समर्थित क्रिप्टोकरेंसी

समर्थित क्रिप्टोकरेंसी
सीबीडीसी और क्रिप्टोकरेंसी दोनों हैं बेहद अलग, जानें कैसे?
नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। क्रिप्टोकरेंसी और केंद्रीय समर्थित क्रिप्टोकरेंसी बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) दोनों ने पूरे भारत में लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। डिजिटल एसेट्स के रूप में सामान्य स्थिति के बावजूद दोनों में काफी अंतर है।
नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। क्रिप्टोकरेंसी और केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) दोनों ने पूरे भारत में लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। डिजिटल एसेट्स के रूप में सामान्य स्थिति के बावजूद दोनों में काफी अंतर है।
पूर्व वित्त सचिव एससी गर्ग का मानना है कि सीबीडीसी डीमैटरियलाइज्ड बैंक नोट की तरह होता है, क्योंकि उनका क्रिप्टोकरेंसी से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा, क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती है। हालांकि, सीबीडीसी जैसे रेगुलेटेड डिजिटल कॉइन क्रिप्टो का भविष्य हो सकते हैं।
मैकिन्से ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्टेबल कॉइन के प्रचलन में तेजी से वृद्धि के साथ, केंद्रीय बैंकों ने अपनी स्टेबल डिजिटल करेंसी का पता लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
सीबीडीसी, या भारतीय ई-रुपया, आरबीआई द्वारा जारी किया गया एक डिजिटल टोकन है और यह देश की फिएट करेंसी से जुड़ा हुआ है।
ब्लॉकचैन विशेषज्ञों के एक समूह, ब्लॉकचैन काउंसिल का कहना है, क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के विकास ने कैशलेस सोसाइटी और डिजिटल करेंसी में रुचि बढ़ा दी है। जिसके चलते, दुनिया भर की सरकारें और केंद्रीय बैंक सरकार समर्थित डिजिटल करेंसी के उपयोग पर विचार कर रहे हैं।
सीबीडीसी का प्राथमिक उद्देश्य कंपनियों और उपभोक्ताओं को गोपनीयता, हस्तांतरणीयता, सुगमता और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।
काउंसिल का कहना है, सीबीडीसी एक जटिल वित्तीय प्रणाली के लिए आवश्यक रखरखाव को भी कम करता है, सीमा पार लेनदेन लागत में कटौती करता है, और उन लोगों को कम लागत वाले विकल्प देता है जो अब दूसरे धन हस्तांतरण विधियों का उपयोग करते हैं।
केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी डिजिटल करेंसी अपने मौजूदा स्वरूप में डिजिटल मुद्राओं के उपयोग से जुड़े खतरों को भी कम करती है।
दूसरी ओर, क्रिप्टोकरेंसी बहुत अस्थिर है, उनका मूल्य हर समय बदलता रहता है।
उपयोग के मामलों के संदर्भ में क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति और मुद्रा दोनों के रूप में वगीर्कृत किया जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी के प्राइस पर अटकलें लगाने के लिए व्यक्ति निवेश बाजारों में हिस्सा ले सकता है। वे खुद को मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता से बचाने के लिए बिटकॉइन जैसी विशेष परियोजनाओं का भी उपयोग कर सकते हैं।
बिटकॉइन और एथेरियम का उपयोग कोई भी लेनदेन और भुगतान करने के लिए कर सकता है। काउंसिल के अनुसार, आज पहले से कहीं अधिक व्यापारी और स्टोर क्रिप्टोकरेंसी पेमेंट स्वीकार करते हैं।
सीबीडीसी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच कई विरोधाभास हैं।
