अपना स्टॉक पोर्टफोलियो कैसे बनाएं

इन्वेस्टर एजुकेशन समाचार
Asset Allocation के जरिए कोई इन्वेस्टर बाजार में हो रहे सभी घटनाक्रमों फायदा उठा सकता है। प्रत्येक इन्वेस्टर के लिए एसेट एलोकेशन अलग-अलग होता है। इसके पीछे की वजह हर इन्वेस्टर अपना स्टॉक पोर्टफोलियो कैसे बनाएं की जोखिम लेने की क्षमता भिन्न होना है।
मनी मार्केट म्यूचुअल फंड विभिन्न फाइनेंशियल साधनों के माध्यम से शोर्ट टर्म अपना स्टॉक पोर्टफोलियो कैसे बनाएं इंवेस पर बेहतर रिटर्न प्रदान करता है। ऐसे लोग जिनके पास सेविंग अकाउन्ट में अच्छा खासा पैसा है और कम रिस्क पर बढ़िया रिटर्न पाना चाहते हैं तो इसमें इन्.
क्या होता है इंडेक्स फंड जो मार्केट की गिरावट में भी देता है मोटी कमाई का मौका, ऐसे लगाएं इसमें पैसा
म्यूचुअल फंड के इंडेक्स फंडों का प्रदर्शन किसी कंपनी विशेष के शेयरों पर नहीं बल्कि पूरे इंडेक्स से रिटर्न तय होता है। हालांकि Nifty 50 या Sensex में जिस तरह से प्रदर्शन होगा इसी तरह इंडेक्स फंड के निवेश से रिटर्न मिलता है।
इन्वेस्टर अधिक पैसे को बनाने के लिए और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए इसमें निवेश करते हैं। इक्विटी प्लान होने के वजह से ब्लू चिप फंड आपकी इस इच्छा को पूरा करने में मदद करते हैं।
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी BSE का बेंचमार्क इंडेक्स है। इसलिए इसे BSE Sensex भी कहा जाता है। बता दें कि सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है। वहीं हिंदी में इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं।
Stock Market में कंपनियों को मुख्य रूप से तीन कैटेगरी में बांटा गया है जो लार्ज मिड और स्मॉल कैप कंपनियों के नाम से जाने जाते हैं। पर आप जानते हैं कि असल में इनका मतलब क्या है और निवेश में इसका क्या महत्व है? पूरी जानकारी नीच.
बॉन्ड कंपनी और सरकार के लिए पैसा जुटाने का एक माध्यम होता है। बॉन्ड से जुटाए गया पैसा कर्ज की कैटेगरी में आता है। सरकार आय और खर्च के अंतर को पूरा करने के लिए बॉन्ड के जरिए पैसा उधार लेती है।
डिविडेंड ज्यादा बड़ी कंपनियां देती हैं या फिर जो सरकारी कंपनियां होती हैं। डिविडेंड यील्ड फंड्स का निवेश इन्हीं कंपनियों में होता है। सामान्य तौर पर डिविडेंड यील्ड फंड्स दूसरे इक्विटी स्कीम कैटेगरी की तुलना में इन्वेस्टर्स का.
ग्रोथ का ऑप्शन उन इन्वेस्टर के लिए सही होता है जो लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं। इसकी वजह यह है कि इन्वेस्टर को रिटर्न पर कैपिटल गेंस नहीं देना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर लॉन्ग टर्म में रिटर्न में बढ़ोतरी भी ह.
शेयर खरीदने व बेचने के तरीकों के आधार पर ऑर्डर कई प्रकार के होते हैं लेकिन तीन ऑर्डर प्लेस करने के तरीकों का निवेशक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं- मार्केट ऑर्डर लिमिट ऑर्डर और डे ऑर्डर। मार्केट की जरूरत व के अनुसार उनका इस्तेमाल क.
