विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम

एनआरआई (NRI) क्या होता है?
भारत के कई नागरिक (Resident Indian or Indian citizen) विदेश में रह रहे है | अधिकांश भारतीय रोजगार और शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से विदेश में जाते है | कुछ समय के बाद कुछ भारतीय विदेश में अनिश्चित काल के लिए बस जाते है या भारत से ज्यादा बाहरी देश में अपना समय ज्यादा बिताते है | इन्हें एनआरआई (NRI) कहा जाता है | वर्तमान समय में विदेशों में अध्ययन करने के लिए भारत के छात्रों की संख्या में वृद्धि हो रही है | कई अन्य कारणों से भी भारतीयों को विदेश जाना पड़ता है | वहां पर वह विदेश की ही नागरिकता प्राप्त कर लेते है | एक रिपोर्ट के अनुसार विदेशो से विदेशी मुद्रा भारतीयों द्वारा सबसे ज्यादा भेजी जाती है |
एनआरआई, भारतीय डायस्पोरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। प्रवासी भारतीयों ने विदेशी निवेश, व्यापार, प्रौद्योगिकी, नवाचार और विशेषज्ञता सहित विभिन्न तरीकों से भारत के विकास में योगदान दिया है। भारतीयों ने भी अन्य राष्ट्रों के विकास में बहुत योगदान दिया है। अनिवासी भारतीयों को उनके निवास की स्थिति के अनुसार तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: भारत सरकार एनआरआई के लिए एक ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड प्रदान करती है जो उन्हें उन सभी आर्थिक और शैक्षिक लाभों का अधिकार देता है |
भारत सरकार पीआईओ को तीन व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत करती है: अनिवासी भारतीय (एनआरआई), भारत के प्रवासी नागरिक (ओसीआई), और नागरिकता के बिना भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ). भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO) कार्ड भारत सरकार द्वारा उन लोगों को जारी किया जाता है जो भारतीय मूल के या जन्म के हैं, लेकिन विदेश में रहते हैं। एक पीआईओ कार्ड किसी को वैध पासपोर्ट और वीजा के बिना भारत में प्रवेश करने का अधिकार नहीं देता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा जैसे कुछ देश पीआईओ को वही अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान करते हैं जो वे एक विदेशी नागरिक को देते हैं
प्रवासी भारतीयों को अक्सर अनिवासी भारतीय या भारतीय मूल के व्यक्ति के रूप में संदर्भित किया जाता है। प्रवासी भारतीय भारतीय मूल या वंश के लोग हैं, जो भारत से बाहर रह रहे हैं। दुनिया भर के देशों में रहने वाले लगभग 24 मिलियन प्रवासी भारतीय होने का अनुमान है। उनमें से अधिकांश संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं, कनाडा में लगभग 3 मिलियन और यूनाइटेड किंगडम और मलेशिया में प्रत्येक में 1 मिलियन। अनिवासी भारतीय भारतीय मूल के उन विदेशियों का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जो भारत से दूर चले गए हैं, और अन्य देशों में निवास कर चुके हैं।
बहुत से देशो में भारतीय आबादी एनआरआई (aka Indian Origin) के रूप में बहुत ज्यादा है जैसे कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड आदि | लेकिन इसके जरिये हम यह भी कह सकते है कि भारतीयों द्वारा बहुत देशो के हित और निर्माण में काफी योगदान है | भारतीय होनहार छात्र जो देश के सर्वोपरी यूनिवर्सिटी और संस्थाए जैसे आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी आदि से अपनी शिक्षा पूरी करके विदेशो में बड़े पद पर नौकरियां करते है और उस देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान देते है | आज हम NRI के बारे में विस्तार से जानेगे और साथ ही वे देश के बहार रहकर भी कैसे देश के विकास हित में कार्य करते है, इस पर भी प्रकाश डालेंगे |
एनआरआई क्या होता है (What is an NRI) ?