सीबीडीसी अधिकृत (निजी) ब्लॉकचेन पर काम करता है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी बिना लाइसेंस (सार्वजनिक) ब्लॉकचेन पर काम करती है।
क्रिप्टोक्यूरेंसी यूजर्स के लिए एक फायदा है। सीबीडीसी ग्राहकों की पहचान मौजूदा बैंक खाते के साथ-साथ समान मात्रा में व्यक्तिगत जानकारी से जुड़ी होगी।
केंद्रीय बैंक सीबीडीसी नेटवर्क के लिए नियम निर्धारित करता है। क्रिप्टो नेटवर्क में अधिकार यूजर को दिया जाता है, जो आम सहमति के माध्यम से चुनाव करता है।
परिषद के अनुसार, सीबीडीसी का उपयोग केवल भुगतान और अन्य मौद्रिक लेनदेन के लिए किया जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग सट्टा और भुगतान दोनों के लिए किया जा सकता है।
Cryptocurrency vs Digital Currency: RBI ने लांच की डिजिटल करेंसी, जानें क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग और क्या हैं इसके फायदे
Cryptocurrency vs Digital Currency: क्रिप्टोकरेंसी और केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) दोनों ने पूरे भारत में लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। डिजिटल एसेट्स के रूप में सामान्य स्थिति के बावजूद दोनों में काफी अंतर है। पूर्व वित्त सचिव एससी गर्ग का मानना है कि सीबीडीसी डीमैटरियलाइज्ड बैंक नोट की तरह होता है, और उसका क्रिप्टोकरेंसी से कोई लेना-देना नहीं है।
बता दें कि देश में पहले ही बहुत से ऑनलाइन पेमेंट के ऑप्शन मौजूद है।ऐसे में अहम सवाल यह है कि जब इतने सारे ऑनलाइन पेमेंट के विकल्प मौजूद हैं और वो बेहतर काम भी कर रहे हैं तो फिर डिजिटल रुपया लाने की जरूरत ही क्यों पड़ी। क्यों खास है डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और यह Cryptocurrency से कितनी अलग है।
सीबीडीसी डिजिटल कॉइन क्रिप्टो का भविष्य
क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती है। हालांकि, सीबीडीसी जैसे रेगुलेटेड डिजिटल कॉइन क्रिप्टो का भविष्य हो सकते हैं। मैकिन्से ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्टेबल कॉइन के प्रचलन में तेजी से वृद्धि के साथ केंद्रीय बैंकों ने अपनी स्टेबल डिजिटल करेंसी का पता लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
आरबीआई द्वारा जारी किया गया डिजिटल टोकन
सीबीडीसी या भारतीय ई-रुपया आरबीआई द्वारा जारी किया गया एक डिजिटल टोकन समर्थित क्रिप्टोकरेंसी है और यह देश की फिएट करेंसी से जुड़ा हुआ है। ब्लॉकचैन विशेषज्ञों के एक समूह ब्लॉकचैन काउंसिल का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के विकास ने कैशलेस सोसाइटी और डिजिटल करेंसी में रुचि बढ़ा दी है, जिसके चलते दुनिया भर की सरकारें और केंद्रीय बैंक सरकार समर्थित डिजिटल करेंसी के उपयोग पर विचार कर रहे हैं।
सीबीडीसी के ये हैं बड़े फायदे
सीबीडीसी का प्राथमिक उद्देश्य कंपनियों और उपभोक्ताओं को गोपनीयता, हस्तांतरणीयता, सुगमता और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। काउंसिल का कहना है, सीबीडीसी एक जटिल वित्तीय प्रणाली के लिए आवश्यक रखरखाव को भी कम करता है, सीमा पार लेनदेन लागत में कटौती करता है और उन लोगों को कम लागत वाले विकल्प देता है जो अब दूसरे धन हस्तांतरण विधियों का उपयोग करते हैं।
‘क्रिप्टो बिल 2021’ के तहत भारत सरकार सभी ‘प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी’ को कर सकती है ‘बैन’?
