फिएट मनी के फायदे

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, ने बताया “सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक सेंट्रल बैंक द्वारा पेश किया गया है। RBI उपयोग के मामलों की जांच कर रहा है और CBDC को बिना किसी व्यवधान के शुरू करने के लिए चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति पर काम कर रहा है।”
फिएट मनी के फायदे
भारत में बहु-स्तरीय नियोजन Bhugol aur Aap | January 2020 भारत जैसे संघीय शासन प्रणाली वाले देश में जहाँ प्रादेशिक और अन्तःप्रादेशिक विषमता व्यापक स्तर पर पायी जाती है वहाँ प्रादेशिक नियोजन के अन्तर्गत बहुस्तरीय नियोजन की प्रक्रिया का अपनाया जाना अत्यन्त आवश्यक है।
बहुस्तरीय नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें लोगों की आवश्यकता, जनसंख्या की स्थिति एवं जनांकिकी संरचना, क्षेत्रीय भौगोलिक-भौतिक दशायें एवं संसाधनों की उपलब्धता जैसे विविध आधार पर विकास की योजनाओं को विभिन्न स्तरों पर पदानुक्रमिक रूप से क्रियान्वित किया जाता है। विभिन्न पदानुक्रमिक इकाइयों के माध्यम से योजनाओं को अधिक सार्थक उत्तरदायी और लोकतांत्रिक बनाया जा सकता है। इस प्रकार विभिन्न विकास की योजनाओं को विकेन्द्रीकृत तरीके से लागू करना ही बहुस्तरीय नियोजन का प्रमुख उद्देश्य है। विकास की विकेन्द्रीकृत प्रक्रिया से योजनाओं को क्षेत्रीय स्तर पर लागू कर क्षेत्रीय विकास की प्रक्रिया को तीव्र किया जा सकता है।
विकेन्द्रीकृत योजनाओं में योजना का निर्माण, क्रियान्वन एवं निरीक्षण किसी एक केन्द्रीकृत योजना के रूप में न होकर विभिन्न इकाइयों के माध्यम से किया जाता है जिससे विभिन्न स्तरों पर जनसहभागिता में वृद्धि होती है। इस प्रकार पूर्णत: लोकतांत्रिक तरीके से स्थानीय समुदाय का पूर्ण भागीदारी के आधार पर विकास की नीतियों का क्रियान्वन किया जाता है।
भारत में भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक विविधता व्यापक स्तर पर मिलती है। पुनः क्षेत्रीय विस्तार की अधिकता और बड़ी जनसंख्या की उपलब्धता के कारण केवल केन्द्रीय स्तर पर नियोजन की प्रक्रिया को अपनाकर समस्त क्षेत्रों का समन्वित एवं सन्तुलित विकास नहीं किया जा सकता। इसलिए संघीय व्यवस्था के अन्तर्गत विभिन्न प्रान्तों या राज्यों का निर्माण एवं पुनर्गठन कर विकास की एक इकाई के रूप में स्वीकार किया गया। संवैधानिक प्रावधानों के अन्तर्गत केन्द्र को संघीय या केन्द्रीय सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार प्रदान किया गया। लेकिन साथ ही वृहत क्षेत्रीय स्तर पर प्रान्तों को राज्य सूची में वर्णित विषयों पर विधिक एवं आर्थिक अधिकारिता प्रदान किया गया। समवर्ती सूची के विषयों पर केन्द्र एवं राज्य दोनों को ही समान रूप से कानून बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है। हालांकि विशिष्ट शक्तियाँ केन्द्र को प्रदान की गयी हैं ताकि भारत की संघीय व्यवस्था में, क्षेत्रीय एवं प्रान्तीय हितों के साथ ही राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखा जा सके। इस दिशा में राज्य और केन्द्र की सहभागिता तथा राज्य-राज्य सहभागिता के आधार पर विकास की प्रक्रिया अपनायी जाती है। हालांकि विकास की परियोजनाओं एवं शासन का विकेन्द्रीकरण लघुस्तरीय स्थानीय निकायों के माध्यम से पंचायती राजव्यवस्था के लागू होने के बाद ही अपनायी जा सकी। 73वें एवं 74वें संविधान संशोधन द्वारा जब पंचायती राजव्यवस्था को संवैधानिक दर्जा एवं वैधानिक अधिकार प्रदान किये गये तभी सही अर्थ में बहु-स्तरीय नियोजन की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। इसके साथ ही जिला स्तरीय नियोजन, प्रखण्ड स्तरीय नियोजन तथा सबसे निचले स्तर पर पंचायत स्तरीय नियोजन एवं विकास की प्रक्रिया पदानुक्रमिक रूप से अपनायी जा सकी। इसके साथ ही सत्ता, शासन एवं विकास का विकेन्द्रीकरण प्रारम्भ हो सका और ग्रामीण स्तरीय नियोजन के माध्यम से ग्रामीण विकास को त्वरित किया जा सका।
बहुस्तरीय नियोजन में पदानुक्रम
भारत में बहुस्तरीय नियोजन के अन्तर्गत निम्न पांच पदानुक्रमिक नियोजन इकाईयों के माध्यम से विकास कार्यों को विकेन्द्रीकृत तरीके से विभिन्न स्तरों पर लागू किया जा रहा है। (i) केन्द्रीय स्तरीय नियोजन (ii) राज्य स्तरीय नियोजन (iii) जिला स्तरीय नियोजन (iv) प्रखण्ड स्तरीय नियोजन (v) पंचायत स्तरीय नियोजन
इनमें प्रथम दो वृहद स्तरीय नियोजन और अन्तिम तीन लघुस्तरीय नियोजन की प्रक्रिया है।
केन्द्र स्तर पर नियोजन का कार्य केन्द्रीय सरकार द्वारा किया जाता है। यहाँ नियोजन के कार्यों के लिए योजना आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद एवं केन्द्रीय मंत्रिमण्डल प्रमुख संस्था के रूप में कार्य करता है। केन्द्रीय स्तर पर नियोजन का संवैधानिक प्रधान राष्ट्रपति होता है। लेकिन व्यवहारिक रूप से प्रधानमंत्री नियोजन के प्रधान के रूप में कार्य करते हैं। विभिन्न योजनाओं एवं वैधानिक प्रक्रिया को संसदीय प्रावधानों के अन्तर्गत क्रियान्वित किया जाता है। केन्द्र सरकार केन्द्र सूची एवं समवर्ती सूची के विषयों पर विधान बनाने और आर्थिक-सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का क्रियान्वयन और निर्धारण करती है। इसके लिए केन्द्रीय सेवा और अखिल भारतीय सेवा के कर्मचारियों का सहयोग लिया जाता है। केन्द्र सरकार, राज्यों को राज्य सूचियों से सम्बन्धित विषयों पर राज्यों को परामर्श देती हैं। साथ ही केन्द्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्यों से सहभागिता विकसित करते हैं। अर्थात् केन्द्र अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्य स्तरीय नियोजन की प्रक्रिया को भी अपनाते हैं।
Central Bank Digital Currency (CBDC) क्या है? आरबीआई इसे भविष्य की मुद्रा के रूप में क्यों देखता है?
Union Budget 2022-23 के बाद ऐसे संकेत हैं कि भारत सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने की ओर देख रहा है। 29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन, वित्त मंत्रालय ने पुष्टि की कि उसने परिभाषा के दायरे में सुधार के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव लिया है। ‘बैंक नोट’ में करेंसी को डिजिटल रूप में शामिल करने के लिए।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, ने बताया “सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक सेंट्रल बैंक द्वारा पेश किया गया है। RBI उपयोग के मामलों की जांच कर रहा है और CBDC को बिना किसी व्यवधान के शुरू करने के लिए चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति पर काम कर रहा है।”
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Central Bank Digital Currency (CBDC) क्या है?
