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बैंकिंग रेगुलेशन (संशोधन) अध्यादेश, 2020

  • बैंकिंग रेगुलेशन (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 26 जून, 2020 को जारी किया गया। यह अध्यादेश बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 में संशोधन करता है। एक्ट बैंकों के कामकाज को रेगुलेट करता है और विभिन्न पहलुओं का विवरण प्रदान करता है जैसे बैंकों की लाइसेंसिंग, प्रबंधन और संचालन।
  • एक्सक्लूजन्स: एक्ट कुछ कोऑपरेटिव सोसायटीज़ पर लागू नहीं होता, जैसे प्राइमरी कृषि ऋण सोसायटीज़ और कोऑपरेटिव लैंड मॉर्गेज बैंक। अध्यादेश निम्नलिखित को एक्ट के प्रावधानों से हटाने के लिए इसमें संशोधन करता है: (i) प्राइमरी कृषि ऋण सोसायटीज़, और (ii) कोऑपरेटिव सोसायटीज़ जिनका मुख्य कारोबार कृषि विकास के लिए दीर्घकालीन वित्त प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त इन सोसायटीज़ को निम्नलिखित नहीं करना चाहिए (i) अपने नाम में ‘बैंक,’ ‘बैंकर’ या ‘बैंकिंग’ शब्दों का इस्तेमाल, और (ii) चेक क्लीयर करने वाली एंटिटीज़ के तौर पर व्यवहार।
  • मोरटोरियम के बिना पुनर्गठन या एकीकरण की योजना बनाने की शक्ति: एक्ट के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) केंद्र सरकार को किसी बैंकिंग कंपनी को मोरटोरियम में रखने का आवेदन कर सकता है। मोरटोरियम के दौरान बैंक के खिलाफ छह महीने तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती या ऐसी कोई कार्रवाई जारी नहीं रखी जा सकती। इस अवधि के दौरान बैंक कोई भुगतान नहीं कर सकता या अपनी देनदारियों को नहीं चुका सकता। अध्यादेश कहता है कि मोरटोरियम के दौरान बैंक लोन नहीं दे सकता और न ही किसी क्रेडिट इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर सकता है।
  • इसके अतिरिक्त मोरटोरियम के दौरान अगर आरबीआई को यह प्रतीत होता है कि बैंक के उचित प्रबंधन के लिए, या जमाकर्ताओं, आम लोगों या बैंकिंग प्रणाली के हित के लिए ऐसा आदेश जरूरी है तो वह बैंक के पुनर्गठन या एकीकरण के लिए योजना बना सकता है। अध्यादेश आरबीआई को इस बात की अनुमति देता है कि वह मोरटोरियम के बिना भी पुनर्गठन या एकीकरण की योजना शुरू कर सकता है।
  • कोऑपरेटिव बैंकों का शेयर और सिक्योरिटी जारी करना: अध्यादेश में प्रावधान है कि कोऑपरेटिव बैंक फेस वैल्यू पर या अपने सदस्यों अथवा अपने संचालन क्षेत्र में निवास करने वाले अन्य व्यक्तियों को प्रीमियम पर इक्विटी शेयर, प्रिफ्ररेंस शेयर या स्पेशल शेयर जारी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त वह ऐसे लोगों को दस वर्ष या उससे अधिक की परिपक्वता के साथ अनसिक्योर्ड डिबेंचर्स या बॉन्ड्स या इस जैसी दूसरी सिक्योरिटीज़ जारी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें आरबीआई की पूर्व मंजूरी लेनी होगी और आरबीआई की दूसरी शर्तों, जो भी निर्दिष्ट हों, को मानना होगा।
