 से लेकर, 70 से ऊपर के मूल्य के साथ होता है जिसे आमतौर पर ओवरबॉट स्तरों को इंगित करने के लिए माना जाता है, और 30 से नीचे का मान ओवरसोल्ड स्तरों को दर्शाता है।

इंडेक्स के विपरीत, आरएसआई व्यक्तिगत स्टॉक पर विकल्पों के लिए सबसे अच्छा काम करता है, क्योंकि स्टॉक इंडेक्स की तुलना में अधिक इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का चयन कैसे करें बार ओवरबॉट और ओवरसोल्ड स्थितियों का प्रदर्शन करते हैं। अत्यधिक तरल, उच्च-बीटा स्टॉक पर विकल्प आरएसआई के आधार पर अल्पकालिक व्यापार के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार बनाते हैं।

डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम

आप डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करना चाहते है तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान देना आवश्यक है। यह आपको सही शेयर खरीदने में मदद करेगा। आप शेयर बाजार में नए है और किसी निपुण निवेशक सलाहकार की मदद चाहिए तो आप CapitalVIa Global Research Limited से संपर्क कर सकते है। आईये जानते है कुछ बुनियादी नियम के बारें में जिसका पालन शेयर खरीदते समय करना चाहिए।

  • सबसे पहले आपको कुछ कंपनी के fundamental Analysis के अध्यन करने के बाद एक सूचि तैयार करे।
  • भविष्य में उसके विकास, बैलेंस शीट आदि को ध्यान में रखकर अपने wishlist में शामिल करे।
  • अपने निवेश के जोखिम के अनुसार अपने डीमैट खाता में उतना धन संचित करे।
  • सही शेयर की कीमत देखकर शेयर को ख़रीदे।
  • बेचने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करे ताकि आपको नुकसान नहीं हो।
  • टारगेट और स्टॉप लॉस अवश्य लगाए।
  • आपको पैसे अलग -2 कंपनियों में निवेश करे जिससे आपका जोखिम काम और रिटर्न्स अच्छा प्राप्त होगा।

डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें?

कोई भी निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग को प्रक्रिया का चयन तभी करता है जब उसको long term के लिए निवेश करना है। डिलीवरी ट्रेडिंग में अपने कंपनियों के शेयर कोई खरीदते है और अपने डीमैट खाता में होल्ड करते है। आप अपने शेयर को जब अपने डीमैट खाता में रखना चाहे तो रख सकते है और जब आपको अपने शेयर कर अच्छा रिटर्न्स मिल रहा है तो आप उसको बेच सकते है। शेयर बेचने का निर्णय आप पर निर्भर है। अन्य इंट्राडे ट्रेडिंग के तरह आप बाध्य नहीं है।

डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपके पास पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए तभी आप शेयर को खरीद सकते है और बेचने के लिए भी आपके पास उतने शेयर होने चाहिए। डिलीवरी ट्रेडिंग में यदि आपका रणनीत अच्छी है तो आपको एक निश्चित अंतराल के बाद अच्छा रिटर्न्स प्राप्त होगा।

यदि आप शेयर बाजार में नए और आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से आपको शेयर को खरीदने चाहिए। इससे शेयर बाजार के जोखिम काम हो सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग सरल और सुरक्षित निवेश है इसके साथ -2 अन्य सुविधाएं है।

लॉन्ग टर्म निवेश

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा है की आप शेयर को होल्ड कर सकते है, आप किसी समय अंतराल में बाध्य नहीं है।

उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और इसे इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का चयन कैसे करें होल्ड रखते हैं। कुछ समय बाद वह कंपनी या व्यवसाय आपको पॉजिटिव रिटर्न्स देता है, तो आप उस इन्वेस्ट में बने रह सकते हैं। लेकिन आपको कोई लाभ दिखाई नहीं देता है, तो आप उस शेयर को कभी भी बेचकर अपने पोजीशन से बाहर हो सकते हैं।

सुरक्षित

जब डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर खरीदते है तो आप वह शेयर बेचने के लिए समय के बाध्य नहीं है। यह आपके जोखिम की संभावना को काम करता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।

उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और किसी भी कारन से शेयर का दाम अगले दिन गिर जाता है। आप वह शेयर होल्ड रख कर सही समय का इंतज़ार कर सकते हैं। जब शेयर के दाम आपके निवेश किये राशि से ज्यादा है तो आप शेयर बेचकर मुनाफा अर्जित कर सकते है। इसलिए यह शेयर सुरक्षित है।

अच्छा डिविडेंड देने वाले शेयर

निवेश के लिए बेहतर शेयर के चुनाव की एक और कसौटी अच्छा डिविडेंड भी हो सकता है. डिविडेंड यानी लाभांश का अर्थ है वो मुनाफे का वो हिस्सा जो कंपनी अपने शेयरधारकों में बांटती है. लगातार डिविडेंड से न सिर्फ शेयरधारक को सीधे-सीधे निवेश पर रिटर्न मिलता है, बल्कि इससे कंपनी की अच्छी वित्तीय सेहत का भी पता चलता है. निवेश से पहले कंपनी के पिछले 5 साल का डिविडेंड देने का रिकॉर्ड देखना चाहिए. साथ ही कंपनी का डिविडेंड-पे-आउट रेशियो 40 फीसदी से कम हो तो बेहतर. क्योंकि इससे पता चलता है कि कंपनी अपने लाभ का एक हिस्सा बांटने के बाद बाकी रकम बिजनेस के विस्तार में भी लगाती है.

अगर कोई शेयर ऊपर की दोनों कसौटियों पर खरा उतर रहा हो तो तीसरी बात उसके ‘डिस्काउंट-टू-बुक वैल्यू’ पर नजर डालनी चाहिए. अगर कंपनी बाकी हर लिहाज से मजबूत और बेहतर भविष्य वाली नजर आ रही है, फिर भी उसके शेयर अपनी बुक वैल्यू के मुकाबले कम कीमत पर मिल रहे हैं, तो उसमें आगे चलकर अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं. ऐसे शेयर में यह भी जरूर देखना चाहिए कि उसका डेट-इक्विटी रेशियो 1.5 से कम हो और हाल के वर्षों में रिटर्न ऑन नेट वर्थ 10 फीसदी से अधिक रहा हो.

ग्रोथ की अच्छी संभावना और वाजिब कीमत वाले शेयर

बेहतरीन शेयर के चुनाव के लिए यह भी एक अहम कसौटी हो सकती है. सवाल यह है कि ग्रोथ की अच्छी संभावना और वाजिब कीमत का अंदाजा कैसे लगाएं. फंडामेंटल रूप से मजबूत शेयर का P/E यानी प्राइस-टू-अर्निंग्स रेशियो अगर 15 से कम है, तो आमतौर पर कीमत को वाजिब मान सकते हैं. पिछले 5 साल में कंपनी की अर्निंग्स ग्रोथ कम से कम 20 फीसदी होनी चाहिए. YoY आधार पर पिछली तिमाही इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का चयन कैसे करें की अर्निंग्स ग्रोथ और पिछले 12 महीनों की ट्रेलिंग अर्निंग्स ग्रोथ भी कम से कम इतनी ही यानी 20 फीसदी होनी चाहिए.

इन तमाम कसौटियों पर खरा उतरने वाला शेयर आने वाले दिनों में कम जोखिम में अच्छा रिटर्न देने वाला साबित हो सकता है. हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि यहां कही गई बातें इनवेस्टमेंट टिप्स नहीं हैं. ये कसौटियां बेहतर निवेश के लिए अपनाई जाने वाली कुछ बुनियादी बातों में शामिल हैं. इनके अलावा शेयर से जुड़ी खबरों, संबंधित इंडस्ट्री की दशा-दिशा और पूरी इकॉनमी को प्रभावित करने वाले राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय हालात जैसी बातों पर नजर रखना भी जरूरी है.