सीबीडीसी देश की fiat currency के डिजिटल रूप को संदर्भित करता है, जो देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है। हालांकि यह डिजिटल रूप में है, लेकिन इसे देश की फिएट करेंसी से बदला जा सकता है। यह पैसा केंद्रीय बैंक की देनदारी है।
लेन-देन एक centralised ledger में दर्ज किए जाते हैं और केंद्रीय बैंक आपूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं। बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीबीडीसी में कई फैक्टर्स जुड़े हैं- इसको यूनिवर्सली एक्सेस किया जा सकता है, यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में है और इसे केंद्रीय बैंक का समर्थन प्राप्त है।
CBDC रुपये (कैश) से कैसे अलग है?
मुख्य अंतर यह है कि सीबीडीसी डिजिटल रूप में मौजूद है। फिएट मनी के फायदे इसका मतलब यह है कि यह कैशलेस पेमेंट साधनों के समान सुविधा और उपयोग प्रदान करता है जिसका उपयोग हम इन दिनों करते हैं, जैसे क्रेडिट ट्रांसफर, डायरेक्ट डेबिट, कार्ड पेमेंट और बहुत कुछ। इस अर्थ में, यह एक private financial institution की liability के बजाय एक केंद्रीय बैंक पर direct claim का प्रतिनिधित्व करता है।
CBDC अन्य Stable और Crypto Coins से कैसे अलग है?
क्रिप्टोकरेंसी स्वतंत्र डिजिटल मुद्राएं हैं जो पूर्व निर्धारित मूल्य या समर्थन के बिना चलती हैं, जैसे कि बिटकॉइन (बीटीसी) या एथेरियम (ETH)। इसके विपरीत, सीबीडीसी को केंद्रीय बैंकों का समर्थन प्राप्त है। उदाहरण के लिए, चीन का प्रस्तावित CBDC डिजिटल युआन (e-CNY) है। भारत में, RBI ने प्रस्तावित CBDC को “Digital Rupee” नाम दिया है
Stable coins भी समर्थित हैं, लेकिन निजी संस्थाओं द्वारा। उदाहरण के लिए, Tether (USDT), USD Coin (USDC) और Facebook-backed Diem (जिसे पहले Libra के रूप में जाना जाता था)।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी भारत में कब आएगा
भारत के केंद्रीय बैंक ने 2022-2023 वित्तीय वर्ष में रुपये का एक virtual version लॉन्च करने की योजना बनाई है। जो 1 अप्रैल से शुरू होता है। Digital assets से प्राप्त इनकम पर 30% का टैक्स। सीबीडीसी को लॉन्च करने में, भारत राष्ट्रीय डिजिटल मुद्रा जारी करने वाले देशों की बढ़ती सूची में शामिल हो गया।
घोषणा में, भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुझाव दिया कि virtual rupee भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को “big boost” प्रदान करेगा। जिससे currency management system अधिक कुशल और सस्ती होगी। किस तरह से डिजिटल रुपया काम करेगा, उसके बारे में पूरी जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
केंद्रीय बैंक सीबीडीसी क्यों चाहते हैं?
सीबीडीसी की ओर बढ़ने का एक प्रमुख कारण क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता और गैर-जवाबदेही का मुकाबला करना है क्योंकि सीबीडीसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और रेगुलेटेड किए जाते हैं, जो कि मुख्य monetary authority है।
साथ ही, atlanticcouncil.org के अनुसार, CBDC डिजिटल होने के लाभों को बनाए रखेगा जैसे कि कम प्रिंटिंग लागत, कम सेटलमेंट रिस्क, टाइम ज़ोन का मुद्दा नहीं होगा और पेमेंट सिस्टम का cost-effective globalisation।
क्या भारत को सीबीडीसी की आवश्यकता है?
