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मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए

मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए

मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए?

हमारे शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के लिए अलग-अलग पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है और एक ही तरह का भोजन सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान नहीं कर सकता। इसलिए, हमें अपने शरीर को तंदुरुस्त रखने के लिए उचित अनुपात में अलग-अलग किस्म का भोजन खाना चाहिए। हमारे शरीर की तंदुरुस्ती में हर पोषक तत्व की एक अनोखी भूमिका होती है (उदाहरण के लिए, कार्बोहाइड्रेट्स हमें तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं जबकि प्रोटीन ऊत्तकों के विकास और मरम्मत में मदद करते हैं)।

इसी तरह, हमें अपनी वित्तीय बेहतरी के लिए जीवन में एक संतुलित निवेश पोर्टफोलियो की ज़रूरत होती है। पोर्टफोलियो के भीतर, हमें ऐसी अलग-अलग किस्म की संपत्तियों (एसेट्स) के मिश्रण की ज़रूरत होती है जो हमारे आहार में विभिन्न पोषक तत्वों की तरह अलग-अलग भूमिकाएं निभाते हैं। वित्तीय सुरक्षा और खुशहाली के लिए किसी मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए भी व्यक्ति को हमेशा अलग-अलग किस्म की संपत्तियों में निवेश करना चाहिए जैसे इक्विटी, निश्चित आय, सोना और रीयल-एस्टेट। व्यक्तिगत निवेशकों को कुछ एसेट क्लासेज़ में सीधे निवेश करना मुश्किल लग सकता है जैसे निश्चित आय, जिसमें बॉन्ड्स और मुद्रा बाज़ार के साधन शामिल हैं। इसके बजाय, वे डेट फंड्स में निवेश कर सकते हैं जो ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। वे कम लेकिन तुलनात्मक रूप से स्थिर रिटर्नदेते हैं, इसलिए वे आपके इक्विटी, सोने और रीयल-एस्टेट निवेश के पोर्टफोलियो को संतुलन प्रदान करते हैं।

Mutual Funds : सीख लें अपने पोर्टफोलियो को री-बैलेंस करना, कभी नहीं होगा नुकसान!

आपको अपना म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो री-बैलेंस करना आना चाहिए.

आपको अपना म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो री-बैलेंस करना आना चाहिए.

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना सही जरूर है, लेकिन ये भी किसी आर्ट से कम नहीं है. आपको अपना म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो री-ब . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 08, 2022, 14:24 IST

हाइलाइट्स

तीन तरीकों से री-बैलेंस किया जाता है म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो.
पीरियोडिक री-बैलेंसिंग, और डीविएशन आधारित री-बैलेंसिंग दो तरीके हैं.
पीरियोडिक और डीविएशन दोनों को मिलाकर एक तीसरा तरीका बनता है.

नई दिल्ली. म्यूचुअल फंड्स मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए में निवेश करने के कुछ साल बाद निवेशकों के सामने 2 समस्याएं आती हैं. पहली यह है कि अपने पोर्टफोलियो को कब और कैसे री-बैलेंस (Rebalance) किया जाए? दूसरी मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए यह है कि कैसे अपने पोर्टफोलियो में स्कीम्स की संख्या को कम करके इसे क्लीन किया जाए. जबकि आप इन दोनों चीजों को स्वतंत्र रूप से करने की कोशिश कर सकते हैं, आइए यह समझने की कोशिश करें कि आप इन दोनों को एक-साथ कैसे अचीव किया जा सकता है.

इसे समझाने के लिए हम एक आसान-सा उदाहरण लेंगे. मान लीजिए आपने 60:40 इक्विटी-डेट आवंटन के साथ निवेश करना शुरू किया. लेकिन 2-3 अच्छे वर्षों के बाद आपका इक्विटी के लिए आवंटन 74:26 तक पहुंच गया. मतलब, आपके इक्विटी आवंटन का मूल्य 60 प्रतिशत बढ़ गया है. बाजार बढ़ा और इक्विटी में अब आपके पोर्टफोलियो का 74 प्रतिशत हिस्सा लगा है. साथ ही, चूंकि आप कई वर्षों से निवेश कर रहे हैं तो आपके पोर्टफोलियो में 11 इक्विटी फंड और 4 डेट फंड हो चुके हैं.