India Will Ban Cryptocurrency? क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार के नए बिल का रूख अब कुछ स्पष्ट होता नज़र आने लगा है और इसलिए अब ये क्रिप्टो निवेशकों के लिए एक चिंता का विषय भी बन गया है। असल में भारत सरकार इस नए बिल के तहत देश के भीतर सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन करने की योजना बना रही है।
जी हाँ! सरकार जल्द शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में नए ‘क्रिप्टोकरेंसी बिल’ को पेश करने जा रही है। इस बिल को सरकार ने ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ का नाम दिया है।
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इस विधेयक में की गई सिफ़ारिशों में से एक है कि देश में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाया जाए। और ज़ाहिर है अगर ये बिल संसद में पास हो गया, (जिसकी संभावनाएँ अधिक है) तो ये देश के भीतर बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
लेकिन साफ़ कर दें कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने के साथ ही इस बिल में कुछ रियायतों या अपवादों (Exceptions) का भी ज़िक्र किया गया है, जिसका मक़सद इस नई तकनीक और इसके उपयोग को पूरी तरीक़े से ख़ारिच ना करते हुए, उसको उचित मायनों में बढ़ावा देने का है।
पर इसका मतलब समर्थित क्रिप्टोकरेंसी क्या हुआ? सरल शब्दों में कहें तो अगर Bitcoin और Ethereum जैसी लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी अगर सरकार की अपवाद (Exceptions) लिस्ट की शर्तों के अंदर आती हुई नज़र आई तो शायद इनके ट्रेड में निवेशकों को उतनी परेशानी का सामना ना करना पड़े।
India Cryptocurrency Ban: Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021
दिलचस्प ये है कि ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा कथित रूप से जल्द जारी की जा सकनें वाली सरकार समर्थित डिजिटल करेंसी के लिए एक फ्रेमवर्क बनाने की भी मांग की गई है।
एक सवाल ये भी उठता है कि कुछ ही हफ़्तों पहले जब संसदीय समिति की एक बैठक के बाद दबी आवाज़ों में ऐसे संकेत मिल रहे थे कि क्रिप्टोकरेंसी को देश में बतौर संपत्ति (ऐसेट्स) मान्यता दी जा सकती है, तो ऐसे में अचानक क्या हुआ?
लेकिन ग़ौर से देखने पर इस सवाल का जवाब शायद RBI की नई संभावित डिजिटल करेंसी में छिपा मिलता है। हम सब जानते हैं कि RBI शुरू से ही क्रिप्टोकरेंसी के चलन के तरीक़ों का आलोचक रहा है।
RBI के मौजूदा गवर्नर, शक्तिकांत दास ने यहाँ तक कहा है कि वे एक व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को देखते हुए इस विषय को बेहद गंभीर और किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए एक बड़ा खतरा मानते हैं। ख़ासकर जब तक इसको रेगुलेट नहीं किया जाता।
और सबसे अहम बात ये कि हाल ही में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक रूप से क्रिप्टोकरेंसी को ख़तरा बता चुके हैं, जो युवाओं को बर्बाद कर सकता है।
पीएम मोदी के अनुसार सभी लोकतांत्रिक देशों को साथ आकार ये प्रयास करने की ज़रूरत है कि क्रिप्टोकरेंसी किसी भी तरीक़े से गलत हाथो में ना जाए।
बता दें इस नए क्रिप्टो बिल के साथ ही सरकार इस बार के शीतक़ालीन संसद सत्र में क़रीब कुल 26 बिलों को पेश करती नज़र समर्थित क्रिप्टोकरेंसी आएगी।
वैसे क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों और प्रतिनिधियों को उम्मीद है कि सारकर क्रिप्टो को बैन करने के बजाए उसको रेगुलेट करने की दिशा में कोई कदम उठा सकती है।
देखिए ये तो ज़ाहिर है कि एक बार देश में क्रिप्टोकरेंसी का वैधानिक दायरा तय हो जाता है, तो इस बाजार में एक स्थिरता आ सकेगी और निवेशकों का भी हित इसी में है। जैसे अभी का उदाहरण ही देखिए, कुछ दिनों पहले तक तेज़ी से बढ़ रहे क्रिप्टोकरेंसी के दाम इस ख़बर के सामने आते ही वापस गिरने लगे हैं।
Cryptocurrency: डिजिटल रुपया सबसे पहले कहां होगा इस्तेमाल? ये है मोदी सरकार का पूरा प्लान
Cryptocurrency: सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी (CBDC) जल्द ही भारत में डिजिटल रुपया लॉन्च करने वाला है. डिजिटल रुपया आने के बाद क्रिप्टोकरेंसी का क्या होगा? क्या क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगायी जा सकती है!
