शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है

Share Market Business Kaise Shuru Kare
इंडिया मे “NSE (National Stock Exchange)” और “BSE (Bombay Stock Exchange)” यह दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजेस (Stock Exchanges) है जो की सेबी (सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) द्वारा विनियमित हैं ।
शेयर मार्केट से शेयर्स कैसे खरीदे :
शेयर्स खरीदने के लिए आपके पास ट्रैडिंग अकाउंट और डिमेट अकाउंट होना चाहिए ।
ट्रैडिंग अकाउंट हमे शेयर की खरीद बिक्री के काम आता है और डिमेट अकाउंट उन खरीदे हुए शेयर्स को रखने के लिए काम आता है ।
जैसे की पैसे रखने के लिए बैंक अकाउंट होता है वैसे ही खरीदे हुए शेयर्स रखने के लिए डिमेट अकाउंट होता है ।
यह दो अकाउंट आप किसी भी स्टॉक ब्रोकर के पास ओपन कर सकते है ।
स्टॉक ब्रोकर मतलब एक तरह से खरीदने और बेचने वाले के बीच का दलाल होता है जो की दोनों को खरीद शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है बिक्री के लिए मदत करता है और उसके बदले कमीशन (Brokerage) लेता है ।
इंडिया के कुछ स्टॉक ब्रोकर्स (Some Stock Brokers in India) –
- झिरोधा (Zerodha)
- ग्रो (Groww)
- ऐन्जल वन (Angel One)
- उप स्टॉक (Upstox)
शेयर मार्केट के लिए डिमेट और ट्रेडिंग अकाउंट कैसे ओपन करे :
आपको पहले ब्रोकर डिसाइड करना है की किस ब्रोकर के पास आप अकाउंट खोलना चाहते है ।
उसके बाद उस ब्रोकर का एप डाउनलोड करना है या उस ब्रोकर की साइट को गूगल पर सर्च कर रजिस्ट्रैशन करना है
या आपको रजिस्ट्रैशन करना नहीं आत तो आप किसी सायबर कॅफे मे जाकर भी रजिस्ट्रैशन करवा सकते है ।
रजिस्ट्रैशन करने के बाद 2 से 3 दिन मे आपका डिमेट अकाउंट (Demat Account) और ट्रैडिंग अकाउंट (Trading Account) ओपन हो जाएगा उसके बाद आप शेयर्स की खरीद बिक्री कर सकते है ।
शेयर मार्केट मे कितना पैसा लगाए :
कभी भी शुरुआती दिनों मे आपको शेयर मार्केट मे ज्यादा पैसा (Money) नहीं लगाना है
क्युकी शुरुआत मे जानकारी की कमी होने से अगर आप कोई गलती करते है तो आपका नुकसान ज्यादा भी हो सकता है ।
जब आप 1 से 2 साल इसमे बीता लेंगे आपका अनुभव बढ़ जाएगा तब आप इनवेस्टमेंट की अमाउन्ट बढ़ा सकते है ।
शेयर्स कब खरीदने चाहिए :
शेयर्स (Shares) खरीदने का ऐसा कोई निश्चित समय तो नहीं है ।
अगर अच्छी कंपनी है उसके फंडामेंटल अच्छे है उस कंपनी का नेट प्रॉफिट (Net Profit) साल दर साल बढ़ रहा है और उस कंपनी का शेयर प्राइस धीरे धीरे ऊपर जा रही है तो उस कंपनी के शेयर आप खरीद सकते है ।
स्टॉक मार्केट में निवेश करने से पहले कोण कोण सी सावधानी रखे :
- कभी भी पेनी स्टॉक मे इन्वेस्ट न करे ।
- जब तक आप खूद उस कंपनी के फंडामेंटल की स्टडी करके संतुष्ट ना हो जाए तब तक किसी भी कंपनी मे पैसे न लगाए और किसी के कहने पर तो बिल्कुल भी न लगाए ।
- जिस कंपनी के शेयर्स आप खरीदना चाहते हो कभी भी उस कंपनी पर ज्यादा कर्ज नहीं होना चाहिए अगर कंपनी पर ज्यादा कर्ज (Loan) है तो उस कंपनी को मत खरीदो ।
- उप्पर सर्किट या लोअर सर्किट लगने वाले शेयरों में निवेश नहीं करना चाहिए ।
- कभी भी कर्ज लेकर निवेश न करे ।
