बोलिंगर ट्रेडिंग

यह तीन चलती औसत पर आधारित है। मध्य में, MA में बोलिंगर ट्रेडिंग 20 अवधि होती है, और पक्ष SMA 20 + और SMA 20 में एक मानक विचलन X 2 होता है।
बोलिंगर ट्रेडिंग
एक अद्भुत ट्रेडिंग रणनीति बनाने और बनाने के लिए सिग्नल बिल्डर सुविधा का उपयोग करें जो आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं को फिट करता है, और वास्तविक बाजार ग्राफिक्स पर ऐतिहासिक डेटा के साथ इसका परीक्षण करता है।
शक्तिशाली संकेतकों के साथ प्रयोग
मटी२ सिग्नल बिल्डर सुविधा के साथ, आप अपनी खुद की ट्रेडिंग रणनीति बनाने के लिए किसी भी तरह से सबसे प्रसिद्ध तकनीकी संकेतकों में से नौ को संयोजित करने में सक्षम होंगे।
- बोलिंगर बैंड
- आरएसआई
- सीसीआई
- बहुत बढ़िया थरथरानवाला
- स्टोचैस्टिक ऑसिलेटर
- डब्ल्यूपीआर१
- डब्ल्यूपीआर२
- डब्ल्यूपीआर३
- छाया मोमबत्ती फ़िल्टर
अपनी पूंजी को जोखिम बोलिंगर ट्रेडिंग में डाले बिना टेस्ट करें
एक बार जब आप अपनी आदर्श ट्रेडिंग रणनीति के साथ आते हैं, तो आप इसका बैक-टेस्ट कर पाएंगे और अपने लिए देख पाएंगे कि क्या आपकी डिज़ाइन की गई रणनीति आपके द्वारा अपेक्षित संकेतों और परिणामों को प्रदान करती है।
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-किसी क्रेडिट कार्ड की आवश्यकता नहीं-
New Horizon Building; Ground Floor;
3 1/2 Miles Philip S.W. Goldson Highway,
Belize
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Best Indicator By Market Ki Pathshala
Best Indicator By Market Ki Pathshala | Best Indicators for Stock Market | Which Indicators Are Best For Trading | Which Indicators Are Best For Intraday Trading | Best Indicator kaun se hain | Stock Market Ke Liye Best Indicator
अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेस्ट इंडिकेटर (Best Indicators) को इंटरनेट पर सर्च कर रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर आये हैं यहां आपकी तलाश ख़त्म होती है और मै आज आपको कुछ ऐसे इंडिकेटर के बारे में बताउंगी जो इंट्राडे में बिलकुल सटीक काम करता है।
किन्तु बोलिंगर ट्रेडिंग इससे पहले कि आप अतिउत्साहित हों मै आपको पुनः याद दिला दूँ कि शेयर मार्किट में कोई भी व्यक्ति १००% सही नहीं हो सकता बोलिंगर ट्रेडिंग किन्तु हाँ आप बेस्ट इंडिकेटर के प्रयोग से अपनी एक्यूरेसी को जरूर बढ़ा सकते हैं बस आपको इन्हे सीखना और समझना आना चाहिए जो कि ज्यादा मुश्किल नहीं है आप मेरे साथ बने रहें मै आपको सरल भाषा में समझाने की कोशिश करुँगी।
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर बोलिंगर ट्रेडिंग रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर बोलिंगर ट्रेडिंग अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
द्विआधारी विकल्प बोलिंगर बैंड के लिए सूचक (बोलिंगर बैंड सूचक)
द्विआधारी विकल्प संकेतक बोलिंजर बैंड्स - विकसित किया गया है और जॉन बोलिंगर ने विस्तार से वर्णन किया गया है। इसका सार तथ्य यह है कि परिसंपत्ति की कीमत गलियारे का एक प्रकार में स्थित है में निहित है, और आप खरीद ग्राफ संकेतों विकल्प देख सकते हैं कॉल या डाल । संकेतों के गलियारे की सीमाओं के संबंध में संपत्ति की कीमतों के स्थान पर निर्भर करते हैं।
बोलिंजर बैंड्स एक उपकरण के रूप में तकनीकी विश्लेषणयह अकेले या अन्य संकेतक के साथ संयोजन में उपयोग किया जा सकता है। लेकिन मुझे लगता है कि कह सकते हैं बोलिंगर बैंड व्यक्तिगत रूप से कार्य के साथ एक बहुत अच्छा काम।
तुम एक जीवित ग्राफ पर नजर डालें, तो आप देख सकते हैं कि बोलिंगर बैंड सूचक यह तीन चल औसत के होते हैं। वे सब एक अलग समय अवधि है।
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर बोलिंगर ट्रेडिंग अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को बोलिंगर ट्रेडिंग स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे