मूल्य अस्थिरता

जामिया मस्जिद विवाद: बजरंग दल की हाईकोर्ट में याचिका, मस्जिद को खाली कराया जाए
Srirangapatna Masjid Row: जामिया मस्जिद जिसे मस्जिद-ए-आला भी कहा जाता है, श्रीरंगपटना किले के अंदर स्थित है. इसे 1786-87 में टीपू के शासन के दौरान बनाया गया था.
Updated: November 17, 2022 11:38 AM IST
Srirangapatna Masjid Row: कर्नाटक में जामिया मस्जिद विवाद में उस एक नया मोड़ आ गया, जब बजरंग दल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इसे खाली करने की मांग की. जनहित याचिका में दावा किया गया है मूल्य अस्थिरता मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण किया गया है. बजरंग दल की याचिका में कहा गया है कि मांड्या जिले के ऐतिहासिक श्रीरंगपटना शहर में स्थित जामिया मस्जिद में हिंदू देवताओं और मंदिर की संरचना के निशान हैं. इसलिए इसे तुरंत खाली किया जाना चाहिए, साथ ही हिंदू भक्तों को यहां स्थित कल्याणी (पारंपरिक जल निकाय) में स्नान करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
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बजरंग दल के कार्यकतार्ओं ने ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर मस्जिद के दोबारा सर्वेक्षण की मांग की है. जनहित याचिका बजरंग दल के मूल्य अस्थिरता प्रदेश अध्यक्ष मंजूनाथ व 108 अन्य लोगों ने दायर की है. बजरंग दल के सूत्र बताते हैं कि हिंदू परंपरा में 108 नंबर को शुभ माना जाता है और इसलिए 108 भक्त पक्षकार बनाए गए हैं. बजरंग दल ने मैसूर गजेटियर, मस्जिद में हिंदू वास्तुकला, हिंदू मूर्तियों के शिलालेख, पवित्र जल निकाय और ब्रिटिश अधिकारियों के संदर्भों का प्रमाण भी अदालत को दिया है.
गौरतलब है कि जामिया मस्जिद जिसे मस्जिद-ए-आला भी कहा जाता है, श्रीरंगपटना किले के अंदर स्थित है. इसे 1786-87 में टीपू के शासन के दौरान बनाया गया था. मस्जिद में तीन शिलालेख हैं, इनमें पैगंबर मोहम्मद के नौ नामों का उल्लेख है. नरेंद्र मोदी विचार मंच की ओर से अधिकारियों मूल्य अस्थिरता से मस्जिद के सर्वेक्षण मांग की गई थी और कहा गया हनुमान मंदिर को तोड़कर जामिया मस्जिद का निर्माण किया गया था. (एजेंसी इनपुट्स)
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देखना है तो बड़े सपने देखो. बाल दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बच्चों की ऐसे हौसला अफजाई, दिया यह सुझाव
बाल दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बच्चों को एक खास सुझाव दी है। उन्होंने कहा है, ‘‘प्रत्येक नई पीढ़ी नई संभावनाएं और नए सपने लेकर आती है। यह प्रौद्योगिकी और सूचना क्रांति का नया युग है। बच्चे अब घरेलू, सामाजिक और पर्यावरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों से अवगत हैं।’’
फोटो सोर्स: ट्विटर @rashtrapatibhvn
Highlights बाल दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बच्चों मूल्य अस्थिरता को एक सुझाव दी है। उन्होंने बच्चों को कहा है कि वे नए एवं विकसित भारत के सपने देखें। यही नहीं उन्होंने अन्य लोगों को बच्चों से सीखने की भी सलाह दी है।
नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को बच्चों को बड़े सपने देखने तथा नए एवं विकसित भारत के सपने देखने का सुझाव देते हुए कहा कि वे परिणाम की चिंता किए बिना कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहें और उन्हें बड़ी सफलता जरूर मिलेगी।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति ने यह बात उस समय कही जब बाल मूल्य अस्थिरता दिवस के अवसर पर आज सुबह राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में बच्चे उनसे मिले आए थे।
राष्ट्रपति ने बच्चों को क्या दिया संदेश
राष्ट्रपति भवन के बयान के अनुसार, राष्ट्रपति ने बचपन को जीवन की सबसे खूबसूरत अवस्था बताया और कहा, ‘‘प्रत्येक नई पीढ़ी नई संभावनाएं और नए सपने लेकर आती है। यह प्रौद्योगिकी और सूचना क्रांति का नया युग है। बच्चे अब घरेलू, सामाजिक और पर्यावरण से जुड़े मूल्य अस्थिरता विभिन्न मुद्दों से अवगत हैं।’’
