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जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है?

जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है?
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शेयर बाजार क्या है और कैसे काम करता हैं?

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही शेयर मार्केट में भी ऐसा ही है। एक तरफ शेयर मार्केट में जहां लोग अच्छा मुनाफा कमा कर करोड़पति बन रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ शेयर मार्केट में काफी नुकसान भी झेल रहे हैं, लेकिन अगर आप भी शेयर मार्केट में पैसा लगा रहे हैं तो आप भी इसके नुकसान से बच सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको इसकी पूरी जानकारी होना बेहद आवश्यक हैं।

क्योंकि बिना जानकारी के अगर आप शेयर मार्केट से पैसा कमाने चाहते हैं तो हो सकता है आप किस्मत वाले ही होंगे कि आपको मुनाफा मिलेगा अन्यथा ये काफी नुकसानदायक साबित होता है।

वहीं अगर आप ये सोच रहें कि शेयर बाजार में मोटा मुनाफा कमाने के लिए किसी योग्यता की जरूरत होगी तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, इसके लिए जरूरी है तो बस अच्छी जानकारी और समझदारी की। तभी आप इस क्षेत्र में पैसा लगाकर सफल हो सकेंगे।

आजकल शेयर मार्केट भी लोगों की कमाई का एक अच्छा जरिया बनता जा रहा है। काफी बड़ी संख्या में लोग शेयर मार्केट में पैसा लगा रहे हैं और सफल हो रहे हैं। यहां तक कि दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल वॉरेन बुफे ( Warren Buffet ) भी एक अच्छे शेयर इन्वेस्टर हैं जिन्होनें शेयर मार्केट से कई करोड़ रुपए तक कमाएं हैं क्योंकि उन्हें शेयर मार्केट के अच्छी जानकारी के साथ अच्छा अनुभव भी है।

चलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताएंगे कि शेयर मार्केट क्या है और कंपनिया कैसे शेयर जारी करती हैं।

Stock Market

Stock Market

शेयर बाजार क्या है और कैसे काम करता हैं? – What is Stock Market

शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट (Stock Market) वह जगह होती है, जहां पर शेयर, डिबेन्चर्स, म्यूचुअल फंड्स, डेरिवेटिव्स और अन्य सेक्योरिटी (Shares, Debentures, Mutual Funds, Derivatives और अन्य Securities) को ख़रीदा और बेचा जाता हैं। आपको बता दें कि, शेयर्स को मुख्य रुप से स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से ख़रीदा और बेचा जाता हैं।

वहीं अगर दूसरे शब्दों में कहें तो शेयर बाजार वास्तव में कम्प्यूटरों का नेटवर्क है, जहां पर शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं। ब्रोकरों के द्धारा शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। इसके साथ ही उच्च श्रेणी के सॉफ्टवेयर द्वारा तेज गति से मिलान भी किया जाता है। भारत के प्रमुख शेयर बाजार हैं –

BSE बॉम्वे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) और NSE नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange)।

शेयर मार्केट के प्रकार – Types of Stock Market

शेयर मार्केट दो तरह के होते हैं

  • प्राइमरी शेयर मार्केट (Primary share market)
  • सेकेंडरी शेयर मार्केट (Secondary share market)

प्राइमरी शेयर मार्केट (Primary Share Market)

प्राइमरी शेयर मार्केट में भी शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। वहीं इसके तहत कोई भी कंपनी बाजार में धन जुटाने के लिए प्राइमरी शेयर मार्केट में प्रवेश करती है। इसके तहत कंपनी जनता को शेयर जारी करने और पैसे जुटाने के लिए रजिस्टर्ड हो जाती हैं।

कंपनियां आम तौर पर प्राथमिक बाजार मार्ग के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होती हैं। वहीं अगर कोई कंपनी पहली बार शेयर बेच रही है, तो इसे प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (Initial Public Offering) या आईपीओ कहा जाता है, जिसके बाद कंपनी सार्वजनिक हो जाती है।

आईपीओ के लिए जाने के दौरान, कंपनी को अपने बारे में ब्योरा देना होगा, कंपनी को अपने वित्तीय, प्रमोटर, कारोबार, जो शेयर कंपनी द्धारा जारी किए जा रहे हैं समेत मूल्य बैंड की भी जानकारी देनी होगी।

सेकेंडरी शेयर मार्केट (Secondary Share Market)

