अमेरिकी विकल्प

Indo-US Trade: चीन-PAK सब पीछे. अमेरिका ने दिया दोस्ती का सबूत, 15 देशों में सबसे ज्यादा भारत करीब!
उद्योग मंडल CII की ओर से कोलकाता में आयोजित ‘ईस्ट इंडिया समिट 2022’ में एक सत्र को संबोधित करते हुए Melinda Pavek ने कहा कि 2022 के पहले 6 महीने में भारत और अमेरिका के बीच 67 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 14 सितंबर 2022,
- (अपडेटेड 14 सितंबर 2022, 7:06 PM IST)
भारत (India) और अमेरिका (America) के बीच व्यापारिक रिश्तों में मजबूती के आंकड़े सामने आए हैं. खासकर पिछले एक साल में कारोबारी रिश्ते तेजी से बेहतर हुए हैं. वैसे तो बीते एक साल में अमेरिका और उसके शीर्ष 15 साझेदार देशों के बीच व्यापार में बढ़ोतरी हुई है.
लेकिन इन सब देशों से में सबसे अधिक बढ़ोतरी भारत के साथ होने वाले व्यापार में हुई है. यह जानकारी कोलकाता में अमेरिका की महावाणिज्य दूत (Consul General) मेलिंडा पावेक (Melinda Pavek) ने दी. दरअसल, उद्योग मंडल CII की ओर से कोलकाता में आयोजित ‘ईस्ट इंडिया समिट 2022’ में एक सत्र को संबोधित करते हुए Melinda Pavek ने कहा कि 2022 के पहले 6 महीने में भारत और अमेरिका के बीच 67 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है.
अमेरिका-भारत के बीच कारोबारी रिश्ते हुए बेहतर
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उन्होंने कहा कि जनवरी से जून के बीच अमेरिका ने भारत को 23 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि भारत ने अमेरिका को 44 अरब डॉलर का निर्यात किया है. मेलिंडा पावेक ने कहा, 'बीते एक साल में अमेरिका का अपने शीर्ष 15 साझेदारों के साथ व्यापार बढ़ा है और मैं गर्व के साथ कहना चाहती हूं कि सबसे बड़ी बढ़ोतरी भारत के साथ व्यापार में हुई है. अमेरिकी कंपनियां भारत के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत हैं.'
गौरतलब है कि अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2021-22 में 119.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा था. जबकि वर्ष 2020-21 में यह 80.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. अमेरिका को निर्यात वर्ष 2021-22 में बढ़कर 76.11 बिलियन अमेरिकी डॉलरा हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 51.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि 2020-21 में आयात लगभग 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 43.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया.
चीन का विकल्प बनेगा भारत?
उन्होंने बताया कि अमेरिका की कई एजेंसियां पूर्वी भारत में विकास परियोजनाओं में शामिल हैं. क्योंकि भारत एक विश्वसनीय व्यापारिक भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक फर्में आपूर्ति के लिए चीन पर अपनी निर्भरता को कम कर रही हैं. तथा भारत जैसे अन्य देशों के माध्यम से व्यापार में विविधता ला रही हैं.
बता दें, अमेरिका को भारत से मुख्यत: पेट्रोलियम उत्पादों, पॉलिश हीरे, फार्मा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल वगैरह का निर्यात किया जाता है. वहीं अमेरिका से भारत पेट्रोलियम पदार्थ, तरल प्राकृतिक गैस, सोने, कोयले और बादाम का आयात करता है.
सेवाओं के निर्यात के लिए अमेरिका लगातार भारत का सबसे बड़ा बाजार रहा है. हाल ही में अमेरिका को सामान की बिक्री के मामले में भी इसने चीन को पीछे छोड़ दिया, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक भागीदार बन गया. 1.39 अरब की आबादी के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है.
India-US Relations: भारत के लिए अमेरिका बेताब, US अधिकारी बोले- 2023 में दोनों देशों के बीच आएगी निकटता
India-US Relations: भारत-अमेरिका के संबंध बेहतर होना हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिहाज से आज के समय की जरूरत बन चुके है जिस तरह से चीन भारत को घेरने के लिए स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स और हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने की नीति पर काम कर रहा है उसे देखते हुए अमेरिका ये बेहतर तरीके अमेरिकी विकल्प से समझता है कि उसे इस वक्त भारत की कितनी जरूरत है.
