भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

रेगुलटरी स्तर पर अनिश्चितता के कारण निवेशकों में क्रिप्टो निवेश को लेकर स्वाभाविक तौर पर काफी संशय है.
डेली अपडेट्स
यह एडिटोरियल दिनांक 31/05/2021 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख “Catching the New Tech Wave” पर आधारित है। इस एडिटोरियल में दुनिया भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार भर में क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते महत्व के बारे में चर्चा की गई है। साथ ही इस बात पर भी चर्चा की गई है कि डिजिटल क्रांति के आगामी चरण में दुनिया के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने के लिये भारत को इसे स्वीकार करने की आवश्यकता क्यों है?
वर्ष 2008 में बिटकॉइन के निर्माण के साथ आज की तारीख तक क्रिप्टोकरेंसी ने दुनिया भर में अपनी जगह बनाई है। जनवरी 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से इस क्षेत्र में लाभ आश्चर्यजनक हैं। ज्ञातव्य है कि "क्रिप्टोमार्केट" में 500% से अधिक की वृद्धि हुई।
- हालाॅंकि 2018-19 के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।
- इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत डिजिटल क्रांति के अब तक सभी चरणों को देर से अपनाने वाला रहा है चाहे वो अर्द्धचालक या इंटरनेट या फिर स्मार्टफोन।
- अतः अब इन आभासी मुद्राओं पर विचारों को बदलने एवं उन्हें स्वीकृति देने की आवश्यकता है क्योंकि ये भारत की डिजिटल क्रांति के नए चरण में प्रवेश करने की दिशा में भारत का पहला कदम होगा।
क्रिप्टोकरेंसी का महत्त्व:
- भ्रष्टाचार की रोकथाम: चूंकि क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन प्रणाली अर्थात् पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर कार्य करती भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार हैं, यह धन के प्रवाह और लेनदेन को ट्रैक करके भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करता है।
- समय प्रभावी : क्रिप्टोकरेंसी धन के प्रेषक और रिसीवर के लिये पर्याप्त समय बचाने में मदद कर सकती है क्योंकि यह पूरी तरह से इंटरनेट पर संचालित होता है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार यह एक ऐसे तंत्र पर चलता है जिसमें बहुत कम लेनदेन शुल्क शामिल होता है और यह लगभग तात्कालिक होता है।
- लागत प्रभावी: बैंक, क्रेडिट कार्ड और पेमेंट गेटवे जैसे बिचौलिये अपनी सेवाओं के लिये $ 100 ट्रिलियन की पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था से लगभग 3% शुल्क के रूप में लेते हैं।
- इन क्षेत्रों में ब्लॉकचेन को एकीकृत करने से सैकड़ों अरबों डॉलर की बचत हो सकती है।
आगे की राह
- विनियमन ही समाधान: गंभीर समस्याओं को रोकने के लिये एवं यह सुनिश्चित करने के लिये कि क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग न हो तथा निवेशकों को अत्यधिक बाजार अस्थिरता और संभावित घोटालों से बचाने के लिये विनियमन की आवश्यकता है।
- विनियमन को स्पष्ट, पारदर्शी, सुसंगत और इस दृष्टि से अनुप्राणित होने की आवश्यकता है कि उसका उद्देश्य क्या है।
- मजबूत केवाईसी मानदंड: क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाय सरकार कड़े केवाईसी (Know Your Customer) मानदंडों, रिपोर्टिंग और कर योग्यता को शामिल करके क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार को विनियमित करेगी।
भारत वर्तमान में डिजिटल क्रांति के अगले चरण के शिखर पर है और अपनी मानव पूंजी, विशेषज्ञता और संसाधनों को इस क्रांति में शामिल कर इसके नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकता है। इसके लिये केवल नीति निर्धारण को ठीक करने की आवश्यकता है।
बिटकॉइन जैसी करेंसी का भविष्य भारत में कब तय करेगी सरकार?
पिछले कुछ सालों से डिजिटल मुद्राओं की लोकप्रियता भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार बढ़ती जा रही है जिन्हें ब्लॉकचेन सॉफ़्टवेयर के ज़रिए इस्तेमाल किया जाता है. ये डिजिटल मुद्रा इनक्रिप्टेड यानी कोडेड होती हैं इसलिए उन्हें क्रिप्टोकरेंसी भी कहते हैं.
दुनिया भर में मुद्राओं को देश के केंद्रीय बैंक नियंत्रित करते हैं लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के मामले में ऐसा नहीं है, इसका नियंत्रण इसकी ख़रीद-बिक्री करने वाले लोगों के हाथों में सामूहिक तौर पर होता है.