  • अध्यादेश का कहना है कि कोई भी व्यक्ति कोऑपरेटिव बैंक के शेयर्स को सरेंडर करने पर भुगतान की मांग के लिए अधिकृत नहीं है। इसके अतिरिक्त कोऑपरेटिव बैंक केवल आरबीआई द्वारा निर्दिष्ट किए जाने पर ही अपने शेयर कैपिटल को विदड्रॉ या कम कर सकता है।
  • बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का सुपरसेशन: एक्ट कहता है कि आरबीआई कुछ स्थितियों में मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का अधिकतम पांच वर्षों के लिए सुपरसेशन कर सकता है। इन स्थितियों में ऐसे मामले शामिल हैं जहां आरबीआई के लिए जनहित में या जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए बोर्ड का सुपरसेशन जरूरी है। अध्यादेश कहता है कि अगर कोऑपरेटिव बैंक किसी राज्य के रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटीज में निवेश बैंकिंग पंजीकृत है तो आरबीआई संबंधित राज्य सरकार की सलाह से बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को सुपसीड करेगा और उस अवधि के लिए ऐसा करेगा, जिसे निर्दिष्ट किया गया हो।
  • कोऑपरेटिव बैंकों को छूट देने की शक्ति: अध्यादेश कहता है कि आरबीआई अधिसूचना के जरिए कोऑपरेटिव बैंक या कोऑपरेटिव बैंकों की किसी श्रेणी को एक्ट के कुछ प्रावधानों से छूट दे सकता है। ये कुछ प्रकार के रोजगार पर प्रतिबंध, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के क्वालिफिकेशन और चेयरपर्सन की नियुक्ति से जुड़े प्रावधान हैं। छूट की समय अवधि और शर्तों को आरबीआई द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा।
  • कुछ प्रावधान हटाए गए: अध्यादेश एक्ट से कुछ प्रावधानों को हटाता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: ​एक्ट कोऑपरेटिव बैंकों को अपने खुद के शेयर्स की सिक्योरिटी पर लोन या एडवांस लेने से प्रतिबंधित करता है। इसके अतिरिक्त वह कोऑपरेटिव बैंकों के निदेशकों, और ऐसी निजी कंपनियों, जिनमें बैंक के निदेशक या चेयरपर्सन का हित हो, को अनसिक्योर्ड लोन्स या एडवांस देने से प्रतिबंधित करता है। एक्ट अनसिक्योर्ड लोन्स या एडवांस देने की शर्तों को निर्दिष्ट करता है और यह भी स्पष्ट करता है कि किस तरीके से आरबीआई को लोन रिपोर्ट किए जा सकते हैं। अध्यादेश एक्ट से इस प्रावधान को हटाता है।
  • एक्ट के अनुसार, कोऑपरेटिव बैंक आरबीआई की अनुमति के बिना नए स्थान पर बिजनेस नहीं शुरू कर सकता और न ही अपने मौजूदा शहर, कस्बे या गांव के बाहर लोकेशन बदल सकता है। अध्यादेश इस प्रावधान को हटाता है। वह इस प्रावधान को भी हटाता है कि अधिसूचित कोऑपरेटिव बैंक भारत में अपनी अधिकतम 40% डिमांड और टाइम लायबिलिटी की कीमत वाले एसेट्स को ही बरकरार रख सकता है।
  • अध्यादेश का प्रभाव: अध्यादेश के जारी होने की तारीख से उसके निम्नलिखित प्रावधान लागू होंगे: (i) कुछ कोऑपरेटिव सोसायटीज़ के लिए एक्सक्लूजन को हटाना, और (ii) मोरटोरियम के बिना पुनर्गठन और एकीकरण की शक्तियां। अन्य प्रावधानों को बाद की तारीख में अधिसूचित किया जाएगा।