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने जुलाई 2021 में एक भाषण में कहा, “RBI वर्तमान में एक चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति की दिशा में काम कर रहा है और उपयोग के मामलों की जांच कर रहा है जिन्हें बहुत कम या बिना किसी व्यवधान के लागू किया जा सकता है।”
“भारत की हाई करेंसी जीडीपी रेश्यो में सीबीडीसी का एक और लाभ है। जिस हद तक बड़े पैमाने पर नकदी के उपयोग को सीबीडीसी द्वारा replace किया जा सकता है, करेंसी की छपाई, परिवहन, भंडारण और वितरण की लागत को कम किया जा सकता है। ”शंकर ने अपने भाषण उन्होंने आगे कहा कि सीबीडीसी की शुरूआत से अधिक मजबूत, कुशल, भरोसेमंद, विनियमित और कानूनी निविदा-आधारित पेमेंट विकल्प हो सकते हैं।
Central Bank Digital Currency (CBDC) का वैश्विक कदम
केवल भारत ही सीबीडीसी पर विचार नहीं कर रहा है; अन्य देश एक ही मिशन पर हैं। डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने से दुनिया भर में क्रिप्टो-उन्माद शुरू हो गया है, जिससे सभी केंद्रीय बैंकों में क्रिप्टोकरेंसी में जवाबदेही और नियमों की कमी के फिएट मनी के फायदे बारे में चिंता बढ़ गई है। इसने एक ‘विनियमित’ डिजिटल मुद्रा, CBDC की आवश्यकता को प्रज्वलित किया है। atlanticcouncil.org के अनुसार, चीन, बहामास, स्वीडन और यूरोपीय संघ CBDC के माध्यम से अपनी मुद्रा प्रणाली का संचालन कर रहे हैं।
जनवरी 2021 के एक बीआईएस सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 86 प्रतिशत केंद्रीय बैंक सीबीडीसी पर सक्रिय रूप से शोध कर रहे थे, जबकि 60 प्रतिशत अंतर्निहित प्रौद्योगिकी का परीक्षण कर रहे थे और 14 प्रतिशत पहले से ही पायलट-प्रोजेक्ट चरण में थे।
सीबीडीसी, जो कि आरबीआई का दायित्व है, भारत में वाणिज्यिक बैंकों के साथ व्यवहार करते समय भारतीय जमाकर्ताओं को होने वाले नुकसान के जोखिम को कम करेगा। सीबीडीसी की जोखिम-मुक्त प्रकृति संस्थानों के लिए सेटलमेंट डिफॉल्ट के जोखिम को भी कम करती है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 2022-23 में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) को भारत के आधिकारिक डिजिटल रुपये के रूप में पेश करेगा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के केंद्रीय बजट में घोषणा की।
दोनों के बीच पहला मुख्य अंतर यह है कि बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है और एक सीबीडीसी नहीं है। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को एक decentralised blockchain network पर संग्रहीत किया जाता है, जबकि एक सीबीडीसी संपत्ति जारी की जाएगी और अधिक केंद्रीकृत पद्धति का उपयोग करके संग्रहीत की जाएगी।
खुदरा सीबीडीसी आम जनता के लिए है। इस प्रकार की डिजिटल मुद्रा ब्लॉकचेन या वितरित लेज़र तकनीक पर आधारित हो सकती है जो लेनदेन को मान्य कर सकती है।
CBDC फिएट मनी का एक डिजिटल रूप है। वे government regulation द्वारा धन के रूप में स्थापित होते हैं और जारी करने वाले देश की आधिकारिक मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या डिजिटल टोकन के रूप में कार्य करते हैं। सीबीडीसी और पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी के बीच सबसे अधिक ध्यान देने योग्य अंतर decentralization है।
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Digitization : भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण
किशन भावनानी। Digitization : वर्ष 1976 में आई फिल्म सबसे बड़ा रुपैया का मज़रूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखा और महमूद द्वारा गाया गीत, ना बीवी ना बच्चा ना बाप बड़ा ना मैया द होल थिंग इस दैट कि भैया सबसे बड़ा रुपैया, इस गीत की एक एक लाइन में इस आधुनिक युग में रुपए के महत्व को गाकर बताया गया है जो हमपर आज 46 साल बाद भी इसकी सच्चाई पर सटीक बैठता है, क्योंकि आज मुद्रा ही सब हो गई है, हर क्षेत्र में मुद्रा का ही बोलबाला है जो हकीकत बन चुका है, परंतु मेरे विचार से यह नहीं होना चाहिए। अगर हम यह गीत सुनेंगे तो हम वर्तमान परिस्थितियों में मेल खाती हुई सच्चाई को महसूस करेंगे। आज भारतीय मुद्रा दो तरह से प्रचलन में हैं। सिक्के और कागजी स्वरूप में,परंतु अंग्रेजों के आने से पहले मुद्रा केवल सिक्के के रूप में ही होती थी। सिक्के के रूप में भी भारतीय मुद्रा में समानता नहीं थी। एक मुद्रा एक स्थान पर तो मान्य थी, लेकिन दूसरे पर नहीं, जैसे हैदराबाद के निजाम के सिक्के अलग थे और सिखों के अलग। यह समानता मुगल लेकर आये और उन्होंने मुद्रा में एकरूपता स्थापित किया। चूंकि 1 नवंबर 2022 को भारतीय मुद्रा प्रणाली को डिजिटल रुपया (ई-रुपया) का आकार दिया गया है इसीलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से इसपर चर्चा करेंगे।
साथियों फिएट मनी के फायदे बात अगर हम भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण (Digitization) की करें तो, भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी, 30 मार्च 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की, 01 नवंबर, 2022 को होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (ई-रुपया)लांच हुआइसको भारतीय रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल करेंसी डिजिटल रुपया को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक (आरबीआई) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया जारी किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने घोषणा की कि भारतीय रुपये के समानांतर डिजिटल ई-रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया गया है आरबीआई ने कहा हैकि ई-रुपया एक परिवर्तनीय कानूनी निविदा के रूप में कार्य करेगा, जिसके लिए धारकों को बैंक खाता रखने की आवश्यकता नहीं होगी।
आरबीआई गवर्नर नेबुधवार को बैंकरों के वार्षिक सम्मेलन में कहा,रिजर्व बैंक महंगाई दर पर उसी तरह नजर रख रहा है, जैसे महाभारत में अर्जुन ने एक घूमने वाली मछली की आंख में तीर मारने के लिए ध्यान केंद्रित करते हुए रखी थी।अर्जुन के कौशल की बराबरी कोई नहीं कर सकता, लेकिन हमारी (आरबीआई) अर्जुन की तरह महंगाई दर पर लगातार नजर रखने की कोशिश है। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब महंगाई दर काफी तेज है और आरबीआई जल्द ही सरकार को इस संबंध में स्पष्टीकरण देगा विश्व बैंक का अनुमान है कि अभी इस तरह दूसरे फिएट मनी के फायदे देशों में पैसे भेजने पर 7 से अधिक का शुल्कचुकाना पड़ता हैजबकि डिजिटल करेंसी के आने से इस मद में 2 तक की कमी आएगी।
साथियों बात अगर हम ई-रुपया के इस्तेमालकी करेंतो आरबीआई की ओर पूर्व में शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, सीबीडीसी (डिजिटल रुपी) एक पेमेंट का मीडियम होगा, जो सभी नागरिक, बिजनेस, सरकार और अन्य के लिए एक लीगल टेंडर के तौर पर जारी किया जाएगा, इसकी वैल्यू सेफ स्टोर वाले लीगल टेंडर नोट (मौजूदा करेंसी) के बराबर ही होगी। देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी आने के बाद हमको हमारे पास कैश रखने की जरूरत नहीं या कम हो जाएगी, या रखने की जरूरत ही नहीं होगी। करंसी विशेषज्ञों के मुताबिक ई-रुपया टोकन आधारित होगा। इसका मतलब यह है कि आप जिस व्यक्ति को पैसे भेजना चाहते हैं, उसकी पब्लिक ‘कीÓ के जरिये भेज सकते हैं। यह एक ईमेल आईडी जैसा हो सकता है। आपको पैसे भेजने के लिए पासवर्ड डालना होगा। ई- रुपया बिना इंटरनेट के भी काम करेगा। हालांकि, इस पर विस्तार से जानकारी आनी बाकी है।