Table of Contents
India’s Foreign Exchange Management Act 1999 (FEMA) के अनुसार एनआरआई की निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है:-
- एनआरआई एक भारतीय है जो एक साल में भारत में 182 दिन से कम समय रहता है |
- एक ऐसा भारतीय जो भारत से बाहर चला गया है या भारत के बाहर नौकरी के उद्देश्य से रहता है |
- भारतीय जो भारत से बाहर कारोबार या बिज़नेस के उद्देश्य से रहते है |
- ऐसे भारतीय जो भारत के बाहर बिना किसी कारण के अनिश्चित काल के लिए बाहर रहते है |
एनआरआई एक स्टेटस है जो एक भारतीय नागिकता धारक को दिया जाता है जिसे इनकम टैक्स प्रक्रिया में कोई असुविधा न हो और उन्हें दोहरे कर जैसे नियमो से कारण मुसीबत न झेलनी पड़े | यह नागरिकता के स्टेटस को नहीं बताता अपितु व्यक्ति के इनकम टैक्स के स्टेटस को बताता है जिसे फेमा के अंतर्गत बताया गया है |
एनआरआई का फुल फॉर्म
एनआरआई का फुल फॉर्म “Non-Resident Indian” है, हिंदी में इसे अप्रवासी भारतीय के नाम से जाना जाता है | ध्यान रहे ये सभी एनआरआई भारतीय नागरिक ही है और विभिन्न उद्देश्य से विदेश में है जिसकी परिभाषा आप पहले ही पढ़ चुके है |
एनआरआई टैक्सेशन (NRI Taxation)
एनआरआई को फेमा (FEMA) के प्रावधानों के अंतर्गत टैक्स में छूट प्रदान की जाती है | प्रत्येक एनआरआई को भारत में प्राप्त आय पर टैक्स चुकाना होता है | इसके अतिरिक्त उसे जो विदेश से वेतन प्राप्त होता है, उसका टैक्स केवल विदेश में ही जमा होता है | उस व्यक्ति द्वारा भेजा गया धन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में जोड़ा जाता है |
एनआरआई स्टेटस (NRI Status)
एनआरआई स्टेटस इनकम टैक्स विभाग के द्वारा प्रदान किया जाता है | इसका निर्धारण भारत में रहने के समय के अनुसार निर्धारित किया जाता है | इससे व्यक्ति के विदेश में रहने के विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम उद्देश्य के बारे में जानकारी प्राप्त होती है |
आधार कार्ड (Aadhar Card)
यदि भारत का नागरिक विदेश में निवास कर रहा है, तो उसके लिए भी आधार कार्ड आवश्यक है | आधार कार्ड को नागरिकता के साथ नहीं जोड़ा जाता है | परन्तु यह उसके लिए भारतीय नागरिक होने का एक सबूत हो सकता है |
PIO क्या होता है ?
ऐसे व्यक्ति जो भारतीय नागरिक नहीं है परन्तु उनका या उनके माता पिता का जन्म भारत की सीमा में हुआ है (बांग्लादेश और पाकिस्तान को छोडकर) पीआईओ के नाम से जाने जाते है या आप इन्हें भारतीय मूल के व्यक्ति भी बोल सकते है | इतिहास में इनके माता माता को संविधान के द्वारा प्रदत अधिकार के आधार भारतीय नागरिकता मिली होगी अर्थात वे कभी भारतीय नागरिक रहे होंगे |
PIO का फुल फॉर्म क्या है ?
PIO का फुल फॉर्म Person of Indian Origin होता है
एनआरआई और पीआईओ में अंतर (Difference between NRI and PIO)
- एनआरआई अभी भी भारतीय नागरिक है वही एक Person of Indian Origin (PIO) भारतीय नागरिक नहीं है |
- NRI भारत में चुनाव में वोट डाल सकता है किन्तु PIO या OCI कार्ड धारक भारत में वोट नहीं डाल सकते है |
- PIO या OCI भारत में चुनाव में नहीं लड़ सकते है |
- PIO या OCI भारत में सरकारी या संविधानिक पद को धारण नहीं सकते है |
- PIO या OCI में खेती की जमीन नहीं खरीद सकते है |
OCI कार्ड धारक क्या है ?
