जमा के लिए शुल्क

जमा के लिए शुल्क
खबरों के मुताबिक, नए नियमों के तहत भारतीय पोस्ट का इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक अब एक तय सीमा से अधिक पैसा जमा करने व निकालने के लिए अपने खाताधारकों से अतिरिक्त शुल्क वसूलेगा। बकौल खबर, नए शुल्क 1 अप्रैल 2021 से लागू होंगे। गौरतलब है कि अलग-अलग प्रकार के खातों के लिए शुल्क संबंधित नियम भी अलग होंगे।
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केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर का स्वचालन संबंधी ई- गवर्नेंस पोर्टल
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड का केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर का स्वचालन संबंधी ई- गवर्नेंस पोर्टल केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर करदाता के लिए उपलब्ध कराया गया है। आप उत्पाद शुल्क और सेवा कर के ऑनलाइन भुगतान के लिए ई-भुगतान सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं। एसीईएस ई-फाइलिंग परिपत्र, एसीईएस प्रमाणित सुविधा केंद्र योजना(सीएफसी), निर्धारिती संहिता पर भारतीय रिजर्व बैंक के परिपत्र इत्यादि के बारे में जानकारी दी गई है। आप चालान और.
रसद निदेशालय की वेबसाइट देखें
रसद निदेशालय केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड का संबद्ध कार्यालय है जिसके तीन प्रभाग है: तस्करी-विरोधी प्रभाग, समुद्रीय प्रभाग और संचार प्रभाग। आप निदेशालय के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप तस्करी विरोधी, समुद्री और दूरसंचार संबंधी परियोजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आयातक व निर्यातक पंजीकरण कोड की स्थिति पर नजर
प्रयोक्ता आयातकों व निर्यातकों के पंजीकरण कोड की स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं । व्यापार संबंधी कार्यकलापों की सुविधा के लिए केन्द्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा ऑनलाइन सुविधा प्रदान की जाती है।
अब बैंक में पैसे जमा करने पर भी लगेगा चार्ज, जानें कब से लागू होगा नियम और कितनी होगी फीस
नई दिल्ली। ग्राहकों की सुविधा के लिए बैंक कई तरह की सर्विसेज (Bank Services) देती हैं। जिनमें नेट बैंकिंग से लेकर एसएमस के जरिए बैलेंस चेक करना, एटीएम एवं चेक का इस्तेमाल आदि शामिल हैं। बैंक इन चीजों के बदले कस्टमर्स से कुछ चार्ज लेती है। ज्यादातर बैंकों की ओर से एटीएम से एक तय सीमा के ज्यादा रुपए विड्रॉल (Cash Withdrawl) पर अतिरिक्त शुल्क लिया जाता था। मगर यही नियम अब पैसों को जमा (Extra Charge On Deposit Money) करने पर भी लागू होगा। अब लोगों को बैंक खाते में ज्यादा बार रुपए जमा करने पर भी कुछ चार्ज का भुगतान करना पड़ेगा। ये नियम नवंबर से प्रभावी होगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने इस नियम को पहले ही लागू कर दिया है। ऐसे में चालू खाते, कैश क्रेडिट लिमिट और ओवरड्राफ्ट खाते से पैसे जमा और निकालने के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित की गई हैं। अगले माह से ग्राहक लोन खाते के लिए महीने में तीन बार के बाद जितनी बार भी पैसा निकालेंगे, उन्हें 150 रुपए देने होंगे। वहीं पैसा जमा करने को लेकर बैंक ऑफ इंडिया, पीएनबी, एक्सिस और सेंट्रल बैंक जैसे बड़े बैंक जल्द ही फैसला लेंगे।
तीन बार रहेगा फ्री
नए नियम के मुताबिक खाताधारकों के लिए तीन बार तक रकम जमा करना फ्री होगा, लेकिन अगर ग्राहकों ने चौथी बार या इसके बाद पैसे जमा किए, तो उन्हें 40 रुपए अतिरिक्त शुल्क चुकाना होगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी बैंकों ने इसमें कोई राहत नहीं दी है। हालांकि जनधन खाताधारकों को इसमें थोड़ी राहत दी गई है। उन्हें पैसा जमा करने पर कोई चार्ज नहीं देना होगा, लेकिन रुपए निकालने पर 100 रुपए देने होंगे।
जानें किन चीजों पर चुकाना होगा शुल्क
अगर कोई कस्टमर सीस, चालू व ओवरड्राफ्ट खाते में प्रतिदिन एक लाख रुपये तक जमा करते हैं, तो यह सुविधा निशुल्क होगी। मगर इससे ज्यादा पैसे जमा करने पर बैंक अतिरिक्त चार्ज लेगा। ऐसे खाताधारकों के एक लाख से ज्यादा जमा करने पर प्रति एक हजार रुपए पर एक रुपये चार्ज देना होगा। इसलिए न्यूनतम शुल्क 50 रुपए जबकि अधिकतम 20 हजार रुपए होगी। इसी तरह सीसी, चालू व ओवरड्राफ्ट खातों से एक महीने में तीन बार पैसे फ्री में निकाले जा सकते हैं। चौथी बार से प्रत्येक विड्रॉल पर उन्हें 150 रुपए चुकाने जमा के लिए शुल्क होंगे।
ICICI-Axis बैंक ग्राहकों को झटका! खाते में पैसा जमा करने पर लगेगा चार्ज, जानिए नए नियम के बारे में.
