फिएट मनी के फायदे

भारत में लॉन्च हुआ digital rupee | RBI digital rupee launch
देश के केंद्रीय बैंक “रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया” ने देश की पहली डिजिटल करेंसी (डिजिटल रुपया) को एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप फिएट मनी के फायदे में लांच कर दिया है . RBI ने फ़िलहाल होलसेल ट्रांजैक्शन (e₹-W) की शुरुआत की है . इसके एक महीने के अन्दर रिटेल सेगमेंट (e₹-R) को कुछ चुनिन्दा जगह में शुरू करने की योजना है . अभी होलसेल ट्रांजैक्शन (e₹-W) के लिए नौ बैंकों को चुना गया है .
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CBDC क्या है ?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को CBDC भी कहा जाता है . यह रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी कानूनी धन का डिजिटल रूप है . यह एक तरह की fiat मनी है , जिसे भारत सरकार द्वारा लांच किया गया है . इसे आसान शब्दों में इलेक्ट्रॉनिक मनी भी कहा जाता है .
RBI का कहना है की , “CBDC डिजिटल रूप में एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी कानूनी टेंडर है. यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है”.
डिजिटल रूपए होने के फायदे ?
- डिजिटल रूपए के लांच होने के बाद , आप कैश के बिना भी काम कर सकते है . के सारे फीचर इस डिजिटल करेंसी में मौजूद होंगे .
- डिजिटल रूपए में कैश की तरह वियर , टेअर या जलने की सम्भावना भी नही होती है .
- डिजिटल करेंसी को ट्रैक भी किया जा सकता है . जबकि क्रिप्टो करेंसी में कोई भी ऐसी सुविधा नही है .
- डिजिटल करेंसी के पीछे रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की गारंटी है . जबकि क्रिप्टो के केस में ऐसा कुछ भी नही है .
किस बजट सत्र में हुआ था ऐलान ?
बजट सत्र 2022-23 में सरकार के द्वारा ऐलान किया गया था , की सरकार क्रिप्टो करेंसी की तरह ही एक डिजिटल करेंसी इस साल के अंत तक ले कर आएगी . यह fiat मनी की तरह होगा , जिसे रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रेगुलेट किया जायेगा . आरबीआई ने 31 अक्टूबर 2022 को अपने जारी किये गए बयान में कहा की “डिजिटल रुपये का पहला पायलट प्रोजेक्ट होलसेल ट्रांजैक्शन (e₹-W) एक नवंबर को शुरू होगा. इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट ट्रांजेक्शन का निपटान किया जाएगा” .
रिटेल सेगमेंट (e₹-R) और होलसेल सेगमेंट (e₹-W) में क्या अंतर है ?
डिजिटल रुपया दो फिएट मनी के फायदे सेगमेंट में आएगा एक रिटेल सेगमेंट (e₹-R) और दूसरा होलसेल सेगमेंट (e₹-W) . रिटेल सेगमेंट (e₹-R) वो होता है , जिसमे आम नागरिक किसी भी शॉप पर कुछ भी परचेस करने के लिए e-rupee (डिजिटल रुपया) का इस्तेमाल कर सकता है . इसमें कस्टमर और मर्चेंट के बीच में डिजिटल रुपया की मदद से ट्रांजैक्शन किया जायेगा .
होलसेल सेगमेंट (e₹-W) में देश के बैंक सरकारी सिक्योरिटीज के सेटलमेंट के लिए डिजिटल रुपया का इस्तेमाल करेंगी . इसके तहत जो पायलट प्रोजेक्ट लांच किया गया है , उसमे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा देश भर के नौ बैंक का चयन किया गया है . इन बैंकों की पहचान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एचएसबीसी बैंक , यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कोटक महिंद्रा बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक , और यस बैंक के रूप में की गई है.
Q. डिजिटल रुपया कितने सेगमेंट में लांच किया जायेगा ?
Ans. डिजिटल रुपया को दो सेगमेंट में लांच किया जायेगा . एक रिटेल सेगमेंट (e₹-R) और दूसरा होलसेल सेगमेंट (e₹-W) होगा .
