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Investment Tips : क्‍या है वैल्‍यू इन्‍वेस्टिंग, जिसने 18 साल में 10 लाख को बना दिए ढाई करोड़ रुपये, एक्‍सपर्ट से समझें

म्‍यूचुअल फंड में सिप के जरिये निवेश करना बेहतर विकल्‍प बन सकता है.

म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए ल्यू इन्वेस्टिंग सबसे स्‍मार्ट तरीका साबित हो सकता है. इस फंड में निवेश करने वाले फंड हाउस ऐसे स्‍टॉक पर नजर रखते हैं, जो अपने वास्‍तविक मूल्‍य से कम कीमत पर ट्रेड कर रहे होते हैं. इनमें पैसे लगाने पर लांग टर्म में बड़ा कॉपर्स तैयार हो सकता है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 06, 2022, 15:27 IST

हाइलाइट्स

वैल्‍यू इन्‍वेस्टिंग आपके पैसे पर तगड़ा रिटर्न दिलाने का सबसे सटीक जरिया है.
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल वैल्यू डिस्कवरी फंड ने 19.इन्वेस्टिंग 7 फीसदी रिटर्न दिया है.
वैल्यू फंड में निवेश करते समय धैर्य का बहुत महत्व होता है.

नई दिल्‍ली. शेयर बाजार हो या म्‍यूचुअल फंड, निवेशका का एक ही मकसद होता है कि उसके पैसों पर बंपर रिटर्न मिले. वैल्‍यू इन्‍वेस्टिंग आपके पैसे पर तगड़ा रिटर्न दिलाने का सबसे सटीक जरिया है. दुनिया के दिग्‍गज निवेशक वॉरेन बफे इस विधा के बड़े खिलाड़ी भी हैं.

वैल्‍यू इन्‍वेस्‍ट, दरअसल ऐसी कंपनियों के स्‍टॉक को खोजना होता है जो अपने वास्‍तविक मूल्‍य से कम कीमत पर ट्रेड कर रहा हो. यानी कंपनी की स्‍ट्रांग पोजिशन को देखते हुए उसके शेयर जिस ऊंचाई होने चाहिए, ट्रेडिंग उससे नीचे हो रही होती है. ऐसे स्‍टॉक में पैसे लगाने पर लांग टर्म में तगड़ा रिटर्न मिलने का फुल चांस रहता है.

मनी मैनेजमेंट इंडिया ने मॉर्निंगस्‍टार के उपलब्‍ध आंकड़ों के आधार पर एक रिपोर्ट में बताया है कि देश में ज्‍यादातर इक्विटी फंड विकास आधारित हैं. इसका मतलब यह हुआ कि इन फंडों में पैसे लगाने वाले निवेशकों को लाभ मिला है. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल वैल्यू डिस्कवरी फंड ने भी अपनी शुरुआत से अब तक तगड़ा रिटर्न दिया है.

20 फीसदी के आसपास रहा रिटर्न
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल वैल्यू डिस्कवरी फंड की शुरुआत (16 अगस्त, 2004) में अगर किसी ने 10 लाख रुपये का निवेश किया होता तो 31 जुलाई, 2022 को उसका कॉपर्स करीब 2.5 करोड़ रुपये का होता. इन 18 सालों में इस फंड का ए एयूएम बढ़कर 24,694 करोड़ रुपये पहुंच गया. ये वैल्‍यू कैटेगरी में कुल एयूएम का 30 फीसदी हिस्‍सा है. इस दौरान सालाना रिटर्न करीब 19.7 फीसदी रहा, जबकि निफ्टी 50 ने समान अवधि के निवेश पर 15.6 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहां 10 लाख रुपये लगाने पर 31 जुलाई तक कुल 1.30 करोड़ रुपये ही मिलते.

एसआईपी के लिए जबरदस्‍त विकल्‍प
वैल्यू इन्वेस्टिंग लांग टर्म में तगड़ा रिटर्न दिलाता है, इसलिए यह सिप के जरिये निवेश करने वालों के लिए जबरदस्‍त विकल्‍प बन सकता है. इसे ऐसे समझें कि फंड की स्थापना के बाद अगर किसी ने एसआईपी के माध्यम से 10,000 रुपये मासिक निवेश किया होता तो अभी तक उसकी कुल निवेश की गई राशि 21.6 लाख रुपये होती. लेकिन, 31 जुलाई 2022 तक यह राशि 17.3 फीसदी सालाना की दर से बढ़कर 1.20 करोड़ रुपये पहुंच जाती.

