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कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें?

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IPS Success Story: बस कंडक्टर की बेटी ने घरवालों को बिना बताए की UPSC Exam की तैयारी, पहले प्रयास में ही बनी IPS अफसर

संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस एग्जाम (UPSC Civil Service Exam) को सबसे कठीन परीक्षाओं में से एक माना जाता है और इसे पास करने के लिए छात्रों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.

IPS Success Story: बस कंडक्टर की बेटी ने घरवालों को बिना बताए की UPSC Exam की तैयारी, पहले प्रयास में ही बनी IPS अफसर

IPS Officer Shalini Agnihotri: संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस एग्जाम (UPSC Civil Service Exam) को सबसे कठीन परीक्षाओं में से एक माना जाता है और इसे पास करने के लिए छात्रों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. कई स्टूडेंट तो कई मुसीबतों का सामना करते हुए परीक्षा को पास करने में सफल होते हैं.

ऐसी ही कहानी हिमाचल प्रदेश के ऊना के छोटे से गांव ठठ्ठल की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री (Shalini Agnihotri) का है, जिन्होंने घरवालों को बिना बताए यूपीएससी एग्जाम की तैयारी की और पहले प्रयास में ही आईपीएस अफसर (IPS Officer) बन गईं.

शालिनी अग्निहोत्री (Shalini Agnihotri) बचपन में एक बार अपनी मां के साथ बस में ट्रैवल कर रही थीं. इस दौरान एक व्यक्ति ने उनकी मां की सीट के पीछे हाथ लगा रखा था, जिससे वे ठीक बैठ नहीं पा रही थी. उन्होंने कई बार उस व्यक्ति को हाथ हटाने के लिए कहा, लेकिन उसने एक नहीं सुनी. कई बार कहने के बाद व्यक्ति गुस्सा हो गया और कहा- तुम कहां की डीसी लग रही हो जो तुम्हारी बात मानी जाए. बस यहीं से शालिनी ने तय किया कि वे भी बड़ी होकर अफसर बनेंगी.

शालिनी अग्निहोत्री ने बताया, 'मुझे 10वीं की परीक्षा में 92 प्रतिशत से ज्यादा नंबर मिले थे, लेकिन 12वीं में सिर्फ 77 प्रतिशत नंबर ही आए. इसके बावजूद मेरे पैरेंट्स ने मुझपर भरोसा जताया और मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया.'

रिपोर्ट के मुताबिक, शालिनी अग्निहोत्री ने धर्मशाला के डीएवी स्कूल से 12वीं करने के बाद पालमपुर स्थित हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कृषि में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. शालिनी ने ग्रेजुएशन के साथ ही यूपीएससी की भी तैयारी शुरू कर दी थी.

शालिनी अग्निहोत्री कॉलेज के बाद यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करती थीं और उन्होंने इसकी जानकारी अपने घरवालों को भी नहीं दी थी. शालिनी को लगता था कि इतनी कठिन परीक्षा है कि अगर पास नहीं हुई तो कहीं घरवाले निराश न हो जाएं. यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के लिए उन्होंने ना तो कोचिंग ली और ना ही किसी बड़े शहर का रुख किया.

शालिनी अग्निहोत्री ने मई 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी और 2012 में इंटरव्यू का परिणाम भी आ गया. शालिनी ने ऑल इंडिया में 285वीं रैंक हासिल की कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? और उन्होंने इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) चुनी.

शालिनी अग्निहोत्री के पिता रमेश अग्निहोत्री बस कंडक्टर थे, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. शालिनी की बड़ी बहन डॉक्टर हैं और भाई एनडीए पास करके आर्मी में हैं.

MP Sarkari Naukri 2022 – प्रदेश के अलग अलग विभागों में निकली 1900 से अधिक पदों पर भर्ती, अंतिम तारिख से पहले करें आवेदन

MP Sarkari Naukri 2022 – प्रदेश में काफी लम्बे समय से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए अब एक सुनहरा अवसर है जिसके अंतर्गत प्रदेश के कई महत्वपूर्ण विभाग जैसे MPPEB, NHM , MPPSC , NIDMP जैसे विभागों में 1900 से अधिक पदों पर भर्ती परीक्षा आयोजित होनी है जिसके लिए इक्छुक उम्मीदवार अंतिम तिथि के पहले आवेदन कर सकते हैं।