Q. रिटेल सेगमेंट कब लांच किया जायेगा ?
Ans. रिटेल सेगमेंट (e₹-R) को पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक महीने के अन्दर लांच किया जायेगा . अभी सिर्फ होलसेल सेगमेंट (e₹-W) को पायलट प्रोजेक्ट के तहत लांच किया गया है .
Q. पायलट प्रोजेक्ट क्या होता है ?
Ans. पायलट प्रोजेक्ट किसी भी नए कार्य का एक प्रारंभिक प्रयोग होता है। जिसमें यह देखा जाता है , कि यह परियोजना एक छोटे स्तर पर कितनी असरदार साबित होती है .
मैं आशा करता हूँ , की इस आर्टिकल से जुड़े सभी सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे . यदि फिर आपके मन में कोई सवाल या सुझाव रहता है , तो आप हमें नीचे कमेंट करके या contact us में जाकर बता सकते है .
Central Bank Digital Currency (CBDC) क्या है? आरबीआई इसे भविष्य की मुद्रा के रूप में क्यों देखता है?
Union Budget 2022-23 के बाद ऐसे संकेत हैं कि भारत सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने की ओर देख रहा है। 29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन, वित्त मंत्रालय ने पुष्टि की कि उसने परिभाषा के दायरे में सुधार के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव लिया है। ‘बैंक नोट’ में करेंसी को डिजिटल रूप में शामिल करने के लिए।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, ने बताया “सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक सेंट्रल बैंक द्वारा पेश किया गया है। RBI उपयोग के मामलों की जांच कर रहा है और CBDC फिएट मनी के फायदे को बिना किसी व्यवधान के शुरू करने के लिए चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति पर काम कर रहा है।”
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Central Bank Digital Currency (CBDC) क्या है?
सीबीडीसी देश की fiat currency के डिजिटल रूप को संदर्भित करता है, जो देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है। हालांकि यह डिजिटल रूप में है, लेकिन इसे देश की फिएट करेंसी से बदला जा सकता है। यह पैसा केंद्रीय बैंक की देनदारी है।
लेन-देन एक centralised ledger में दर्ज किए जाते हैं और केंद्रीय बैंक आपूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं। बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीबीडीसी में कई फैक्टर्स जुड़े हैं- इसको यूनिवर्सली एक्सेस किया जा सकता है, यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में है और इसे केंद्रीय बैंक का समर्थन प्राप्त है।
CBDC रुपये (कैश) से कैसे अलग है?
मुख्य अंतर यह है कि सीबीडीसी डिजिटल रूप में मौजूद है। इसका मतलब यह है कि यह कैशलेस पेमेंट साधनों के समान सुविधा और उपयोग प्रदान करता है जिसका उपयोग हम इन दिनों करते हैं, जैसे क्रेडिट ट्रांसफर, डायरेक्ट डेबिट, कार्ड पेमेंट और बहुत कुछ। इस अर्थ में, यह एक private financial institution की liability के बजाय एक केंद्रीय बैंक पर direct claim का प्रतिनिधित्व करता है।
CBDC अन्य Stable और Crypto Coins से कैसे अलग है?
क्रिप्टोकरेंसी स्वतंत्र डिजिटल मुद्राएं हैं जो पूर्व निर्धारित मूल्य या समर्थन के बिना चलती हैं, जैसे कि बिटकॉइन (बीटीसी) या एथेरियम (ETH)। इसके विपरीत, सीबीडीसी को केंद्रीय बैंकों का समर्थन प्राप्त है। उदाहरण के लिए, चीन का प्रस्तावित CBDC डिजिटल युआन (e-CNY) है। भारत में, RBI ने प्रस्तावित CBDC को “Digital Rupee” नाम दिया है
Stable coins भी समर्थित हैं, लेकिन निजी संस्थाओं द्वारा। उदाहरण के लिए, Tether (USDT), USD Coin (USDC) और Facebook-backed Diem (जिसे पहले Libra के रूप में जाना जाता था)।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी भारत में कब आएगा
भारत के केंद्रीय बैंक ने 2022-2023 वित्तीय वर्ष में रुपये का एक virtual version लॉन्च करने की योजना बनाई है। जो 1 अप्रैल से शुरू होता है। Digital assets से प्राप्त इनकम पर 30% का टैक्स। सीबीडीसी को लॉन्च करने में, भारत राष्ट्रीय डिजिटल मुद्रा जारी करने वाले देशों की बढ़ती सूची में शामिल हो गया।
घोषणा में, भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुझाव दिया कि virtual rupee भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को “big boost” प्रदान करेगा। जिससे currency management system अधिक कुशल और सस्ती होगी। किस तरह से डिजिटल रुपया काम करेगा, उसके बारे में पूरी जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
केंद्रीय बैंक सीबीडीसी क्यों चाहते हैं?