- हाल ही में अमेरिका ने G-20 में भारत की तारीफ की
- अमेरिका, भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए प्रतिबद्ध
अमेरिका ने उम्मीद जाहिर की है कि साल 2023 में भारत और अमेरिका के संबंधों में और निकटता आएगी. अमेरिकी व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि साल 2022 में भारत और अमेरिका रणनीतिक रूप से एक दूसरे के निकट आए हैं. उन्होंने कहा कि अगला साल भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से बेहद उपयोगी रहेगा.
अमेरिकी अधिकारी ने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है. इसको इस कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है.
हाल ही में अमेरिका ने G-20 में भारत की तारीफ की
व्हाइट हाउस में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जान फाइनर ने हाल में बाली में संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान कई मुद्दों पर आम सहमति बनाने में अहम भूमिका निभाई है. गौरतलब है कि जी-20 के बाली शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने यूक्रेन जंग को लेकर कहा था कि जंग किसी समस्या का विकल्प नहीं हो सकता है. मोदी के इस बयान से अमेरिका व पश्चिमी देश गदगद हैं. पीएम मोदी के इस बयान के बाद इन मुल्कों को भारत से एक उम्मीद बंधी है. खासकर तब, जब भारत वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता करेगा.
अमेरिका, भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए प्रतिबद्ध
भारत-अमेरिका संबंधों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए फाइनर ने कहा कि बाइडन प्रशासन भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से साल 2022 और 2023 काफी अहम है. अमेरिकी वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारे पास आने वाले एजेंडे में क्वाड शिखर सम्मेलन है. उन्होंने कहा कि भारत के पास G-20 की कमान है. इन दोनों अवसरों पर हम भारत और अमेरिका की संयुक्त भूमिका को देख रहे हैं.
US Stocks: अमेरिकी स्टॉक मार्केट में करना है इंवेस्टमेंट? इन तरीकों से झट से खरीद पाएंगे शेयर
Share Price: करीब एक साल से अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज Nasdaq में गिरावट देखने को मिल रही है. Nasdaq का 52 वीक हाई और ऑल टाइम हाई 16212.23 है. हालांकि एक साल की गिरावट के बाद से Nasdaq अब 11146 के स्तर पर आ चुका है.
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American Stock Market: शेयर बाजार में लोग निवेश कर पैसा बनाने को आतुर रहते हैं. भारत की कई ऐसी बड़ी कंपनियां है, जिनके शेयर में निवेश कर लोग पैसा बनाने की कोशिश करत हैं. वहीं विदेशों में भी कई ऐसी बड़ी कंपनियां है, जिनको लोग जानते हैं और उनकी वैल्यू भी काफी ज्यादा है. ऐसी कंपनियों में भी भारतीय निवेशक निवेश करना चाहते हैं लेकिन उन्हें ये माध्यम नहीं पता है, जिनकी मदद से वो देश से बाहर की कंपनियों में भी निवेश कर सकें. यहां हम आपको बताने वाले हैं कि आप भारत में रहकर कैसे अमेरिकी स्टॉक मार्केट की कंपनियों में निवेश कर सकते हैं. आइए जानते हैं.
Nasdaq अमेरिकी विकल्प में गिरावट
करीब एक साल से अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज Nasdaq में गिरावट देखने को मिल रही है. Nasdaq का 52 वीक हाई और ऑल टाइम अमेरिकी विकल्प अमेरिकी विकल्प हाई 16212.23 है. हालांकि एक साल की गिरावट के बाद से Nasdaq अब 11146 के स्तर पर आ चुका है. ऐसे में अमेरिकी कंपनियों में निवेश का रुझान भी भारतीय लोगों में देखने को मिल रहा है. अमेरिकी कंपनियों में अगर निवेश करना है तो इसके कई माध्यम है.
Direct Investments
यूएस के शेयर मार्केट में लिस्ट कंपनियों में निवेश करने का सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला तरीका एक विदेशी ट्रेडिंग खाता खोलना है. ऐसा खाता सीधे किसी विदेशी ब्रोकर (जैसे कि चार्ल्स श्वाब इंटरनेशनल अकाउंट, इंटरएक्टिव ब्रोकर्स, टीडी अमेरिट्रेड, आदि) या किसी भारतीय ब्रोकर (जैसे एक्सिस सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट, एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आदि) के साथ खोला जा सकता है. इन भारतीय ब्रोकर की विदेशी ब्रोकर के साथ साझेदारी है.