- कभी भी एक ही कंपनी के स्टॉक में पूरा पैसा निवेश ना करें अपने पोर्ट्फोलीओ (Portfolio) मे हमेशा 7 से 10 कंम्पनियों के शेयर्स रखे ।
शेयर मार्केट बिजनेस मे सफल होने के लिए टिप्स :
- अगर आपको यह पता नहीं है की कंपनी (Company) का प्रोडक्ट क्या है वह क्या सर्विस देती है और आखिर कंपनी पैसे कैसे कमाती है तो कभी भी ऐसी कंपनी मे इन्वेस्ट (Invest) मत करो ।
- शॉर्ट टर्म (Short Term) मे हमे कम मुनाफा होता है वही मुनाफा लॉंग टर्म मे बहुत अधिक होता है इसीलिए हमेशा लॉंग टर्म (Long Term) के लिए इनवेस्टमेंट करो ।
- अगर आपको किसी कंपनी का प्रोडक्ट पसंद है तो हो सकता है उस कंपनी का फंडामेंटल भी अच्छा हो तो आप उस कंपनी के शेयर मे इन्वेस्ट कर सकते है ।
- अगर आप शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत कर रहे हैं तो हमेशा सरप्लस फंड ही निवेश करें । सरप्लस फंड से मतलब कि जो आपके पास आपके खर्चों और अन्य जरूरतों को पूरा करने के बाद बचता है ।
- कभी भी शेयर मार्केट सीखने के बाद शुरुआती दिनों मे इंट्राडे ट्रैडिंग न करे अपने इमोशन्स पर काबू रखे ।
- शेयर बाजार में पैसा लगाते समय आपको ऐसी कंपनी में पैसा लगाना है जिसका भविष्य प्रगति की ओर है ।
शेयर मार्केट की कुछ पारिभाषिक शब्दावली :
इंट्राडे ट्रैडिंग (Intraday Trading) : जब किसी शेयर को उसी दिन खरीदकर उसी दिन बेचा जाता है उस ट्रैडिंग या उस खरीद बिक्री को इंट्राडे ट्रैडिंग कहा जाता है ।
फंडामेंटल (Fundamental) : कंपनी के प्रॉफ़िट, लॉस, कंपनी के सामान की बिक्री उसकी डिमांड आदि से कंपनी का फंडामेंटल समज मे आता है । अगर इसकी रिपोर्ट अच्छी है कंपनी लगातार प्रॉफ़िट कमा रही है इसका मतलब कंपनी के फंडामेंटल अच्छे है और अगर यह रिपोर्ट खराब है कंपनी को लॉस हो रहा है इसका मतलब कंपनी के फंडामेंटल खराब है ।
उप्पर सर्किट (Upper Circuit) : जब किसी शेयर को ज्यादा खरीदने वाले होते है तो उस समय शेयर में अपर सर्किट लग जाता है । मतलब की उस दिन मे वह शेयर उस दिन की शेयर प्राइस के आगे नहीं जाएगा । अगर आसान शब्दों में कहें तो एक्सचेंज उस दिन उस शेयर की ट्रेडिंग को बंद कर देता है जब तक की बेचने वाले आ न जाए । यह SEBI की तरफ से बनाया गया नियम है ।
लोअर सर्किट (Lower Circuit) : उप्पर सर्किट से उल्टा जब किसी शेयर को ज्यादा बेचने वाले होते है तो उस समय शेयर में लोअर सर्किट लग जाता है । मतलब की उस दिन मे वह शेयर उस दिन की शेयर प्राइस के नीचे नहीं जाएगा । एक्सचेंज उस दिन उस शेयर की ट्रेडिंग को बंद कर देता है जब तक की खरीदने वाले आ न जाए । यह भी SEBI की तरफ से बनाया गया नियम है ।
पेनी स्टॉक्स (Penny Stocks) : जिन शेयरों का भाव पैसों में अर्थात 10 पैसे से लेकर 90 पैसे तक या फिर 1 रूपये से 2 रूपये तक होता है और उनका मार्केट कैप भी बहुत कम होता है मतलब की वह कंपनियां बहुत छोटी होती है उन्हें पेनी स्टॉक्स कहा जाता है ।
सेबी/सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI/Securities and Exchange Board of India) :
