दलाल और उनकी शर्तें

रायपुर (छत्तीसगढ़ दर्पण)। रायपुर विकास प्राधिकरण प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि उसकी सभी संपत्तियों का आवंटन सीधे कार्यालय में आवेदकों व अधिकारियों की उपस्थिति में किया जाता है। पूरी प्रक्रिया की रिकार्डिंग की जाती है। प्राधिकरण ने किसी भी एजेन्ट को संपत्तियों का विक्रय करने के लिए अधिकृत या नियुक्त नहीं किया है।
प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी धर्मेश कुमार साहू ने कहा कि यदि कोई एजेंन्ट या ब्रोकर किसी से यह कहता है कि वह किसी को कोई फ्लैट् या भूखंड आवंटित करावा देगा तो यह सरासर झूठ और गलत है। आम नागरिकों को ऐसे किसी भी एजेन्ट ब्रोकर या दलाल की बातों में नहीं आना चाहिए। यदि कोई भी व्यक्ति, एजेन्ट, दलाल या कर्मचारी किसी संपत्ति अलाटमेंट करा देने की बात करता है या फार्म भरने के लिए कोई पैसा मांगता है या अलाटमेंट करा देने के लिए दलाली के रुप में कोई राशि मांगता है तो इसकी शिकायत प्रमाण सहित मुख्य कार्यपालन अधिकारी, रायपुर विकास प्राधिकरण को दे। प्राधिकरण में आवेदकों को आवेदन पत्र, नियम एवं शर्तो में उल्लेख अनुसार ही राशि जमा कराना होता है। राशि जमा करने पर रसीद दी जाती है। इसके अतिरिक्त कोई भी राशि प्राधिकरण व्दारा नहीं ली जाती।
प्राधिकरण के सीईओ साहू ने कहा कि यदि किसी भी व्यक्ति को फ्लैट्स या अन्य संपत्ति के बारे में कोई जानकारी चाहिए तो वह प्राधिकरण कार्यालय में सीधा मार्केटिंग शाखा के कर्मचारियों से संपर्क कर जानकारी ले सकता है। इसके लिए य़हां दो कर्मचारी नियुक्त है। कर्मचारी संपत्ति लेने के इच्छुक लोगों को विक्रय योग्य सभी संपत्तियों जानकारी देते हैं तथा आवेदन पत्र भरने की पूरी प्रक्रिया भी समझाते हैं। आवेदकों को विभिन्न बैंकों व नॉन बैंकिंग संस्थाओं से ऋण लेने की प्रक्रिया तथा प्राधिकरण से दिए जाने वाले दस्तावेजों के बारे में भी जानकारी दी जाती है।
उन्होंने आगे बताया कि प्राधिकरण व्दारा फ्लैट्स आवंटन के लिए नियमित रुप से राजधानी रायपुर के दो लोकप्रिय समाचार पत्रों में विज्ञापनों का प्रकाशन कराया जाता है। यह जानकारी नियमित रुप से प्राधिकरण की वेबसाईट https://rda.cgstate.gov.in (एचटीटीपीएस://आरडीए डॉट सीजीस्टेट डॉट जीओवी डॉट इन) में भी अपलोड की जाती है। निर्धारित तिथि तक आवेदन पत्र, नियम एवं शर्तें का विक्रय प्राधिकरण कार्यालय से किया जाता है। आवेदन पत्र, नियम एवं शर्तें वेबसाईट से भी डॉऊनलोड करने की सुविधा भी है।
एलआईजी फ्लैट्स व अन्य संपत्तियों के विक्रय आवेदन, आवेदकों के समक्ष उनकी उपस्थिति में प्राधिकरण कार्यालय के तृतीय तल स्थित सभा कक्ष में खोले जाते है। इस दौरान प्राधिकरण के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अधीक्षण अभियंता, राजस्व अधिकारी, राजस्व अधिकारी और अन्य संबंधित कर्मचारी उपस्थिति रहते हैं। प्राप्त सभी आवेदनों के आवेदक के नाम व उनके व्दारा प्रस्तावित की गई राशि सबके समक्ष माईक में ऊंची आवाज में बोल कर सुनाया जाता है तथा इन दरों को कम्प्यूटर में अंकित कर उसकी सूची बनाई जाती है। सूची में उपस्थित आवेदकों व प्राधिकरण के अधिकारियों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिंग की जाती है। इससे स्पष्ट है कि आवेदन खोले जाने की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की जा रही है। फ्लैट्स आवेदन के दिए गए प्रस्ताव की सूची में उच्चतम दर देने वाले आवेदकों को प्रशासनिक स्वीकृति के उपरांत फ्लैट्स का आवंटन पत्र देय राशि व अन्य शर्तों के साथ जारी किया जाता है।
कर मामलों के समाधान की शर्त पेचीदा
पुरानी तारीख से लागू होने वाले कर मामले निपटाने के लिए तय नई शर्तें कंपनियों के लिए पेचीदा साबित हो सकती हैं। विशेषज्ञों ने यह अंदेशा जताया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह पूरी प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है, खासकर सरकार को इन मामलों में भविष्य में किसी तरह के विवाद से अलग रखने संबंधी शर्त (इन्डेम्निटी बॉन्ड) भी एक बड़ी बाधा साबित हो सकती है। कानूनी जानकारों के अनुसार कंपनियों के लिए निदेशकमंडल और दूसरे शेयरधारकों से सहमति लेने की शर्त पूरी करना भी आसान नहीं होगा।