राष्ट्रपति ने आगे कहा, "काम के साथ-साथ आपको प्रकृति और पर्यावरण की भी चिंता करनी चाहिए, इनके बिना हम जीवित नहीं रह सकते, पर्यावरण साथ में लेकर आए है और पर्यावरण के साथ ही हमें जिना पड़ेगा। भविष्य आपका है और उसके निर्माता भी आप ही है। आप जैसा पर्यावरण को रखेंगे, ऐसे ही आप सबको, हम सबको रहना पड़ेगा।"
आज 'बाल दिवस' पर स्कूलों के बच्चों से मिल कर और उनके सपनों तथा विचारों को जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा।
मुझे यह देख कर प्रसन्नता हुई है कि उनकी नन्ही आंखों में देश के लिए बड़े-बड़े सपने हैं।
मेरी कामना है कि हमारे बच्चे कर्तव्य-मार्ग पर आगे बढ़ते रहें और उनके सपने साकार हों। pic.twitter.com/GZwKLKpK1a
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 14, 2022ऐसे में मुर्मू ने कहा कि प्रौद्योगिकी के प्रादुर्भाव से ज्ञान एवं सूचना अब उनकी अंगुलियों पर हैं, यानी आसानी से उपलब्ध हैं।
सभी को बच्चों से सिखने की भी दी सलाह
इस पर बोलते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा, ‘‘ऐसे में यह उनके (बच्चों के) लिए महत्वपूर्ण है कि हम उन्हें सही मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान करने का अधिक प्रयास करें और उन्हें विभिन्न गतिविधियों एवं चर्चाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित करें। हम स्वयं बच्चों से काफी कुछ सीख सकते हैं।’’
यही नहीं राष्ट्रपति ने बच्चों को बड़े सपने देखने और नए एवं विकसित भारत के सपने देखने का सुझाव दिया और कहा कि आज के सपने कल हकीकत बन सकते हैं।
अवैध खनन घोटाला: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मूल्य अस्थिरता अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया
रांची (एजेंसी/वार्ता): झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर जाने से पहले कहा कि वह ईडी के सभी सवालों का जबाव देने के लिए तैयार हैं। मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने आज अपने सरकारी आवास पर संवाददाता सम्मेलन में अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से इनकार किया और कहा कि ईडी की कार्रवाई से ऐसा लग रहा है जैसे मैं देश छोड़कर भागने वाला हूं।
उन्होंने कहा कि ईडी जैसी एजेंसी को जांच के बाद संवैधानिक पद पर रहने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह का आरोप लगाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ईडी को एक पत्र पहले भेजा है किस तरीके से 1000 करोड़ का घोटाला के बारे में नोटिस आया है क्योंकि पूरे राज्य में स्टोन चिप्स 1000 करोड़ रुपए मूल्य की नहीं होती है। उन्होंने कहा कि आरोप का आधार कैसे बना कैसे नहीं बना यह समझ से परे है। जो आरोप लगे हैं वह कहीं से भी संभव प्रतीत नहीं होता। सोरेन ने कहा कि वह ईडी दफ्तर जा रहे हैं और उनके हर सवालों का जवाब देंगे।
उन्होंने कहा कि पहले भी लिखित रूप से जवाब भेज दिया है। राज्य में अवैध माइनिंग की जांच ईडी कर रही है इस संबंध में एक पत्र ईडी को भेजा है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री है और एक संवैधानिक पद पर है लेकिन ऐसा लगता है कि मैं देश छोड़कर भागनेवाला हूं, केवल व्यवसायी ही देश छोड़कर भागे हैं कोई राजनेता नहीं।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र है। विपक्ष उनकी सरकार बनने के बाद से ही सरकार गिराने का षड्यंत्र कर रही है। उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्यपाल का चिट्ठी नहीं खुल रहा है और वह भी राजनीति कर रहे हैं तथा सरकार गिराने वालों को संरक्षण दे रहे हैं।
Demonetisation: नवंबर 2016 में क्यों की गई थी नोटबंदी? सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताई वजह
Demonetisation: केंद्र मूल्य अस्थिरता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस बात की जानकारी दी कि साल 2016 में नोटबंदी (Notebandi) का फैसला क्यों लिया गया था?