यही वजह है कि ज़्यादातर देशों की सरकारें या तो इन्हें ग़ैर-कानूनी मानती हैं या इन्हें किसी न किसी रूप में नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं.
भारत और क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी के ख़रीद-बिक्री के लिए भारत में इस समय 19 क्रिप्टो एक्सचेंज मार्केट हैं जिनमें वज़ीरएक्स का नाम पिछले दिनों सुर्ख़ियों में था.
केंद्र सरकार के एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने वज़ीरएक्स के संस्थापक और निदेशक निश्चल शेट्टी को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 के क़ानून के तहत 2,971 करोड़ रुपये के क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन का हिसाब देने को कहा है.
ईडी ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार वज़ीरएक्स पर अपने उपयोगकर्ताओं की 'नो योअर कस्टमर' (केवाईसी) यानी ग्राहक वेरिफ़िकेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज़ नहीं लेने का आरोप लगाया है. ईडी भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार के अनुसार, वज़ीरएक्स का इस्तेमाल कुछ चीनी नागरिकों ने अपने वज़ीरएक्स वॉलेट में राशि जमा करके किया. वज़ीरएक्स के संस्थापक शेट्टी भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार ने जवाब में तीन ट्वीट किए और इस इल्ज़ाम को नकारते हुए ईडी के साथ पूरा सहयोग का वादा किया.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अभी कोई सरकारी गाइडलाइन या नियम-कानून मौजूद नहीं हैं. यही वजह है कि वज़ीरएक्स जैसे मामलों में अभी सिर्फ़ केवाईसी के नियमों का पालन नहीं करने को लेकर नोटिस भेजा गया है.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
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दुनिया में रुपए, डॉलर और यूरो जैसे नोटों की तरह पिछले 10-12 सालों में वर्चुअल दुनिया में कई मुद्राएँ सामने आई हैं और इनकी लोकप्रियता और संख्या दोनों तेज़ी से बढ़ती जा रही है. खास तौर पर युवा पीढ़ी में ये काफ़ी लोकप्रिय हैं.
मोटे तौर पर क्रिप्टोकरेंसी वर्चुअल या डिजिटल पैसा है जो टोकन या डिजिटल "सिक्कों" के रूप में होता है, क्रिप्टोकरेंसी को डिज़ाइन ही इस तरह किया गया है कि वह सरकारी नियमों और नियंत्रण से मुक्त रहे.
इस तरह की करेंसियों में सबसे चर्चित बिटकॉइन है, पिछले हफ़्ते एक बिटकॉइन की क़ीमत लगभग 30 लाख रुपए थी. दुनिया भर में दो करोड़ के क़रीब बिटकॉइन चलन में हैं जिनमें से दो हज़ार भारत में बताए जाते हैं.
इसकी क़ीमत में लगातार भारी उतार चढ़ाव दिख रहा है, कुछ जानकारों का कहना है कि यह अगले कुछ महीनों में इसकी वैल्यू 50 प्रतिशत गिर सकती है, तो कुछ दूसरे विशेषज्ञों का मानना है कि यह 30 लाख से बढ़कर 75 लाख तक हो सकता है.
क्रिप्टो और ब्लॉकचेन
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन नामक टेक्नोलॉजी पर आधारित है. प्रवीन विशेष सिंगापुर में एक बड़े हेज फंड के पोर्टफ़ोलियो मैनेजर हैं. उनका काम करेंसी व्यापार से जुड़ा है.
बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं, "ब्लॉकचेन भविष्य का टेक्नोलॉजी प्लेटफार्म है. ये वो मंच है जिस पर क्रिप्टो मुद्राओं का लेन-देन होता है. ब्लॉकचेन जानकारी को रिकॉर्ड करने की एक प्रणाली है जिसमें जानकारी को बदलना या हैक करना लगभग असंभव है."
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में लियोनार्ड कुकोस क्रिप्टोकरेंसी के विकास के समर्थक और निवेशक हैं. इस काम में वो बहुत सक्रिय हैं. वो ब्लॉकचेन जैसी उभरती टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ भी हैं.
उन्होंने बीबीसी के सवालों के जवाब में कहा, "सरल शब्दों में, ब्लॉकचेन एक विशेष प्रकार का डेटाबेस है जिसे डिस्ट्रीब्यूटेड खाता कहा जाता है जो डिजिटल लेनदेन को रिकॉर्ड करता है ताकि इसे बदलना, हैक करना या फ्रॉड करना लगभग असंभव हो. यह विशेष है क्योंकि सभी लेन-देन कंप्यूटरों के विशाल नेटवर्क में एन्क्रिप्टेड, कॉपीड और ड्रिस्ट्रीब्यूटेड होते हैं."