MPPEB Group 2 sub group 3 Recruitment(MP Sarkari Naukri 2022)

कुल पद-344

आयु सीमा- उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित की गई है।अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़े वर्गों, विभागों/ निगमों /मंडलों /आयोग /स्वायत्तशासी/ निकायों /होमगार्ड में कार्यरत शासकीय सेवकों तथा महिला अभ्यर्थी के लिए आयु सीमा 45 वर्ष होगी।आयु सीमा की गणना भर्ती के चालू वर्ष की 1 जनवरी की स्थिति में की जाएगी।

आवेदन शुल्क – सामान्य को 500 और ओबीसी, एससी और एसटी को 250 रुपए लगेंगे।अलग अलग पदों के लिए योग्यता अलग अलग निर्धारित की गई है। अप्लाई करने के लिए www.peb.mp.gov.in पर जा सकते हैं। ऑनलाइन फॉर्म भरने वाले अभ्यर्थियों को पोर्टल का शुल्क ₹60 देना होगा। इसके अतिरिक्त रजिस्टर सिटीजन यूजर के माध्यम से लॉगिन कर फॉर्म भरने पर पोर्टल शुल्क ₹20 देना होगा।

परीक्षा केन्द्र– यह परीक्षा भोपाल, इंदौर, जबलपुर,ग्वालियर, सतना, उज्जैन, नीमच, सागर और सीधी केन्द्र पर होगी।

परीक्षा: 10 फरवरी 2023 से

महत्वपूर्ण तारीखें

आवेदन पत्र भरने की प्रारंभिक तिथि- 21 नवंबर 2022
आवेदन पत्र भरने की अंतिम तिथि -5 दिसंबर 2022
आवेदन पत्र में संशोधन करने की प्रारंभिक तिथि- 21 नवंबर 2022
आवेदन पत्र में संशोधन करने की अंतिम तिथि- 10 दिसंबर 2022
परीक्षा दिनांक एवं दिन- 10 फरवरी 2023 से प्रारंभ

MPPEB ITI Training Officer(MP Sarkari Naukri 2022)

कुल पद-305

विभाग का नाम– तकनिकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग

पद का नाम– आईटीआई प्रशिक्षण अधिकारी

आयु सीमा– न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष की अधिकतम 45 वर्ष निर्धारित की गई है। आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को नियमानुसार छूट दी जाएगी।

शैक्षिणक योग्यता– आईटीआई/ पॉलिटेक्निक डिप्लोमा/ इंजीनियरिंग डिग्री।/ ग्रेजुएशन। हाईस्कूल और समकक्ष पुराने पाठ्यक्रम से 11वीं परीक्षा पास होने के अलावा एनसीवीटी एसिडिटी से संबंधित ट्रेड में आईटीआई अप्रेंटिसशिप परीक्षा का पास होना अनिवार्य है।

सैलरी-पे लेवल-8, 9300-34800/-प्लस 32800 रुपये ग्रेड पे+ भत्ते सहित अन्य सुविधाएं।।

चयन प्रक्रिया– लिखित परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। लिखित परीक्षा में सभी एमसीक्यू प्रश्न पूछे जाएंगे ट्रेड से संबंधित 75 और 10वीं कक्षा के विज्ञान और गणित सामान्य ज्ञान तार्किक कंप्यूटर के 25 प्रश्न पूछे जाएंगे।

जरूरी दस्तावेज– ​​​पासपोर्ट साइज फोटो,सिग्नेचर, अंगूठे का निशान,कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? दसवीं की मार्कशीट,जाति प्रमाण पत्र (यदि हो तो)
.,विकलांगता प्रमाण पत्र (यदि हो तो), शैक्षणिक योग्यता की मार्कशीट

आवेदन शुल्क– उम्मीदवारों को 500 शुल्क का भुगतान करना होगा। उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि प्रोफेशनल एग्जामिनेशन कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? बोर्ड के जरिए इन पदों पर भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरा करें। आवेदन 15 नवंबर 2022 तक करना अनिवार्य होगा।

NHM Recruitment 2022(MP Sarkari Naukri 2022)

कुल पद-1200

आयु सीमा-उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा 21 से 43 वर्ष निर्धारित की गई है।

