प्रारंभिक लागत

एक निश्चित समय पर व्यवसाय के पास उपलब्ध माल को स्टॉक या रहतिया के नाम से जाना जाता है। Stock की गणना दो रूपों में की जाती है।
Business में Stock क्या है और Accounting में इसकी गणना कैसे की जाती हैं ?
व्यवसाय में स्टॉक क्या है और स्टॉक के कितने प्रकार होते हैं और इनकी गणना कैसे की जाती है आज हम इन्हीं के बारे में जानेंगे। लाभ हानि का पता लगाने के लिए व्यापार में जो माल मौजूद है उसकी गणना करना और उसकी लागत का पता लगाना जरूरी होता है। इससे पहले हम व्यापार में लेनदार और देनदार क्या होते हैं के बारे में लिख चुके हैं अब हम ओपनिंग स्टॉक और क्लोजिंग स्टॉक के बारे में विस्तार से समझेंगे।
जब व्यवसाय शुरू किया जाता है तो उसमे व्यवसायी को लागत लगाकर माल खरीदना होता है क्योंकि उसमे कोई भी ओपनिंग स्टॉक नहीं होता है परन्तु पुराने व्यवसाय में पिछले साल का माल अगले साल में जोड़ लिया जाता है जिसे ओपनिंग स्टॉक के आधार पर काउंट किया जाता है।
- भारतीय बही खाता प्रणाली और लेखांकन की विधियां – Methods of Accounting.
वस्तुओं का निर्माण करने वाले व्यवसाय में स्टॉक के प्रकार
- कच्ची सामग्री का स्टॉक (Stock of Raw Materials)
- अर्धनिर्मित माल का स्टॉक (Stock of Work in Progress)
- निर्मित माल (Stock of Finish Goods)
1. कच्ची सामग्री का स्टॉक (Stock of Raw Materials) –
लेखा वर्ष के अंत में गोदाम में शेष बचा कच्चा माल जो उत्पादन हेतु उत्पादन विभाग को निर्गमित नहीं किया गया है उसको हम stock of raw material कहेंगे।
अर्धनिर्मित माल का स्टॉक (Stock of Work in Progress) –एक निर्माणी संस्था में माल का निर्माण विभिन्न प्रक्रियाओं से संपादित किया जाता है। निर्माण करने की प्रक्रिया की शुरुआत कच्चे माल से होती है और समाप्ति निर्मित माल से होती है। अब ऐसा निर्माण जो बीच में ही रोक दिया गया हो यानी शेष बचा हुआ माल जो ना तो कच्चा माल हो और ना ही निर्मित माल हो उसे हम अर्धनिर्मित माल के नाम से जानते हैं।
Business में Stock क्या है और Accounting में इसकी गणना कैसे की जाती हैं ?
व्यवसाय में स्टॉक क्या है और स्टॉक के कितने प्रकार होते हैं और इनकी गणना कैसे की जाती है आज हम इन्हीं के बारे में जानेंगे। लाभ हानि का पता लगाने के लिए व्यापार में जो माल मौजूद है उसकी गणना करना और उसकी लागत का पता लगाना जरूरी होता है। इससे पहले हम व्यापार में लेनदार और देनदार क्या होते हैं के बारे में लिख चुके हैं अब हम ओपनिंग स्टॉक और क्लोजिंग स्टॉक के बारे में विस्तार से समझेंगे।
जब व्यवसाय शुरू किया जाता है तो उसमे व्यवसायी को लागत लगाकर माल खरीदना होता है क्योंकि उसमे कोई भी ओपनिंग स्टॉक नहीं होता है परन्तु पुराने व्यवसाय में पिछले साल का माल अगले साल में जोड़ लिया जाता है जिसे ओपनिंग स्टॉक के आधार पर काउंट किया जाता है।
- भारतीय बही खाता प्रणाली और लेखांकन की विधियां – Methods of Accounting.
वस्तुओं का निर्माण करने वाले व्यवसाय में स्टॉक के प्रकार
- कच्ची सामग्री का स्टॉक (Stock of Raw Materials)
- अर्धनिर्मित माल का स्टॉक (Stock of Work in Progress)
- निर्मित माल (Stock of Finish Goods)
1. कच्ची सामग्री का स्टॉक (Stock of Raw Materials) –
लेखा वर्ष के अंत में गोदाम में शेष बचा कच्चा माल जो उत्पादन हेतु उत्पादन विभाग को निर्गमित नहीं किया गया है उसको हम stock of raw material कहेंगे।
अर्धनिर्मित माल का स्टॉक (Stock of Work in Progress) –एक निर्माणी संस्था में माल का निर्माण विभिन्न प्रक्रियाओं से संपादित किया जाता है। निर्माण करने की प्रक्रिया की शुरुआत कच्चे माल से होती है और समाप्ति निर्मित माल से प्रारंभिक लागत होती है। अब ऐसा निर्माण जो बीच में ही रोक दिया गया हो यानी शेष बचा हुआ माल जो ना तो कच्चा माल हो और ना ही निर्मित माल हो उसे हम अर्धनिर्मित माल के नाम से जानते हैं।
जयनगर में मुक्तिधाम का निर्माण अंतिम चरण में
जयनगर में जन सहयोग से मुक्तिधाम का निर्माण अंतिम चरण में है। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी स्थानीय संस्था ओम जय माता दी सेवा समिति इसकी अगुआई कर रही है। परियोजना की प्रारंभिक लागत 50 लाख अनुमानित हैं। बढ़ते शहरीकरण के दौर में दाह संस्कार में लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए किये जा रहे प्रयास की सराहना की जा रही है। समाज के सभी वर्ग के लोग इसमे सहयोग कर रहे हैं। शहर के पूर्वी छोर पर बहने वाली कमला नदी के तट पर पश्चिमी तटबंध के किनारे कबीर आश्रम के पास साढ़े छह कठा जमीन खरीद कर साढ़े सात हजार स्क्वायर फ़ीट में मुक्तिधाम का निम्न अंतिम चरण में है