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

ICICI Bank STACK Launch : रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों के लिए ICICI बैंक ने लॉन्च किया STACK, जानें- खास बातें

ICICI Bank STACK Launch : आईसीआईसीआई बैंक ने आज रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों के लिए एक मंच पर अपनी बैंकिंग आवश्यकताओं के समाधान की पेशकश करने के लिए एक स्टैक (STACK) लॉन्च करने की घोषणा की है, जो डिजिटल और भौतिक समाधानों का एक संयोजन है.

Updated: December 1, 2022 12:26 PM IST

icici bank launches stack

ICICI Bank STACK Launch : आईसीआईसीआई बैंक ने आज रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों के लिए एक मंच पर अपनी बैंकिंग आवश्यकताओं के समाधान की पेशकश करने के लिए एक स्टैक (STACK) लॉन्च करने की घोषणा की है, जो डिजिटल और भौतिक समाधानों का एक संयोजन है. STACK रियल एस्टेट क्षेत्र के प्रतिभागियों जैसे बिल्डरों, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) और वैकल्पिक निवेश फंड्स (AIFs) को तेजी से बैंकिंग लेनदेन करने में सक्षम बनाता है. यह पहल ‘कॉर्पोरेट्स के लिए आईसीआईसीआई स्टैक’ का विस्तार है, जिसे बैंक ने कॉर्पोरेट्स और उनके पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बैंकिंग समाधानों का एक अनुकूलित सेट प्रदान करने के लिए पिछले साल लॉन्च किया था.

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लॉन्च पर बोलते हुए आईसीआईसीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक अनूप बागची ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र हमारे देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजित करने वाला क्षेत्र है और यह अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है. सकल घरेलू उत्पाद में क्षेत्र का योगदान 2025 तक 7% से बढ़कर 13% होने की संभावना है.

रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों के लिए STACK की मुख्य बातें

डिजिटल बैंक खाता खोलना

बैंक बिल्डरों को नामित रेरा खाता, परियोजना ऋण देने के लिए एस्क्रो खाता और नियमित व्यय प्रबंधन के लिए चालू खाता जैसे खाते खोलने की सुविधा प्रदान करता है. ये खाते बैंक के कॉर्पोरेट इंटरनेट बैंकिंग (CIB) प्लेटफॉर्म पर एक ही लॉगिन के साथ सभी खातों के लिए सुविधाजनक वन-व्यू एक्सेस से लैस हैं. बैंक ने बिल्डरों के लिए तेजी से और डिजिटल रूप से रेरा खाता खोलने के लिए पूरी तरह से पेपरलेस, डिजिटल ऑन-बोर्डिंग सुविधा भी शुरू की है. इसके अतिरिक्त, बैंक बिल्डरों को विभिन्न क्रेडिट लाइनों से धन प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए डिजिटल एस्क्रो खाता खोलने की सुविधा प्रदान करता है.

विभिन्न प्रकार के लोन

बैंक बिल्डरों को उनके परियोजना जीवनचक्र के दौरान कई प्रकार के ऋण प्रदान करता है. सूची में निर्माण वित्त, इन्वेंट्री फंडिंग और लीज रेंटल डिस्काउंटिंग (LRD) सुविधा शामिल है. इसके अतिरिक्त, बैंक बिल्डरों को वित्तीय और परिचालन क्षमता बढ़ाने के लिए ओवरड्राफ्ट, लेटर ऑफ क्रेडिट और बैंक गारंटी जैसी सुविधाएं प्रदान करता है.

डिजिटल संग्रह समाधान

बैंक बिल्डरों को प्री-लॉन्च चरण में विभिन्न परियोजनाओं के लिए रिफंड को डिजिटल रूप से एकत्र करने और आसानी से संसाधित करने के लिए एक अनुकूलित समाधान प्रदान करता है. समाधान खरीदारों के विवरण को कैप्चर कर सकता है, बुकिंग राशि को डिजिटल रूप से एकत्र कर सकता है, बिल्डर को तत्काल लेनदेन की स्थिति दे सकता है. इसी तरह, बिल्डर संपत्ति बेचने के लॉन्च के बाद के चरण में खरीदारों से भुगतान एकत्र कर सकता है. एक एकल मंच बिल्डरों को कई परियोजनाओं के विभिन्न खरीदारों से संग्रह को ट्रैक करने में मदद करता है. यह अनुकूलित एमआईएस और खातों के स्वत: मिलान की भी पेशकश करता है.