करोड़पति बन जाएगा धैर्य रखने वाला
फंड का प्रबंधन करने वाले आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के ईडी और सीआईओ एस नरेन का कहना है कि वैल्यू फंड में निवेश करते समय धैर्य का बहुत महत्व होता है, क्योंकि बाजार के ऐसे फेज होंगे जब मूल्य कमजोर होगा. इसलिए, निवेशकों को धैर्य रखने और निवेश में बने रहने की आवश्यकता होगी और जब चक्र बदल जाता है, तो इतिहास गवाह है कि धैर्य का भरपूर लाभ मिलता है. वैल्यू उन सेक्टर्स में निवेश करने पर केंद्रित होता है जो आउट ऑफ फ़ेवर हैं लेकिन उनमें लांग टर्म संभावनाएं काफी ज्‍यादा हैं.

इसके अलावा म्यूचुअल फंड का चयन करते समय निवेशकों को एएमसी और व्यक्तिगत फंड के निवेश के प्रदर्शन और तरीके को समझने की जरूरत है. इससे उन्हें यह पता चल जाएगा कि बाकी फंडों की तुलना में यह फंड कब और कैसा इन्वेस्टिंग प्रदर्शन करेगा, पर ऐसा करना आसान नहीं होता है. इंडस्ट्री वैल्यू इन्वेस्टिंग जैसे शब्दों का बहुत ही कम इस्तेमाल करती है.

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Share Market Tips: इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग में क्या है फर्क? कौन-सा रास्ता ज्यादा सही?

Share Market Tips इन्वेस्टिंग में निवेशक की संपत्ति समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती रहती है। इसमें निवेशक कुछ शेयरों का पोर्टफोलियो म्यूचुअल फंड्स बांड्स और दूसरे इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेट्स को खरीदकर होल्ड कर लेता है। ट्रेडिंग में लेनदेन काफी जल्दी-जल्दी होता है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। शेयर बाजार (Share Market) में निवेश करने वालों ने इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग के बारे में जरूर सुना होगा। कुछ लोग होते हैं, जो इन्वेस्टिंग इन्वेस्टिंग ट्रेडिंग (Trading) में विश्वास करते हैं और कुछ लोग लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Investing) करते हैं। आइए जानते हैं कि ये दोनों क्या हैं।

इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग वित्तीय बाजारों में मुनाफा कमाने को दो अलग-अलग तरीके हैं। दोनों में ही निवेशक बाजार में उतरकर मुनाफा बनाने की कोशिश करते हैं। इन्वेस्टिंग में निवेशक एसेट्स खरीदकर रख लेते हैं और लंबे समय में अच्छा मुनाफा कमाने की उम्मीद करते हैं। वहीं, ट्रेडर्स बाजार की गिरावट और तेजी दोनों का फायदा उठाते हैं। वे काफी कम समय में एसेट्स खरीदते और बेचते रहते हैं। इससे उन्हें मुनाफा तो काफी कम मिलता है, लेकिन बहुत कम समय में मिल जाता है।

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धीरे-धीरे बढ़ता है मुनाफा

इन्वेस्टिंग में निवेशक की संपत्ति समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती रहती है। इसमें निवेशक कुछ शेयरों का पोर्टफोलियो, म्यूचुअल फंड्स, बांड्स और दूसरे इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेट्स को खरीदकर होल्ड कर लेता है। इन्वेस्टमेंट छह महीने, साल भर, कई वर्षों, या दशकों लंबा भी हो सकता है। इस अवधि में निवेशकों को ब्याज, डिविडेंट और स्टॉक स्प्लिट आदि का फायदा भी मिलता रहता है।

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लंबे समय में हमेशा बढ़ता है मार्केट