पिछली तारीख से लागू होने वाले कर मामलों में सरकार ने यह शर्त भी रख दी है कि किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा भारतीय न्यायालयों में ही होगा। विशेषज्ञों कहना है कि यह भी एक ऐसी शर्त है जिसके लिए हामी भरना कंपनियों के लिए आसान नहीं होगा। उनका कहना है कि कंपनियां अपने देशों में मामले की सुनवाई कराने के पक्ष दलाल और उनकी शर्तें में होंगी या कम से कम वे एक
तटस्थ देश जरूर चाहेंगी।
इस संबंध में तय शर्त में कहा गया है किसी मतभेद या विवाद की स्थिति में मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय में होगी। इस बारे में सलाहकार कंपनी कैटेलिस्ट एडवाइजर्स के संस्थापक केतन दलाल कहते हैं, 'जो कंपनी मामला निपटाना चाहती है उस पर कई तरह की शर्तें ला दी गई हैं। इसके अलावा किसी तीसरे पक्ष द्वारा दावा करने की स्थिति में संबंधित कंपनी को सरकार को ऐसे झमेले से अलग रखना होगा।'
दलाल ने कहा कि इन्डेम्रिटी बॉन्ड की भाषा बिल्कुल स्पष्ट है और भविष्य में किसी तरह के विवाद की स्थिति में सरकार की कोई जवाबदेही नहीं होगी। दलाल ने कहा, 'सरकार के दृष्टिकोण से यह शर्त वाजिब लग सकती है मगर कानूनी विवाद में फंसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए अपने निदेशकमंडल और संबंधित पक्षों को तैयार करना बेहद मुश्किल साबित होगा।'
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अक्टूबर में जारी एक अधिसूचना में कहा है कि कंपनियों को भविष्य में पैदा होने वाले किसी विवाद से सरकार को मुक्त रखना होगा और पुरानी तारीख से लागू होने वाले कर मामलों के निपटारे के लिए किसी न्यायालय या पंचाट में दायर याचिका वापस लेनी होगी।
सरकार ने सभी शेयरधारकों से सहमति लेने के लिए कहने के बजाय करदाताओं को प्रत्येक संबंधित पक्ष से इन्डेम्रिटी बॉन्ड हासिल कर उसे कर वापसी के लिए सौंपी उद्घोषण के साथ लगाना होगा।
नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया कहते हैं, 'नई शर्त पूरी करने के लिए कंपनियों को अधिक समय लगेगा और उन्हें अधिक प्रयास भी करना होगा। भुगतान किए जा चुके कर की वापसी में किसी कंपनी को कम से कम दो से तीन महीने लग जाएंगे।'
नांगिया ने कहा कि करदाता न केवल मामला दायर करने का अपना अधिकार खो रहा है बल्कि वह किसी अन्य पक्ष द्वारा दावा करने दलाल और उनकी शर्तें की स्थिति में सरकार को सभी कानूनी जवाबदेही से मुक्त भी कर रहा है।
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार पहले की दलाल और उनकी शर्तें गई गलतियां दुरुस्त करना चाहती हैं और पिछली तारीख से लागू होने वाले कर कानून के तहत अब तक वसूले गए कर लौटाना चाहती है। अधिसूचना के अनुसार मगर इससे पहले सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है है कि मामला निपटने के बाद भविष्य में किसी तरह का विवाद पैदा नहीं हो।
जिला महिला अस्पताल में दलाल राज
एक रुपये में इलाज मुहैया कराने की सरकारी कोशिशों पर दलाल भारी पड़ रहे हैं। मुमकिन है कि अस्पताल परिसर में आपके मोबाइल का नेटवर्क धोखा दे जाए लेकिन दलालों के नेटवर्क से आप शायद ही बच पाएं। इसमें फंसकर रोजाना कई मरीज ठगे जा रहे हैं। अस्पताल में लैब होने के बावजूद ये दलाल मरीजों को निजी लैब में ले जाकर उनका आर्थिक दोहन करते हैं। निजी लैब दलाल और उनकी शर्तें से जुड़े दलालों का अस्पताल के स्टाफ और ऊपर के लोगों से भी जबरदस्त साठगांठ है। इनकी पहुंच और हनक ओपीडी से लेकर वार्डो तक दिखती है। इसमें न सिर्फ मरीजों की जेब ढ़ीली हो रही है बल्कि अस्पताल प्रशासन और शासन की साख पर बट्टा भी लग रहा है। ऐसे में दलालों के संक्रमण से बीमार महिला अस्पताल को कड़वी दवा की दरकार है।