भुगतान समाधान

बैंक बल्क और वैधानिक भुगतान करने के लिए दर्जी समाधान प्रदान करता है. इसके साथ, बिल्डर्स आसानी से कर्मचारियों को वेतन का भुगतान कर सकते हैं, उपयोगिता बिलों का भुगतान कर सकते हैं और ठेकेदार/विक्रेता को भुगतान कर सकते हैं. इसके अलावा, बिल्डर डिजिटल चैनलों के माध्यम से टीडीएस, जीएसटी, कस्टम ड्यूटी और कर्मचारी भविष्य निधि/कर्मचारी राज्य बीमा के लिए वैधानिक भुगतान कर सकते हैं. वे रीयल टाइम भुगतान सलाह, शेड्यूल भुगतान और एक ही बार में कई जीएसटी भुगतान कर सकते हैं.

खरीदारों के लिए अनुकूलित बंधक लोन

STACK संभावित घर खरीदारों के लिए मॉर्गेज लोन के लिए वन-स्टॉप शॉप है. बैंक परियोजना परिसर में खुदरा खरीदारों के लिए अनुकूलित गृह ऋण निवेश बैंकिंग निवेश बैंकिंग समाधान प्रदान करता है. बैंक संपत्ति पर लोन (एलएपी) और होम ओवरड्राफ्ट सुविधा भी प्रदान करता है.

एफडीआई और विदेशी मुद्रा के लिए डिजिटल समाधान

बैंक बिल्डरों, REITs और AIFs को एक डिजिटल वर्कफ़्लो भी प्रदान करता है जो FDI प्रेषण को भारतीय रुपये में परिवर्तित करता है और अपने CIB प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आवश्यक नियामक दस्तावेज़ों को शीघ्रता से प्रस्तुत करता है. इस पेपरलेस प्रक्रिया के लिए शाखा जाने की आवश्यकता नहीं है. इसके अतिरिक्त, रियल एस्टेट हितधारक डिजिटल प्लेटफॉर्म, एफएक्सऑनलाइन के माध्यम से विभिन्न विदेशी मुद्रा समाधानों का लाभ उठा सकते हैं, जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन के लिए हेजिंग और निपटान समाधान प्रदान करता है. विशेषज्ञों की एक टीम फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) पर नियामक आवश्यकताओं और संरचित लेनदेन मार्गदर्शन के लिए सलाहकार सेवाएं प्रदान करती है.

आरईआईटी और एआईएफ के लिए सेवाएं

बैंक आरईआईटी और एआईएफ को विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है. बैंक उन्हें धन और किराया एकत्र करने में सक्षम बनाने के लिए एक डिजिटल संग्रह समाधान प्रदान करता है.

यह एक परियोजना/किरायेदार/सेवा स्तर और निवेशक स्तर पर क्रमशः सुलह की सुविधा प्रदान करता है, जिससे महत्वपूर्ण परिचालन दक्षता आती है. वे एपीआई एकीकरण, होस्ट-टू-होस्ट एसएफटीपी या ईमेल पर ऐसे एमआईएस प्राप्त करने के माध्यम से इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. निवेशकों को अधिशेष वितरित करने के लिए आरईआईटी और एआईएफ को डिजिटल समाधान प्रदान करने के लिए बैंक के पास विभिन्न प्रमुख आरटीए (रजिस्ट्रार और ट्रांसफर निवेश बैंकिंग एजेंट) के साथ एक व्यवस्था भी है. इसके अतिरिक्त, एआईएफ कस्टोडियल सेवाओं और फंड अकाउंटिंग सेवाओं का भी लाभ उठा सकते हैं.

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Jharkhand News: IAS पूजा सिंघल परिवार की संपत्ति जब्त, पल्स हॉस्पिटल और डायग्नोस्टिक भी अटैच

ईडी ने जांच में पाया कि आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल द्वारा अपनी नाजायज आमदनी को जायज करार देने के लिए बैंकिंग चैनलों का इस्तेमाल करते हुए मनी लाउंड्रिंग की गयी. अपने पति अभिषेक झा के बैंक खातोंं में पलामू में उपायुक्त रहते हुए नकद राशि जमा करायी.