सीबीडीसी की ओर बढ़ने का एक प्रमुख कारण क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता और गैर-जवाबदेही का मुकाबला करना है क्योंकि सीबीडीसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और रेगुलेटेड किए जाते हैं, जो कि मुख्य monetary authority है।
साथ ही, atlanticcouncil.org के अनुसार, CBDC डिजिटल होने के लाभों को बनाए रखेगा जैसे कि कम प्रिंटिंग लागत, कम सेटलमेंट रिस्क, टाइम ज़ोन का मुद्दा नहीं होगा और पेमेंट सिस्टम का cost-effective globalisation।
क्या भारत को सीबीडीसी की आवश्यकता है?
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने जुलाई 2021 में एक भाषण में कहा, “RBI वर्तमान में एक चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति की दिशा में काम कर रहा है और उपयोग के मामलों की जांच कर रहा है जिन्हें बहुत कम या बिना किसी व्यवधान के लागू किया जा सकता है।”
“भारत की हाई करेंसी जीडीपी रेश्यो में सीबीडीसी का एक और लाभ है। जिस हद तक बड़े पैमाने पर नकदी के उपयोग को सीबीडीसी द्वारा replace किया जा सकता है, करेंसी की छपाई, परिवहन, भंडारण और वितरण की लागत को कम किया जा सकता है। ”शंकर ने अपने भाषण उन्होंने आगे कहा कि सीबीडीसी की शुरूआत से अधिक मजबूत, कुशल, भरोसेमंद, विनियमित और कानूनी निविदा-आधारित पेमेंट विकल्प हो सकते हैं।
Central Bank Digital Currency (CBDC) का वैश्विक कदम
केवल भारत ही सीबीडीसी पर विचार नहीं कर रहा है; अन्य देश एक ही मिशन पर हैं। डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने से दुनिया भर में क्रिप्टो-उन्माद शुरू हो गया है, जिससे सभी केंद्रीय बैंकों में क्रिप्टोकरेंसी में जवाबदेही और नियमों की कमी के बारे में चिंता बढ़ गई है। इसने एक ‘विनियमित’ डिजिटल मुद्रा, CBDC की आवश्यकता को प्रज्वलित किया है। atlanticcouncil.org के अनुसार, चीन, बहामास, स्वीडन और यूरोपीय संघ CBDC के माध्यम से अपनी मुद्रा प्रणाली का संचालन कर रहे हैं।
जनवरी 2021 के एक बीआईएस सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 86 प्रतिशत केंद्रीय बैंक सीबीडीसी पर सक्रिय रूप से शोध कर रहे थे, जबकि 60 प्रतिशत अंतर्निहित प्रौद्योगिकी का परीक्षण कर रहे थे और 14 प्रतिशत पहले से ही पायलट-प्रोजेक्ट चरण में थे।
सीबीडीसी, जो कि आरबीआई का दायित्व है, भारत में वाणिज्यिक बैंकों के साथ व्यवहार करते समय भारतीय जमाकर्ताओं को होने वाले नुकसान के जोखिम को कम करेगा। सीबीडीसी की जोखिम-मुक्त प्रकृति संस्थानों के लिए सेटलमेंट डिफॉल्ट के जोखिम को भी कम करती है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 2022-23 में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) को भारत के आधिकारिक डिजिटल रुपये के रूप में पेश करेगा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के केंद्रीय बजट में घोषणा की।
दोनों के बीच पहला मुख्य अंतर यह है कि बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है और एक सीबीडीसी नहीं है। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को एक decentralised blockchain network पर संग्रहीत किया जाता है, जबकि एक सीबीडीसी संपत्ति जारी की जाएगी और अधिक केंद्रीकृत पद्धति का उपयोग करके संग्रहीत की जाएगी।