सेकेंडरी शेयर मार्केट में, निवेशक पहले से ही सूचीबद्ध शेयर को खरीदने और बेचकर ट्रेडिंग करते हैं। सेकेंडरी शेयर मार्केट के तहत ऐसे लेनदेन होते हैं, जहां एक निवेशक मौजूदा मूल्य पर दूसरे से शेयर खरीदता है।

आम तौर पर, ये लेनदेन ब्रोकर के माध्यम से आयोजित किए जाते हैं। आपको बता दें कि सेकेंडरी शेयर मार्केट निवेशकों को अपने सभी शेयरों को बेचने और वित्तीय बाजार से बाहर निकलने का मौका भी देता है।

इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि जिस मार्केट में हम आमतौर पर पैसा लगाने की बात करते हैं तो हम सेकेंडरी शेयर मार्केट की ही बात कर रहे होते हैं।

वहीं सेकेंडरी शेयर मार्केट में ही एक स्टॉक या शेयर की कीमत लगाई जाती है, और उसे फायदे या नुकसान के साथ खरीदा और बेचा जाता है।

उदाहरण –

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि टाटा स्टील के शेयर बाजार (Share Bazar) में 230 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहे हैं। एक निवेशक इन शेयरों को मौजूदा बाजार मूल्य पर खरीद सकता है और कंपनी का हिस्सा-स्वामित्व प्राप्त करेगा और शेयरधारक बन जाएगा।

शेयर मार्केट, कंपनियों के लिए धन जुटाने और निवेशकों के लिए बढ़ते व्यवसायों में अंश-स्वामित्व खरीदने और अपनी आय-संपत्ति बढ़ाने का एक स्रोत है। शेयरधारक बनने पर, एक निवेशक लाभांश के माध्यम से कंपनी द्वारा अर्जित लाभ का एक हिस्सा कमाता है। इसके साथ ही, निवेशक हारने का जोखिम भी उठाता है।

इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि- बाजार प्रतिभागियों को शेयर बाजार में व्यापार करने में सक्षम होने के लिए स्टॉक एक्सचेंज और बाजार नियामक सेबी ( Market Regulator Sebi ) के साथ रजिस्टर करने की जरूरत है।

आइए अब समझिए आखिर शेयर क्या होता है ? – What is Share

शेयर मार्केट में जो शेयर आप खरीदते या फिर बेचते हैं उन Share का अर्थ होता हैं -“हिस्सा” वहीं स्टॉक मार्केट की भाषा जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? में “शेयर” का मतलब हैं – “कंपनियों में हिस्सा” । वहीं जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हैं। वहीं अगर आपके पास किसी कंपनी के शेयर हैं तो आप उस कंपनी के उतने हिस्से के मालिक बन जाते हैं।

आपको ये भी बता दें कि शेयर को हिंदी में अंश कहते हैं और शेयर होल्डर को अंशधारक कहते हैं। शेयर बाजार से शेयर खरीद कर आप भी वहां लिस्टेड किसी भी कंपनी के मालिक बन सकते हैं।

सभी शेयर कंपनी द्वारा घोषित किये गए सभी डिविडेंड (Dividend) अथवा बोनस शेयर के अधिकारी भी होते हैं। किसी कंपनी के शेयर खरीद लेने से आपको भी वो सब अधिकार मिल जाते हैं जो शेयर होल्डर के आधिकार होते हैं।

उदाहरण के तौर पर अगर समझे तों, अगर किसी कंपनी ने कुल 1 लाख शेयर जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? issue किए हैं और आपने उसमें से 10 हजार Shares खरीद लिए हैं तो आप उस कंपनी के 10% हिस्सेदार बन जाते हैं और आप जब चाहें तब इन शेयर्स को स्टॉक मार्केट में बेच सकते हैं।

आइए जानते हैं कि शेयर मार्केट में कंपनियां शेयर्स कैसे जारी (Issue) करती हैं ? – How companies issue shares

शेयर मार्केट में सबसे पहले कोई भी कंपनी अपने शेयर्स की स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग करवाकर आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश) लाती है। इसके बाद कंपनी खुद के शेयर अपने द्धारा तय किये हुए मूल्य पर लोगों को जारी करती है।

वहीं एक बार जब आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश) पूरी हो जाती है उसके बाद कंपनी के शेयर मार्केट में आ जाते हैं और फिर स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) और ब्रोकर्स के माध्यम से निवेशकों द्वारा आपस में ख़रीदे और बेचे जाते हैं। इस तरह से फिर निवेशक कंपनी के शेयर खरीदकर और बेचकर कमाई करते हैं।

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1 thought on “शेयर बाजार क्या है और कैसे काम करता हैं?”