बता दें कि री-बैलेंसिंग मूल रूप से तय किए गए एसेट आवंटन की समीक्षा करने और उन्हें वैसे ही फिर से बहाल करने से जुड़ा है. इस केस में, इक्विटी पोर्टफोलियो के 74 प्रतिशत तक बढ़ गई है और इसलिए, आप इसे 60 प्रतिशत पर वापस लाना चाह सकते हैं, जैसा कि आपने शुरू में किया था. इसका मतलब ये हुआ कि इक्विटी से 14 फीसदी बेचकर उस पैसे को डेट फंड्स में डाल देना.

तीन तरीकों से री-बैलेंस किया जाता है पोर्टफोलियो

नंबर 1: पीरियोडिक री-बैलेंसिंग (Periodic rebalancing)
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इसे एक अवधि के बाद री-बैलेंस किया जाता है. इसे साल में एक बार किया जा सकता है. कुछ लोग इसे इसे अर्धवार्षिक करते हैं. लेकिन, आमतौर पर इसे एक साल में एक बार करना अच्छा माना जाता है.
नंबर 2: डीविएशन आधारित री-बैलेंसिंग (Deviation-based rebalancing)
यदि आपका आवंटन पहले से निर्धारित सहिष्णुता बैंड (Tolerance band) से अधिक डीविएट हो जाए तो इसे तरीके से बैलेंसिंग होती है. मान लीजिए कि टोलरेंस बैंड +/- 5 प्रतिशत है. तो, 60-40 के सीन में, यदि आपका पोर्टफोलियो 55 प्रतिशत मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए से नीचे या 65 प्रतिशत से ऊपर चला जाता है, तो इसे पुनर्संतुलित करना होगा.
नंबर 3: दोनों में से सर्वश्रेष्ठ को चुनना
तीसरा विकल्प उपरोक्त दोनों को मिलाना है. निवेशक समय-समय पर समीक्षा करता है (मान लीजिए अर्ध-वार्षिक), लेकिन पुनर्संतुलन तभी होता है जब वह टोलरेंस बैंड से अधिक बदल जाता है. मेरी नजर में यह सबसे अच्छा मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए विकल्प है.

हम अपने उदाहरण पर वापस आते हैं. पोर्टफोलियो 60-40 से 74-26 पर आ गया है और इसे पुनर्संतुलित करने की जरूरत है. चूंकि प्रत्येक पोर्टफोलियो अपने आप में यूनिक और अलग है तो इसलिए अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने के बारे में कुछ दिशानिर्देश यहां दिए गए हैं-

क्या आपको वाकई ज्यादा लार्ज-कैप फंड्स की जरूरत है?
बहुत से ऐसे साक्ष्य हैं जो ये बताते हैं कि लार्ज कैप फंड्स के लिए अपने बेंचमार्क इंडेक्स को बीट करना अथवा उससे ज्यादा रिटर्न देना मुश्किल होता है. तो यह देखें कि आपने कितने लार्ज कैप फंड्स में निवेशक किया है और आपके पोर्टफोलियो पोर्टफोलियो में ऐसे कितने फंड हैं.

आप एक्टिव लार्ज-कैप फंड्स से धीरे-धीरे बाहर निकल सकते हैं. केवल इंडेक्स फंड्स के जरिए लार्ज-कैप में निवेश करना समझदारी है. किसी भी मामले में, अधिकांश एक्टिव लार्ज-कैप और इंडेक्स फंडों में ओवरलैपिंग पोर्टफोलियो होते हैं. इसलिए, बेहतर होगा कि धीरे-धीरे इनसे छुटकारा पाएं और लार्ज-कैप एक्सपोजर के लिए 1-2 इंडेक्स फंड रखें.

मिड और स्मॉल-कैप स्पेस वह जगह है, जहां एक्टिव फंड्स अभी भी एक अच्छा दांव हैं. लेकिन इन दोनों कैटेगरीज़ में बहुत ज्यादा स्कीमों का होना जरूरी नहीं है. जब तक आपके पास एक बड़ा पोर्टफोलियो न हो, इन दोनों श्रेणियों में से प्रत्येक में अपने आप को 1-2 फंड तक सीमित रखें. साथ ही, अधिकांश लोगों को स्मॉल-कैप फंडों की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इनमें रिस्क ज्यादा होता है.