वर्ष 2006 में तत्कालीन सरकार ने प्रवासी भारतीय दिवस पर ओसीआई कार्ड की घोषणा की, जिसके माध्यम ऐसे PIO को ओसीआई कार्ड दिया जाता है जिसमें कई सारे लाभ सम्मलित थे | लेकिन वर्ष 2015 में PIO के प्रावधान को ख़तम कर दिया गया और अब सिर्फ भारत सरकार द्वारा ओसीआई कार्ड ही आवंटन किये जाते है | ओसीआई कार्ड केवल ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जो या तो पहले भारतीय रहा हो या उसके माता पिता भारतीय नागरिक रहे हो (पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान के देशो को छोड़कर) | OCI कार्ड धारक भारत का नागरिक नहीं होता है अपितु उसे कार्ड द्वारा भारत में बिना रोक टोक के व्यापार, आवागमन, वित्त लेन देन की सुविधा मिल जाती है |
PFI Funding Pattern: भारत में जिहाद करने के लिए इन 9 तरीकों से धन बटोर रहा था PFI, खाड़ी के 'अमीर' भेज रहे थे करोड़ों रुपये
PFI Funding Network: भारत में हिंदुओं को खत्म कर वर्ष 2047 तक इस्लामिक राज लाने के छिपे एजेंडे पर काम कर रहे पीएफआई को देश-विदेश से करोड़ों रुपये की फंडिंग मिल रही है. इसके लिए उसने एक सुनियोजित नेटवर्क बना रखा था, जिसके बारे में आपको जानना चाहिए.
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PFI Funding Routes: देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में केंद्र सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर चुकी है. इसके साथ ही विभिन्न राज्य सरकारों ने भी संगठन से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. मामले की जांच में जुटी एजेंसियां यह देखकर हैरान है कि इस कट्टर इस्लामिक संगठन ने कुछ ही सालों में इतना बड़ा ढांचा कैसे खड़ा कर लिया.जांच में पता चला है कि पीएफआई भारत और विदेशों दोनों से अलग-अलग चैनलों के जरिए धन एकत्र कर रहा था.
हज में सहायता के नाम पर होती थी फंडिंग
जांच एजेंसियों को इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि विदेशों में पीएफआई (PFI) के सदस्य हज यात्रियों को सहायता के नाम पर, अपनी नकली फर्मों की सदस्यता, रियल एस्टेट सौदों, पब-बार और आतंकवादी संगठनों को पुरानी कारों को बेचने समेत विभिन्न जरियों का इस्तेमाल करके फंड इकट्ठा करते थे. यह पैसा बाद में एनआरआई खातों में भेजा जाता था, जहां से इसे भारत में पीएफआई सदस्यों को ट्रांसफर कर दिया जाता था.
एजेंसियों की पड़ताल में सामने आया है कि PFI के ऐसे बहुत से सदस्य रहे, जिनकी विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम आर्थिक स्थिति बेहद खस्ता थी लेकिन उनके बैंक खातों मे करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ. ऐसे करीब 100 से ज्यादा बैंक खाते एजेंसियों के संज्ञान में आ गए हैं. अब उनसे जुड़े लोगों के बारे में पता लगाया जा रहा है, जिन्होंने इन खातों में पैसे ट्रांसफर किए हैं. आइए उन 9 तरीकों के बारे में जानते हैं, जिनके जरिए PFI भारत में विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम जिहाद करने के लए पैसा इकट्ठे कर रहा था.
हज यात्रा: खाड़ी देशों में सक्रिय पीएफआई (PFI) सदस्यों ने हज यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को पैसे के बदले मदद की. यह पैसा बाद में भारत भेजा जाता था. पीएफआई ने भारत को पैसा भेजने के लिए हर संभव रास्ते अपनाए- चाहे वह हवाला हो या सोने का कारोबार.
एनआरआई खाते: सूत्रों के मुताबिक विदेशों में पीएफआई सदस्यों ने संयुक्त अरब अमीरात और अन्य खाड़ी देशों के एनआरआई खातों में पैसा भेजा. एनआरआई खातों में फंड जमा होने के बाद उसे पीएफआई नेताओं से जुड़े विभिन्न खातों में ट्रासफर कर दिया गया. मनी ट्रांसफर के लिए यह तरीका विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) का सीधा उल्लंघन था.
रियल एस्टेट: पीएफआई (PFI) का सदस्य और केरल के चावाकाडु जिले का निवासी सैफू अबू धाबी में रहता है, जहां वह रियल एस्टेट का कारोबार करता हैं. यह पता चला है कि उसने भारत में पीएफआई नेताओं के खातों में पैसे भेजे थे. रेंट-ए-कार सेवा के जरिए अर्जित धन को भी भारत में ट्रांसफर कर दिया गया.