खुदरा सीबीडीसी आम जनता के लिए है। इस प्रकार की डिजिटल मुद्रा ब्लॉकचेन या वितरित लेज़र तकनीक पर आधारित हो सकती है जो लेनदेन को मान्य कर सकती है।
CBDC फिएट मनी का एक डिजिटल रूप है। वे government regulation द्वारा धन के रूप में स्थापित होते हैं और जारी करने वाले देश की आधिकारिक मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या डिजिटल टोकन के रूप में कार्य करते हैं। सीबीडीसी और पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी के बीच सबसे अधिक ध्यान देने योग्य अंतर decentralization है।
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क्रिप्टोकरेंसी क्या है – इसके फायदे और नुकसान : latest Updated 2022आज विश्व भर में डिजिटल करेंसी या ऑनलाइन मनी को लेकर काफ़ी चर्चा हो रही है। अन्य डिजिटल माध्यमों की तरह डिजिटल करेंसी ने भी विश्व भर में तहलका मचा दिया है। बड़े–बड़े उद्योगपति से लेकर आम आदमी भी डिजिटल मनी की चर्चा करता नज़र आने लगा है। समय के साथ लेनदेन के माध्यमों को हम सब ने परिवर्तित होते हुए देखा है। चीजों से लेकर, नोट और सिक्के और अब डिजिटल करेंसी लेनदेन का आधुनिक और नया माध्यम बनता जा रहा है। आज एक ऐसी ही डिजिटल करेंसी की हम यहां चर्चा करने जा रहे है, वह हैं क्रिप्टोकरेंसी।
वैसे तो आज–कल क्रिप्टोकरेंसी के बारे में हर कोई थोड़ा बहुत जानता ही है। अगर नहीं तो यह शब्द कहीं न कहीं किसी न किसी से सुना जरूर होगा। इस लेख में हम क्रिप्टोकरेंसी क्या है? उसके कितने प्रकार है? क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है? जैसी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी को जानेंगे। आज के डिजिटलाइज्ड और आधुनिक युग में डिजिटलाइज्ड करेंसी,कोई नई बात नहीं हैं। पर जिस तेज़ी से फाइनेंशियल मार्केट में डिजिटल करेंसी ने अपना वर्चस्व स्थापित किया है, वह आश्चर्यजनक है। लोगों का भरोसा जितना और विश्वभर के लोगों को इतने कम समय में आकर्षित करना कोई आसान काम नहीं है. पर क्रिप्टोकरेंसी ने बहुत ही कम समय में फाइनेंशियल मार्केट में तहलका मचा दिया है।
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क्रिप्टोकरेंसी क्या हैजैसा की आप सब जानते ही होंगे। क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल करेंसी या ऑनलाइन मनी है। यह केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध है. लेनदेन के लिए इसका केवल ऑनलाइन ही उपयोग किया जा सकता है। यूरो, रूपी, डॉलर, आदि की तरह यह physically उपलब्ध नहीं है। अन्य लेनदेन माध्यमों की तरह क्रिप्टोकरेंसी का दुनिया के किसी भी कोने से प्रयोग किया जा सकता है। डिजिटल करेंसी के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को विश्व भर में स्वीकृति और मान्यता मिल गई है।
क्रिप्टोकरेंसी कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है। इस पर किसी एजेंसी, देश या राज्य सरकार का कोई अधिकार या नियंत्रण नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी क्रिप्टोग्राफ़ी द्वारा सुरक्षित है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित विकेंद्रीकृत नेटवर्क हैं जिसकी वजह से क्रिप्टोकरेंसी किसी भी अन्य मुद्रा की तरह किसी देश की निजी संपत्ति नहीं है। इसे अपलोड करने में किसी बैंक या सरकार का हाथ नहीं है. नहीं, क्रिप्टोकरेंसी पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। यही कारण है कि इसे कई देशों और जगहों पर वैध नहीं माना जाता है।