डुप्लीकेट से बचें
म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक सबसे बड़ा कारण विविधीकरण है. 5,000 रुपये (अधिकांश योजनाओं में न्यूनतम निवेश) के लिए, आपकी म्यूचुअल फंड योजना 30-60 शेयरों में विविधता ला सकती है. लेकिन अगर आपके पास एक ही प्रकार की म्यूचुअल फंड योजनाएं हैं, जैसे, 3-4 फ्लेक्सी-कैप फंड, तो आप पाएंगे कि आपके पोर्टफोलियो में एक जैसे ही स्टॉक हैं, जोकि अच्छा नहीं है.

अपने डेट फंड को न भूलें
डेट फंड आपके समग्र पोर्टफोलियो में इक्विटी फंड की तरह ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अपने डेट फंड पर भी नजर रखें. चूंकि डेट फंड मामूली दर से बढ़ते हैं, इसलिए वे आपके एसेट एलोकेशन को इक्विटी फंड के रूप में बड़े स्तर पर नहीं बदलेंगे. लेकिन ऐसे समय में, जब ब्याज दरें बढ़ रही हैं या अपने चरम पर हैं, डेट फंड आपके पोर्टफोलियो में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जब दरें गिरती हैं, जब ब्याज दर चक्र उलट जाता है, तो डेट फंड आपके पोर्टफोलियो को सहारा देते हैं.

खराब फंड्स से छुटकारा पाएं
फंड का उसके साथ की अन्य कंपनियों और उसके अपने बेंचमार्क का रिटर्न जरूर ट्रैक करें. यदि कोई फंड लगातार खराब प्रदर्शन करता है, तो उससे छुटकारा पाएं. अपने पोर्टफोलियो में 5-7 प्रतिशत वेटेज (या उससे कम) वाले फंड निकालें. ये ऐसे फंड हैं जिन्हें आपने कुछ समय पहले निवेश किया होगा, या जिसमें आपने अपनी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) बंद कर दिया है. या आपने अतीत में एक छोटी तदर्थ राशि का निवेश किया होगा. कुल पोर्टफोलियो रिटर्न को प्रभावित करने के लिए इनका आवंटन बहुत कम है, इसलिए उनसे छुटकारा पाने में ही भलाई है.

उपरोक्त कदम न केवल आपके पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करने में मदद करेंगे, बल्कि फंड की संख्या को कम करने और इसे व्यवस्थित करने में भी मददगार होंगे.

नोट : इसके लेखक DEV ASHISH एक SEBI रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर (RIA) हैं. वे StableInvestor के संस्थापक हैं.

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समझें डेट फंड्स में निवेश की ये खास रणनीति, कम जोखिम में मिलेगा ऊंचा रिटर्न

ब्याज दरों की चाल के हिसाब से तय करें डेट म्युचुअल फंड में निवेश की रणनीति, कम जोखिम में मिलेगा ऊंचा रिटर्न

समझें डेट फंड्स में निवेश की ये खास रणनीति, कम जोखिम में मिलेगा ऊंचा रिटर्न

गुड़गांव की कनिका फैशन डिजाइनर हैं. कामकाज में वे इतनी बिजी रहती हैं कि अपने लिए तक वक्त नहीं निकाल पातीं. यही वजह है कि इन्वेस्टमेंट (investment) का नाम आते ही कनिका के हाथ-पैर फूलने लगते हैं. अपनी व्यस्तता के चलते कनिका बाजार (stock market) के रिस्क से दूर रहना ही ठीक समझती हैं. इसीलिए उन्होंने पैसा डेट म्यूचुअल फंड्स (debt mutual funds) में लगाया है. यानी रिस्क भी नहीं और ठीक-ठाक रिटर्न भी. हाल में उन्हें किसी ने बताया कि डेट म्यूचुअल फंड्स में भी इन्वेस्टमेंट की स्ट्रैटेजी होती है. अब ये बात कनिका को पता नहीं थी. आखिर, डेट जैसे प्लेन कॉन्सेप्ट में क्या स्ट्रैटेजी हो सकती है? कनिका फंस चुकी थीं. सोचा, जिस माथापच्ची से बच रही थी, अब वही करनी पड़ेगी. खैर, कनिका की दोस्त प्रिया एक सर्टिफाइड प्लानर है. बस कनिका वीकेंड पर सीधे प्रिया के घर जा पहुंची.