भवन की ढलाई, चहारदीवारी से घेराबंदी व द्वार पर ग्रील लगाने का काम पूरा कर लिया गया है। मुक्तिधाम में जरूरत की सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी ताकि लोगों को परेशानी नही हो। एक बड़ा वेटिंग हॉल, चार चिताएं तीन लकड़ी व एक गोइठा वाली , ऊपर शेड, सुसज्जित उद्यान, शुद्ध पेय जल के लिए आर ओ मशीन व मोटर के साथ पानी टंकी आदि। परिसर में भूतनाथ महादेव मंदिर बनाने का भी प्रस्ताव है। समिति के अध्यक्ष अरुण जैन, संरक्षक सरदार कृपाल सिंह, सचिव विशंभर बंका व उपाध्यक्ष सीताराम गुप्ता के मुताबिक शीघ्र ही समाज व स्थानीय विभिन्न प्रतिनिधियों की बैठक बुलाकर आगे के कार्यक्रम पर विचार किया जाएगा। दो माह में मुक्तिधाम में सेवा शुरू हो जाने की संभावना है।
बीसीआर का उपयोग कैसे करें का उदाहरण
एक उदाहरण के रूप में, मान लें कि कंपनी एबीसी एक परियोजना की लाभप्रदता का आकलन करना चाहती है जिसमें अगले वर्ष एक अपार्टमेंट भवन का नवीनीकरण शामिल है। कंपनी परियोजना के लिए आवश्यक उपकरण को खरीदने के बजाय $50,000 के लिए पट्टे पर देने का निर्णय लेती है। मुद्रास्फीति की दर 2% है, और नवीनीकरण से अगले तीन वर्षों के लिए प्रारंभिक लागत कंपनी के वार्षिक लाभ में 100,000 डॉलर की वृद्धि होने की उम्मीद है।
पट्टे की कुल लागत के एनपीवी को छूट देने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि $50,000 की प्रारंभिक लागत का भुगतान अग्रिम रूप से किया जाता है। अनुमानित लाभों का NPV $288,388, या ($100,000 / (1 + 0.02)^1) + ($100,000 / (1 + 0.02)^2) + ($100,00 / (1 + 0.02)^3) है। नतीजतन, बीसीआर 5.77 है, या $ 288,388 $ 50,000 से विभाजित है।
इस उदाहरण में, हमारी कंपनी का बीसीआर 5.77 है, जो दर्शाता है कि परियोजना के अनुमानित लाभ इसकी लागत से काफी अधिक हैं। इसके अलावा, कंपनी प्रारंभिक लागत एबीसी प्रत्येक $ 1 लागत के लिए लाभ में $ 5.77 की उम्मीद कर सकती है।
बीसीआर की सीमाएं
बीसीआर की प्राथमिक सीमा यह है कि यह एक परियोजना को एक साधारण संख्या तक कम कर देता है जब किसी निवेश या विस्तार की सफलता या विफलता कई कारकों पर निर्भर करती है और अप्रत्याशित घटनाओं से कमजोर हो सकती है। बस एक नियम का पालन करना कि 1.0 से ऊपर का मतलब सफलता है और 1.0 से नीचे की विफलता भ्रामक है और एक परियोजना के साथ आराम की झूठी भावना प्रदान कर सकती है। एक सुविज्ञ निर्णय लेने के लिए बीसीआर को अन्य प्रकार के विश्लेषण के संयोजन के रूप में एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए।
संभावित परियोजना की लागत और लाभों के प्रारंभिक लागत बीच संबंध का वर्णन करने के लिए बीआरसी का उपयोग लागत-लाभ विश्लेषण में किया जाता है।
आप लाभ-लागत-अनुपात की गणना कैसे करते हैं?
लाभ-लागत-अनुपात परियोजना के प्रस्तावित कुल नकद लाभ को परियोजना की प्रस्तावित कुल नकद लागत से विभाजित करके निर्धारित किया जाता है।
1.0 से अधिक पढ़ने से पता चलता है कि व्यापक स्तर पर, एक परियोजना वित्तीय रूप से सफल होनी चाहिए; 1.0 पढ़ने से पता चलता है कि लाभ लागत के बराबर है; और 1.0 से नीचे पढ़ने से पता चलता है कि लागत लाभ से अधिक है।
IPO से पहले ओला को बड़ी खुशखबरी, पहली बार मुनाफे में आई कंपनी
ऐप के जरिए कैब प्रोवाइड कराने वाली कंपनी ओला का प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) आने वाला है। इससे पहले कंपनी को बड़ी सफलता मिली है। दरअसल, एक दशक पहले परिचालन शुरू करने वाली कंपनी ओला को पहली बार मुनाफा हुआ है।
ओला की पैरेंट कंपनी एएनआई टेक्नोलॉजीज द्वारा जमा कराए गए दस्तावेजों के मुताबिक मार्च 2021 में समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान ओला को 89.82 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। एक साल पहले यानी वित्त वर्ष 2019-20 में ओला को 610.18 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।
आंकड़ों पर गौर करें तो ओला को मुनाफे में आक्रामक लागत में कटौती और कर्मचारियों की संख्या में कमी की वजह से मदद मिली है। बताया जा रहा है कि ओला ने राजस्व में 95 प्रतिशत गिरावट आने के बाद अपने राइड, वित्तीय सेवा और फूड बिजनेस से 1400 कर्मचारियों की छंटनी की थी।