अगर हम शेयर बाजार की बात करें, तो यह काफी उतार-चढ़ावा वाला मार्केट है। वैश्विक रुख, सरकार और केंद्रीय बैंकों की नीतियों, आर्थिक परिदृश्यों या कोई बड़ी घटना घट जाने पर तुरंत बाजार पर असर देखने को मिलता है। लेकिन हर गिरावट के बाद तेजी भी आती है। मंदी के बाद रैली भी मार्केट में देखने को मिलती है। इतिहास हमें बताता है कि बाजार हर एक बड़ी मंदी से उबरा है। कई बार तो रिकवरी काफी शाॉर्प देखने को मिली है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि शेयर बाजार लंबे समय में हमेशा ऊपर जाता है। यही कारण है कि लंबे समय के लिए बाजार में पैसा लगाने वाले अधिकतर निवेशक अच्छा मुनाफा कमाते हैं।

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ट्रेडिंग में जल्दी-जल्दी होता है लेनदेन

ट्रेडिंग में लेनदेन काफी जल्दी-जल्दी होता है। चाहे वह शेयरों का लेनदेन हो, या कमोडिटी का, करेंसी का या दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स का। जहां निवेशक सालभर में 10 से 20 फीसदी के करीब रिटर्न कमाते हैं, वहीं ट्रेडर्स करीब 10 फीसदी रिटर्न हर महीने कमा सकते हैं। ट्रेडिंग में निवेशक शेयर की चाल का फायदा उठाता है। वह निचले स्तर पर शेयर को खरीदते हैं और ऊपर जाने पर बेच देते हैं और फिर से निचले स्तर पर खरीद लेते हैं। वहीं, निवेशक गिरते हुए मार्केट में शेयर को उच्च कीमत पर बेच देते हैं और निचले स्तर पर खरीद लेते हैं। इसे सेलिंग शॉर्ट भी कहते हैं। हालांकि, इसमें जोखिम काफी अधिक होता है। आपको शेयर मार्केट की काफी अच्छी जानकारी हो, तब ही एक्सपर्ट की सलाह में ट्रेडिंग करनी चाहिए।

Stock Market Investment: क्या कहानियों पर भरोसा करके निवेश करते हैं आप? समझ लें वैल्यू इन्वेस्टिंग के कायदे

एक निवेश के चुनाव का पूरा आकलन और विश्लेषण होने के बाद आपको ये सोचना ही होगा कि जो लागत आप अदा कर रहे हैं वो आगे जा कर मुनाफे में बदलेगी या नहीं। निवेश के दाम पर ही फोकस बनाए रखना वैल्यू इन्वेस्टिंग है।

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। इंटरनेट मीडिया समेत तमाम प्लेटफार्म पर शेयर निवेश सलाह देने वालों की भरमार है। इन लोगों ने अपनी सहूलियत के अनुसार नए-नए निवेश टर्म बनाएं हैं और इनके छोटे प्रारुपों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। हालांकि, यह कोई नए निवेश टर्म नहीं है बल्कि इन्हें पुराने नियमों को ही तोड़-मरोड़कर तैयार किया गया है।

BAAP, SAAP, HODL शायद ऐसे कई इन्वेस्टिंग और कांसेप्ट भी होंगे जिनके बारे में मैंने नहीं सुना हो। अधिकांश पाठक भी इन्हें नहीं समझते होंगे। BAAP है buy at any price यानी किसी भी कीमत पर खरीदो। SAAP है sell any price यानी किसी भी कीमत पर बेचो। HODL है hold on for Dear Life यानी जान बचाने के लिए थामे रहो। अगर तलाशेंगे तो ऐसे शब्दों का पूरा चिडि़याघर आपको मिल जाएगा। कई तरह-तरह के नए टर्म ट्विटर पर हैं। मगर किसी ने इनका मतलब समझाने की जहमत नहीं उठाई। शायद इसीलिए ये सब सिर्फ कुछ लोगों की गढ़ी हुई बकवास ही होगी।