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Cryptocurrency News: एक फरवरी 2022 को बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने डिजिटल रुपया ( Digital Rupee) लाने की घोषणा की थी. उसके बाद से ही भारतीयों में, डिजिटल रुपया का बेसब्री से इंतजार है. बजट भाषण निर्मला सीतारमण ने बताया था कि इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी (CBDC) लॉन्च करेगी. उन्होंने कहा था कि लॉन्चिंग भी मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2022-23 में हो जाएगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय बाजार में डिजिटल रुपया को चरणबद्ध तरीके से लाया जाएगा. सबसे पहले इसे थोक कारोबार (Wholesale Businesses) में लाया जा सकता है. हालांकि, आरबीआई ( RBI ) पहले से ही डिजिटल करेंसीज के विरोध में रहा है. इसी वजह से आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी ( crypto currency news ) पर प्रतिबंध भी लगा दिए थे. लेकिन अक्टूबर 2021 में आरबीआई ने सरकार के सामने सरकारी डिजिटल करेंसी लाने का प्रस्ताव दिया था. अब एक सवाल बना हुआ है कि डिजिटल रुपया आने के बाद क्रिप्टोकरेंसी का अस्तित्व बना रहेगा या नहीं?
डिजिटल रुपया लाएगा सीबीडीसी (CBDC)
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी, डिजिटल रुपया लॉन्च करेगा. आरबीआई के मुताबिक, ये एक लीगल टेंडर (Legal Tender) करेंसी होगी. ये करेंसी फिएट करेंसी के समान ही होगी. फिएट करेंसी का मतलब होता है सरकार द्वारा समर्थित करेंसी जैसे बैंक नोट. डिजिटल रुपया को आप पेपर करेंसी में भी बदल सकेंगे. इस करेंसी समर्थित क्रिप्टोकरेंसी में भी क्रिप्टोकरेंसी की तरह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा.
इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन होंगे!
क्रिप्टोकरेंसी कोई लीगल टैंडर नहीं होती. इस वजह से इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन करने पर सरकार आपको घेरे में ले सकती है. आपसे उन ट्रांजेक्शन के बारे में जानकारी भी ली जा सकती है. लेकिन, सरकार द्वारा जो डिजिटल करेंसी जारी की जाएगी. उससे आप इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन भी कर सकेंगे. ट्रांजेक्शन करने के लिए आपको कोई थर्ड पार्टी यानी बैंक की आवश्यकता नहीं होगी.
क्या फिर क्रिप्टोकरेंसी हो जाएगी बैन
डिजिटल रुपया आने के बाद क्रिप्टोकरेंसी का क्या होगा? ये सवाल सभी लोगों में बना हुआ है. क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार हर बार आगाह करती आ रही है. ऐसे में सरकार हो सकता है कि क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने पर विचार करें. अगर ऐसा हुआ तो क्रिप्टोकरेंसी में जिन लोगों ने पैसा लगा रखा है उसका क्या होगा? हाल ही में कई नामी क्रिप्टोकरेंसी के दाम बहुत नीचे तक आ गए है. ऐसे में निवेशकों को सोच समझ कर ही क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहिए. हालांकि, सरकार जो डिजिटल रुपया लेकर आएगी वो पूरी तरीके सेफ होगी क्योंकि उसके पीछे भारत सरकार की गारंटी होगी .
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