Indirect Investment
वहीं एक निवेशक के पास म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के माध्यम से अमेरिकी शेयर बाजार में अप्रत्यक्ष रूप से पैसा लगाने का विकल्प होता है, जिसमें वह एक भारतीय फंड में निवेश करने का विकल्प चुन सकता है, जो विदेशी शेयरों या अंतर्राष्ट्रीय यूएस फंड में निवेश कर सकता है जो सीधे अमेरिकी बाजारों में निवेश करते हैं. ये विकल्प एक ऐसे निवेशक की सहायता करते हैं जिसके पास तकनीकी समझ और संसाधनों की कमी होती है ताकि वह अमेरिकी शेयर बाजारों में सीधे निवेश कर सके,
नए जमाने के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म
एंजेल ब्रोकिंग, जेरोधा, अपस्टॉक्स, वेस्टेड फाइनेंस, GROWW, Indmoney, Webull आदि स्टार्टअप ने अपने मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च करके ट्रेडिंग को निवेशक की उंगलियों तक पहुंचा दिया है. इन नेक्स्ट-जेनरेशन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने निवेशकों को कम प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के साथ अमेरिकी शेयरों में निवेश करने में सक्षम बनाया है. इनमें से कुछ केवल विदेशी शेयरों वाले भारतीय ईटीएफ तक पहुंच की अनुमति देते हैं और कुछ प्लेटफॉर्म निवेशकों को आंशिक शेयरों में निवेश करने की सुविधा भी प्रदान करते हैं. हालांकि, एक निवेशक को इन प्लेटफार्मों द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों को ध्यान से पढ़ना चाहिए.
India-US Relations: भारत के लिए अमेरिका बेताब, US अधिकारी बोले- 2023 में दोनों देशों के बीच आएगी निकटता
India-US Relations: भारत-अमेरिका के संबंध बेहतर होना हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिहाज से आज के समय की जरूरत बन चुके है जिस तरह से चीन भारत को घेरने के लिए स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स और हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने की नीति पर काम कर रहा है उसे देखते हुए अमेरिका ये बेहतर तरीके से समझता है कि उसे इस वक्त भारत की कितनी जरूरत है.
- हाल ही में अमेरिका ने G-20 में भारत की तारीफ की
- अमेरिका, भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए प्रतिबद्ध
अमेरिका ने उम्मीद जाहिर की है कि साल 2023 में भारत और अमेरिका के संबंधों में और निकटता आएगी. अमेरिकी व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि साल 2022 में भारत और अमेरिका रणनीतिक रूप से एक दूसरे के निकट आए हैं. उन्होंने कहा कि अगला साल भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से बेहद उपयोगी रहेगा.
अमेरिकी अधिकारी ने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है. इसको इस कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है.
हाल ही में अमेरिका ने G-20 में भारत की तारीफ की
व्हाइट हाउस में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जान फाइनर ने हाल में बाली में संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान कई मुद्दों पर आम सहमति बनाने में अहम भूमिका निभाई है. गौरतलब है कि जी-20 के बाली शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने यूक्रेन जंग को लेकर कहा था कि जंग किसी समस्या का विकल्प नहीं हो सकता है. मोदी के इस बयान से अमेरिका व पश्चिमी देश गदगद हैं. पीएम मोदी के इस बयान के बाद इन मुल्कों को भारत से एक उम्मीद बंधी है. खासकर तब, जब भारत वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता करेगा.
अमेरिका, भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए प्रतिबद्ध
भारत-अमेरिका संबंधों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए फाइनर ने कहा कि बाइडन प्रशासन भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से साल 2022 और 2023 काफी अहम है. अमेरिकी वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारे पास आने वाले एजेंडे में क्वाड शिखर सम्मेलन है. उन्होंने कहा कि भारत के पास G-20 की कमान है. इन दोनों अवसरों पर हम भारत और अमेरिका की अमेरिकी विकल्प संयुक्त भूमिका को देख रहे हैं.
अब अमेरिका को भी असहमति दर्ज करा सकता है भारत, निर्माण क्षेत्र में बना चीन का विकल्प - सुरेश प्रभु
इंदौर के चार्टर्ड अकाउंटेंट के बीच पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, पेशे से चार्टर्ड अंकाउंटेंट प्रभु ने "कैसा हो 2035 का भारत" विषय पर अमेरिकी विकल्प दिया व्याख्यान, इंदौर के बारे में कहा- वह जो ठान लेता है करके दिखाता है।
इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। भारत की वैश्विक ताकत और हैसियत दोनों बढ़ रही हैं। अब भारत को न केवल दुनियाभर में एक अच्छे मध्यस्थ के तौर पर पहचाना जाता है, बल्कि अब हम किसी मुद्दे पर अमेरिका जैसे देश को भी असहमति दर्ज कराने की स्थिति में रहते हैं। यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कही। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रभु सोमवार को इंदौर के चार्टर्ड अकाउंटेंट के बीच बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पीएलआइ स्कीम के तहत जो औद्योगिक वृद्धि हुई उससे दुनिया की कई नामी कंपनियों ने यहां निर्माण इकाइयां शुरू की हैं। कोविड के बाद तो कई देशों ने उत्पादन के लिए भारत को चीन के विकल्प के तौर पर चुना।
सीए ब्रांच इंदौर (आइसीएआइ) व टैक्स प्रैक्टिशर्स एसोसिएशन द्वारा ‘कैसा होगा 2035 का भारत’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में प्रभु आए थे। उन्होंने कहा कि 22 वर्ष पहले जब वे ऊर्जा मंत्री थे, तब भारत में ऊर्जा की 18 फीसद कमी थी। दस साल की योजना बनाते हुए भारत को पावर सरप्लस देश बनाने का लक्ष्य सामने रखा था। आज देश अपने आसपास के अन्य देशों को भी बिजली और ऊर्जा प्रदान कर रहा है। वैश्विक परिदृश्य और चुनौतियों को लेकर उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध, जलवायु परिवर्तन और चीन की अपना राष्ट्र री-यूनिफाई करने की योजना जैसे तमाम चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत को अपने भविष्य की कार्य योजना बनाना चाहिए। स्वागत उदबोधन इंदौर सीए ब्रांच के चेयरमैन सीए आनंद जैन व रीजनल काउंसिल मेंबर सीए कीर्ति जोशी ने दिया। संचालन टैक्स प्रैक्टिशनर एसोसिएशन के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने किया।
चीन की नीति भारत के लिए खतरा
प्रभु ने कहा, रूस-यूक्रेन के बीच की बात अब परमाणु हमले तक पहुंच गई है। विश्व पर इसका क्या असर होगा, यह अभी कोई नहीं जानता। इसी तरह, चीन में तीसरी बार राष्ट्रपति को सत्ता दी गई है। चीन में सभी फैले हुए अंशों को पुन: एकत्रित करने की एक नीति बनाई जा रही है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश का अमेरिकी विकल्प क्षेत्र भी शामिल है। यह भारत के लिए एक खतरे की घंटी है। इसी तरह यूरोप में हो रही भू-राजनीतिक उथल-पुथल और पाकिस्तान में जलवायु अमेरिकी विकल्प परिवर्तन की वजह से आ रही परेशानियों को देखते हुए भारत को अभी से तैयार हो जाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन के कारण पाकिस्तान में हाल ही में आई बाढ़ में एक तिहाई पाकिस्तान जलमग्न हो गया। विश्व की बड़ी नदियां सूखे के कगार पर हैं। इसलिए हमें आर्थिक विकास के साथ साथ ग्रीन डेवलपमेंट की तरफ भी आगे बढ़ना होगा। ‘जंग की तैयारी करने का सबसे सही समय है शांति का समय’ यह उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा- हालात ज्यादा बिगड़ें, इसलिए भारत को तैयार हो जाना चाहिए।
इंदौर ने जो ठाना वह कर दिखाया
स्वच्छता में इंदौर को लगातार छह बार देश में अव्वल आने पर उन्होंने बधाई दी और कहा कि इंदौर जो ठान लेता है वह करके दिखाता है। इंदौर का उदाहरण अब न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया के सामने दिया जाने लगा है। इंदौर के लोग एकदम डायनामिक होते हैं। वहीं उन्होंने विजन 2035 तैयार करने में सीए के योगदान और महत्व को लेकर कहा कि जिस प्रकार की समग्र सोच सीए रखते हैं, उस प्रकार की सोच की आज देश को जरूरत है।