कृप्या आप शेयर बाजार में use होने वाली शब्दावली के बारे में Detail में बताइए..
जैसे शब्द – Stop Loss कहां और कैसे लगता है, क्या उसके लिए Charges भी लगते है, Intraday और Delivery दोनों में लगा सकते है, Stop Loss लगाने के बाद Stock अगर हमारे Loss Marker से नीचे गिरा तो 100% वो Stop Loss Marker में बिक जाएगा?
क्या Stop Profit भी लगा सकते हैं? क्या ये भी Stop Loss की तरह काम करेगा?

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यह तो सभी को मालूम है कि किसी भी बाजार में अगर मांग के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा है तो कीमत गिरेगी। अगर इसका उल्टा आपूर्ति कम है तो कीमत बढ़ेगी। लेकिन शेयर बाजार और आलू-प्याज मार्केट में एक महत्वपूर्ण अंतर भी है। आप आलू-प्याज को एक उपभोक्ता यानी एंड यूजर के तौर पर खरीदते हैं, न कि एक ट्रेडर के तौर पर। (हमारे जो पाठक आलू-प्याज के ट्रेडर हैं, वे इस उदाहरण को खरीद-फरोख्त की जाने वाली किसी दूसरी वस्तु मसलन जमीन, फ्लैट या सोने-चांदी के संदर्भ में समझ सकते हैं) लेकिन जब आप कोई शेयर खरीदते हैं तो आप यूजर नहीं बल्कि ट्रेडर हो जाते हैं क्योंकि शेयर खरीदने का एक ही मकसद होता है, उसे बेचकर मुनाफा कमाना।

दरअसल यहीं शेयर बाजार दूसरे बाजारों के मुकाबले अलग और अनोखा है। यहां हर सौदे में दो ट्रेडर आमने-सामने होते हैं। वे एक दूसरे को न जानते हैं, न पहचानते हैं फिर भी एक बेचता है तो दूसरा खरीदता है। इसे एक और सरल उदाहरण से समझिए। माना कि आपने 520 रुपए के भाव पर टाटा स्टील के 100 शेयर खरीदे। जाहिर सी बात है कि ये शेयर किसी ने बेचे तभी आप इन्हें खरीद पाए। अब जरा सोचिए कि जब आपको लगा कि 520 रुपए में टाटा स्टील का शेयर खरीद लेना चाहिए क्योंकि इसकी कीमत में उछाल आने के आसार हैं। ठीक तभी किसी दूसरे शख्स इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके डि-मैट अकाउंट में टाटा स्टील के जो शेयर हैं, उन्हें बेच देना चाहिए क्योंकि इसकी कीमत गिरनेवाली है। उसने बेचने का ऑर्डर दिया, आपने खरीदने का ऑर्डर दिया और ट्रेड हो गया। इस प्रकार एक दूसरे के धुर विपरीत सोच वाले दो ट्रेडर्स जब स्टॉक एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म एक समय में आमने-सामने होते हैं तभी कोई सौदा होता है। इसी को शेयर बाजार का ‘जीरो सम गेम’ कहते हैं। यानी टाटा स्टील के जो 100 शेयर कल तक उस शख्स के पास थे, वो अब आपके पास हैं, अगर आने वाले दिनों में वे शेयर चढ़ते हैं तो इसका मतलब है कि आपकी ट्रेडिंग सफल रही, अगर यह शेयर गिरता है, बेचने वाले का आकलन सही साबित होगा।