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नए शब्दों के नए मायने

क्या आपने नोटिस किया कि BAAP, SAAP और HODL की ये तिकड़ी असल में निवेशकों के लिए नया विकल्प नहीं है। इन तीन नए ट‌र्म्स के बीच, आपके पास अपना पुराना जाना-पहचाना वर्जन Buy, Hold, Sell भी मौजूद है। इन दोनों में केवल एक बड़ा फर्क हो कि पुराने Buy-Sell-Hold और नए BAAP-SAAP-HODL के बीच फैसलों पर कितना सोच-विचार करना है। एक निवेशक के तौर पर हम Buy-Sell-Hold का विकल्प सोच-समझ कर और सावधानी से फैसले लेने में करते हैं।

इन फैसलों का आधार कई सवाल होते हैं जैसे- इन्वेस्टिंग क्या अब भी ये निवेश अच्छा है? क्या भविष्य में लाभ कमाने की अच्छी संभावना है? क्या और निवेश करना लाभदायक रहेगा? होल्ड करने और न बेचने का तर्क क्या है? उसके ठीक उलट, इस नई त्रिवेणी BAAP-SAAP-HODL में सोचने का कोई टाइम नहीं है। किसी भी दाम पर बस अंजाम दीजिए, फिर चाहे जो हो।

विश्लेषण या सोचने-विचारने के पुराने फैशन की कोई जरूरत ही नहीं है। इस नए परिवर्तन का सबसे अहम पहलू इस बात से चिंतामुक्त हो जाना है कि आप अपने निवेश का क्या मूल्य अदा कर रहे हैं। जिसने भी, असल में लंबे समय का निवेश किया है और उन्हें निवेश के खराब और अच्छे दौर का अनुभव है। जिन्हें असल में कोई अनुभव मिला है, उनके लिए इस फलसफे में विश्वास करना अजीब है।

निवेश के कुछ आसान नियम

असल निवेश में लोग अक्सर इतने उत्साहित हो जाते हैं कि वो दाम नजरअंदाज कर बैठते हैं। किसी-न-किसी मौके पर हम सभी ने ये किया है। हालांकि, हम जानते रहे हैं कि ये एक गलती इन्वेस्टिंग है। ऐसा नहीं करना चाहिए। दाम या प्राइस नजरअंदाज करने को, निवेश का एक सिद्धांत बना देना, एक विद्रूपता है। जिसे निवेश कहते हैं, वो पूरी तरह से और फिर कहता हूं, पूरी तरह से खरीदने और कीमत बढ़ जाने पर बेच देने का नाम है।

निवेश के दाम पर ही फोकस बनाए रखना 'वैल्यू इन्वेस्टिंग है, और आज ग्रोथ और वैलुएशन के दौर में ये दिवंगत हो गई है, ये बात सच से कोसों दूर है। जैसा कि चार्ली मंगर ने एक बार कहा था, 'सारी अच्छी इन्वेस्टिंग वैल्यू इन्वेस्टिंगहै।' ये व्याख्या, सबसे सरल और व्यापक है कि किसी चीज को उसके अंतर्निहित मूल्य से कम में खरीदना ही वैल्यू इन्वेस्टिंग है।

किसी भी कीमत पर खरीदने का विकल्प

अगर आप पैसा बनाना चाहते हैं, तो उसका इन्वेस्टिंग तरीका यही है। BAAP-SAAP-HODL को अगर इस फ्रेमवर्क में देखें तो इन पर इतना फोकस चकरा देने वाला है। हालांकि, इसके कुछ और कारण हैं। क्रिप्टो की दुनिया ने काफी वक्त तक इस बेवकू्फाना निवेश के तरीके को सैद्धांतिक तौर पर इन्वेस्टिंग मजबूती दी। लोगों ने फ्राड करेंसियां बनाईं जिनका असल दुनिया में कोई आधार ही नहीं है और उसे बेचने को सही ठहराया गया क्योंकि उन्होंने, भविष्य की करेंसी के नाम पर ये बेमतलब चीज ईजाद कर दी।

ये सबकुछ, बेकार की सिक्युरिटीज बेचने वालों के लिए तो काम कर गया है, मगर इसने उनके लिए उतना काम नहीं किया है जिन्होंने इन कहानियों पर भरोसा किया और निवेश किया है। ऐसी बातों के चक्कर में मत आइए। कोई भी चीज 'किसी भी कीमत पर' खरीदने लायक नहीं होती।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

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