क्या है डेट फंड्स का फंडा

कनिकाः यार प्रिया ये बताओ डेट फंड्स का क्या फंडा है?

प्रियाः क्यों तूने क्या इनमें पैसा लगाया हुआ है?

प्रियाः रुक कॉफी बनाती हूं और…तुझे इंटरेस्ट रेट्स का चक्कर तो पता ही होगा.

प्रियाः कोई ना. इसे समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है.

कनिकाः मेरे लिए रॉकेट साइंस जैसा ही है.

प्रियाः कॉफी विद प्रिया में आज खुलेंगे इंटरेस्ट रेट के राज..हाहाहा

‘कॉफी विद प्रिया’ में आसान भाषा में समझें काम की बात

प्रियाः देख…इंटरेस्ट रेट्स के साथ दो बातें हो सकती हैं. या रेट ऊपर जाएंगे या गिरेंगे.

कनिकाः ठीक है. बात आई समझ में. वैसे कॉफी शानदार है.

प्रियाः थैंक्स, तो अब दोनों केस में तुझे अलग-अलग स्ट्रैटेजी की जरूरत पड़ सकती है.

कनिकाः अच्छा. मतलब रेट्स के हिसाब से फैसला लेना होगा.

प्रियाः करेक्ट. अब देख. अभी ब्याज दरें लो लेवल पर हैं.

तो इस बात के ज्यादा आसार हैं कि अगली तिमाहियों में रिजर्व बैंक महंगाई रोकने के लिए ब्‍याज दरें बढ़ाए.

कनिकाः ओके. अब इसमें क्या करना चाहिए?

प्रियाः ऐसे माहौल में लोगों को ऐसे डेट म्‍यूचुअल फंड में पैसे लगाने चाहिए जिनका मैच्‍योरिटी पीरियड कम हो.

प्रियाः एक्सपर्ट की राय तुझे बताती हूं.

क्या है बाजार के जानकार की राय

ITI म्‍यूचुअल फंड के CEO CIO जॉर्ज हेबर जोसेफ कहते हैं, “जब दरें बढ़ती हैं तो कम मैच्‍योरिटी पीरियड वाले फंड फायदेमंद होते हैं और इसी तरह ब्‍याज दरें घटने के मामले में यह उलटा होता है. इसलिए बढ़ते ब्‍याज दर के माहौल में लिक्‍विड फंड, अल्‍ट्रा शॉर्ट फंड, लो ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड, शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड तार्किक रूप से फायदा पहुंचाते हैं.”

ब्याज दर गिरने पर क्या करें?

कनिकाः wow…. अच्छा अगर ब्याज दरों में गिरावट दिख रही हो तो क्या करूं?

प्रियाः कोविड के वक्त तूने देखा था कि इंटरेस्ट रेट्स में तेज गिरावट आई थी.

कनिकाः हां. याद है मुझे

प्रियाः तो उस वक्त लंबी ड्यूरेशन वाले डेट म्‍यूचुअल फंड्स को फायदा हुआ.

ऐसे ज्‍यादातर फंड्स में डबल डिजिट रिटर्न मिला.

ले‍किन तब में कम अवध‍ि वाले म्‍यूचुअल फंड्स को नुकसान हुआ.

कनिकाः इससे क्या सबक मिला?

प्रियाः इसका सबक ये है कि जब ब्याज दरें गिरती दिख रही हों तो 4 से 6 साल या इससे ज्‍यादा की लंबी अवध‍ि वाले डेट म्‍यूचुअल फंड में पैसा लगा दे.

मसलन, मीडियम ड्यूरेशन फंड, मीडियम से लॉन्ग-ड्यूरेशन फंड, लॉन्‍ग-ड्यूरेशन फंड बेहतर प्रदर्शन करते हैं.