अबू धाबी में बार: अबू धाबी में नाइट क्लब और बार हैं, जहां कानूनी रूप से शराब उपलब्ध है. इनमें से कुछ आउटलेट्स पीएफआई सदस्यों द्वारा चलाए जा रहे हैं. इस धंधे से अर्जित करोड़ों की कमाई को बाद में भारत भेज दिया गया.
केआईएसफ सदस्यता: पीएफआई कुवैत में 'कुवैत इंडिया सोशल फोरम' (KISF) के नाम से सक्रिय है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सूत्रों ने कहा कि केआईएसएफ भारत में पीएफआई की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए अपने सदस्यों से वार्षिक सदस्यता शुल्क एकत्र करता था.
पुनर्वसन फाउंडेशन और ओमान में स्थित सदस्य: पीएफआई के कई डमी संगठन हैं जो खाड़ी देशों में सक्रिय हैं. राष्ट्रीय विकास मोर्चा (NDF) एक ऐसा संगठन है, जो ओमान में सक्रिय है. एजेंसियों को पता चला है कि NDF ने भारत में पीएफआई सदस्यों को हवाला चैनलों के जरिए करीब 44 लाख रुपये भेजे. पीएफआई के एक सदस्य की पहचान अशफाख चैकीनाकथ पुयिल के रूप में हुई है, जिसने ऐसे सभी अकाउंट की डिटेल संभालकर रखी. ये पैसा केरल में रिहैब इंडिया फाउंडेशन को भेजा गया था, जो पीएफआई का एक और डमी संगठन है.
आईएसआईएस को पुरानी कारों की बिक्री: एजेंसियों के मुताबिक सीरिया में मुहम्मद फहीमी के रूप में पहचाने जाने वाले एक पीएफआई सदस्य ने आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी समूहों को पुरानी कारों को बेचा. इसके बदले में बड़ी मात्रा में पैसा कमाया गया. यह पैसा बाद में हवाला के जरिए भारत भेजा गया.
कतर कनेक्शन: पीएफआई में कई मुस्लिम मलयाली सदस्य हैं, जो कतर में रहते हैं. वे एक कल्चरल फोरम (CF) नामक संगठन चलाते हैं, जो पीएफआई का एक डमी संगठन भी है. कतर में इन सदस्यों की ओर से मुसलमानों की सहायता के नाम पर एकत्र किया गया धन भारत में पीएफआई और एसडीपीआई नेताओं को भेजा गया था.
पीएफ सदस्य: विदेशों में रहने वाले पीएफआई सदस्यों ने भी ई-वॉलेट का उपयोग करके भारत में पैसा ट्रांसफर किया. उस फंड को कागजों में कानूनी सहायता और सामुदायिक दान के रूप में दिखाया गया. पीएफआई को देश और विदेश से संदिग्ध माध्यमों से धन प्राप्त हो रहा था. पीएफआई और उसके सहयोगियों ने बड़ी संख्या में बैंक खातों को बनाए रखा. साथ ही भारत और विदेशों में स्थित अपने शुभचिंतकों से पैसा प्राप्त किया.
सूत्र ने कहा, खाता धारकों के वित्तीय प्रोफाइल से मेल नहीं खाने वाले पीएफआई के 100 से अधिक बैंक खाते एजेंसियों के संज्ञान में आए हैं. परिणामस्वरूप, आईटी अधिनियम की धारा 12ए और 12एए के तहत पीएफआई की पंजीकरण स्थिति वापस ले ली गई है.