संवेदनशील बाजार में कैसे समझें कि कौन शेयर गिरेगा और कौन चढ़ेगा

अब आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि इतनी कशमकश के बीच कैसे तय किया जाए कि कौन सा शेयर उठ सकता है और कौन सा गिरने वाला है। इस सवाल का कोई सीधा जवाब न है, न हो सकता है। क्योंकि शेयर बाजार एक जटिल, व्यापक और संवेदनशील मशीन की तरह काम करता है। इसे प्रभावित करने वाले तत्वों की कतार बहुत लंबी है। माइक्रो से लेकर मैक्रो तक यानी किसी छोटी सी कंपनी के वार्षिक नतीजों से लेकर आम चुनाव के परिणाम तक कोई भी चीज स्टॉक की कीमत में बड़ा उलटफेर कर सकती है। विनिवेश से लेकर अधिग्रहण तक कोई भी खबर किसी शेयर की कीमत में तूफान खड़ा कर सकती है। कई बार तो कोई बड़ी वजह नहीं होती है फिर भी शेयर बाजार में भूचाल आ जाता है। जैसा कि रेल बजट वाले दिन हुआ। रेल बजट ने बाजार को निराश तो कतई नहीं किया। फिर भी शेयर बाजार में दस महीनों की सबसे भयानक गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी 160 प्वाइंट फिसल गया। इसकी दो बड़ी वजहें मानी गईं- पहली-मुनाफावसूली हुई, दूसरी-बाजार बहुत चढ़ गया था, इसलिए उसमें करेक्शन हुआ, बड़े बड़े शेयर औंधे मुंह गिरे। दिलचस्प है कि इतनी बड़ी गिरावट डाउनट्रेंड मार्केट में नहीं बल्कि अपट्रेंड मार्केट में आई। कहने का मतलब यह कि शेयर बाजार को किसी एक फॉर्मूले से साधा नहीं जा सकता है। हो सकता है कि आपने जिस फैक्टर को कम करके आंका, वही सबसे पावरफुल साबित हो।

समय के साथ बदलें रणनीति
शेयर मार्किट एक ऐसा युद्ध है जिसमें समय के साथ रणभूमि और रणनीति दोनों बदलनी पड़ती है। यहां कुछ भी फिक्स्ड नहीं है। आप ट्रेडिंग टर्मिनल को देखेंगे तो महसूस करेंगे कि हर पल बाजार की हलचल के हिसाब से भावों में उसी तरह उतार-चढ़ाव होता है, जैसे सागर की लहरों में। इसके बावजूद कुछ लोग दावा करते हैं कि उनके पास शेयरों की अचूक भविष्यवाणी करने की शक्तिहै। लेकिन ऐसी भविष्यवाणियों पर आंखमूंद कर भरोसा करना खुद को ठगने जैसा है।

टिप्सों पर आंखमूंद कर न करें यकीन

फीस लेकर टिप्स देने वाली एजेंसियां इस संवेदनशील शेयर बाजार के बारे में यह दावा करती हैं कि उसके ट्रेडिंग टिप्स कभी फेल नहीं होते हैं, तो वे एक तरह से भोले-भाले निवेशकों को झांसा दे रही होती हैं। क्योंकि अनिश्चितता तो शेयर बाजार की धड़कन है। इसलिए नए निवेशकों को सलो शेयर बाजार में फायदे और नुकसान का गणित समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर इस बाजार में कारोबार होता कैसे है? बुनियादी तौर पर देखा जाए तो शेयर बाजार और आलू-प्याज के मार्केट में कहने के लिए कोई खास फर्क नहीं है। दोनों मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर चलते हैं। लेकिन शेयर बाजार की प्रकृति अन्य बाजारों से अलग है। कैसे, आइए समझते हैं ।

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शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो जरूरी है Demat Account होना, जानें कैसे खुलता है, क्या होता है चार्ज

How to open a Demat Account : डीमैट खाता खोलने की प्रक्रिया बहुत आसान होती है. इसके लिए सबसे पहले आपको एर फॉर्म ऑनलाइन भरना होता है. जिसके बाद ई वेरिफिकेशन होता है. ये प्रोसेस पूरी होते ही आपका डीमैट खाता खुल जाता है.

शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो जरूरी है Demat Account होना, जानें कैसे खुलता है, क्या होता है चार्ज

Demat Account : शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए जरूरी है डीमैट अकाउंट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

शेयर बाजार में ट्रेडिंग (Share Market Trading) कर पैसा बहुत से लोग बनाना चाहते हैं लेकिन शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए जिस डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है, उसके बारे में कम ही जानकारी होती है. डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है, इस खाते को खोलने के लिए जरूरी कागजात कौन से होते हैं और कितनी फीस डीमैट खाते को खोलने के लिए खर्च करनी पड़ती है. ऐसे बहुत सारे सवालों के जवाब हम आपको इस खबर की मदद से दे रहे हैं क्योंकि शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है, इसके बिना ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है.