दुनिया के कई देशों में क्रिप्टोकरेंसी का वैधीकरण(legalization) अब तक नहीं हुआ है। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी ने भारत में सन 2009 से पैर पसारने शुरू कर दिये थे. अब तक मार्केट में क्रिप्टोकरेंसी ने अपनी खास जगह और पहचान बना ली है। पर यहां भी अन्य देशों की तरह क्रिप्टोकरेंसी वैधिक स्थान नहीं हासिल कर पाया है। भारत सरकार और RBI ने साथ मिलकर क्रिप्टोकरेंसी को मार्केट में रेग्युलेट करने के लिए कुछ नियम और जरूरी सूचना हाल ही में घोषित की है। पर उसे वैधिक स्थान नहीं दिया है. क्रिप्टोकरेंसी से देश को रहे फाय्दे को देखते हुए सरकार और RBI ने लोगो से क्रिप्टोकरेंसी पर निवेश से जुड़े जोखिम की सारी जानकारी प्राप्त करने के बाद सोच समझ कर, निवेश करने को कहा है।
क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार
क्रिप्टोकरेंसी मुख्य १० (10) प्रकार की होती है । इन सब में से बिटकाइन बहुत ही चर्चित और पर्सिध है तो चले एक नरज़ क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार पर डालते है।
बिटकॉइन
बिटकॉइन दुनिया की सबसे महंगी क्रिप्टोकरेंसी मानी जाती है।सामान्यतः इसका प्रयोग बडे-बडे उद्योगपति बडे-बडे सौदों और लेन देन के लिये करते है। इसका आविष्कार 2008 में हुआ था। 2009 तक इसका उपयोग में लाया गया। कुछ ही सालो में यह बिटकॉइन ने दुनिया की सबसे महंगी क्रिप्टोकरेंसी का ताज हासिल कर विश्व ख्याति हासिल कर लेंगी ।
एथेरियम
इथेरियम विकास के मामले में बिटकॉइन के बाद दूसरे स्थान पर है। यह स्मार्ट अनुबंध क्षमताओं के साथ एक ब्लॉकचैन-आधारित विकेन्द्रीकृत कार्यक्रम का उपयोग करता है, हालांकि एथेरियम बाजार में डॉगकोइन के बाद आया था। लेकिन कुछ ही समय में, इथेरियम (Ethereum) ने अपनी स्थिति को Dogecoin तक बढ़ा दिया।
डॉगकाइन
डॉगकाइन यह क्रिप्टोकरेंसी का तीसरा प्रकार है। इसका नाम एक जपानिस मिम से प्रेरित है। जो की जापान के एक सिक्के के बारे में थी जिस पर एक कुत्ता बना हुआ था। मार्केट में यह सन 2013 में आया था। आज बिटकॉइन की तरह मार्केट में इसका भी अपना अलग ही दबदबा है।
रिपल (Ripple) का आविष्कार Ripple Labs द्वारा 2012 में एक मनी ट्रांसफर नेटवर्क के रूप में किया गया था, जिसे व्यवसायों और वित्तीय सेवा उद्योग की आवश्यकता के लिए ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से बनाया गया था, रिपल (Ripple) का मुख्य फोकस अपने ग्राहकों को आसान, तेज़, पारदर्शी और सस्ता वित्तीय समाधान प्रदान करना है|
टीथर एक स्थिर क्रिप्टोकरेंसी है जिसे एथेरियम और बिटकॉइन ब्लॉकचेन पर होस्ट किया जाता है। यह बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तरह अस्थिर नहीं है, यह डॉलर और यूरो द्वारा समर्थित है। टीथर का मूल्य भी डॉलर और यूरो के समान ही काल्पनिक है। अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में टीथर की कीमत अधिक सुसंगत है, लोग इसकी स्थिरता के लिए टीथर को पसंद करते हैं।
बिनेंसकॉइन
