बैंक पूंजी

'बैंक पूंजी'
'बैड बैंक' की स्थापना से देश के बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या का समाधान करने में तेजी आएगी लेकिन इसके साथ ही सरकार की तरफ से क्षेत्र में विश्वसनीय ढंग से पूंजी डालने का काम भी होना चाहिये. वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने यह बात कही है.
बैंकों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में क्षेत्र के कई उपायों की घोषणा करेंगे. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत करना और ऋण वृद्धि को प्रोत्साहन को बैंकों में और पूंजी डालने जैसे उपाय शामिल हैं.
जरा यह भी तो पता कीजिए कि भारत के नेताओं के निवेश कहां-कहां हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार में बैठे कुछ नीति निर्माताओं के हित इसी में हों कि निवेश में कोई पारदर्शिता न हो, 6 लाख करोड़ के अनर्जक ऋण और 6 लाख करोड़ रुपये की राजस्व छूट की नीति न बदलने पाए. जीवन में वक्त मिले तो सोचिएगा!
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत विश्वबैंक में पूंजी वृद्धि का पुरजोर समर्थन करता है और वह वैश्विक संस्था में गतिशील फार्मुले के मुकाबले बड़ी हिस्सेदारी लेने को तैयार है.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए रास्ता सुगम करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बैंक पूंजी बोर्ड (सेबी) कुछ श्रेणी के विदेशी निवेशकों को सीधे भारतीय बाजारों में कारोबार की अनुमति देने पर विचार कर रहा है. इसकी शुरुआत ऋण खंड से होगी.
देश का विदेशी पूंजी भंडार 24 जून को समाप्त हुए सप्ताह में 3.0284 अरब डॉलर घटकर 360.7976 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 24,375.1 अरब रुपये के बराबर है।
देश का विदेशी पूंजी भंडार 13 मई को समाप्त सप्ताह में 96.8 करोड़ डॉलर घटकर 361.0267 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 23,982.3 अरब रुपये के बराबर है।
सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को एनपीए के लिए ज्यादा पूंजी प्रावधान के कारण 31 मार्च 2016 को समाप्त चौथी तिमाही के दौरान 5,367.14 करोड़ रुपये बैंक पूंजी का शुद्ध घाटा हुआ। घरेलू ऋणदाता बैंक का एक तिमाही का यह सबसे बड़ा घाटा है।
देश का विदेशी पूंजी भंडार आठ अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 15.74 करोड़ डॉलर बढ़कर 359.9172 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 23,813.2 अरब रुपए के बराबर है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने तरजीही शेयर आवंटन के बदले बैंक में 1,150 करोड़ रुपये की पूंजी डालने को मंजूरी दी है।
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'बैंक पूंजी'
'बैड बैंक' की स्थापना से देश के बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या का समाधान करने में तेजी आएगी लेकिन इसके साथ ही सरकार की तरफ से क्षेत्र में विश्वसनीय ढंग से पूंजी डालने का काम भी होना चाहिये. वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने यह बात कही है.
बैंकों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में क्षेत्र के कई उपायों की घोषणा करेंगे. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत करना और ऋण वृद्धि को प्रोत्साहन को बैंकों में और पूंजी डालने जैसे उपाय शामिल हैं.
जरा यह भी तो पता कीजिए कि भारत के नेताओं के निवेश कहां-कहां हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार में बैठे कुछ नीति निर्माताओं के हित इसी में हों कि निवेश में कोई पारदर्शिता न हो, 6 लाख करोड़ के अनर्जक ऋण और 6 लाख करोड़ रुपये की राजस्व छूट की नीति न बदलने पाए. जीवन में वक्त मिले तो सोचिएगा!
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत विश्वबैंक में पूंजी वृद्धि का पुरजोर समर्थन करता है और वह वैश्विक संस्था में गतिशील फार्मुले के मुकाबले बड़ी हिस्सेदारी लेने को तैयार है.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए रास्ता सुगम करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) कुछ श्रेणी के विदेशी निवेशकों को सीधे भारतीय बाजारों में कारोबार की अनुमति देने पर विचार कर रहा है. इसकी शुरुआत ऋण खंड से होगी.
देश का विदेशी पूंजी भंडार 24 जून को समाप्त हुए सप्ताह में 3.0284 अरब डॉलर घटकर 360.7976 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 24,375.1 अरब रुपये के बराबर है।
देश का विदेशी पूंजी भंडार 13 मई को समाप्त सप्ताह में 96.8 करोड़ डॉलर घटकर 361.0267 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 23,982.3 अरब रुपये के बराबर है।
सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को एनपीए के लिए ज्यादा पूंजी प्रावधान के कारण 31 मार्च 2016 को समाप्त चौथी तिमाही के दौरान 5,बैंक पूंजी 367.14 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। घरेलू ऋणदाता बैंक का एक तिमाही का यह सबसे बड़ा घाटा है।
देश का विदेशी पूंजी भंडार आठ अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 15.74 करोड़ डॉलर बढ़कर बैंक पूंजी 359.9172 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 23,813.2 अरब रुपए के बराबर है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने तरजीही शेयर आवंटन के बदले बैंक में 1,150 करोड़ रुपये की पूंजी डालने को मंजूरी दी है।
बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाकर बैलेंसशीट मजबूत करने का निर्देश
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अधिकारियों के साथ किया मंथन। RBI ने भी पहले ही कहा था बाजार से पूंजी जुटाकर बैलेंसशीट मजबूत करने को। इससे बैंकों को कारोबार विस्तार में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) से कहा कि वे बाजार से पूंजी जुटाकर अपनी बैलेंसशीट को मजबूत करें। पूंजी बढ़ने से बैंकों को अपने कारोबार का विस्तार करने और प्रोडक्टिव सेक्टर को ज्यादा कर्ज देने में मदद मिलेगी। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) सचिव संजय मल्होत्रा ने मंथन 2022 में पीएसबी के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लाभ कमाने समेत सभी मानकों पर बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे।
बैंकों से पूंजी जुटाकर उधार देने की क्षमता बढ़ाने को कहा
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी हाल में बैंकों से पूंजी जुटाकर उधार देने की क्षमता बढ़ाने को कहा था। मल्होत्रा ने कहा कि बैंक अपनी बैलेंसशीट को मजबूत करें। उन्होंने सुझाव दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आपस में अधिक सहयोग करना चाहिए और बड़े बैंकों को छोटे बैंकों का मार्गदर्शन करना चाहिए।
मंथन 2022 का आयोजन किया गया
भारतीय बैंक संघ (आइबीए) ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श तथा नए सुधारों को आगे बढ़ाने को लेकर मंथन 2022 का आयोजन किया गया। इससे पहले, इसका आयोजन 2019 में हुआ था। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पहला मंथन कार्यक्रम 2014 में हुआ था। मल्होत्रा ने सुझाव दिया कि बैंकों को दीर्घकालीन लाभ और ग्राहक को केंद्र में रखने वाली रणनीतियों पर गौर करना चाहिए।
3.3 ट्रिलियन रुपये से अधिक का निवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा
फंसे कर्ज संकट से निपटने में मदद करने के लिए सरकार को वित्त वर्ष 2016 और वित्त वर्ष 21 के बीच सरकारी बैंकों में 3.3 ट्रिलियन रुपये से अधिक का निवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। चालू वित्त वर्ष के लिए, हालांकि, सरकार ने किसी भी कैपिटल फ्लो का बजट नहीं किया है, क्योंकि वित्त वर्ष 2012 की पहली तीन तिमाहियों में किसी भी सरकारी बैंक ने नुकसान दर्ज नहीं किया है।