ई-रुपया को हम अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे, इसके अलावा यूजर्स इसे बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट भी करा सकेंगे। सबसे बड़ी बात इस डिजिटल रुपया का सर्कुलेशन पूरी तरह से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियंत्रण में होगा। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत में कमी आएगी। हालांकि, इस डिजिटल करेंसी के आने से देश की मौजूदा भुगतान प्रणालियों में कोई बदलाव नहीं होगा। साथियों बात अगर हम सीबीडीसी को समझने की करें तो, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है।
यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है। दो तरह की होगी सीबीडीसी,(1)रिटेल जो संभवत सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी(2)होलसेल सीबीडीसी, इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है।थोक खंड के लिए होने वाले डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक आईडीएफसी फस्र्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं।
ये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे। इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का नाम दिया गया है और भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी हमारे लिए बहुत कुछ बदलने वाली है। साथियों बात अगर हम ई रुपया के फायदों की करें तो,देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी आने के बाद हमको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम फिएट मनी के फायदे होजाएगा आसानसीबीडीसी द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगाचेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट (Digitization) नहीं रहेगा।
डिजिटल रुपया क्या है ? | Know About Digital Rupiya or Digital Currency in Hindi
हम सब डिजिटल युग में जी रहे है। डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। कोविड आने के कारण लोगो की ज़िंदगी में बहुत से बदलाव आए है जैसे लोग अब डिजीटल ट्रांजेक्शन ज्यादा कर रहे है। लोगो का झुकाव अब डिजीटल मुद्रा (Digital Currency) और क्रिप्टो के तरफ हो रहा है। डिजिटल मुद्राओं को लेकर पूरी दुनिया में दिवानगी बढ गई है। भारत सरकार भी डिजीटल मुद्रा का देशी संस्करण इसी बीत बर्ष में लाने की तैयारी कर रही है। भारत सरकार डिजीटल मुद्रा को डिजिटल रुपया के नाम से जारी करने का प्लान बना रही है। आइए जानते है डिजीटल रुपया क्या है?
डिजीटल रुपया क्या है? (What is Digital rupiya in Hindi?)
भारत सरकार एक अप्रैल से शुरू होने वाली 2022-2023 वित्त वर्ष में डिजीटल मुद्रा का देशी संस्करणे पेश करने वाली है। डिजीटल रूपया भौतिक रूप से प्रचलित रुपिया को डिजिटल रूप को प्रतिबिंबित करेगा।
वित्त मंत्री द्वारा पेश 2022-23 के आम बजट के अनुसार ‘डिजिटल रुपया’ नामक डिजीटल मुद्रा, रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी किया जायेगा और इसे भौतिक मुद्रा यानि रूपया के साथ बदला जा सकेगा।
What is Central Bank Digital currency (CBDC क्या है?)