पल्स हॉस्पिटल

Jharkhand News: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) ने मनी लाउंड्रिंग के आरोप में संजीवनी हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड के अधीन चल रहे पल्स हॉस्पिटल और पल्स डायग्नोस्टिक को अस्थायी रूप से जब्त करने का आदेश जारी कर दिया है. जब्त संपत्तियों में अस्पताल में लगे उपकरण और मशीनों के अलावा अमिता झा (अभिषेक झा की मां) के नाम पर खरीदी गयी जमीन शामिल है. जब्त संपत्ति की कीमत 82.77 करोड़ रुपये आंकी गयी है. इन संपत्तियों पर फिलहाल उसके वर्तमान मालिकों का ही कब्जा रहेगा. यानी अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर पहले की तरह चलते रहेंगे, लेकिन इनकी खरीद-बिक्री नहीं हो सकेगी.

ईडी ने जांच में पाया कि आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल द्वारा अपनी नाजायज आमदनी को जायज करार देने के लिए बैंकिंग चैनलों का इस्तेमाल करते हुए मनी लाउंड्रिंग की गयी. अपने पति अभिषेक झा के बैंक खातोंं में पलामू में उपायुक्त रहते हुए नकद राशि जमा करायी. अभिषेक झा ने पूजा सिंघल की नाजायज आमदनी को सही करार देने के लिए इसे ऑस्ट्रेलिया में खुद के द्वारा कमायी गयी राशि बतायी.

हालांकि वह अपने दावे के साबित करने में सफल नहीं हो सके. जांच में पाया गया कि मनी लाउंड्रिंग की राशि पल्स हॉस्पिटल, पल्स डायग्नोस्टिक और जमीन खरीदने में इस्तेमाल की गयी. संजीवनी हेल्थ केयर के शेयरों का नये सिरे से बंटवारा किया गया था. इसमें अभिषेक झा के पास 21.92 लाख रुपये मूल्य के 2,19,200 शेयर (32 प्रतिशत) और अमिता झा के पास 6.85 लाख रुपये के 68,500 शेयर (10 प्रतिशत) हैं. इसके अलावा आयुषी पुरवार के पास 16.44 और इशिता पुरवार के पास भी 16.44 लाख के शेयर (24-24 प्रतिशत) हैं. जांच में पाया गया था कि अभिषेक झा ने अस्पताल में विभिन्न बैंकिंग चैनलों के माध्यम से 36 लाख रुपये निवेश किये थे.

इसमें से 22.25 लाख रुपये अलग अलग बैंकों में नकद जमा किये गये थे, जो पूजा सिंघल की नाजायज आमदनी थी. अमिता झा ने 6.5 लाख रुपये का निवेश किया था. इसमें से 2.15 लाख रुपये विभिन्न बैंकों में जमा की गयी नकद राशि से ली गयी थी. पूछताछ में यह दावा किया गया कि अमिता निवेश बैंकिंग झा ने संजीवनी से मिले अपने वेतन की राशि का निवेश किया है. पर जांच में पाया गया कि उस वक्त तक संजीवनी शुरू ही नहीं हुई थी. पल्स अस्पताल की जांच में यह पाया गया कि बुक्स ऑफ अकाउंट्स में भवन निर्माण का खर्च सिर्फ 13.19 करोड़ रुपये बताया गया.

लेकिन स्वतंत्र जांच में निर्माण का खर्च 42.82 करोड़ रुपये आंंका गया. मशीन आदि के लिए 26.44 करोड़ रुपये का खर्च दिखाया गया था. हालांकि वास्तविक खर्च 31.16 करोड़ रुपये था. उषा कंस्ट्रक्शन को 1.12 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, इसमें 47.74 लाख रुपये नकद थे. डायग्नोस्टिक सेंटर का वास्तविक मूल्य 2.70 करोड़ रुपये था. हालांकि इसकी कीमत 1.10 करोड़ रुपये ही बतायी गयी थी.