Intraday Trading कैसे work करता है :

intraday tips

इंट्राडे ट्रेडिंग उनके लिए है जो सौदा को एक ही दिन के लिए खरीद -बेच करते हैं उन्हें शेयर को होल्ड नहीं करना होता है चाहे फ़ायदा हो या नुकसान वो सौदा को होल्ड नहीं करते है इन्हे जोखिम लेना पसंद होता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता होगी जो आप निचे दिए गए लिंक के सहारे ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं।

Intraday trading account खोलने के लिए यहाँ क्लिक करें।

जैसा कि नाम से ही मालूम होता है कि यह “एक दिन का सौदा” है यानि को आपको एक दिन के पुरे ट्रेडिंग सेशन में शेयर को ख़रीदा व् बेचा जाता है उसे अगले दिन के लिए होल्ड नहीं किया जाता हैं। SEBI के द्वारा आपको intraday के लिए आपको मार्जिन दिया जाता हैं जिस शेयर आपको खरीदना या बेचना है उसके वैल्यू का आपके पास 25% का बैलेंस होना चाहिए। इंट्राडे ट्रेडिंग का ब्रोकरेज डेलिवरी ट्रेडिंग के मुकाबले कम है

17 Intraday Trading Tips |17 इंट्राडे ट्रेडिंग फार्मूला:

  • Highly volatile स्टॉक में Intraday Trading नहीं करना चाहिए। .
  • टी ग्रुप (टी २ टी )NSE पर BE ग्रुप में इंट्राडे ट्रेड नहीं होता है इसमें कोई शेयर buy करने पर compulsory delivery लेना पड़ता इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का चयन कैसे करें है।
  • मार्किट में अगर आप शार्ट सेल्लिंग करते हैं तो उसे मार्केट क्लोज होने से पहले स्क्वायर ऑफ करना पड़ता है अगर आप square off नहीं कर पाते हैं तो आपको ऑक्शन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें आपको भारी penalty देना पड़ सकता हैं।
  • बाजार के मूड के साथ ट्रेड लें अगर बाजार अपट्रेंड में हो तो long करें ,अगर downtrend में हो तो short करें।
  • सही समय का इंतज़ार करे ,जल्दबाज़ी में शेयर न बेचें।
  • stop loss का मजबूती के साथ पालन करें।
  • इंट्राडे करने से पहले 10 लिक्विड शेयर्स का चयन कर उसपर ग्राफ,RSI ,और भी तकनीकी से स्टडी करें और अपनी योजना बनायें।
  • अधिकांशतः लार्ज कैप के शेयर में ही इंट्राडे करें क्योकि उसने ट्रेडिंग जयादा होती हैं।
  • ग्राफ का स्टडी 15 ,10 और 5 मिनट के टाइम फ्रेम के ऊपर स्टडी करें की आपका स्टॉक किस पैटर्न पर वर्क करता है ,कहाँ रेजिस्टेंस है कहाँ सपोर्ट लेवल है। स्टॉप लोस्स कहाँ लगाना है।
  • प्रॉफिट किस लेवल पर लेना है या कितना प्रतिशत पर सौदा काटना है पलहे से ही निर्धारित करें ,लालच में न पड़ें।
  • स्टॉक के खबरों पर विशेष नज़र रक्खे जैसे बोनस , स्प्लिट,डिविडेंट ,रिजल्ट।
  • इंट्राडे करते समय योजना के अनुसार कार्य करें इमोशनल न हो धैर्य से काम लें।
  • इंट्राडे करते समय सजग रहें और शेयर को वाच करते रहें अगर आपके अनुमान के उल्टा शेयर जा रहा हो तो तुरंत शेयर से निकल जाएँ।
  • बाजार के तुरंत खुलने व् बंद इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का चयन कैसे करें होने से 30 मिंट पहले इंट्राडे न करें क्योकि उस समय वोलैटिलिटी बहुत ज्यादा होती है।
  • अगर आपके पास होल्डिंग में शेयर पड़ा है तो उससे भी आप इंट्राडे कर सकते है केवल downtrend के समय आप अपना होल्डिंग शेयर बेंच दें और जब वह शेयर और भी निचे गिरकर चला जाये तो आप उसे buy के ले इस तरह आप को शेयर के खरीद व् बेच के बीच के अंतर का आपको फायदा हो जायेगा और शेयर भी आपके पास पड़ा रहेगा।
  • इंट्राडे में छोटे प्रॉफिट पर धयान दें ज्यादा के लालच में न पड़े।
  • overbought/oversold जोन को देखकर buy और sell करें।

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