तो आइए जानते हैं डीमैट खाते से जुड़ी हर जरूरी जानकारी.

क्या होता है डीमैट खाता

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जिस तरह से बैंक अकाउंट होता है. इसी तरह से डीमैट अकाउंट भी बैंक खाते की तरह काम करता है. शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था SEBI के साफ निर्देश हैं कि बिना डीमैट खाते के शेयरों को किसी भी अन्य तरीके से खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है.

डीमैट खाते की सबसे अच्छी बात होती है ये जीरो अकाउंट बैलेंस के साथ भी खोला जा सकता है. इसमें मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती है. शेयर बाजार में निवेश के लिए निवेशक के पास बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट खाता होने चाहिए क्योंकि डीमैट खाते में आप शेयरों को डिजिटल रूप से अपने पास रख सकते है. तो वहीं ट्रेडिंग अकाउंट से मदद से शेयर, म्युचुअल फंड और गोल्ड में निवेश किया जा सकता है.

कैसे खोलें डीमैट खाता

- शेयरों में ऑनलाइन निवेश करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी डीमैट खाता होता है. आप इसे HDFC सिक्योरिटीज, ICICI डायरेक्ट, Axis डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास खुलवा सकते हैं.

- ब्रोकरेज फर्म का फैसला लेने के बाद आप उसकी वेबसाइट पर जाकर डीमैट अकाउंट ओपन करने का फॉर्म सावधानी से भरने के बाद उसकी KYC प्रोसेस को पूरा करें.

- KYC के लिए फोटो आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ के लिए डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी. जब ये प्रोसेस पूरी हो जाएगा तो उसके बाद इन-पर्सन वेरिफिकेशन होगा. संभव है जिस फर्म से आप डीमैट अकाउंट खुलवा रहे हों, वो अपने सर्विस प्रोवाइडर के दफ्तर आपको बुलवाएं.

- इस प्रोसेस को पूरा होने के बाद आप ब्रोकरेज फर्म के साथ टर्म ऑफ एग्रीमेंट साइन करते है. ऐसा करने के बाद आपका डीमैट अकाउंट खुल जाता है.

- फिर आपको डीमैट नंबर और एक क्लाइंट आईडी दी जाएगी.

कौन खोलेगा डीमैट खाता

इंडिया में डीमैट खाता खोलने का काम दो संस्थाएं करती है. जिसमें पहली है NSDL (National Securities Depository Limited) और दूसरी है CDSL (central securities depository limited). 500 से अधिक एजेंट्स इन depositories के लिए काम करते है, जिनको आम भाषा में डीपी भी कहा जाता है. इनका काम डीमैट अकाउंट खोलना होता है.

जरूरी शर्तें

डीमैट अकाउंट खोलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी शर्त होती है कि जो व्यक्ति शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खुलवा रहा हो उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. साथ ही इसके लिए उस व्यक्ति के पास पैन कार्ड, बैंक अकाउंट आइडेंटिटी और एड्रेस प्रूफ होना जरूरी है.

डीमैट अकाउंट क्या होता है? – प्रकार और फायदे

सेबी द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार अगर आप शेयर बाजार से शेयर खरीदना या बेचना चाहते हैं तो आपके पास एक डीमैट खाता (Demat Account) होना आवश्यक है। भारत में किसी भी कंपनी के शेयरों को डीमैट अकाउंट के अलावा किसी अन्य रूप में ख़रीदा या बेचा नहीं जा सकता है।

ऐसे में डीमैट अकाउंट क्या है, इसके बारे जानना जरुरी हैं। तो चलिए जानते हैं की आखिर डीमैट अकाउंट क्या होता है (Demat Account Kya Hota Hai) और साथ ही आज के इस आर्टिकल में डीमैट अकाउंट के प्रकार और फायदे के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।

अतः चलिए शुरू करते हैं।

डीमैट अकाउंट क्या होता है? | Demat Account Kya Hota Hai

डीमैट अकाउंट क्या होता है? - प्रकार और फायदे

डीमैट अकाउंट एक बैंक खाते की तरह होता है जिसमें आप इलेक्ट्रॉनिक रूप में शेयर प्रमाणपत्र और अन्य प्रतिभूतियां रख सकते हैं। डीमैट अकाउंट का मतलब है डीमैटरियलाइजेशन अकाउंट, यह शेयर, बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूतियां, म्यूचुअल फंड, बीमा और ईटीएफ जैसे निवेश को रखने की प्रक्रिया को सरल करता है। इस अकाउंट के जरिए शेयर और उससे जुड़े दस्तावेजों को मेंटेन करने की झंझट दूर हो जाती है।