बिनेंस सिक्का एक क्रिप्टोकुरेंसी है जिसे बिनेंस एक्सचेंज द्वारा लॉन्च किया गया था। इसे लॉन्च करने के बाद यह पहले एथेरियम नेटवर्क का उपयोग कर रहा था, लेकिन जैसे-जैसे इसका उपयोग बढ़ता गया, बिनेंस चेन नाम से अपने स्वयं के ब्लॉकचेन का उपयोग कर रहा है। बिनेंस सिक्का बनाने का तर्क शुरू में था एक रियायती दर पर ट्रेडिंग शुल्क प्रदान करने के लिए एक उपयोगिता टोकन, लेकिन जैसे ही उपयोग में वृद्धि हुई।इसे लेनदेन शुल्क के लिए ऑनलाइन सेवा, यात्रा बुकिंग, मनोरंजन आदि के लिए अधिक उपयोग किया गया।
टेरा
टेरा जिसे ओपन-सोर्स ब्लॉकचैन प्रोटोकॉल के रूप में भी जाना जाता है, टेरा को फिएट मुद्रा उदाहरण (डॉलर या यूरो) की कीमत को ट्रैक करने के लिए बनाया गया है, टेरा प्रोटोकॉल में दो क्रिप्टोकुरेंसी टोकन होते हैं जो (टेरा और लूना) हैं, जिसमें टेरा चेक करता है एक फिएट मुद्रा की कीमत और लूना मुख्य रूप से ब्लॉकचेन उद्देश्य के लिए उपयोग की जाती है|
सोलाना
सोलाना का आविष्कार विकेंद्रीकृत अनुप्रयोगों को सशक्त बनाने के लिए किया गया था। यह यूनीक हाइब्रिड प्रूफ-ऑफ-स्टेक और प्रूफ-ऑफ-हिस्ट्री मैकेनिज्म पर चलता है। ये तंत्र सभी काम जल्द से जल्द करने में सक्षम हैं। यानी यह अपने प्रतिस्पर्धी एथेरियम की तुलना में कम लेनदेन शुल्क पर प्रति सेकंड कई लेनदेन कर सकता है।
कार्डानो
कार्डानो को एथेरियम के संस्थापक द्वारा स्केलेबिलिटी, सिस्टम या सॉफ्टवेयर की जानकारी का आदान-प्रदान करने की क्षमता और क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म पर स्थिरता को हल करने के लिए लॉन्च किया गया था। कार्डानो के मालिक ने इसे एथेरियम उदाहरण के उन्नत संस्करण के रूप में विकसित किया है । एथेरियम, कार्डानो कनेक्टेड और विकेन्द्रीकृत प्रणाली के लिए निर्मित हैं, दोनों का उपयोग समान प्रकार के अनुप्रयोगों और स्मार्ट अनुबंधों के लिए किया जाता है।
पोल्का डॉट
पोल्का डॉट सन 2016 में स्थापित हुआ था। यह एक Unique Blockchain Interoperability Protocol है जिसका आविष्कार विभिन्न Blockchain को जोडने के लिये किया गया था। इसकी सहायता और सुरक्षा की सहायता से Developers अपने खुद के Chain बना सकते है|
डिजिटल रुपया क्या है ? | Know About Digital Rupiya or Digital Currency in Hindi
हम सब डिजिटल युग में जी रहे है। डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। कोविड आने के कारण लोगो की ज़िंदगी में बहुत से बदलाव आए है जैसे लोग अब डिजीटल ट्रांजेक्शन ज्यादा कर रहे है। लोगो का झुकाव अब डिजीटल मुद्रा (Digital Currency) और क्रिप्टो के तरफ हो रहा है। डिजिटल मुद्राओं को लेकर पूरी दुनिया में दिवानगी बढ गई है। भारत सरकार भी डिजीटल मुद्रा का देशी संस्करण इसी बीत बर्ष में लाने की तैयारी कर रही है। भारत सरकार डिजीटल मुद्रा को डिजिटल रुपया के नाम से जारी करने का प्लान बना रही है। आइए जानते है डिजीटल रुपया क्या है?
डिजीटल रुपया क्या है? (What is Digital rupiya in Hindi?)
भारत सरकार एक अप्रैल से शुरू होने वाली 2022-2023 वित्त वर्ष में डिजीटल मुद्रा का देशी संस्करणे पेश करने वाली है। डिजीटल रूपया भौतिक रूप से प्रचलित रुपिया को डिजिटल रूप को प्रतिबिंबित करेगा।
वित्त मंत्री द्वारा पेश 2022-23 के आम बजट के अनुसार ‘डिजिटल रुपया’ नामक डिजीटल मुद्रा, रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी किया जायेगा और इसे भौतिक मुद्रा यानि रूपया के साथ बदला जा सकेगा।
What is Central Bank Digital currency (CBDC क्या है?)