Rajasthan export: अब निर्यात को लगेंगे पंख, राजस्थान बनेगा सिरमौर
2022 में राजस्थान के ज्वैलरी ( Jewellery ), मार्बल ( Marble ) , टैक्सटाइल, रेडीमेड गार्मेंट्स ( Readymade Garments ) और हैण्डीक्राफ्ट्स उद्योग ( Handicrafts industry ) को पंख लगने वाले है। कोरोना प्रकोप ( Corona outbreak ) के चलते यूरोप और अमेरिका के बायर्स का झुकाव अब चीन से भारत की ओर हुआ है और इससे राजस्थान को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद जागी है।
निर्यात रेल का राजस्थान बनेगा इंजन
राजस्थान को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद
ज्वैलरी, मार्बल, टैक्सटाइल, रेडीमेड गार्मेंट्स और हैण्डीक्रॉफ्ट्स उद्योग को लगेंगे पंख
यूरोप और अमेरिका के बायर्स ने चीन से बनाई दूरी
जयपुर। 2022 में राजस्थान के ज्वैलरी, मार्बल, टैक्सटाइल, रेडीमेड गार्मेंट्स और हैण्डीक्राफ्ट्स उद्योग को पंख लगने वाले है। कोरोना प्रकोप के चलते यूरोप और अमेरिका के बायर्स का झुकाव अब चीन से भारत की ओर हुआ है विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम और इससे राजस्थान को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद जागी है। राजस्थान से निर्यात होने वाले उत्पादों में ज्वैलरी, मार्बल एवं ग्रेनाइट, टैक्सटाइल उत्पाद, रेडीमेड गार्मेंट्स एवं मेड-अप्स तथा लकड़ी, लोहे और कपड़े से बने हैण्डीक्राफ्ट्स और फर्निचर प्रमुख हैं। ये उद्योग लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ ही देश के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जन का काम भी करते हैं और इस प्रकार प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। प्रदेश में ज्वैलरी के लिए जयपुर, मार्बल एवं ग्रेनाइट उद्योग के लिए किशनगढ़, मकराना व उदयपुर, टैक्सटाइल यार्न व कपड़ा उद्योग के लिए किशनगढ़ व भीलवाड़ा, रेडीमेड गार्मेंट्स एवं मेड-अप्स के लिए जयपुर तथा हैण्डीक्रॉफ्ट्स और फर्निचर के उत्पादन एवं निर्यात के लिए जयपुर और जोधपुर बड़े क्लस्टर्स हैं।
सरकार से अपेक्षा.
राज्य सरकार बहुप्रतीक्षित हैण्डीक्रॉफ्ट्स नीति घोषित करे और निर्यात उद्योगों के लिए प्रोडक्ट आधारित और आधारभूत सुविधाओं से संपन्न सस्ती दरों पर विशिष्ट औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना करे।
2. केंद्र सरकार राजस्थान में कम से कम दो मेगा टैक्सटाइल पार्क स्थापित करे।
3. अन्य राज्यों की भांति राजस्थान सरकार भी प्रदेश से निर्यात होने वाले कंटेनरों पर फ्रेट सब्सिडी दे।
4. केंद्र सरकार आरओडीटीईपी की दरों का तर्कसंगत निर्धारण करे और रुकी हुई इंट्रेस्ट सबवेन्शन स्कीम को शुरू करे।
राजस्थान से निर्यात.
वर्ष 2019-20- 49,946.09 करोड़ रुपए
वर्ष 2020-21- 52,764.31 करोड़ रुपए
वर्ष 2021-22- 60 हजार करोड़ रुपए लक्ष्य
राजस्थान वर्ष 2020-21 में सेक्टर में अधिक निर्यात.