पहले कोई भी शेयर खरीदने या बेचने पर आपके नाम पर शेयर सर्टिफिकेट जारी किये जाते थे, जिसमें पेपर वर्क की कार्रवाई भी शामिल थी। हर बार शेयर खरीदने या बेचने पर सर्टिफिकेट बनवाना पड़ता था। इस कागजी कार्रवाई को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए, भारत ने 1996 में एनएसई (NSE) पर व्यापार के लिए डीमैट खाता प्रणाली की शुरुआत की।

आज के समय में न कोई कागजी कार्रवाई होती है और न ही कोई भौतिक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसलिए जब आप कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो आपको जो भी मिलता है वह आपके डीमैट खाते में इलेक्ट्रॉनिक रूप में दर्ज हो जाता है।

यदि आप आज शेयर बाजार (एनएसई और बीएसई) या किसी अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करना चाहते हैं, तो एक डीमैट खाता अनिवार्य है। आपके द्वारा किए गए ट्रेडों और लेनदेनों के इलेक्ट्रॉनिक निपटान के लिए डीमैट खाता संख्या अनिवार्य है।

डीमैट अकाउंट के प्रकार | Types of Demat Account

ऊपर हम ने जाना की डीमैट अकाउंट क्या होता है। तो आइए डीमैट अकाउंट के प्रकारों को देखें। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं –

  • रेगुलर डीमैट अकाउंट: यह उन भारतीय नागरिकों के लिए है जो देश में रहते हैं।
  • रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: इस तरह का डीमैट अकाउंट प्रवासी भारतीयों (NRI) के लिए होता है, जो विदेशों में फंड ट्रांसफर करने में सक्षम बनाता है। हालांकि, इस तरह के डीमैट अकाउंट को एनआरई बैंक अकाउंट से लिंक करने की जरूरत पड़ती जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? है।
  • नॉन-रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: यह भी एनआरआई के लिए ही होता है, लेकिन इस प्रकार के डीमैट अकाउंट के साथ, विदेशों में फंड ट्रांसफर करना संभव नहीं है। साथ ही इसे एनआरओ बैंक अकाउंट से भी लिंक कराना होगा।

डीमैट अकाउंट के फायदे | Benefits of Demat Accounts

  1. डीमैट अकाउंट में चोरी, क्षति या धोखाधड़ी का कोई जोखिम नहीं होता है।
  2. आप कसी भी समय कहीं से भी शेयर्स खरीद व बेच सकते है।
  3. निवेशक को किसी भी स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ता है।
  4. लेन-देन करने के लिए न्यूनतम या कोई थकाऊ कागजी कार्रवाई नहीं।
  5. समय की बचत होती है।
  6. डीमैट अकाउंट में आप आसानी से अपने इन्वेस्टमेंट को ट्रैक कर सकते हैं।

अंतिम शब्द

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने डीमैट अकाउंट क्या होता है (Demat Account Kya Hota Hai) और साथ ही डीमैट अकाउंट के प्रकार और फायदे के बारे में भी विस्तार जाना हैं। मैं आशा करता हूँ की आप सभी को हमारा यह आर्टिकल जरुर से पसंद आया होगा।

अब यदि आपको यह लेख पसंद आया हैं और इससे कुछ भी नया सिखने को मिला हो तो इसे अपने सभी दोस्तों के साथ भी जरुर से शेयर करें। आर्टिकल को अंत तक पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

सुधांशु HindiQueries के संस्थापक और सह-संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

शेयर खरीदने के नियम – Rules for buying shares

अगर आप भी निवेश करके पैसा कमाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको शेयर खरीदने के नियम पता होने चाहिए। लेकिन शेयर खरीदने से पहले आपको पता होना चाहिए कि शेयर मार्केट क्या है?