योग्यता– बायोलॉजी, केमिस्ट्री तथा फिजिक्स के साथ हायर सेकेंडरी (12th) पास महिलाएँ।मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित सहायक नरसिंह मिडवाइफ प्रशिक्षण केंद्र से महिला बहुउद्देशीय कार्यकर्ता सहायक नर्सिंग मिडवाइफ का 2 वर्ष का प्रशिक्षण पाठ्यक्रम उत्तीर्ण । मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल का रजिस्ट्रेशन ।

वेतनमान– मासिक मानदेय ₹12000 प्रतिमाह रखा गया है।

MP NHM SUB ENGINEER RECRUITMENT(MP Sarkari Naukri 2022)

कुल पद-55

पद का नाम– संविदा उपयंत्री सिविल

शैक्षणिक योग्यता– सिविल इंजीनियरिंग में तीन व डिप्लोमा अथवा सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन अथवा समकक्ष है।

आयु सीमा– आयु सीमा 21 से 43 वर्ष निर्धारित की गई है।

आवेदन की डेट– आवेदन के लिए लिंक 14 नवंबर से ओपन हो जाएंगी। इसकी लास्ट डेट 9 दिसंबर रहेगा।

MPPSC Recruitment 2022(MP Sarkari Naukri 2022)

कुल पद– 4

पदों का विवरण– दो अनारक्षित श्रेणी । एक अनुसूचित जनजाति । एक ओबीसी के लिए आरक्षित।

पद का नाम – कुलसचिव

विभाग का नाम– उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन

श्रेणी – राजपत्रित प्रथम श्रेणी

आयु सीमा– नियुक्ति के लिए न्यूनतम आयुसीमा 32 वर्ष, जबकि अधिकतम 45 वर्ष हो सकती है। आरक्षित श्रेणी में आयुसीमा में तीन वर्ष की छूट मिलेगी।

वेतनमान – ₹141800, और

पद के मुख्य कर्तव्य – विश्वविद्यालय के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी प्रशासनिक नियंत्रण और अनुश्रवण संबंधित कार्य संभालना

योग्यता– किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से 55% न्यूनतम अंक सहित ग्रेड प्वाइंट समकक्ष स्केल के साथ स्नातकोत्तर उपाधि या समकक्ष उपाधि होना अनिवार्य है। शासकीय विभाग संस्था और शासकीय विश्वविद्यालय में न्यूनतम 10 वर्ष का प्रशासनिक शैक्षणिक अनुभव रखने वाले द्वितीय श्रेणी अधिकारी को मौका दिया जाएगा।

चयन प्रक्रिया-आवेदन करने वालों की संख्या 500 से कम होने पर इंटरव्यू के जरिये सीधे चयन कर लिया जाएगा। 500 से अधिक आवेदन आने पर लिखित परीक्षा भी होगी। मध्यप्रदेश शासन की सेवा में कार्यरत शासकीय निगम मंडल उपक्रम आयोग बोर्ड के कर्मचारी और नगर सैनिक अभ्यर्थियों को अनापत्ति प्रमाण पत्र को मान्य किया जाएगा। वही अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर रोजगार पंजीयन से छूट दी जाएगी।

महत्वपूर्ण जानकारी-मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग (higher education department) ने सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलसचिव रजिस्ट्रार भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है।

18 नवंबर से आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी। विज्ञापन में ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 17 दिसंबर घोषित की गई है।रोजगार पंजीयन संबंधित न्यायालय जबलपुर में पारित आदेश के अनुपालन में अभ्यर्थियों को रोजगार कार्यालय पंजीयन से मुक्त किया गया है।

मध्यप्रदेश के मूल निवासी को जीवित रोजगार पंजीयन आवेदन करते समय आवश्यक नहीं होगा लेकिन साक्षात्कार के समय उन्हें मध्य प्रदेश के रोजगार कार्यालय का जीवित पंजीयन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
महत्वपूर्ण तिथियां

18 नवंबर दोपहर 12:00 से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी।
आवेदन करने की अंतिम तिथि 17 दिसंबर दोपहर 12:00 बजे तक निर्धारित की गई है।
आयोग कार्यालय में अभिलेख सहित आवेदन पत्र 28 दिसंबर 2022 तक जमा कर सकते हैं ।
आवेदन पत्र में त्रुटि सुधार की तारीख 25 नवंबर 2022 से 19 दिसंबर 2022 निर्धारित की गई है।

NIDMP Recruitment 2022(MP Sarkari Naukri 2022)