सेबी यह शेयर बाजार की नियामक संस्था है, जिसका पूरा नाम सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया है । सेबी का मुख्य काम यह होता है की शेयर बाजार, शेयर ब्रोकर, म्युच्युअल फंड (Mutual Funds) आदि से संबंधित नियम बनाना । जिससे की शेयर मार्केट स्वस्थ रूप से चले शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है और निवेशकों (Investors) का रक्षण हो सके । सेबी (SEBI) का गठन संसद में पारित प्रस्तावोंके अनुरूप किया गया है ।
मुनाफा आपकी इनवेस्टमेंट पर निर्भर करता है । अगर मोटा मोटा अंदाज लगाया जाए तो सालाना आपकी इनवेस्टमेंट पर 12% से 15% तक का रिटर्न मिल सकता है । याने की अगर सबकुछ सही रहा तो 1,00,000/- पर सालाना 12,000/- से 15,000/- तक का रिटर्न मिल सकता है ।
शेयर बाजार मे हमेशा आपके खर्चों और अन्य जरूरतों को पूरा करने के बाद जो पैसा बचता है वही पैसा लगाए ।
When the share price of the company increases, then the price of the shares that we have bought in that company also increases and we can earn money from those shares by selling those shares at an expensive price.
तो हमने आपको शेयर मार्केट बिजनेस (Share Market Business) के बारे मे जानकारी दी जिससे आप यह बिजनेस कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है ।
अगर आपको यह आर्टिकल Share Market Business Kaise Shuru Kare पसंद आया तो शेयर करे ।
शेयर बाजार क्या है और कैसे काम करता हैं?
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही शेयर मार्केट में भी ऐसा ही है। एक तरफ शेयर मार्केट में जहां लोग अच्छा मुनाफा कमा कर करोड़पति बन रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ शेयर मार्केट में काफी नुकसान भी झेल रहे हैं, लेकिन अगर आप भी शेयर मार्केट में पैसा लगा रहे हैं तो आप भी इसके नुकसान से बच सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको इसकी पूरी जानकारी होना बेहद आवश्यक हैं।
क्योंकि बिना जानकारी के अगर आप शेयर मार्केट से पैसा कमाने चाहते हैं तो हो सकता है आप किस्मत वाले ही होंगे कि आपको मुनाफा मिलेगा अन्यथा ये काफी नुकसानदायक साबित होता है।
वहीं अगर आप ये सोच रहें कि शेयर बाजार में मोटा मुनाफा कमाने के लिए किसी योग्यता की जरूरत होगी तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, इसके लिए जरूरी है तो बस अच्छी जानकारी और समझदारी की। तभी आप इस क्षेत्र में पैसा लगाकर सफल हो सकेंगे।
आजकल शेयर मार्केट भी लोगों की कमाई का एक अच्छा जरिया बनता जा रहा है। काफी बड़ी संख्या में लोग शेयर मार्केट में पैसा लगा रहे हैं और सफल हो रहे हैं। यहां तक कि दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल वॉरेन बुफे ( Warren Buffet ) भी एक अच्छे शेयर इन्वेस्टर हैं जिन्होनें शेयर मार्केट से कई करोड़ रुपए तक कमाएं हैं क्योंकि उन्हें शेयर मार्केट के अच्छी जानकारी के साथ अच्छा अनुभव भी है।
चलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताएंगे कि शेयर मार्केट क्या है और कंपनिया कैसे शेयर जारी करती हैं।
Stock Market
शेयर बाजार क्या है और कैसे काम करता हैं? – What is Stock Market
शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट (Stock Market) वह जगह होती है, जहां पर शेयर, डिबेन्चर्स, म्यूचुअल फंड्स, डेरिवेटिव्स और अन्य सेक्योरिटी (Shares, Debentures, Mutual Funds, Derivatives और अन्य Securities) को ख़रीदा और बेचा जाता हैं। आपको बता दें कि, शेयर्स को मुख्य रुप से स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से ख़रीदा और बेचा जाता हैं।