इडी ने कांके थाना क्षेत्र में खरीदी गयी जमीन (17 डिसमिल, प्लॉट नंबर 1685 और 1396 ) को भी जब्त कर लिया है. यह जमीन राधेश्याम फायर वर्क्स एलएलपी के नाम पर खरीदी गयी थी. जमीन की खरीद के कागज पर सिर्फ 94.60 लाख रुपये के भुगतान का उल्लेख किया गया है. जांच में पता चला कि इस खरीद के लिए 1.33 करोड़ रुपये नकद भुगतान किया गया था. राधेश्याम फायर वर्क्स में पवन सिंह और कमलेश सिंघल पार्टनर हैं. कमलेश सिंघल, आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल की मां हैं और पवन सिंह मनी लाउड्रिंग में गिरफ्तार सीए सुमन कुमार सिंह का भाई है.

जानिये, कौन-कौन सी निवेश बैंकिंग संपत्ति जब्त हुई

संपत्ति का ब्योरा कागजी मूल्य वास्तविक मूल्य मालिक

पल्स डायग्नोस्टिक 1.10 करोड़ 2.70 करोड़ अभिषेक झा

पल्स अस्पताल का भवन और जमीन 13.19 करोड़ 42.85 करोड़ पल्स संजीवनी हेल्थ केयर

अस्पताल के पास 1.65 डिसमिल का कट प्लॉट 17.00 लाख 17.00 लाख अमिता झा

पल्स संजीवनी के उपकरण और मशीन 34.95 करोड़ 34.95 करोड़ पल्स संजीवनी

कांके में 17 डिसमिल जमीन 94.6 लाख 2.27 करोड़ राधे श्याम फायर वर्क्स एलएलपी

अभिषेक झा की मां के नाम पर खरीदी गयी जमीन भी जब्त

अभी अस्थायी जब्ती है, इसलिए संपत्तियों पर मालिकाें का ही कब्जा रहेगा, इसकी खरीद-िबक्री नहीं हो सकेगी

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Investment Banking क्या है?

निवेश बैंकिंग क्या है? [What is Investment Banking? In Hindi]

Investment Banking एक वित्तीय सेवा है जो बैंकिंग विभाग या वित्त कंपनी द्वारा प्रदान की जाती है। यह पूंजी जुटाने या बनाने के लिए उच्च-निवल मूल्य वाले व्यक्तियों, कंपनियों या सरकार की सहायता करता है। वे सभी प्रकार के निगमों के लिए नई प्रतिभूतियों को अंडरराइट करते हैं, प्रतिभूतियों की बिक्री में सहायता करते हैं, और विलय और अधिग्रहण या पुनर्गठन की व्यवस्था करते हैं।

एक निवेश बैंकर एक विशेषज्ञ होता है जो बड़ी परियोजनाओं की व्यवहार्यता के बारे में निगमों को समझता है और सलाह देता है। वह अपने ग्राहक के समय और धन का निवेश करने से पहले परियोजनाओं से जुड़े जोखिमों की पहचान करने में मदद करता है।

'निवेश बैंकिंग' की परिभाषा [Definition of 'Investment Banking'] [In Hindi]

निवेश बैंकिंग बैंकिंग संचालन का एक विशेष खंड है जो व्यक्तियों या संगठनों को पूंजी जुटाने और उन्हें वित्तीय परामर्श सेवाएं प्रदान करने में मदद करता है।

Investment Banking क्या है?

वे सुरक्षा जारीकर्ताओं और निवेशकों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं और नई फर्मों को सार्वजनिक होने में मदद करते हैं। वे या तो सभी उपलब्ध शेयरों को अपने विशेषज्ञों द्वारा अनुमानित मूल्य पर खरीदते हैं और उन्हें जनता के लिए पुनर्विक्रय करते हैं या जारीकर्ता की ओर से शेयर बेचते हैं और प्रत्येक शेयर पर कमीशन लेते हैं। Infrastructure Investment Trusts (InvITs) क्या है ?