60 फीसदी पैसा इक्विटी में डालें, बाकी गोल्ड, कैश और शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में : ये है निवेश का फॉर्मूला

सही निवेश बाजार के गिरने या बढ़ने से परेशानी पैदा नहीं करता. (फोटो- shutterstock)

iThought नामक एक कंपनी बनाने वाले श्याम शेखर अब निवेश जगत के जाने माने नाम हैं. उन्होंने निवेश से जुड़े कई सवालों के अह . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 13, 2022, 14:12 IST

हाइलाइट्स

iThought के संस्थापक श्याम शेखर ने बताया निवेश का फॉर्मूला.
शेखर ने बताया मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए लार्ज कैप में निवेश करना चाहिए या स्माल कैप में?
स्माल कैप फंड्स को लेकर उन्होंने जो कहा, वह काफी महत्वपूर्ण.

नई दिल्ली. निवेश की सलाह देने वालों की दुनिया में श्याम शेखर आज एक बड़ा नाम है, लेकिन यह नाम हमेशा से इतना पॉपुलर नहीं था. श्याम शेखर ने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में निवेश के बारे में बड़ी जबरदस्त सलाह दी है. उन्होंने लाखों की बात, बातों-बातों में ही शेयर कर दी है. हम आज आपको उनकी बेशकीमती सलाह के बारे में बताएंगे, लेकिन उससे पहले थोड़ा-सा श्याम शेखर के बारे में भी बता दें.

श्याम शेखर ने अपने प्रोफेशनल जीवन के पहले 22 साल बिलकुल अलग ही काम में लगाए. वे पेंट फॉर्मूलेटर और टेक्नोलॉजिस्ट थे और उनका पेंट (Paint) बनाने का बिजनेस था. लेकिन शेखर हमेशा से इक्विटी और शेयर बाजार में रुचि रखते थे. तमिलनाडु के जिस क्षेत्र में वह रहते थे, वहां उन दिनों शेयर बाजार में निवेश को बहुत इज्जत या सम्मान वाला काम नहीं माना जाता था. लोग निवेश के लिए इंश्योरेंस स्कीम और FD पर भरोसा करते थे.

शेखर 1990 में जब ग्रेजुएट हुए तो उन्होंने अपनी सेविंग्स के साथ ट्रेडिंग की शुरुआत की. समय बीता तो इक्विटी के साथ उनका प्यार और गहरा होता चला गया. 2 दशकों साथ पेंट का बिजनेस करने वाले शेखर ने अपने प्यार (इक्विटी में काम) को ज्यादा तवज्जो देते हुए 2010 में वेल्थ मैनेजमेंट का काम शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी कंपनी का नाम रखा आईथॉट (iThough). शुरुआती वर्षों में iThought म्यूचुअल फंड्स और दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश के लिए लोगों की मदद करती थी. 2016 में उनकी कंपनी को लाइसेंस मिल गया और वे एक रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर बन गए. 2019 में उन्हें पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) का लाइसेंस भी मिल गया. वे मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए चेन्नई के इन्वेस्टर क्लब का हिस्सा बने और बाद में तमिलनाडु इन्वेस्टर्स एसोसिएशन के अध्यय भी रहे… उनका यह सफर जारी है. मनीकंट्रोल के कुछ सवाल और शेखर द्वारा किए गए उनके जवाब कुछ यूं हैं-

सवाल: मार्केट इस वर्ष में काफी वोलाटाइल रही है. सेंसेक्स 60 हजार के ऊपर निकला और फिर गिरकर 51 हजार के आसपास आ गया. क्या यह समय निवेश के लिए सही है?
जवाब: हां. आपको अवश्य ही निवेश करना चाहिए, क्योंकि “इंतज़ार” की रणनीति ज्यादातर फ्लॉप ही होती है. निवेश करना और फिर इंतज़ार करना अच्छी रणनीति है. हां, आप कुछ पैसा बचाकर रख सकते हैं, ताकि बाजार के गिरने पर आप उसमें निवेश कर पाएं.

सवाल: यदि मेरे पास 10 लाख रुपये हैं, तो आप उस पैसे को कहां निवेश करने की सलाह देंगे? आप मोटे तौर पर हमें समझा सकते हैं.
जवाब: 60 फीसदी पैसा इक्विटी में डालिए. बाकी गोल्ड, कैश और शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में रखिए.