तेजी से क्यों बढ़ रहा क्रिप्टोकरेंसी क्रेज ?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी क्रेज का सबसे बड़ा कारण है कि इसमें लेनदेन में वक्त जाया नहीं होता.खरीदने,ट्रांसफर करने और ट्रांजेक्शन की तेज तकनीक इसे भारत की बड़ी युवा आबादी के बीच पॉपुलर करती है.
एक कारण यह भी है कि पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की तरह यहाँ फीस नहीं देनी पड़ती.भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार
क्रिप्टोकरेंसी में प्रयोग होने वाली ब्लॉकचेन तकनीक भी लोगो को इसकी ओर आकर्षित कर रही है.ट्रेड फाइनेंस में ब्लॉकचेन तकनीक का प्रमुख लाभ यह है कि यह प्रोसेसिंग टाइम को कम कर सकता है, कागज के उपयोग को समाप्त कर सकता है और पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करते हुए पैसे बचा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी पर किसी एक का कब्जा नहीं है.यहां पर यूजर के पास तमाम विकल्प उपलब्ध है.यह बैंकिंग सिस्टम की अपेक्षा इसे ज्यादा लचीला बनता है.
कोविड -19 वैक्सीन तेजी से आर्थिक सुधार को सक्षम कर सकती है.ऐसे समय में जब सरकारें और केंद्रीय बैंक अभी भी बड़ी मात्रा में आपातकालीन सहायता प्रदान कर रहे हैं - जो मुद्रास्फीति के एक विस्फोट को ट्रिगर कर सकता है. कुछ निवेशक क्रिप्टोकरेंसी को सोने के समान एसेट स्टोर के रूप में देखते हैं, जो आर्थिक तनाव या बढ़ती मुद्रास्फीति के समय भी अपने मूल्य को बनाए रख सकता है.
सरकारी बेरुखी का निवेशकों पर असर नहीं
केंद्र सरकार और RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर समय समय पर चिंता जताई है. RBI ने कुछ महीने पहले संबंधित 'मेजर कंसर्न' की तरफ इशारा किया था. वहीं, सरकार की तरफ से डिजिटल कॉइन पर प्रतिबंध के संकेत मिले थे.राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि "वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मसलों से निपटने के लिए अलग से कोई कानून नहीं है. इस प्रकार आरबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर प्राधिकरण जैसे सभी संबद्ध विभाग और काननू का अनुपालन करवाने वाली एजेंसियां मौजूदा कानून के अनुसार कार्रवाई करती हैं."
इसके बावजूद क्रिप्टो के लिए बढ़ती रुचि अहम है. सख्त बैन की खबरों के बाद से अब तक गवर्नमेंट इस विषय पर शांत है. 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 का एक नियम खारिज कर दिया जिसमें बैंकों को क्रिप्टो व्यापार से दूर रखा गया था. जानकारों के मुताबिक अगर यह बैन नहीं आया होता तो क्रिप्टो बाजार और भी बड़ा हो सकता था.
अगर बैन लगा तो ये निवेशक क्या कर सकते हैं?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन की स्थिति में, कई निवेशकों के लिए अपनी एसेट्स(क्रिप्टो) को बेचना भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार सबसे आसान और तार्किक मार्ग होगा, लेकिन उनके पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं-
निवेशक अपनी क्रिप्टो एसेट को 'सेल्फ-कस्टडी वॉलेट' में ट्रांसफर कर सकते हैं, जो USB ड्राइव, माइक्रो SD कार्ड या स्मार्ट कार्ड के रूप में डिजिटल डिवाइस हैं. ये डिवाइस निवेशकों की निजी बिटकॉइन key या keys को संग्रहीत करते हैं. बिटकॉइन को स्टोर करने के लिए कुछ लोकप्रिय हार्डवेयर वॉलेट जैसे लेजर, ट्रेजर, सेफपाल भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार और बिटलॉक्स उपलब्ध हैं.निवेशक इन वॉलेट में अपनी क्रिप्टो एसेट को स्टोर कर सकते हैं और इन वॉलेट्स को विदेशों में रह रहें अपने दोस्तों या परिवार को भेज सकते हैं,यदि वे बैन की स्थिति में अपने वॉलेट को भारत में रखने को लेकर चिंतित हैं.