शेयर मार्केट वह जगह है जहां शेयर खरीदे और बेचे जाते है। शेयर मार्केट आपको इक्विटी, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, डेरिवेटिव इत्यादि में ट्रेडिंग करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।

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किसी भी नए या अनुभवी निवेशक को निवेश करने के लिए पता होना चाहिए कि शेयर खरीदने के लिए क्या करें, किस कंपनी का शेयर खरीदे और शेयर खरीदने के नियम क्या हैं?

Table of Contents

शेयर कैसे खरीदें ?

सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि शेयर खरीदते समय आपको किन किन बातों को ध्यान में रखना है। यहाँ हमनें कुछ टिप्स बताए हैं, जो एक निवेशक के लिए निवेश करने से पहले दिमाग में रखना जरूरी है।

अपने फाइनेंशियल उद्देश्यों को ध्यान में रखें।

मौलिक और तकनीकी विश्लेषण करें।

सही कीमत पर शेयर खरीदें।

समय-समय पर निवेश करें सेबी के नियमों का पालन करें चलिए

अब इन सब पर एक-एक करके चर्चा करते हैं।

अपने फाइनेंशियल उद्देश्यों को ध्यान में रखें – Keep your financial objectives in mind

शेयर खरीदने के नियम में सबसे पहला नियम या टिप्स यह है कि शेयर खरीदने से पहले हमें अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखना चाहिए। इसका मतलब है कि सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आपको लॉन्ग-टर्म निवेश करना है या शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करना है।

शॉर्ट टर्म ट्रेडर इंट्राडे ट्रेडिंग या स्विंग ट्रेडिंग को चुनते हैं। वहीं लॉन्ग-टर्म के जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? लिए निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग या पोज़िशनल ट्रेडिंग का विकल्प चुन सकते हैं।

यदि आप शॉर्ट-टर्म यानी कम अवधि में के जरिये रिटर्न प्राप्त करना चाहते है, तो आप निवेश के अन्य साधनों पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपके पास लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट का प्लान है, तो इक्विटी में निवेश करने से आपको बेहतरीन रिटर्न मिल सकता है।

शेयर खरीदने के नियम - Rules for buying shares

लॉन्ग टर्म में निवेशक एक कंपनी के शेयर खरीदते हैं जब यह सस्ता होता है, और जब उन्हें लगता है कि स्टॉक की कीमत पर्याप्त रूप से बढ़ गई है, तो वे शेयरों को अधिक कीमत पर बेचना शुरू करते हैं।

इस तरह की ट्रेडिंग में जोखिम कम होता है। इसके विपरीत शॉर्ट-टर्म ट्रेड में इंट्राडे ट्रेड होता है। इसमें अगर सही स्टॉक की पहचान हो जाए तो शेयर बाजार में दैनिक आधार पर पैसा लगाकर मुनाफा कमाया जा सकता है।

लेकिन ध्यान रहे कि इसमें जोखिम भी काफी होता है। इसलिए, स्टॉक मार्केट को शॉर्ट टर्म मनी मेकिंग टूल के रूप में सोचने के बजाय, इसे लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के रूप में देखें।

मौलिक और तकनीकी विश्लेषण करें – Perform fundamental and technical analysis

यह भी शेयर खरीदने के नियम में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण नियम है। स्टॉक मार्केट में अंधाधुंध शेयर खरीदना, बिना सही रिसर्च या एनालिसिस के अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।

इससे पहले कि आप शेयर मार्केट में निवेश करें, आपको यह समझने में कोशिश करनी चाहिए कि शेयर बाजार कैसे काम करता है। किसी विशेष कंपनी के शेयर खरीदते समय, कंपनी के पिछले प्रदर्शन के साथ-साथ भविष्य की संभावनाओं पर कुछ रिसर्च करना आवश्यक है।

इसी प्रकार, शेयर खरीदने से पहले मार्केट ट्रेंड की जाँच करें और यह जानें कि शेयर मार्केट की स्थिति पहले कैसी थी और अभी कैसे चल रही है। इसके आधार पर ही शेयर खरीदें।

शेयर खरीदने के नियम - Rules for buying shares

वह आपको शेयर खरीदने का फैसला लेने में आपकी मदद करेंगे।

सही कीमत पर शेयर खरीदें – buy shares at the right price

उस कीमत पर स्टॉक खरीदना बहुत महत्वपूर्ण है जो आप देने में सक्षम हो। हो सकता है कि आप ऐसे शेयर को ढूंढ रहे हो जो बहुत लोकप्रिय है और जिसे दूसरे लोग खरीद रहे हैं।