निवेश बैंकिंग कौशल [Investment Banking Skills]

Investment Banking कार्य के लिए बहुत अधिक वित्तीय मॉडलिंग और मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। चाहे अंडरराइटिंग या M&A गतिविधियों के लिए, बैंकों के विश्लेषक और सहयोगी एक्सेल में बहुत समय बिताते हैं, वित्तीय मॉडल बनाते हैं और अपने ग्राहकों को सलाह देने और सौदों को पूरा करने के लिए विभिन्न मूल्यांकन विधियों का उपयोग करते हैं।

  • वित्तीय मॉडलिंग (Financial Modeling ) - 3-स्टेटमेंट मॉडल, डिस्काउंटेड कैश फ्लो (डीसीएफ) मॉडल, एलबीओ मॉडल और अन्य प्रकार के वित्तीय मॉडल बनाने जैसी वित्तीय मॉडलिंग गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रदर्शन करना।
  • व्यावसायिक मूल्यांकन (Business Valuation) - तुलनात्मक कंपनी विश्लेषण, मिसाल लेनदेन और डीसीएफ विश्लेषण जैसे मूल्यांकन विधियों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग करना।
  • पिचबुक और प्रस्तुतियाँ (Pitchbooks and presentations) - संभावित ग्राहकों के लिए स्क्रैच से पिच विचारों तक पिचबुक और पीपीटी प्रस्तुतियों का निर्माण और नया व्यवसाय जीतें
  • लेन-देन दस्तावेज (Transaction Documents) - गोपनीय सूचना ज्ञापन (सीआईएम), निवेश टीज़र, टर्म शीट, गोपनीयता समझौता, डेटा रूम का निर्माण, और बहुत कुछ जैसे दस्तावेज तैयार करना
  • संबंध प्रबंधन (Relationship Management)- किसी सौदे को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए मौजूदा ग्राहकों के साथ काम करना और यह सुनिश्चित करना कि ग्राहक प्रदान की जा रही सेवा से खुश हैं।
  • बिक्री और व्यवसाय विकास (Sales & Business Development)- संभावित ग्राहकों के साथ लगातार मिलना, उन्हें विचारों को पिच करना, उन्हें अपने काम में सहायता प्रदान करना, और मूल्य वर्धित सलाह प्रदान करना जो अंततः नए व्यवसाय को जीतेगा।
  • बातचीत (Negotiation)- एक लेन-देन में खरीदारों और विक्रेताओं के बीच बातचीत की रणनीति में एक प्रमुख कारक होने के नाते और ग्राहकों को मूल्य निर्माण को अधिकतम करने में मदद करना।

निवेश बैंकरों की भूमिका क्या है? [What is The role of investment banker?] [In Hindi]

निवेश बैंक निवेश बैंकरों को नियुक्त करते हैं जो निगमों, सरकारों और अन्य समूहों को बड़ी परियोजनाओं की योजना बनाने और उनका प्रबंधन करने में मदद करते हैं, ग्राहक के आगे बढ़ने से पहले परियोजना से जुड़े जोखिमों की पहचान करके अपने ग्राहक के समय और धन की बचत करते हैं। सिद्धांत रूप में, निवेश बैंकरों को ऐसे विशेषज्ञ होने चाहिए जो वर्तमान निवेश माहौल की नब्ज पर अपनी उंगली रखते हैं। व्यवसाय और संस्थान अपने विकास और निवेश बैंकरों की सर्वोत्तम योजना के बारे में सलाह के लिए निवेश बैंकों की ओर रुख करते हैं, उनकी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए, आर्थिक मामलों की वर्तमान स्थिति के लिए उनकी सिफारिशों को तैयार करते हैं।

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