प्राइवेट सेक्टर के ICICI Bank और Axis Bank ने ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है. बैंक ने बताया कि अब से नॉन-बिजनेस ऑवर्स में और छुट्टियों के दिन कैश रिसाइकलर और कैश डिपॉजिट मशीन के जरिए पैसे जमा करने पर फीस देनी पड़ सकती है.
- News18Hindi
- Last Updated : November 03, 2020, 10:33 IST
नई दिल्ली:जमा के लिए शुल्क प्राइवेट सेक्टर के ICICI Bank और Axis Bank ने ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है. बैंक ने बताया कि अब से नॉन-बिजनेस आवर्स में और छुट्टियों के दिन कैश रिसाइकलर और कैश डिपॉजिट मशीन के जरिए पैसे जमा करने पर फीस देनी पड़ सकती है. CNBC TV की रिपोर्ट के मुताबिक, अब अगर आप छुट्टी वाले दिन या फिर बैंक के समय के अलावा कैश रिसाइकलर और कैश डिपॉजिट मशीन का इस्तेमाल करते हैं तो ग्राहकों से सुविधा शुल्क के रूप में 50 रुपए चार्ज लिया जाएगा. बैंक के नोटिफिकेशन के मुताबिक, ICICI Bank छुट्टियों के दिन और वर्किग डेज में शाम 6 बजे से सुबह 8 बजे तक ग्राहकों से सुविधा शुल्क के रूप में 50 रुपए लेगा.
इन खातों पर नहीं लिया जाएगा चार्ज
CNBC TV की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक ने बताया कि सीनियर सिटीजन्स, बेसिक सेविंग्स बैंक अकाउंट, जनधन अकाउंट्स, अक्षम और दृष्टिबाधित खातों और स्टूडेंट्स जमा के लिए शुल्क के खातों पर इस तरह का कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा.
BoB ने शुरू लगाया ये शुल्क
रिपोर्टों के मुताबिक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी 1 नवंबर से अपने ग्राहकों को निर्धारित सीमा से अधिक लेनदेन के लिए शुल्क देना शुरू कर दिया है. बैंक ने बताया कि करंट अकाउंट/ओवरड्राफ्ट/सीसी से बेस ब्रांच, लोकल नॉन बेस ब्रांच और आउटस्टेशन ब्रांच के जरिए अब एक माह में 3 बार कैश निकालना फ्री है. वहीं, चौथी बार से 150 रुपए प्रति ट्रांजेक्शन का चार्ज लगेगा.
BoB ने पैसे जमा करने पर लगाया चार्ज
करंट अकाउंट/ओवरड्राफ्ट/कैश क्रेडिट/अन्य अकाउंट्स के लिए बेस व लोकल नॉन बेस ब्रांच में 1 नवंबर से कैश हैंडलिंग चार्ज, प्रतिदिन प्रति अकाउंट 1 लाख रुपये से ज्यादा कैश जमा करने पर प्रति 1000 रुपए पर 1 रुपए रहेगा.
एक्सिस बैंक ने भी 1 अगस्त से लगाया सुविधा शुल्क
इस साल की शुरुआत में, एक्सिस बैंक ने भी बैंकिंग और राष्ट्रीय और बैंक की छुट्टियों के बाद नकद जमा लेनदेन पर 50 रुपये की सुविधा शुल्क लगाना शुरू किया. यह सुविधा शुल्क एक अगस्त से प्रभावी हो गया था.
तीन बार मुफ्त होगी निकासी
रिपोर्ट के मुताबिक, कहा जा रहा है कि एक महीने में तीन बार निकासी मुफ्त होगी लेकिन इसके बाद 150 रुपए के फ्लैट शुल्क पर निकासी लेनदेन शुल्क लगाया जाएगा. इसी तरह, एक महीने में तीन बार जमा मुफ्त होगा लेकिन इसके बाद प्रत्येक लेनदेन पर 40 रुपए का शुल्क लगाया जाएगा.