SIP का सबसे पहला फायदा तो यह है कि इस प्लान में इन्वेस्ट करने के लिए आपको किसी बड़ी रकम की जरूरत नहीं होती और आप थोड़े पैसों में भी अपना निवेश शुरू कर सकते हैं। अब अगर निवेश की रकम कम है तो रिस्क भी कम होगा।
सर्किट की सुविधा निवेशकों के लिए एक्सचेंज द्वारा प्रदान की जाती है। इससे निवेशक एक दिन में अचानक से आने वाली तेजी व गिरावट से बच सकते हैं। जब भी कोई शेयर सर्किट हिट करता है तो उस दिन के लिए उसकी ट्रेडिंग रोक दी जाती है।
Stock Market Investment कम रिस्क लेने वाले इन्वेस्टर आय चाहते हैं जबकि अधिक रिस्क लेने निवेशक कैपिटल ग्रोथ पसंद करते हैं। मामूली ग्रोथ चाहने वाले निवेशक मजबूत कंपनियों की इक्विटी जैसे ब्लू चिप स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट कर सकते.
जब स्टॉक की प्राइस 20-20 प्रतिशत की दो अवधियों की गिरावट के बाद भी 20 प्रतिशत तक अपना स्टॉक पोर्टफोलियो कैसे बनाएं बढ़ जाती हैं। वहीं ट्रेडर बुल मार्केट का लाभ उठाने के लिए खरीद में बढ़ोतरी होल्ड या रिट्रेसमेंट जैसी कई रणनीतियों को अपना लेता हैं।
शेयर मार्केट में निवेश के समय टेक्निकल एनालिसिस करते समय कुछ फंडामेंटल भी देखना चाहिए और इसी प्रकार फंडामेंटल एनालिसिस करते समय टेक्निकल पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशन या टिप्स मिलते .
एक डिफेंसिव स्टॉक जिसे Non-Cyclical स्टॉक के रूप में भी जाना जाता है ऐसे स्टॉक होते हैं जो मार्केट के उतार-चढ़ाव के बाद भी ज्यादा प्रभावित नहीं होते। मार्केट के अच्छे या बुरे मूवमेंट के बाद भी इनकी कमाई स्थिर रहती है।
Children’s Day पर इसमें निवेश आपके बच्चे के भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित कर सकता है। बढ़ती मंहगाई आज के समय की एक बड़ी समस्या है खासतौर पर शिक्षा के क्षेत्र में मंहगाई से हर अभिभावक जूझ रहा है।
म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट शुरू करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आपको बड़ी रकम की जरूरत पड़ेगी। वहीं आप महज 100 रुपये की छोटी सैविंग से भी इन्वेस्टमेंट की शुरुआत कर सकते हैं। कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स में आप100 रुपये मंथल.
अगर आप म्यूचुअल फंड के यूनिट रिडीम करना चाहते हैं तो इसकी प्रक्रिया से आप किसी भी कारोबारी दिन शुरू कर सकते हैं। वहीं अगर आप खुद से यह काम करना चाहते हैं तो आपको म्युचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट से पहले ट्रांजैक्शन स्लिप डाउनलो.
SIP में इन्वेस्टमेंट शुरू करने की सही डेट चुनने का वैसे कोई विशेष टिप्स नहीं है। एक्सपर्ट का कहना है कि हर महीने की 10 तारीख से बाद की डेट का चुनाव करना ज्यादा अच्छा होगा जिससे आपको किसी तरह की कोई समस्या का सामना न करना पड़े.