वहीं अगर दूसरे शब्दों में कहें तो शेयर बाजार वास्तव में कम्प्यूटरों का नेटवर्क है, जहां पर शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं। ब्रोकरों के द्धारा शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। इसके साथ ही उच्च श्रेणी के सॉफ्टवेयर द्वारा तेज गति से मिलान भी किया जाता है। भारत के प्रमुख शेयर बाजार हैं –
BSE बॉम्वे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) और NSE नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange)।
शेयर मार्केट के प्रकार – Types of Stock Market
शेयर मार्केट दो तरह के होते हैं
- प्राइमरी शेयर मार्केट (Primary share market)
- सेकेंडरी शेयर मार्केट (Secondary share market)
प्राइमरी शेयर मार्केट (Primary Share Market)
प्राइमरी शेयर मार्केट में भी शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। वहीं इसके तहत कोई भी कंपनी बाजार में धन जुटाने के लिए प्राइमरी शेयर मार्केट में प्रवेश करती है। इसके तहत कंपनी जनता को शेयर जारी करने और पैसे जुटाने के लिए रजिस्टर्ड हो जाती हैं।
कंपनियां आम तौर पर प्राथमिक बाजार मार्ग के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होती हैं। वहीं अगर कोई कंपनी पहली बार शेयर बेच रही है, तो इसे प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (Initial Public Offering) या आईपीओ कहा जाता है, जिसके बाद कंपनी सार्वजनिक हो जाती है।
आईपीओ के लिए जाने के दौरान, कंपनी को अपने बारे में ब्योरा देना होगा, कंपनी को अपने वित्तीय, प्रमोटर, कारोबार, जो शेयर कंपनी द्धारा जारी किए जा रहे हैं समेत मूल्य बैंड की भी जानकारी देनी होगी।
सेकेंडरी शेयर मार्केट (Secondary Share Market)
सेकेंडरी शेयर मार्केट में, निवेशक पहले से ही सूचीबद्ध शेयर को खरीदने और बेचकर ट्रेडिंग करते हैं। सेकेंडरी शेयर मार्केट के तहत ऐसे लेनदेन होते हैं, जहां एक निवेशक मौजूदा मूल्य पर दूसरे से शेयर खरीदता है।
आम तौर पर, ये लेनदेन ब्रोकर के माध्यम से आयोजित किए जाते हैं। आपको बता दें कि सेकेंडरी शेयर मार्केट निवेशकों को अपने सभी शेयरों को बेचने और वित्तीय बाजार से बाहर निकलने का मौका भी देता है।
इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि जिस मार्केट में हम आमतौर पर पैसा लगाने की बात करते हैं तो हम सेकेंडरी शेयर मार्केट की ही बात कर रहे होते हैं।
वहीं सेकेंडरी शेयर मार्केट में ही एक स्टॉक या शेयर की कीमत लगाई जाती है, और उसे फायदे या नुकसान के साथ खरीदा और बेचा जाता है।
उदाहरण –
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि टाटा स्टील के शेयर बाजार (Share Bazar) में 230 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहे हैं। एक निवेशक इन शेयरों को मौजूदा बाजार मूल्य पर खरीद सकता है और कंपनी का हिस्सा-स्वामित्व प्राप्त करेगा और शेयरधारक बन जाएगा।
शेयर मार्केट, कंपनियों के लिए धन जुटाने और निवेशकों के लिए बढ़ते व्यवसायों में अंश-स्वामित्व खरीदने और अपनी आय-संपत्ति बढ़ाने का एक स्रोत है। शेयरधारक बनने पर, एक निवेशक लाभांश के माध्यम से कंपनी द्वारा अर्जित लाभ का एक हिस्सा कमाता है। इसके साथ ही, निवेशक हारने का जोखिम भी उठाता है।
इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि- बाजार प्रतिभागियों को शेयर बाजार में व्यापार करने में सक्षम होने के लिए स्टॉक एक्सचेंज और बाजार नियामक सेबी ( Market Regulator Sebi ) के साथ रजिस्टर करने की जरूरत है।
आइए अब समझिए आखिर शेयर क्या होता है ? – What is Share
शेयर मार्केट में जो शेयर आप खरीदते या फिर बेचते हैं उन Share का अर्थ होता हैं -“हिस्सा” वहीं स्टॉक मार्केट की भाषा में “शेयर” का मतलब हैं – “कंपनियों में हिस्सा” । वहीं जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हैं। वहीं अगर आपके पास किसी कंपनी के शेयर हैं तो आप उस कंपनी के उतने हिस्से के मालिक बन जाते हैं।
आपको ये भी बता दें कि शेयर को हिंदी में अंश कहते हैं और शेयर होल्डर को अंशधारक कहते हैं। शेयर बाजार से शेयर खरीद कर आप भी वहां लिस्टेड किसी भी कंपनी के मालिक बन सकते हैं।
सभी शेयर कंपनी द्वारा घोषित किये गए सभी डिविडेंड (Dividend) अथवा बोनस शेयर के अधिकारी भी होते हैं। किसी कंपनी के शेयर खरीद लेने से आपको भी वो सब अधिकार मिल जाते हैं जो शेयर होल्डर के आधिकार होते हैं।
उदाहरण के तौर पर अगर समझे तों, अगर किसी कंपनी ने कुल 1 लाख शेयर issue किए हैं और आपने उसमें से 10 हजार Shares खरीद लिए हैं तो आप उस कंपनी के 10% हिस्सेदार बन जाते हैं और आप जब चाहें तब इन शेयर्स को स्टॉक मार्केट में बेच सकते हैं।
आइए जानते हैं कि शेयर मार्केट में कंपनियां शेयर्स कैसे जारी (Issue) करती हैं ? – How companies issue shares
शेयर मार्केट में सबसे पहले कोई भी कंपनी अपने शेयर्स की स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग करवाकर आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश) लाती है। इसके बाद कंपनी खुद के शेयर अपने द्धारा तय किये हुए मूल्य पर लोगों को जारी करती है।
वहीं एक बार जब आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश) पूरी हो जाती है उसके बाद कंपनी के शेयर मार्केट में आ जाते हैं और फिर स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) और ब्रोकर्स के माध्यम से निवेशकों द्वारा आपस में ख़रीदे और बेचे जाते हैं। इस तरह से फिर निवेशक कंपनी के शेयर खरीदकर और बेचकर कमाई करते हैं।
Read More:
Note: Hope you find this post about ”What are Mutual Funds” useful. if you like this articles please share on Facebook & Whatsapp. and for the latest update download: Gyani Pandit free Android App.
1 thought on “शेयर बाजार क्या है और कैसे काम करता हैं?”
कृप्या आप शेयर बाजार में use होने वाली शब्दावली के बारे में Detail में बताइए..
जैसे शब्द – Stop Loss कहां और कैसे लगता है, क्या उसके लिए Charges भी लगते है, Intraday और Delivery दोनों में लगा सकते है, Stop Loss लगाने के बाद Stock अगर हमारे Loss Marker से नीचे गिरा तो 100% वो Stop Loss Marker में बिक जाएगा?
क्या Stop Profit भी लगा सकते हैं? क्या ये भी Stop Loss की तरह काम करेगा?