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सूचना के बदले कितना शुल्क
सूचना का अधिकार क़ानून के तहत जब आप कोई सूचना मांगते हैं तो कई बार आपसे सूचना के बदले पैसा मांगा जाता है। आपसे कहा जाता है कि अमुक सूचना इतने पन्नों की है और प्रति पेज की फोटोकॉपी शुल्क के हिसाब से अमुक राशि जमा कराएं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें लोक सूचना अधिकारी ने आवेदक से सूचना के बदले 70 लाख रुपये तक जमा कराने को कहा है। कई बार तो यह भी कहा जाता है कि अमुक सूचना काफी बड़ी है और इसे एकत्र करने के लिए एक या दो कर्मचारी को एक सप्ताह तक काम करना पड़ेगा, इसलिए उक्त कर्मचारी के एक सप्ताह का वेतन आपको देना होगा। ज़ाहिर है, सूचना न देने के लिए सरकारी बाबू इस तरह का हथकंडा अपनाते हैं। ऐसी हालत में यह ज़रूरी है कि आरटीआई आवेदक को सूचना शुल्क से संबंधित क़ानून के बारे में सही और पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि कोई लोक सूचना अधिकारी आपको बेवजह परेशान न कर सके। इस अंक में हम आपको आरटीआई फीस और सूचना के बदले दिए जाने वाले शुल्क के बारे में बता रहे हैं। यह सही बात है कि सूचना कानून की धारा 7 में सूचना के एवज़ में फीस की व्यवस्था बताई गई है, लेकिन धारा 7 की ही उप धारा 1 में लिखा गया है कि यह फीस सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी। इस व्यवस्था के तहत सरकारों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने विभिन्न विभागों में सूचना के अधिकार के तहत दिया जाने वाला शुल्क आदि तय करेंगी। केंन्द्र और राज्य सरकारों ने इस अधिकार के तहत अपने-अपने यहां फीस नियमावली बनाई है और इसमें स्पष्ट किया गया है कि आवेदन करने से लेकर फोटोकॉपी आदि के लिए कितनी-कितनी फीस ली जाएगी। इसके आगे धारा 7 की उपधारा 3 में लोक सूचना अधिकारी की ज़िम्मेदारी बताई गई है कि वह सरकार द्वारा तय की गई फीस के आधार पर गणना करते हुए आवेदक को बताएगा कि उसे सूचना लेने के लिए कितनी फीस देनी होगी। उपधारा 3 में लिखा गया है कि यह फीस वही होगी जो उपधारा 1 में सरकार द्वारा तय की गई होगी। देश के सभी राज्यों में और केंद्र सरकारों ने फीस नियमावली बनाई है और इसमें आवेदन के लिए कहीं 10 रुपये का शुल्क रखा गया है तो कहीं 50 रुपये। इसी तरह दस्तावेज़ों की फोटोकॉपी लेने के लिए भी 2 रुपये से 5 रुपए तक की फीस अलग-अलग राज्यों में मिलती है। दस्तावेज़ों के निरीक्षण, काम के निरीक्षण, सीडी, फ्लॉपी पर सूचना लेने के लिए फीस भी इन नियमावालियों में बताई गई है। धारा 7 की उप धारा 3 कहती है कि लोक सूचना अधिकारी यह गणना करेगा कि आवेदक ने जो सूचना मांगी है वह कितने पृष्ठों में है, या कितनी सीडी, फ्लॉपी आदि में है। इसके बाद लोक सूचना अधिकारी सरकार द्वारा बनाई नियमावली में बताई गई दर से यह गणना करेगा कि आवेदक को सूचना लेने के लिए कुल कितनी राशि जमा करानी होगी। इसके लिए किसी लोक सूचना अधिकारी को यह अधिकार कतई नहीं दिया गया है कि वह मनमाने तरीके से फीस की गणना करे और आवेदक को मोटी रकम जमा कराने के लिए दवाब में डाले। ऐसे में जो भी लोक सूचना अधिकारी मनमाने तरीक़े से अपनी सरकार द्वारा तय फीस से कोई अलग फीस आवेदक से मांगते हैं, वह ग़ैरक़ानूनी है। इसी के साथ एक आवेदक को यह भी पता होना चाहिए कि सूचना क़ानून के प्रावधानों के मुताबिक़ अगर लोक सूचना अधिकारी मांगी गई सूचना तय समय समय के अंदर (30 दिन या जो भी अन्य समय सीमा हो) उपलब्ध नहीं कराता है तो आवेदक से सूचना देने के लिए कोई शुल्क नहीं मांग सकता। इसके आवेदक को जब भी सूचना दी जाएगी वह बिना कोई शुल्क लिए दी जाएगी।
हमें यह हमेशा याद रखना होगा कि लोक सूचना अधिकारी या कोई भी अन्य सरकारी कर्मचारी आम आदमी के टैक्स से वेतन लेने वाला व्यक्ति है। उसे यह वेतन दिया ही इसलिए जाता है कि वह आम आदमी के लिए बनाए गए विभिन्न क़ानूनों का पालन करते हुए कार्य करे। ऐसे में किसी एक क़ानून के पालन के लिए उसका वेतन किसी व्यक्ति विशेष से मांगना व्यवस्था की आत्मा के ही खिला़फ है। हमें उम्मीद है कि आप सभी पाठकों के लिए यह जानकारी काफी मददगार साबित होगी। और, आपलोग जम कर आरटीआई क़ानून का इस्तेमाल करते रहेंगे।