आयु सीमा- आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की निर्धारित आयु सीमा अधिकतम 56 साल है।
हालांकि सरकारी नियमों के तहत आरक्षित केटेगरी के उम्मीदवारों को छूट दी जाएगी।

योग्यता– विभिन्न पदों के लिए योग्यता कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? भी अलग निर्धारित की गई है। डेप्युटी रजिस्ट्रार और एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर के पद पर ग्रेजुएट डिग्री वाले उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं।

30 साल बाद कुंभ राशि में शनि, इन तीन राशि वालो को होगा लाभ

Saturn in Aquarius after 30 years these three zodiac signs will be benefited

30 साल बाद कुंभ राशि में शनि, इन तीन राशि वालो को होगा लाभ

Saturn in Aquarius after 30 years, these three zodiac signs will be benefited

Shani Gochar 2023: शनि की टेढ़ी नजर किसी भी इंसान के जीवन में उथल-पुथल मचा सकती है. शनि सबसे कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? धीमी चाल चलने वाला ग्रह है जो करीब ढाई साल तक एक ही राशि में रहता है और 30 साल में अपना राशि चक्र पूरा करता है.

ग्रहों के सेनापति शनि एक बार किसी इंसान पर भारी हो जाएं तो उसका जीवन दुखों से भर देते हैं. शनि की टेढ़ी नजर जिस पर भी पड़ती है, उसे कई उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ता है. शनि 30 साल में अपना राशि चक्र पूरा करता है. चूंकि शनि को एक क्रूर ग्रह माना जाता है, इसलिए जातकों को इसकी दृष्टि से बहुत संभलकर रहना पड़ता है.

30 साल बाद कुंभ राशि में शनि
17 जनवरी 2023 को शनि देव कुंभ राशि में प्रवेश करने वाले हैं. ज्योतिषविदों का कहना है शनि देव करीब 30 साल बाद अपनी मूल राशि कुंभ में प्रवेश करने जा रहे हैं. शनि अभी मकर राशि में विचरण कर रहे हैं. शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही कई राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या शुरू हो जाएगी.

इन 2 राशि वालों को रहना होगा संभलकर
शनि के कुंभ राशि में गोचर करते ही सभी जातकों को इसके अच्छे-बुरे परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे. इस गोचर के बाद मिथुन और तुला राशि वालों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. दरअसल, इन दोनों राशियों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी. इसके बाद आपके बने बनाए काम बिगड़ सकते हैं. दांपत्य जीवन में समस्याएं आ सकती हैं. घर की सुख-शांति भंग हो सकती है. इन दोनों ही राशि के जातकों को नौकरी-कारोबार में नुकसान उठाना पड़ सकता है. आय में कमी आ सकती है. सहकर्मियों के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं.

क्या है उपाय?
शनि से जुड़ी समस्या बढ़ने पर शनिवार को गरीबों को भोजन कराकर उन्हें दान देना चाहिए. इसके अलावा शनि मंदिर में तेल का दान और ॐ हं हनुमते नमः मंत्र का जाप करें. पितरों को याद करते हुए पीपल के पेड़ को जल अर्पित करने से भी समस्या दूर हो सकती है.

इन 3 राशियों को लाभ
शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करने के बाद मकर, कुंभ और धनु राशि के जातकों को लाभ होने वाला है. इस राशि के जातक कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? शनि की साढ़े साती से मुक्त हो जाएंगे. अब तक उनके जो काम अटके हुए थे, वो तेजी से पूरे होने लगेंगे. नौकरी-व्यापार के मोर्चे पर सफलताएं प्राप्त करेंगे. जीवन में धन का प्रवाह बढ़ेगा. संतान की ओर से खुशखबरी मिल सकती है. यात्राओं से लाभ होगा. निवेश करने के लिए भी समय अनुकूल रहने वाला है.

2025 तक भारत बनेगा 5 ट्रिलियन डॉलर की Economy : अमित शाह

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शनिवार को कहा कि पिछले आठ सालों में देश ने विकास और अर्थव्यवस्था (Economy) के मामले में शानदार काम किया है. साल 2025 तक निश्चित रूप से भारत (India) 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा. शाह शनिवार को सीमेंट प्रमुख इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित कर रहे थे.

कार्यक्रम में वैश्विक वित्तीय फर्म मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट का हवाला दिया. इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. शाह ने कहा कि हमारे देश का बुनियादी ढांचा महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री मोदी पारदर्शी और जबरदस्त प्रभावी नीतियों के कारण पिछले आठ सालों में देश ने बहुत कुछ हासिल किया है.