सीबीडीसी (CBDC) का फुल फार्म सेंट्रल बैंक ऑफ डिजीटल करेंसी) होता है। CBDC किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी किया जाने वाला डिजीटल मुद्रा है। इसे डिजीटल फिएट करेंसी या डिजीटल बेस मनी भी कहा जाता है। यह फिएट मुद्रा की तरह है और इसके माध्यम से लेनदेन किया जा सकता है।
CBDC एक केंद्रीय बैंक जारी डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है, जिसकी तुलना प्राइवेट वर्चुअल करेंसी या क्रिप्टो करेंसी से नहीं की जा सकती है।
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Crypto Currency (क्रिप्टो करेंसी)
पिछले एक दशक में प्राइवेट डिजीटल करेंसी या वर्चुअल करेंसी जैसे क्रिप्टो, बिटकॉइन का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। प्राइवेट डिजिटल करेंसी किसी भी व्यक्ति की देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं क्योंकि उनका कोई जारीकर्ता नहीं है जबकि सीबीडीसी किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है। प्राईवेट करेंसी जैसे क्रिप्टो, बिटकॉइन निश्चित रूप से करेंसी नहीं हैं। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता भी प्रभावित हो सकता हैं,इसी लिए RBI इसका विरोध कर रहा है।
CBDC के आने से फायदा क्या है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने 2022-23 के बजट भाषण में कहा CBDC की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। उनका कहना है कि “डिजिटल करेंसी से एक अधिक दक्ष तथा सस्ती करेंसी प्रबंधन व्यवस्था वजूद में आएगी। डिजिटल करेंसी ब्लॉक चेन और अन्य टेक्नोलॉजी का उपयोग करेगी”।
आसान शब्दों में कहें तो सीबीडीसी एक वाणिज्यिक बैंक के बजाय एक केंद्रीय बैंक यानी RBI द्वारा जारी एक डिजिटल मुद्रा होगा।
Tax on Digital currency or virtual currency in India (डिजीटल करेंसी या वर्चुअल करेंसी पर टैक्स)
प्राईवेट वर्चुअल करेंसी या प्राईवेट डिजिटल करेंसी (जैसे क्रिप्टो करंसी) से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर विचार-विमर्श शुरु किया गया है और जो निस्कर्ष आएगा उसके बाद हम इस पर कायदे-कानून बनाने पर विचार करेंगे।
बितमंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी और अन्य प्राइवेट डिजिटल Assets पर टैक्सेशन को स्पष्ट किया। उन्होंने प्राइवेट डिजिटल करेंसी के लेनदेन से होने वाली कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाने की घोषणा की है। डिजीटल एसेट को कर के दायरे में लाने के लिये इस संपत्ति की श्रेणी में एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस लगाने का भी प्रस्ताव किया गया है।
डिजिटल रूपया (CBDC) और क्रिप्टो करेंसी में अंतर क्या है?
वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट 2022-23 में डिजिटल रुपये को लेकर कई घोषणाएं की गई हैं । लेकिन लोगो को अभी भी कंफ्यूज हैं कि सीबीडीसी (डिजिटल करेंसी) को सरकार हां कर रही है और साथ ही बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को ना कर रही है। आइए इन दोनो के बीच के अन्तर को समझते हैं।
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CBDC (Digital currency)
विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल रुपये (Digital currency) की अवधारणा बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से प्रेरित है। डिजीटल रूपया (CBDC) केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजीटल करेंसी होता है जबकि बिटकॉइन (क्रिप्टो करेंसी) एक प्राईवेट वर्चुअल करेंसी है।
Central Bank Digital currency (CBDC) केंद्रीय बैंक के नियमों के अनुसार होता है जबकि बिटक्वाइन (क्रिप्टो करेंसी) अनियंत्रित होती है।
क्रिप्टोकरेंसी का प्रबंधन एक कंप्यूटर एल्गोरिथम द्वारा किया जाता है वहीं डिजिटल करेंसी को केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
डिजिटल रुपये(CBDC) को सेंट्रल सरकार की मान्यता मिली होती है। इसके साथ ही डिजिटल रुपया केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होगी और इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है।
ऐसा भी प्रस्ताव है कि देश में डिजिटल करेंसी को बैंक नोट की परिभाषा में रखा जाए। इसके लिए RBI ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया है।