सीबीडीसी (CBDC) का फुल फार्म सेंट्रल बैंक ऑफ डिजीटल करेंसी) होता है। CBDC किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी किया जाने वाला डिजीटल मुद्रा है। इसे डिजीटल फिएट करेंसी या डिजीटल बेस मनी भी कहा जाता है। यह फिएट मुद्रा की तरह है और इसके माध्यम से लेनदेन किया जा सकता है।
CBDC एक केंद्रीय बैंक जारी डिजिटल या वर्चुअल फिएट मनी के फायदे करेंसी है, जिसकी तुलना प्राइवेट वर्चुअल करेंसी या क्रिप्टो करेंसी से नहीं की जा सकती है।
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Crypto Currency (क्रिप्टो करेंसी)
पिछले एक दशक में प्राइवेट डिजीटल करेंसी या वर्चुअल करेंसी जैसे क्रिप्टो, बिटकॉइन का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। प्राइवेट डिजिटल करेंसी किसी भी व्यक्ति की देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं क्योंकि उनका कोई जारीकर्ता नहीं है जबकि सीबीडीसी किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है। प्राईवेट करेंसी जैसे क्रिप्टो, बिटकॉइन निश्चित रूप से करेंसी नहीं हैं। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता भी प्रभावित हो सकता हैं,इसी लिए RBI इसका विरोध कर रहा है।
CBDC के आने से फायदा क्या है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने 2022-23 के बजट भाषण में कहा CBDC की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। उनका कहना है कि “डिजिटल करेंसी से एक अधिक दक्ष तथा सस्ती करेंसी प्रबंधन व्यवस्था वजूद में आएगी। डिजिटल करेंसी ब्लॉक चेन और अन्य टेक्नोलॉजी का उपयोग करेगी”।
आसान शब्दों में कहें तो सीबीडीसी एक वाणिज्यिक बैंक के बजाय एक केंद्रीय बैंक यानी RBI द्वारा जारी एक डिजिटल मुद्रा होगा।
Tax on Digital currency or virtual currency in India (डिजीटल करेंसी या वर्चुअल करेंसी पर टैक्स)
प्राईवेट वर्चुअल करेंसी या प्राईवेट डिजिटल करेंसी (जैसे क्रिप्टो करंसी) से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर विचार-विमर्श शुरु किया गया है और जो निस्कर्ष आएगा उसके बाद हम इस पर कायदे-कानून बनाने पर विचार करेंगे।
बितमंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी और अन्य प्राइवेट डिजिटल Assets पर टैक्सेशन को स्पष्ट किया। उन्होंने प्राइवेट डिजिटल करेंसी के लेनदेन से होने वाली कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाने की घोषणा की है। डिजीटल एसेट को कर के दायरे में लाने के लिये इस संपत्ति की श्रेणी में एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस लगाने का भी प्रस्ताव किया गया है।
डिजिटल रूपया (CBDC) और क्रिप्टो करेंसी में अंतर क्या है?
वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट 2022-23 में डिजिटल रुपये को लेकर कई घोषणाएं फिएट मनी के फायदे की गई हैं । लेकिन लोगो को अभी भी कंफ्यूज हैं कि सीबीडीसी (डिजिटल करेंसी) को सरकार हां कर रही है और साथ ही बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को ना कर रही है। आइए इन दोनो के बीच के अन्तर को समझते हैं।
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CBDC (Digital currency)
विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल रुपये (Digital currency) की अवधारणा बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से प्रेरित है। डिजीटल रूपया (CBDC) केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजीटल करेंसी होता है जबकि बिटकॉइन (क्रिप्टो करेंसी) एक प्राईवेट वर्चुअल करेंसी है।
Central Bank Digital currency (CBDC) केंद्रीय बैंक के नियमों के अनुसार होता है जबकि बिटक्वाइन (क्रिप्टो करेंसी) अनियंत्रित होती है।
क्रिप्टोकरेंसी का प्रबंधन एक कंप्यूटर एल्गोरिथम द्वारा किया जाता है वहीं डिजिटल करेंसी को केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
डिजिटल रुपये(CBDC) को सेंट्रल सरकार की मान्यता मिली होती है। इसके साथ ही डिजिटल रुपया केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होगी और इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है।
ऐसा भी प्रस्ताव है कि देश में डिजिटल करेंसी को बैंक नोट की परिभाषा में रखा जाए। इसके लिए RBI ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया है।