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आर्थिक मोर्चे पर शाह ने कहा कि भारत $ 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अच्छी तरह से बढ़ रहा है और मॉर्गन स्टेनली का हवाला देते हुए कहा कि देश 2025 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. देश में राजनीतिक स्थिरता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के कारण भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है. आईएमएफ ने भारत की अर्थव्यवस्था को एक अंधेरे क्षेत्र में एक उज्ज्वल स्थान कहा है. उसने भविष्यवाणी की है कि भारत 2022-23 में 6.8% जीडीपी के साथ जी20 में दूसरे स्थान पर होगा और 2023-24 में जी20 में 6.1% जीडीपी के साथ पहले स्थान पर होगा.

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कोई भी संस्था अपने क्षेत्र में लीडर के रूप में उभरती है तभी 75 साल की उसकी यात्रा समाप्त होती है. उन्होंने कहा कि खेल संगठन में पारदर्शिता लाने, संभावनाओं को एक्सप्लोर करने और खिलाड़ियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए श्रीनिवासन जी ने एक नया रास्ता दिखाया है.

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अमित शाह ने कहा कि किसी भी देश को विकसित होने के लिए मूल ज़रूरत है कि उसका इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा होना चाहिए और इसके लिए ज़रूरी है कि देश सीमेंट के उत्पादन में आत्मनिर्भर बने. उन्होंने कहा कि इंडिया सीमेंट ने सीमेंट के क्षेत्र में संस्थापक उद्योग के नाते बहुत बड़ा योगदान देकर 15.5 मिलियन टन की क्षमता और 10 फैक्ट्री के साथ खुद को इस क्षेत्र की सबसे अग्रणी कंपनियों में से एक बनाया है. पिछले 8 वर्षों में देश के विकास और अर्थतंत्र को मज़बूत करने की दिशा में बहुत अच्छा काम किया गया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में भारत 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था अवश्य बन जाएगा क्योंकि 8 सालों में भारत की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया में 11वें स्थान से 5वें स्थान पर आ गई है. उन्होंने कहा कि हाल ही में आई मॉर्गन-स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2027 में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत ज़रूरी है. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार कई क्षेत्रों में पारदर्शी नीतियां लाकर अनेक संभावनाओं कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? के द्वार खोले हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा क्षेत्र में निवेश लाने की सबसे अधिक संभावना तमिलनाडु को दी है और इसका एक बेहतरीन उदाहरण तमिलनाडु डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर है जिसमें चेन्नई, तिरूचिरापल्ली, कोयम्बटूर, सलेम और होसुर शामिल हैं. श्री शाह ने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में देश में हर क्षेत्र में पिछले 8 सालों में पारदर्शी नीतियों के कारण कई उपलब्धियां हासिल की गई हैं.

अमित शाह ने कहा कि शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए भी केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार कई क्षेत्रों में नई नीतियां लाई है. उन्होंने कहा कि कोविड की वैश्विक महामारी के दौरान भारत कुछ चुनिन्दा देशों में से था जिन्होंने सबसे पहले स्वदेशी वैक्सीन बनाई और आज तक हम 225 करोड़ टीके लगा चुके हैं. शाह ने कहा कि 85 देशों को वैक्सीन भेजकर दुनिया को भी सुरक्षित करने का काम भारत ने किया है. उन्होंने कहा कि देश की कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? 60 करोड़ जनता का देश की अर्थव्यवस्था में कोई योगदान नहीं था लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने इन 60 करोड़ लोगों को शौचालय, बिजली, घर, गैस सिलिंडर और 5 लाख रूपए तक का स्वास्थ्य का खर्च उठाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि इसके कारण इन 60 करोड़ लोगों का जीवनस्तर ऊपर उठा है और अब एस्पिरेशन के साथ ये लोग देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए देश के साथ जुड़े हैं. शाह ने कहा कि इन 60 करोड़ लोगों के जीवन में जीने की जीजिविषा जगाने का इतना बड़ा काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है.