Updated: November 16, 2022 11:04 PM IST
Demonetisation: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस बात की जानकारी दी कि साल 2016 में नोटबंदी (Notebandi) का फैसला क्यों लिया गया था? केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि 2016 में की गई नोटबंदी बहुत सोच-विचार कर लिया गया फैसला था. यह जाली नोट, आतंकवाद के वित्तपोषण, कालेधन और कर चोरी जैसी समस्याओं से निपटने की बड़ी रणनीति का हिस्सा था. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर करने और नोटबंदी का यह निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ गहन विचार- विमर्श के बाद लिया गया था. इसके साथ-साथ नोटबंदी से पहले इसकी सारी तैयारियां कर ली गई थीं.
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केंद्र ने नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में दायर हलफनामे में यह बात कही है. इसमें केंद्र सरकार ने कहा, ‘नोटबंदी करना जाली करेंसी, आतंक के वित्तपोषण, काले धन और कर चोरी की समस्याओं से निपटने मूल्य अस्थिरता की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा और एक प्रभावी उपाय था. हालांकि यह केवल इतने तक सीमित नहीं था. परिवर्तनकारी आर्थिक नीतिगत कदमों की श्रृंखला में यह अहम कदमों में से एक था.’
इस मामले पर सुनवाई पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है. मामले की अगली सुनवाई अह 24 नवंबर को होगी. हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि नोटबंदी का निर्णय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की विशेष अनुशंसा पर लिया गया था. RBI ने इसके क्रियान्वयन के लिए योजना के मसौदे का प्रस्ताव भी दिया था. पीठ ऐसी 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें केंद्र के 8 नवंबर, 2016 को लिए गए नोटबंदी के फैसले को चुनौती दी गई है.
(इनपुट: भाषा)
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क्या पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आएंगे? जानिए पेट्रोलियम मंत्री ने क्या कहा
केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लगाती है तो राज्य सरकारें इसपर वैट और सेस यानी अतिरिक्त टैक्स लगाते हैं. यही वजह है कि देश अलग-अलग हिस्सों में पेट्रोल और डीजल के दामों में काफी अंतर होता है.
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के लिए तैयार है लेकिन इसपर राज्यों के सहमत होने की संभावना कम है.
पुरी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए राज्यों की सहमति जरूरी है और अगर राज्य इस दिशा में पहल करते हैं तो केंद्र भी इसके लिए तैयार है. उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले से ही इसके लिए तैयार रहे हैं. यह मेरी समझ है. हालांकि, दूसरा मुद्दा इसे लागू करने के तरीके का है. उस सवाल को वित्त मंत्री के समक्ष उठाया जाना चाहिए.’’
पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की लंबे समय से उठ रही मांग के बीच पेट्रोलियम मंत्री ने इस बात की आशंका जताई कि राज्यों के बीच इसपर सहमति बनने की संभावना कम ही है. उन्होंने कहा कि राज्यों के राजस्व का प्रमुख स्रोत शराब एवं पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाला कर ही होता है.