अपना स्टॉक पोर्टफोलियो कैसे बनाएं
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Mutual fund : डाइवर्सिफाइड म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो बनाने के 5 महत्वपूर्ण टिप्स
इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफिकेशन, पोर्टफोलियो रिस्क को मैनेज करने का बहुत बढ़िया तरीका है। जानिए म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो बनाने से जुड़े कुछ टिप्स बताए गए हैं।
मार्केट में मौजूद किसी भी इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में अपनी मेहनत की कमाई इन्वेस्ट करते समय रिस्क मैनेजमेंट बहुत जरूरी होता है। इन्वेस्टमेंट रिस्क को मैनेज करते समय, आपको अपनी वास्तविक रिस्क सहनशीलता, अपनी रिटर्न उम्मीद जो समय पर आपके फाइनेंसियल लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सके, और इन्वेस्टमेंट रिस्क के अनुसार रिटर्न मिल रहा है या नहीं, इत्यादि के बारे में पता होना चाहिए। इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफिकेशन, पोर्टफोलियो रिस्क को मैनेज करने का बहुत बढ़िया तरीका है, खास तौर पर म्यूच्यूअल फंड्स जैसे मार्केट-लिंक्ड प्रोडक्ट्स में इन्वेस्ट करते समय।
लेकिन, कई इन्वेस्टरों को यह गलतफहमी है कि डायवर्सिफिकेशन और कुछ नहीं बल्कि एक से अधिक इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करना है जिससे वे ढेर सारे प्रोडक्ट्स और स्कीम्स में इन्वेस्ट कर बैठते हैं। लेकिन, बहुत ज्यादा इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करना, ओवर-डायवर्सिफिकेशन कहलाता है जिससे सभी इन्वेस्टमेंट्स को मैनेज करना मुश्किल तो होता ही है, पोर्टफोलियो की रिटर्न क्षमता भी कम हो जाती है। अब, आप सोच रहे होंगे कि सही डायवर्सिफिकेशन क्या है और म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करते समय पर्याप्त डायवर्सिफिकेशन कैसे किया जा सकता है? इसमें आपकी मदद करने के लिए यहाँ एक उचित डाइवर्सिफाइड म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो बनाने से जुड़े कुछ टिप्स बताए गए हैं।
अलग-अलग स्कीम्स में सही इन्वेस्टमेंट बैलेंस बनाए रखें
डायवर्सिफिकेशन सम्बन्धी जरूरतें, इन्वेस्टर्स की उम्र, रिस्क क्षमता और रिटर्न उम्मीद के आधार पर अलग-अलग हो सकती हैं। एक नौजवान इन्वेस्टर को इक्विटी स्कीम्स में, जबकि रिटायर होने वाले इन्वेस्टर को डेब्ट स्कीम्स में, ज्यादा एक्सपोजर वाले डायवर्सिफिकेशन की जरूरत पड़ सकती है। एक विशेष एसेट क्लास में एक्सपोजर, इन्वेस्टर की उम्र के आधार पर ज्यादा हो सकती है लेकिन उसी एसेट क्लास के भीतर, अलग-अलग स्कीम्स में फंड का पर्याप्त वितरण होना चाहिए। मान लीजिए, आप एक नौजवान इन्वेस्टर हैं और आपने इक्विटी स्कीम्स में अपने पोर्टफोलियो का 80% और डेब्ट में 20% इन्वेस्ट किया है। अब, इक्विटी स्कीम्स में 80% में से, एक ही फंड में पूरा पैसा आवंटित करने के बजाय उसे अपनी रिटर्न उम्मीद के अनुसार स्मॉल, मिड और लार्ज-कैप इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स में आवंटित करना चाहिए। अलग-अलग एसेट क्लास में फंड आवंटन का अनुपात, इन्वेस्टर की उम्र और रिस्क चाहत में बदलाव के साथ धीरे-धीरे बदलते रहना चाहिए।
स्टॉक होल्डिंग्स में भिन्नता रखें
अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करते समय, आपको अपनी म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स के स्टॉक होल्डिंग्स पर करीब से गौर करना चाहिए। एक जैसी दो स्कीम्स से दूर रहें यदि उनका स्टॉक होल्डिंग पैटर्न एक समान या एक जैसा है। एकाधिक स्कीम्स में एक समान स्टॉक होल्डिंग्स, आपके डायवर्सिफिकेशन प्लान को बर्बाद कर सकता है क्योंकि ऐसी स्कीम्स, मार्केट वोलेटाइल होने पर, एक समान रिएक्शन देंगे। असमान स्टॉक होल्डिंग्स वाली स्कीम्स में इन्वेस्ट करने पर, कम पोर्टफोलियो ओवरलैप के साथ बेहतर डायवर्सिफिकेशन मिल सकता है और रिस्क-रिवार्ड अनुपात भी बेहतर रह सकता है।