केन्द्र की मोदी सरकार ने तमिलनाडु के विकास को हमेशा प्राथमिकता दी है. वर्ष 2009-14 में जहां तमिलनाडु को टैक्स डेव्यूलेशन के 62 हजार करोड़ रुपये मिलते थे लेकिन पिछले पांच सालों में 91 फीसदी की वृद्धि के साथ अब 1,19,455 करोड़ रुपये तमिलनाडु को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रांट-एन-एड को 171 फीसदी की वृद्धि के साथ 35 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 95,734 करोड़ रुपये कर दिया गया. वित्तीय वर्ष 2009-10 में तमिलनाडु को वित्त आयोग का अनुदान 928 करोड़ रुपये था जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में कमीशन मुक्त में निवेश कैसे करें? बढ़कर 6 हजार करोड़ रुपये हो गया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने तमिलनाडु में नेशनल हाइवे पर वार्षिक 8700 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. शाह ने कहा कि भारतमाला परियोजना के तहत 91,570 करोड़ रुपये के 2,800 किमी से अधिक के सड़क प्रोजेक्टस् को अप्रूव कर काम शुरु किया गया है और भारत सरकार ने 47,589 करोड़ रुपये के अन्य 64 प्रोजेक्टस् तमिलनाडु को दिए हैं. राज्य में एक हजार मेगावाट की नेवेली थर्मल विद्युत परियोजना शुरु की गयी है और चेन्नई मैट्रो फेज-1 का विस्तार 3,770 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और इसके साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार ने तमिलनाडु को 1450 सीटों के साथ 11 नये मेडिकल कॉलेज भी दिए हैं. तमिल भाषा और इसका व्याकरण विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं और व्याकरण में से एक है और इसे बढ़ावा देकर समृद्ध करना पूरे देश की जिम्मेदारी है. उन्होंने तमिलनाडु सरकार से अनुरोध किया कि अन्य राज्यों की तरह यहां भी मेडिकल कॉलेजों में तमिल भाषा में पढ़ाई की शुरुआत करे ताकि तमिल मीडियम में पढ़ने वाले बच्चों को मेडिकल साइंस समझने में आसानी हो और वे इस क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट कर देश में अपना योगदान दे सकें. उन्होंने कहा कि अगर तमिलनाडु सरकार मेडिकल और इंजीनियरिंग में तमिल भाषा में पढ़ाई पर ध्यान देगी तो ये तमिल भाषा की बहुत बड़ी सेवा होगी.

OPS लागू नहीं होगी पंजाब, गुजरात सहित कई राज्यों में? अर्थशास्त्रियों ने इस बात की जताई चिंता

देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) लागू करने की घोषणा के बीच अर्थशास्त्रियों ने का कहना है कि इसके लिए वित्तीय संसाधनों का उपयोग करना एक ‘बड़ी भूल’ होगी और इससे औसत आर्थिक वृद्धि दर घटकर छह प्रतिशत पर आने के साथ अन्य विकास कार्यों पर भी असर पड़ेगा। अर्थशास्त्रियों का यह भी कहना है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था (ओपीएस) लागू होने से सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले नौकरीपेशा लोगों को ही लाभ होगा, जो कि आबादी का एक सीमित हिस्सा ही है।

वहीं निजी क्षेत्र में बड़ी संख्या में काम करने वाले कामगारों समेत तमाम लोगों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने ओपीएस से नई नौकरियों के सृजन पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताई है। पिछले कुछ महीनों में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब ने सरकारी कर्मचारियों के लिये ओपीएस को लागू करने की घोषणा की है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और गुजरात में जारी विधानसभा चुनावों के दौरान कहा है कि इन राज्यों में सत्ता में आने पर वह ओपीएस लागू करेगी।

इससे पहले उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा जोरशोर से उठा था। मीडियो रिपोर्ट के अनुसार, जाने-माने अर्थशास्त्री और वर्तमान में बेंगलुरु स्थित डॉ. बीआर आंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी के कुलपति एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) विभिन्न स्तरों पर काफी सोच-विचारकर लागू की गयी है और यह स्वतंत्र भारत में सबसे बड़ा राजकोषीय सुधार है।

इससे सरकार का वित्तीय बोझ काफी कम हुआ है और राज्य सरकारों की राजकोषीय स्थिति भी बेहतर हुई है। उन्होंने कहा कि अगर ओपीएस पूरे देश में लागू कर दी गयी तो इसका वित्तीय असर काफी व्यापक होगा। सार्वजनिक कर्ज का स्तर प्रबंधन-योग्य स्तर से ऊपर पहुंच जाएगा। इतना ही नहीं, औसत जीडीपी वृद्धि दर पर भी असर पड़ेगा और सात प्रतिशत से अधिक वृद्धि की संभावना घटकर छह प्रतिशत पर आ सकती है।