जिला महिला अस्पताल में दलालों का राज इस कदर है कि यहां के डॉक्टर ज्यादातर बाहर के सेन्टर से जांच कराने की सलाह देते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम बुधवार को हकीकत जानने के लिए जिला महिला अस्पताल पहुंची। यहां जो देखा वह हैरान करने वाला है। ओपीडी में डॉक्टर मरीज को देखने के बाद उन्हें बाहर के सेंटर पर जांच के लिए भेज रहे हैं। आलम यह है कि दलाल खुलेआम अस्पताल में घूम रहे हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन जानकर भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है।
गंभीर केस पर रहती है दलालों की नजर
जिला महिला अस्पताल में गंभीर केस पर दलालों की नजर टीकी रहती है। वह सुबह दलाल और उनकी शर्तें से देर रात तक इसी ताक में रहते हैं। जैसे ही डॉक्टर मरीज को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर करता है। वैसे ही दलाल सक्रिय हो जाते हैं। अस्पताल के मेन गेट पर ही परिजनों से बात कर कम पैसे में बेहतर इलाज का भरोसा दिलाकर निजी अस्पताल में भेज देते हैं।
कमिशन के चक्कर में भेजते हैं बाहर मरीज
नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि कमिशन के चक्कर में अस्पताल के कर्मचारी मरीज को अपने भरोसे में लेकर उन्हें अपने चहेते जांच सेंटर पर जाने की सलाह देते हैं। इसके लिए उन्हें दलाल अच्छी खासी रकम देते हैं।
केस-1-गोरखनाथ की रहने वाली ममता को तेज प्रसव पीड़ा होने लगी। परिजनों ने उसे जिला महिला अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां उसकी हालत गंभीर होने लगी। हालत गंभीर देखकर डॉक्टर ने उसे मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया। जैसे ही वह बाहर पहुंचे। इस दौरान एक दलाल परिजनों से टकराया। उसने मरीज के परिजनों को अपने झांसे मे लेकर बेहतर इलाज का भरोसा दिलाया और एक निजी हॉस्पिटल में इलाज के लिए दलाल और उनकी शर्तें भेज दिया। इलाज के दौरान डॉक्टर ने परिजनों से बताया कि महिला के पेट में बच्चा मर गया है। इतनी बात सुनकर परिजन भड़क गए और इलाज में खर्च हुए पैसे को वापस मांगने लगे।
केस-2- बासगांव की रहने वाली सीमा अपनी जांच कराने के लिए लैब पहुंची। अभी वह लैब दलाल और उनकी शर्तें तक पहुंचती कि इसी बीच एक व्यक्ति उससे मिला और बाहर की जांच कराने के लिए कहा। महिला उसके झांसे में आ गई। महिला से दलाल ने ब्लड सैंपल लेने के बाद दो घंटे बाद रिपोर्ट देने की बात की।
दलालों को चिन्हित कर उनकी धरपकड़ की जाएगी। ओपीडी के अलावा प्रवेश द्वार पर भी सीसी टीवी कैमरे लगा दिए गए हैं। संदिग्ध व्यक्तियों पर खास कर नजर रखी जा रही है।
किसानों को बातचीत के लिए दलाल और उनकी शर्तें आगे आना चाहिए: दलाल
चंडीगढ़, पांच जुलाई (भाषा) हरियाणा के कृषि मंत्री जे पी दलाल ने सोमवार को कहा कि किसानों को नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन खत्म करना चाहिए और इस मुद्दे को हल करने के वास्ते केंद्र के साथ बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। दलाल ने भिवानी में पार्टी की एक बैठक से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘‘केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों को नये कृषि कानून वापस लेने की शर्त पर जोर नहीं देना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा है केंद्र उनकी शंकाओं को दूर करने के लिए किसी भी मुद्दे पर चर्चा
दलाल ने भिवानी में पार्टी की एक बैठक से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘‘केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों को नये कृषि कानून वापस लेने की शर्त पर जोर नहीं देना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा है केंद्र उनकी शंकाओं को दूर करने के लिए किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है।’’ दलाल ने कहा, ‘‘इसलिए, मेरी किसानों से अपील है कि वे आंदोलन को खत्म कर दें और बातचीत के लिए आगे आएं क्योंकि इस मुद्दे को हल करने का यही एकमात्र तरीका है और केंद्र इसे सुलझाने के लिए तैयार है।’’