पुरी ने कहा, ‘‘यह समझना अधिक मुश्किल नहीं है कि राज्यों को इनसे राजस्व मिलता है. राजस्व पाने वाला आखिर उसे क्यों छोड़ना चाहेगा? सिर्फ केंद्र सरकार ही मुद्रास्फीति और अन्य बातों को मूल्य अस्थिरता लेकर फिक्रमंद रहती है.’’
उन्होंने केरल हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले को जीएसटी परिषद में उठाने का सुझाव दिया गया था लेकिन राज्यों के वित्त मंत्री इस पर तैयार नहीं हुए. उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक जीएसटी का सवाल है तो हमारी या आपकी इच्छाएं अपनी जगह हैं, हम एक सहकारी संघीय व्यवस्था का हिस्सा हैं.’’
पेट्रोल-डीजल पर 46 फीसदी टैक्स लगता है
केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लगाती है तो राज्य सरकारें इसपर वैट और सेस यानी अतिरिक्त टैक्स लगाते हैं. यही वजह है कि देश अलग-अलग हिस्सों में पेट्रोल और डीजल के दामों में काफी अंतर होता है. पेट्रोल और डीजल के बाजार मूल्य पर 46 फीसदी टैक्स लगता है.
पेट्रोल पर टैक्स
14 नवंबर, 2022 को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 96.72 रुपये और डीजल का भाव 89.62 रुपये है. एक लीटर पेट्रोल का बेस प्राइस 56.35 रुपये होता है. इसमें भाड़ा 20 पैसा लगता है. एक्साइज ड्यूटी अब 19.9 रुपये प्रति लीटर लगेगा. इस पर डीलर कमीशन 3.78 रुपये और वैट 15.17 रुपये कटेगा. कुल मिलाकर एक लीटर पेट्रोल के लिए आपको दिल्ली में 96.72 रुपये लीटर पड़ेगा.
डीजल पर टैक्स
14 नवंबर, 2022 को दिल्ली में एक लीटर डीजल की कीमत 89.62 रुपये लीटर है. इसमें बेस प्राइस 57.94 रुपये प्रति लीटर कटता है. इसमें भाड़ा 22 पैसे लगता है. अब एक्साइज ड्यूटी 15.8 रुपये लगेगा. डीलर कमीशन 2.57 रुपये और वैट 13.11 रुपये देना होगा. कुल मिलाकर एक आम आदमी को एक लीटर डीजल के लिए दिल्ली में 89.62 रुपये देने होंगे.
SBI ने भी दिया है GST के दायरे में लाने का सुझाव
इस साल मई में एसबीआई की एक रिपोर्ट में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण राजस्व में उतार-चढ़ाव के प्रभाव से बचने के लिए जीएसटी के तहत पेट्रोलियम पदार्थों को शामिल करने का सुझाव दिया गया था.
तेल कर ढांचे में जटिलताओं को कम करने और अस्थिर कच्चे तेल की कीमत के कारण तेल राजस्व में अत्यधिक अस्थिरता को कम करने का अंतिम समाधान इसे जीएसटी के दायरे में लाना होगा.
कीमतों में गिरावट के सवाल पर भड़के मंत्री
पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में गिरावट की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पुरी ने कहा, ‘‘मैं आपके सवाल से अचंभित हूं. पिछले एक साल में इनकी कीमतों में सबसे कम बढ़ोतरी शायद भारत में ही हुई है. मॉर्गन स्टेनली भी कह रहा है कि भारत दुनियाभर में एक सबसे बेहतर स्थिति में रहा है.’’
उन्होंने कहा कि भारत ने उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे कदम उठाकर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के असर से खुद को बचाये रखा है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं काल्पनिक सवालों के जवाब नहीं देता लेकिन केंद्र सरकार की कोशिश यही होगी कि कीमतें स्थिर बनी रहें.’’
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