आर्थिक शोध संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा कि चुनावों में मतदाताओं को लुभाने के लिए ओपीएस लागू करना आर्थिक नजरिये से नुकसानदायक है क्योंकि इसमें वित्तीय जोखिम है। इस घोषणा का समय भी विशेष रूप से महामारी के बाद के राजकोषीय जोखिम और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं को देखते हुए अनुचित है। राजकोषीय बाधाओं को देखते हुए ओपीएस के क्रियान्वयन की गुंजाइश नहीं है।

एक जनवरी, 2004 से लागू नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) अंशदान पर आधारित पेंशन योजना है। इसमें कर्मचारी के साथ-साथ सरकार भी अंशदान देती है। पेंशन कोष विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) कानून, 2013 के तहत संचालित एनपीएस के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को अपने वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत अंशदान देना होता है। इतना ही अंशदान सरकार करती थी। वर्ष 2019 में संशोधन के जरिये सरकार के अंशदान को बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया।

पीएफआरडीए की देखरेख में कोष प्रबंधक जमा राशि का निवेश करते हैं। सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी समूचे कोष का 60 प्रतिशत निकाल सकते हैं, जबकि कम-से-कम 40 प्रतिशत राशि का उपयोग पंजीकृत बीमा कंपनी से पेंशन उत्पाद खरीदने में करना जरूरी होता है। उसके आधार पर कर्मचारियों को मासिक आधार पर पेंशन मिलती है। वहीं पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारियों की पेंशन सेवानिवृत्ति से पहले लिये गये अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत होती है और यह पूरी राशि सरकार की तरफ से दी जाती थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या ओपीएस बहाल होने से कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा में सुधार नहीं होगा, भानुमूर्ति ने कहा कि इससे केवल सरकारी कर्मचारियों को ही लाभ होगा। जो कामगार निजी क्षेत्र में काम करते हैं, उनके लिये क्या होगा। सामाजिक सुरक्षा का लाभ सबको मिलना चाहिए। बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं के जरिये इसका लाभ देना ज्यादा उपयुक्त है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस (आईआईपीएफ) की संचालन प्रबंधन मंडल की सदस्य भी भूमिका निभा रही लेखा चक्रवर्ती ने कहा कि ओपीएस से केवल सरकारी कर्मचारी ही लाभान्वित होंगे, जो आबादी का सीमित हिस्सा है।

इसके बजाय पुनर्वितरण न्याय के तहत सामाजिक सुरक्षा के लिये वित्तीय संसाधनों का उपयोग करना कहीं अधिक विवेकपूर्ण होगा।
उन्होंने कहा कि यदि संबंधित राज्यों के वित्त मंत्री इसे लागू करने के लिये वित्तीय संसाधन का निर्धारण नहीं करते हैं, तो यह खतरनाक होगा। राजनीतिक अर्थव्यवस्था एक पेचीदा विषय है और इसे सावधानी से संभालने की जरूरत है। चक्रवर्ती का कहना है कि वित्तीय जोखिम और विश्लेषण पर आरबीआई के अध्ययन से पता चलता है कि ज्यादातर राज्यों में वित्त वर्ष 2017-18 से 2021-22 के दौरान पेंशन खर्च कुल राजस्व व्यय का औसतन 12.4 प्रतिशत है।

साथ ही आरबीआई का अनुमान है कि अधिक कर्ज वाले ज्यादातर राज्यों में पेंशन व्यय 2030-31 तक सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 0.70 से 0.30 प्रतिशत रहेगा। ऐसे में ओपीएस को लागू करना वित्तीय रूप से जोखिम भरा है। भानुमूर्ति ने कहा कि कुछ राज्यों में छठा वेतन आयोग की अनुशंसा भी अभी तक लागू नहीं हुई है। वहां पर ओपीएस बहाल होने से उन राज्यों की वित्तीय स्थिति पर ज्यादा असर पड़ेगा। फिर पेंशन पर अधिक राशि खर्च होने से संसाधन भी प्रभावित होंगे। इससे विकास के दूसरे क्षेत्रों में खर्च प्रभावित होंगे और नई नौकरियों के सृजन पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

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