आपके पास भी हैं फिजिकल शेयर तो आज ही डीमैट में बदलें, यहां जानें पूरा प्रोसेस
केवल उन्हीं शेयरों को आप डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं जिसकी कंपनी के शेयर एक्टिव हों और एक्सचेंज में उनकी ट्रेडिंग हो रही हो. अगर कंपनी के शेयर एक्सचेंज से डीलिस्ट हो गए हैं तो आपके लिए ये फिजिकल शेयर सिर्फ कागज का टुकड़ा है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार
Updated on: Oct 12, 2021 | 11:10 AM
स्टॉक मार्केट (Stock Market) में सिर्फ डीमैट अकाउंट (Demat Account) में पड़े शेयरों को बेचा, ट्रांसफर किया जा सकता है. केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक, एक भारतीय नागरिक फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट्स में ट्रेड नहीं कर सकता है. निवेशक को फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट को डीमैटरियलाइज्ड (डीमैट) फॉर्मेट या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में बदलना होगा. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) ने इससे पहले अधिसूचित किया है. इससे निवेशकों को कंपनी के शेयरों को खरीदने, बेचने और स्थानांतरित करने की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद मिलेगी.
साल 2019 में मार्केट रेगुलेटर सेबी ने फिजिकल फॉर्म के शेयरों को डीमेट में कन्वर्ट करके ही बेचने या ट्रांसफर करने का आदेश जारी किया था. आइए जानते हैं फिजिकल शेयरों को डीमैट खाते में कैसे कन्वर्ट किया जाए.
ये है पूरा प्रोसेस
फिजिकल शेयरों को डीमैट फॉर्म में बदलने का पहला कदम डीमैट खाता खोलना है. निवेशक को डीमैटरियलाइजेशन रिक्वेस्ट फॉर्म (DRF) के लिए डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (अझ) से संपर्क करना होगा. फिर निवेशक को आवश्यक विवरण के साथ डीआरएफ को सही-सही भरना होगा और अपने हस्ताक्षर करने होंगे.
डीआरएफ भरने के बाद, इसे फिजिकल शेयर प्रमाणपत्रों के साथ डीपी को भेजें. डीआरएफ भेजते करते समय, निवेशक को फिजिकल शेयर प्रमाणपत्रों पर ‘सरेंडरेड फॉर डीमैटरियलाइजेशन’ का उल्लेख करना होगा. निवेशक द्वारा डीमैटरियलाइजेशन के लिए फिजिकल शेयर प्रमाणपत्रों को सरेंडर करने के बाद ही, डीपी अनुरोध को संसाधित करना शुरू कर देगा.
फिर आपका अनुरोध डीपी द्वारा कंपनी के नियुक्त रजिस्ट्रार और शेयर ट्रांसफर एजेंट (RTA) को भेजा जाएगा. इसके बाद, डीमैटरियलाइजेशन अनुरोध को मंजूरी दी जाएगी और फिजिकल शेयर प्रमाण पत्र नष्ट कर दिए जाएंगे. इसके साथ ही निवेशक के डीमैट खाते में शेयरों की सही संख्या क्रेडिट शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है हो जाएगी.
किन शेयर्स को कर सकते हैं कन्वर्ट
इस बात का ध्यान रखें कि केवल उन्हीं शेयरों को आप डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं जिसकी कंपनी के शेयर एक्टिव हों और एक्सचेंज में उनकी ट्रेडिंग हो रही हो. अगर कंपनी के शेयर एक्सचेंज से डीलिस्ट हो गए हैं तो आपके लिए ये फिजिकल शेयर सिर्फ रद्दी है.