हालाँकि, यहाँ भी एक मुश्किल है. यदि निवेशक भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज से वॉलेट के माध्यम से अपनी क्रिप्टो एसेट को हार्ड ड्राइव या पेन ड्राइव में स्थानांतरित करता है, तो रेगुलेटरी ऑथोरिटी इन क्रिप्टोकरेंसी को ट्रैक कर सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज KYC (अपने ग्राहक को जानें) मानदंडों का पालन करते हैं और यूजर्स को साइन अप करने के लिए अपने पैन कार्ड डिटेल देने की आवश्यकता होती है.
Cryptocurrency in India: भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ी खबर, सरकार ने उठाया ये कदम
Cryptocurrency in India: क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ी खबर है. क्रिप्टोकरेंसी हाइपर फंड (Cryptocurrency Hyper fund) नाम की कंपनी पर सरकार नज़र रख रही है. वित्तीय धोखाधड़ी की जांच के लिए जिम्मेदार एजेंसियां कंपनी पर नज़र रख रही हैं. डीईएफआई हाइपर फंड हाल ही में रडार पर आया है. सूत्रों के मुताबिक इस तरह के फंड के खिलाफ कई राज्यों में शिकायतें मिलने लगी हैं. भारत में आरबीआई, केंद्रीय वित्त मंत्रालय और सेबी ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) ट्रेडिंग के खिलाफ लोगों को चेतावनी दी थी. आरबीआई जल्द ही भारत की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा-ए रुपया (Mudra-e-Rupaya) लॉन्च करने की योजना बना रहा है.
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वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) भी लीगल टेंडर नहीं है. इसलिए वीसी मुद्राएं नहीं हैं. आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसने किसी भी इकाई/कंपनी को बिटकॉइन या किसी वर्चुअल करेंसी के संचालन या लेनदेन के लिए कोई लाइसेंस/प्राधिकरण नहीं दिया है. जून 2018 में अमित भारद्वाज को पुणे पुलिस ने उनके भाई विवेक भारद्वाज के साथ कथित पोंजी योजना के सिलसिले में दिल्ली हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया था. भारद्वाज ने अपना खुद का बिटकॉइन माइनिंग ऑपरेशन (Bitcoin Mining Operation) शुरू किया और कथित तौर पर देश भर से 8,000 से अधिक लोगों को 2,000 करोड़ रुपये की ठगी की.
उन्होंने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्हें जबरन वसूली का कॉल आया और उन्हें 6 सितंबर, 2021 को सुरक्षा राशि का भुगतान करने के लिए कहा गया. उन्होंने निवेशकों को बिटकॉइन देने के लिए बहला-फुसलाकर मल्टी-लेवल मार्केटिंग (Multi Level Marketing) घोटाला किया था. पुलिस ने अधिक रिटर्न का वादा करने के बदले में आरोप लगाया था. यूके में नियामकों ने इस तरह के फंड के खिलाफ चेतावनी जारी की है और फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (एफसीए) ने हाइपर फंड और फंड एडवाइजर दोनों के लिए चेतावनी जारी की है.
विस्तार
कोरोना महामारी के दौरान दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अभूतपूर्व दर से बढ़ा है। भारत में भी बड़ी संख्या में लोगों ने इस डिजिटल मुद्रा में निवेश किया। 2021 में 7.3 फीसदी भारतीय आबादी के पास क्रिप्टोकरेंसी थी।
संयुक्त राष्ट्र की व्यापार एवं विकास संस्था यूएनसीटीएडी ने एक रिपोर्ट में कहा, क्रिप्टोकरेंसी रखने वाली आबादी की हिस्सेदारी के लिहाज से शीर्ष-20 अर्थव्यवस्थाओं में से 15 विकासशील अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। सूची में भारत सातवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 4.1 फीसदी के साथ 15वें स्थान पर है। यूएनसीटीएडी का कहना है कि कोरोना काल के दौरान पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसमें विकासशील देश भी शामिल हैं।
क्रिप्टो आबादी में यूक्रेन शीर्ष पर
देश हिस्सेदारी यूक्रेन 12.7 फीसदी रूस 11.9 फीसदी वेनेजुएला 10.3 फीसदी सिंगापुर 9.4 फीसदी केन्या 8.5 फीसदी अमेरिका 8.3 फीसदी भारत 7.3 फीसदी द. अफ्रीका 7.1 फीसदी नाइजीरिया 6.3 फीसदी कोलंबिया 6.1 फीसदी