लेकिन इसके लिए आपको यह भी देखना होगा कि अपने बजट के अनुसार शेयर खरीदे और जो आपको बेहतर रिटर्न दे सके। जो शेयर आपके बजट में फिट नहीं बैठता, आप उसे छोड़ दें।

सही समय की प्रतीक्षा करें और उस स्टॉक को चुनें, जो आपके बजट में फिट हो और आपको लाभ भी दे। इसके अलावा, जब आपको लगे कि आप अपना स्टॉक बेचना चाहते हैं और आपको अच्छा रिटर्न मिल रहा है

तब आपको शेयर बेच देने चाहिए। शेयर की कीमत को कुछ और बढ़ाने के लिए इंतजार करना फायदेमंद हो सकता है।

लेकिन ध्यान रहे कि अगर इसका प्राइस नीचे जाता है तो आपको नुकसान भी हो सकता है। इसलिए, शेयर हमेशा सही समय पर खरीदें और सही समय आने पर बेच दें।

सेबी के नियमों का पालन करे – Follow SEBI rules

शेयर मार्केट की रेगुलेटरी बॉडी ने 1 सितंबर 2020 से शेयर खरीदने और बेचने के नियमों में भारी बदलाव किए हैं। एक तरफ जहां इन नियमों के कारण निवेशकों की सुरक्षा बढ़ी हैं, वहीं दूसरी ओर शेयर खरीदना मुश्किल हो गया है।

जैसा कि आपको पता है कि “कार्वी ऑनलाइन” ने निवेशकों के पैसों के साथ घोटाला किया था। उसके बाद सेबी ने नियम बनाने के लिए कड़े कदम उठाए। ऐसे में अगर आप शेयर खरीदना चाहते हैं तो आपको शेयर खरीदने के नियम पता होने चाहिए।

आपको पता है कि निवेशक अपने ब्रोकर से पॉवर ऑफ अटॉर्नी लेते थे। यहाँ ब्रोकर उनके शेयर के साथ मनमानी करते थे और निवेशकों की बिना सहमति के शेयर्स का इस्तेमाल करते थे।

लेकिन अब सेबी के नए में शेयर आपके डीमैट खाते में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इस तरह ब्रोकर के अकाउंट में आपके शेयर नहीं जाएंगे।

मुख्य बातें – Headlines

आपको सबसे पहले अपने दिमाग में एक वित्तीय उद्देश्यों को रखें, यानी सबसे जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? पहले जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? यह तय करें कि आपको लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट करना है या शॉर्ट टर्म निवेश करना है।

यदि आपकी जोखिम क्षमता कम है तो आपको लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की तरफ रुख करना चाहिए। इसमें समय अधिक लगेगा लेकिन यह आपको एक अच्छा रिटर्न दे सकता है।

आप कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करके उस कंपनी के बारे में बारीकी से जान सकते हैं जिस कंपनी के शेयर आप खरीदना चाहते हैं। इसके जरिए कंपनी के बिजनेस, कंपनी क्या Product बनाती है, मार्केट में प्रोडक्ट की डिमांड कितनी है, Company Profit में है या Loss में, जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? Company पर कर्ज कितना है

आदि के बारे में आप जान सकते हैं। आपको शेयर खरीदने के लिए एक सही प्राइस का इंतजार करना चाहिए। यानी अगर शेयर की कीमत आपके बजट से बाहर है तो आपको सही समय की प्रतीक्षा करने के बाद ही शेयर खरीदना जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? चाहिए।

इसके साथ ही हमेशा उसी पैसे का इस्तेमाल करें जो आपके पास एक्स्ट्रा हो और कभी भी अपनी मेहनत की पूरी कमाई का उपयोग निवेश में नहीं करना चाहिए।

शेयर खरीदने के नियम - Rules for buying shares

समय-समय पर निवेश करें यानि हमेशा वोलैटिलिटी को ध्यान में रख कर ही शेयर खरीदें।

इसके अलावा, सेबी के नए नियमों का भी कड़ाई से पालन करें। इस प्रकार, यदि आप शेयर खरीदने के लिए इन नियमों का पालन करते हैं तो आप एक बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।

अगर आप भी शेयर मार्केट में ट्रेड करना चाहते है तो आपके पास डीमैट खाता होना चाहिए।

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