Share Market में क्या होते हैं प्राइमरी व सेकेंडरी मार्केट, इन दोनों में क्या है अंतर
प्राइमरी मार्केट वो जगह होती है जहां पर कंपनियों के शेयर्स व सिक्योरिटीज पहली बार जारी किए जाते हैं। IPO की प्रक्रिया प्राइमरी मार्केट में ही होती है। इस मार्केट में निवेशक सीधे कंपनी से उसकी सिक्योरिटीज खरीदते हैं।
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। शेयर बाजार में निवेशक विभिन्न कंपनियों के इक्विटी शेयर, बॉण्ड्स व सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। यह निवेश दो तरीके से किया जाता है, एक तो जब निवेशक सीधे किसी कंपनी से उसकी सिक्योरिटीज खरीदते हैं व दूसरा जब निवेशक बाजार में दूसरे निवेशकों से किसी कंपनी के शेयर्स व सिक्योरिटीज खरीदते हैं। इस आधार पर शेयर बाजार को दो भागों में बांटा गया है। पहला है Primary Market (प्राइमरी मार्केट) व दूसरा है Secondary Market (सेकेण्ड्री मार्केट)। अक्सर निवेशकों को इससे जुड़ी कई भ्रांतियां रहती हैं। आज हम इन दोनों मार्केट के बारे में विस्तार से जानेंगे।
5paisa के साथ शुरू करें निवेश का सफर, विजिट करें- https://bit.ly/3n7jRhX
कंपनी के शेयर्स खरीदने की प्रक्रिया
दोनों मार्केट को समझने के लिए पहले किसी कम्पनी के शेयर्स खरीदने की प्रक्रिया को समझना बेहद आवश्यक है। सबसे पहले जब भी कोई कम्पनी फंड रेज करने के लिए अपनी सिक्योरिटीज या शेयर्स मार्केट में लाती है तो उसे IPO यानी इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग की प्रक्रिया से गुजरना होता है। IPO के तहत कंपनियां पहली बार अपने शेयर्स को निवेशकों के लिए बाजार में लाती हैं। जिसके बाद निवेशक सीधे कंपनी से शेयर्स खरीदते हैं। IPO के बाद ये शेयर्स बाजार में आ जाते शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है हैं जहां पर निवेशक दूसरे निवेशकों से कम्पनी के शेयर्स बेचते व खरीदते हैं।
पहली बार प्राइमरी मार्केट में आते हैं शेयर
प्राइमरी मार्केट वो जगह होती है जहां पर कंपनियों के शेयर्स व सिक्योरिटीज पहली बार जारी किये जाते हैं। IPO की प्रक्रिया प्राइमरी मार्केट में ही होती है। इस मार्केट में निवेशक सीधे कंपनी से उसकी सिक्योरिटीज खरीदते हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिए कोई कंपनी अपने शेयर्स पहली बार मार्केट में लाती है, तो वो कंपनी पहली बार IPO लेकर आएगी। ऐसे में उस कंपनी के शेयर्स 1000 रुपये प्रति शेयर पर निर्धारित किए गये। जिसके बाद निवेशक सीधे उस कंपनी से 1000 रुपये प्रति शेयर के रेट पर शेयर्स खरीदते हैं।
सेकेंडरी मार्केट में निवेशक करते हैं ट्रेडिंग
सेकेण्डरी मार्केट में सिक्योरिटीज व शेयर्स प्राइमरी मार्केट के बाद आते हैं। इसमें निवेशक दूसरे निवेशकों से शेयर्स खरीदते व बेचते हैं। शेयर मार्केट में उपलब्ध सभी एक्सचेंज जैसे NSE, BSE आदि सेकेण्डरी मार्केट के अंतर्गत आते हैं। मान लीजिए आपने आप किसी कंपनी के शेयर NSE या अन्य एक्सचेंज से खरीदते हैं तो आप सीधे तौर पर कम्पनी के साथ खरीददारी नहीं कर रहे हैं बल्कि दूसरे निवेशकों से खरीदते अथवा बेचते हैं।
इस प्रकार प्राइमरी मार्केट के तहत कंपनिया अपने शेयर्स पहली बार निवेशकों को बेचती हैं, यहां पर निवेशके सीधे कंपनी से सौदा करते हैं। तो वहीं सेकेण्डरी मार्केट में पहले से लिस्टेड शेयर्स को दूसरे निवेशकों से खरीदा अथवा बेचा जाता है व यहां पर निवेशक अन्य निवेशकों के साथ ट्रेड करते हैं।
403 ERROR
The Amazon CloudFront distribution is configured to block access from your country. We can't connect to the server for this app or website at this time. There might be too much traffic or a configuration error. Try again later, or contact the app or website owner.
If you provide content to customers through CloudFront, you can find steps to troubleshoot and help prevent this error by reviewing the CloudFront documentation.