टैक्सटाइल 5729 करोड़ रुपए
एग्रो एंड फूड प्रोसेसिंग 3740 करोड़ रुपए
जेम एंड ज्वैलरी 4067 करोड़ रुपए
इंजीनियरिंग 7781 करोड़ रुपए
मैटल 5300 करोड़ रुपए
स्टोन 4100 करोड़ रुपए
कैमिकल 5000 करोड़ रुपए
हैंडीक्रॉफ्ट 6200 करोड़ रुपए
रेडीमेड गारमेंट 1800 करोड रुपए
कोरोना की वजह से विश्व के विभिन्न भागों में लगने वाले लॉक डाउन से कंटेनर उपलब्धता और अप्रत्याशित रूप से बढ़े हुए माल भाड़े की विश्वव्यापी समस्या का गहरा प्रभाव प्रदेश के निर्यात पर भी पड़ा है और वर्ष 2021 में प्रदेश से हैण्डीक्रॉफ्ट्स निर्यात पिछड़ गया है, किन्तु मार्च 2022 के बाद इस समस्या का समाधान होने की आशा है।
नवनीत झालानी, कोऑर्डिनेटर, राजस्थान हैण्डीक्रॉफ्ट्स एक्सपोर्टर्स जॉइंट फोरम
राजस्थान में क्वार्टज के ग्रेन्यूल्स और पाउडर को मिलाकर रेजिन से पत्थर बनाया जा रहा है, जिसकी विदेशों में भारी मांग है। अभी इसकी ज्यादातर इकाइयां जयपुर जिले में अलग-अलग जगह बिखरी हुई हैं। राज्य सरकार अगर इस उद्योग को रिप्स योजना का लाभ दे और इसके लिए एक डेडिकेटेड इंडस्ट्रियल एरिया बना दे तो राजस्थान में यह उद्योग बहुत आगे बढ़ सकता है।
राकेश गुप्ता, वाइस-चेयरमैन, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ स्टोन्स
राजस्थान में हैंडीक्रॉफ्ट के क्षेत्र में जोधपुर हैंडीक्रॉफ्ट्स की भागीदारी सबसे मजबूत है। जोधपुर 2500 करोड़ रुपए के विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला हस्तशिल्प निर्यात उद्योग सरकार से 2022 में नई योजनाओं और रियायतों की अपेक्षा कर रहा है। आगामी बजट प्रावधानों ने उद्योग को नई गति मिलेगी।
डॉ. भरत दिनेश, अध्यक्ष, जोधपुर हैंडीक्रॉफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन
सरकार अगर बिजली की दरों में कमी करे तो राजस्थान में कई गुना निवेश बढ़ेगा, क्योंकि इस समय देशभर में सबसे महंगी बिजली की दरें राजस्थान में है। उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मिशन निर्यातक बनो राज्य सरकार की अनोखी पहल है, फिलहाल प्रदेश में 1 लाख 33 हजार निर्यातकों को आई सी कोड मिला है
सुरेश अग्रवाल, अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड इंडस्ट्री
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की बैठक भारत के लिए क्यों है खास? जानिए सबकुछ
स्विट्जरलैंड के डावोस में इस साल वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की मीटिंग 23 विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम से 26 जनवरी तक होगी, क्या है इस मीटिंग की खासियत
स्विट्जरलैंड के डावोस में इस साल वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग 23 से 26 जनवरी तक होगी. कहा जाता है कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग में पूरी दुनिया का आर्थिक एजेंडा तय होता है. इस बार की मीटिंग के बारे में 5 खास बातों की जानकारी हम यहां दे रहे हैं.
दो दशक बाद भारतीय पीएम बने हैं WEF का हिस्सा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को डावोस पहुंचे. करीब दो दशक बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग में शामिल हुआ है. 1997 में एच डी देवगौड़ा के बाद डावोस वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में शामिल होने वाले मोदी देश के दूसरे प्रधानमंत्री होंगे.
देवगौड़ा से पहले नरसिम्हा राव 1994 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में शामिल हुए थे. मोदी इस मंच का इस्तेमाल विदेशी निवेशकों को न्योता देने के लिए कर सकते हैं. पिछले हफ्ते ही मोदी सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल और दूसरे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में और ढील दी है. ऐसी पहल का जिक्र करके प्रधानमंत्री विदेशी निवेशकों से भारत में पैसा लगाने की अपील कर सकते हैं.
डावोस में ग्लैमर का तड़का
डावोस में ग्लैमर का तड़का भी रहता है. इस बार बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरूख खान भी वहां जा रहे हैं, जहां उन्हें क्रिस्टल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. उन्हें यह सम्मान देश में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का समर्थन करने के लिए दिया जा रहा है.
इससे पहले भारत से अमिताभ बच्चन, ए आर रहमान और शबाना आजमी समेत दूसरी हस्तियों को यह पुरस्कार मिल चुका है. हॉलीवुड एक्ट्रेस केट ब्लैंचेट और जाने-माने ब्रिटिश म्यूजिशियन सर एल्टन जॉन को भी इस बार सम्मानित किया जाएगा. केट को शरणार्थियों के लिए प्रतिबद्धता दिखाने की वजह से सम्मानित किया जा रहा है, जबकि सर जॉन को एचआईवी-एड्स पीड़ितों की मदद करने के लिए. डावोस में 22 जनवरी को एक समारोह में तीनों को सम्मानित किया जाएगा.