इस बीच कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के एक समूह ने सभा स्थल तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे लहराये और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा था कि अगर केंद्र सरकार किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहती है तो उसे शर्तें नहीं लगानी चाहिए।
गौरतलब है कि केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर किसान पिछले साल नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।
सावधान! ऋण माफी के दायरे में आए 45 हजार किसानों पर दलालों की नजर
किसानों पर योगी सरकार की दरियादिली का दलाल फायदा उठाने में जी जान से जुट गए हैं। दरअसल, एक लाख रुपये तक का फसली ऋण माफ करने की घोषणा से पात्रता की श्रेणी में आए जिले के 45,219 किसानों पर दलालों ने डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।
महज 25 हजार रुपये सुविधा शुल्क देने पर दो लाख रुपये तक का ऋण माफ कराने का झांसा दिया जा रहा है। हालांकि, बैंक प्रबंधकों का कहना है कि इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। किसान दलालों के झांसे में न आएं।
मुख्यमंत्री की घोषणानुसार जिले के 45,219 किसानों पर मौजूद करीब 200 करोड़ रुपये का फसली ऋण माफ किया जाना है। इसका फायदा उठाकर देहात अंचल में खुद को बैंक का कर्मचारी बता बड़ी संख्या में दलाल सक्रिय हो गए हैं।
दलाल ग्रामीणों से संपर्क बनाने में जुट गए हैं। 25 हजार रुपये सुविधा शुल्क के बदले किसानों का दो लाख रुपये तक का ऋण माफ कराने का झांसा दे रहे हैं। ऐसे में किसान जागरूक नहीं हुए तो उन्हें लेने के देने पड़ जाएंगे।
पहले गांव के प्रभावशाली व्यक्ति को प्रभाव में ले रहे दलाल एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उक्त दलाल गांव के प्रभावशाली व्यक्ति को भरोसे में लेते हैं।
वहीं व्यक्ति अन्य किसानों से दलालों का संपर्क बनवाता है, जिसे काफी पैसों का लालच भी दिया जाता है।
पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक वीके पाठक का कहना है कि उनकी शाखा में इस तरह की जानकारी करने किसान पहुंच रहे हैं। उनका कहना है कि किसान सावधान रहें, किसी दलाल के चुंगल में न फंसे।
सरकार की घोषणानुसार ही ऋण माफ होगा। कोई भी बैंक किसानों से पैसा लेकर उनका दोगुना ऋण माफ नहीं कर सकता है।
किसानों पर योगी सरकार की दरियादिली का दलाल फायदा उठाने में जी जान से जुट गए हैं। दरअसल, एक लाख रुपये तक का फसली ऋण माफ करने की घोषणा से पात्रता की श्रेणी में आए जिले के 45,219 किसानों पर दलालों ने डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।
महज 25 हजार रुपये सुविधा शुल्क देने पर दो लाख रुपये तक का ऋण माफ कराने का झांसा दिया जा रहा है। हालांकि, बैंक प्रबंधकों का कहना है कि इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। किसान दलालों के झांसे में न आएं।
मुख्यमंत्री की घोषणानुसार जिले के 45,219 किसानों पर मौजूद करीब 200 करोड़ रुपये का फसली ऋण माफ किया जाना है। इसका फायदा उठाकर देहात अंचल में खुद को बैंक का कर्मचारी बता बड़ी संख्या में दलाल सक्रिय हो गए हैं।
दलाल ग्रामीणों से संपर्क बनाने में जुट गए हैं। 25 हजार रुपये सुविधा शुल्क के बदले किसानों का दो लाख रुपये तक का ऋण माफ कराने का झांसा दे रहे हैं। ऐसे में किसान जागरूक नहीं हुए तो उन्हें लेने के देने पड़ जाएंगे।
पहले गांव के प्रभावशाली व्यक्ति को प्रभाव में ले रहे दलाल एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उक्त दलाल गांव के प्रभावशाली व्यक्ति को भरोसे में लेते हैं।
वहीं व्यक्ति अन्य किसानों से दलालों का संपर्क बनवाता है, जिसे काफी पैसों का लालच भी दिया जाता है।
पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक वीके पाठक का कहना है कि उनकी शाखा में इस तरह की जानकारी करने किसान पहुंच रहे हैं। उनका कहना है कि किसान सावधान रहें, किसी दलाल दलाल और उनकी शर्तें के चुंगल में न फंसे।
सरकार की घोषणानुसार ही ऋण माफ होगा। कोई भी बैंक किसानों से पैसा लेकर उनका दोगुना ऋण माफ नहीं कर सकता है।