सवाल: विदेशों में निवेश इन दिनों काफी चर्चा में है. क्या आप इंटरनेशनल स्टॉक्स में निवेश की सलाह नहीं देंगे?
जवाब: जब मैंने 60 फीसदी हिस्सा इक्विटी में निवेश के लिए कहा है, उसमें 10 फीसदी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डालने की सलाह भी शामिल है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सिर्फ अमेरिकी बाजारों में. बाकी के बाजारों पर जियो-पॉलिटिकल प्रेशर काफी ज्यादा असर डाल रहा है. दूसरा, आप सभी बाजारों को ट्रैक भी नहीं कर सकते, क्योंकि वहां की सरकार और उसकी रणनीतियों को समझना मुश्किल होता है.

सवाल: क्या भारत में अब भी अच्छी बड़ी और छोटी कंपनियां खोजना आसान काम है?
जवाब: भारत में लार्ज कंपनियां खोजना बहुत आसान है, लेकिन छोटी और अच्छी कंपनियां खोजना उतना ही मुश्किल. क्योंकि जो बिजनेस हम देखते हैं, उसकी वैल्यूएशन पहले से ही काफी बढ़ी हुई होता है. दूसरा, छोटी कंपनियों में अगर वैल्यूएशन कम भी हो तो लिक्विडिटी की समस्या पैदा हो जाती है. लिक्विडिटी का न होना एक बड़ी प्रॉब्लम है.

यही वजह है कि कई मिड-कैप और स्माल-कैप कंपनियों की इम्पैक्ट कॉस्ट ज्यादा होती है. आपको इस इम्पैक्स कॉस्ट के बारे में सावधान रहना चाहिए. यह किसी भी स्टॉक को खरीदने के लिए दिया गया अतिरिक्त पैसा है. इसलिए ही कई एक्सपर्ट कहते हैं कि स्माल-कैप और मिड-कैंप कंपनियों को आपको म्यूचुअल फंड्स के जरिए खरीदना चाहिए. यहां समस्या इतनी-सी है कि अच्छा करने वाले फंड्स लगातार बढ़ते रहते हैं, क्योंकि निवेशक उन्हें चेज़ करते हैं. जब तक आप समझते हैं, तब तक स्माल और मिड कैप फंड, बड़े (लार्ज) हो चुके होते हैं.

आपने देखा होगा, स्माल कैप फंड्स में लोग ज्यादा निवेश करते हैं. उन्हें लगता है कि ये लार्ज कैप के मुकाबले बेहतर रिटर्न देंगे. लेकिन जरूरी नहीं कि यह सोच हमेशा सही हो. आज, भारतीय स्माल कैप कंपनियों की वैल्यूएशन दूसरे बाजारों की स्माल कैप कंपनियों से अधिक है. आपको स्माल कैप शेयर तब खरीदने चाहिएं, लेकिन जब वे काफी कम कीमत पर मिल रहे हों. इस तरह आपको ज्यादा रिटर्न मिलता है. यही मेरा अनुभव भी है.

लोग स्माल कैप कंपनियों में जमकर पैसा डाल रहे हैं, ताकि वे अपना पोर्टफोलियो बना सकें. स्माल कैप कंपनियों में निवेश करने का यह सही तरीका नहीं है. यही वजह है कि मैं स्माल कैप्स को लेकर अतिरिक्त सावधान रहता हूं. मैं ऐसे बिजनेसेज़ में निवेश करता हूं, जहां मुझे ज्यादा इम्पैक्ट कॉस्ट न लगाकर भाग लेने का मौका मिले. स्माल कैप स्टॉक्स की दुनिया बड़ी संकरी और भीड़भरी है. यहां किसी भी समय भगदड़ मच सकती है.

इस इंटरव्यू में श्याम शेखर ने और भी कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी है, जैसे कि एक अच्छा पोर्टफोलियो कैसे बनाएं, ब्याज दरें बढ़ने पर क्या करें, और महंगाई से पार कैसे पाएं. इस सभी प्रश्नों के उत्तर हम कल (शुक्रवार) को छापेंगे. उम्मीद करते हैं कि आप एक सॉलिड पोर्टफोलियो बनाने की जानकारी लेने जरूर पढ़ेंगे.

Written by KAYEZAD E ADAJANIA / MoneyControl

(Disclaimer: यह एक इंटरव्यू पर आधारित खबर हैं. यदि आप किसी भी फंड में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

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