अलग-अलग AMCsचुनें
एक अपना स्टॉक पोर्टफोलियो कैसे बनाएं ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी और फंड मैनेजर के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स में सारा पैसा इन्वेस्ट करने पर, आपके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का रिस्क-रिवार्ड अनुपात समतल रह सकता है क्योंकि एक विशेष परिस्थिति में फंड मैनेजर का नजरिया हर बार एक जैसा रहेगा। लेकिन, अलग-अलग AMCs और अलग-अलग फंड मैनेजर्स के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करने पर, मार्केट वोलेटाइल होने पर, आप उनके परफॉरमेंस को बेहतर ढंग से एवरेज आउट कर पाएंगे।
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रेखा झुनझुनवाला पोर्टफोलियो: टाटा ग्रुप के मल्टीबैगर शेयर में बढ़ाई हिस्सेदारी
News18 हिंदी 18-10-2022 News18 Hindi
© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "रेखा झुनझुनवाला पोर्टफोलियो: टाटा अपना स्टॉक पोर्टफोलियो कैसे बनाएं ग्रुप के मल्टीबैगर शेयर में बढ़ाई हिस्सेदारी"
नई दिल्ली. दिवंगत निवेशक राकेश झुनझुनवाला (Rekha Jhunjhunwala) की पत्नी रेखा झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) ने टाटा ग्रुप की टेलीकम्युनिकेशन्स सर्विस मुहैया कराने वाली एंटिटी टाटा कम्युनिकेशन्स में अपनी हिस्सेदारी में इजाफा किया है. अभी तक निवेशक राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में होने वाले हर बदलाव पर नजर रखते थे. अब चूंकि वे इस दुनिया में नहीं हैं तो अब उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला की शेयरहोल्डिंग निवेशकों के लिए अपना स्टॉक पोर्टफोलियो कैसे बनाएं उतनी ही जरूरी बन चुकी है.
टाटा कम्युनिकेशन (Tata Communications) का शेयर कल, सोमवार को, एनएसई पर 32.15 रुपये (2.76 फीसदी) की वृद्धि के साथ 1,195.85 रुपये पर बंद हुआ. एक साल में यह शेयर लगभग 17 फीसदी का नुकसान दिखा रहा है, लेकिन यदि 3 वर्षों की बात करें तो स्टॉक 230 फीसदी का रिटर्न दे रहा है. 5 वर्षों में 65.39 फीसदी की वृद्धि हुई है.
रेखा झुनझुनवाला की हिस्सेदारी
लेटेस्ट शेयरहोल्डिंग पैटर्न के अनुसार, सितंबर में समाप्त तिमाही के लिए रेखा झुनझुनवाला के पास 1.61% हिस्सेदारी के बराबर 45,75,687 इक्विटी शेयर थे. इससे पहले जून में समाप्त तिमाही में, उनके पास 30,75,687 इक्विटी शेयर अथवा 1.08% हिस्सेदारी थी, जिसका अर्थ है कि निवेशक ने इस अवधि के दौरान टाटा कम्युनिकेशन्स में 0.53% हिस्सेदारी बढ़ाई है.
Trendlyne के आंकड़ों से पता चलता है कि रेखा झुनझुनवाला के पास सार्वजनिक रूप से 10,405.1 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित कुल संपत्ति के 19 शेयर हैं. इसके अलावा उनके पास NCC लिमिटेड, Aptech लिमिटेड, Agro Tech Foods Ltd. (एग्रो टेक फूड्स लिमिटेड), ऑटोलाइन इंडस्ट्रीज़, क्रिसिल लिमिटेड, डी बी रियलिटी, फेडरल बैंक जैसे शेयर शामिल हैं.
मिड कैप कंपनी है टाटा कम्युनिकेशन्स
टाटा कम्युनिकेशन्स की कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 33,490 करोड़ रुपये है. इस हिसाब से यह कंपनी एक मिड-कैप कंपनी है. तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटल क्रांति का अहम योगदान है और इस डिजिटल क्रांति में एक अहम भूमिका टाटा कम्युनिकेशन्स की भी है. कंपनी 500 फॉर्च्यून कंपनियों में से 300 को क्लाउड, आईओटी (IoT), कॉलैबोरेशन, सिक्योरिटी और नेटवर्किंग सेवाएं प्रदान करती है.