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स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है?

स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है?
Stock exchange kya hai.

Top 5 Stock Exchanges of the World | Biggest Stock Exchanges of the World

स्टॉक एक्सचेंजों (Stock Exchange) का इतिहास बहुत पुराना है। स्टॉक एक्सचेंज वो जगह है जहां सभी कंपनिया लिस्टेड होती है स्टॉक एक्सचेंज किसी कंपनी और इन्वेस्टर के बीच में मीडिएटर का काम करते है जब भी किसी कंपनी को शेयर बाजार से पैसा उठाना होता है तो वह कंपनी अपने आप को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट करवा लेती है जिससे की लोग उस कंपनी में निवेश कर सके।

दुनिया के पहले स्टॉक एक्सचेंज (First Stock Exchange of World) की स्थापना 440 से ज्यादा साल पहले हुई थी। दुनिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज यूरोप में शुरू हुआ था। नीदरलैंड्स में इसकी शुरुआत 1602 में हुई थी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना 1875 में हुई थी। यह देश के दो सबसे बड़े एक्सचेंजों में से एक है। क्या आप जानते हैं दुनिया के पांच सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज कौन हैं?

आज हम इसी बारे में बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते है :

यह दुनिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। यह अमेरिका में है। इसकी इमारत न्यूयॉर्क के 11, वॉल स्ट्रीट में स्थित है।केवल 24 लोगों द्वारा शुरू किए गए इस स्टॉक एक्सचेंज में आज 2400 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। इनमें कई दिग्गज कंपनियां शामिल हैं। इस लिस्ट में बर्कशायर हैथवे (Berkshire Hathway), वाल्ट डिजनी (Walt Disney), कोका कोला, जेपी मॉर्गन चेज, वॉलमार्ट जैसी कंपनियां हैं। इस एक्सचेंज की स्थापना 1792 में हुई थी। न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE) का बाजार पूंजीकरण 22.9 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा है। इस पर रोजाना औसतन 2 से 6 अरब शेयरों का कारोबार होता है। NYSE को ‘द बिग बोर्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से ये दुनिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।

नेशनल एसोसिएशन ऑफ सिक्योरिटीज डीलर्स ऑटोमेटेड कोटेशंस (NASDAQ) दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। यह भी अमेरिका में है। यह एनवाईएसई के मुकाबले काफी नया है। इसकी स्थापना 1971 स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? में हुई थी। इसे दुनिया में पहला इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की सुविधा वाला एक्सचेंज माना जाता है। इस पर 3000 से ज्यादा कंपनियां सूचीबद्ध हैं। इसका बाजार पूंजीकरण 10.8 लाख करोड़ डॉलर है। इस पर कई दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियां सूचीबद्ध हैं। इनमें माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), गूगल (Google), फेसबुक (Facebook), टेस्ला (Tesla), ऐमजॉन, एपल, सिस्को शामिल हैं।

टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज (TSE) का मुख्यालय जापान के टोक्यो में है। इसकी स्थापना 1878 में हुई थी। इसे दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज माना जाता है। इस पर करीब 3500 कंपनियां सूचीबद्ध हैं। निक्केई 225 इसका प्रमुख सूचकांक है। एक्सचेंज पर ट्रेडों को येन में दर्शाया जाता है और हर दिन बहुत अधिक मात्रा में होता है क्योंकि व्यापारी जापान के भीतर की स्थितियों पर प्रतिक्रिया करते हैं, साथ ही वैश्विक बाजार दबाव भी। इस पर होंडा, सुजुकी, सोनी, मित्सीबिशी जैसी दिग्गज कंपनियां सूचीबद्ध हैं।

  • शंघाई स्टॉक एक्सचेंज (SSE)

यह एशिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। यह चीन के शंघाई में है। इसकी स्थापना 1866 में हुई थी। लेकिन, 1949 में चीन में हुई क्रांति में इसका वजूद खत्म हो गया था। दोबारा 1990 में इसकी स्थापना हुई। इस पर 1450 कंपनियां सूचीबद्ध हैं। इसका बाजार पूंजीकरण 4 लाख करोड़ डॉलर है। शंघाई स्टॉक एक्सचेंज अभी भी पूरी तरह से विदेशी निवेशकों के लिए खुला नहीं है और अक्सर चीन की केंद्र सरकार के फैसलों से प्रभावित होता है।

यह नीदरलैंड्स के एम्सटर्डम में स्थित है। इसे यूरोपीय स्टॉक एक्सचेंज भी कहा जाता है। इसे यूरोप का सबसे अच्छा स्टॉक एक्सचेंज माना जाता है। इस पर 1300 से ज्यादा कंपनियां सूचीबद्ध हैं। इसका बाजार पूंजीकरण 4.2 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा है। इस एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों की खरीदफरोख्त यूरो में होती है।

तो दोस्तों ये हमने आज बात की दुनिया भर की टॉप 5 स्टॉक एक्सचेंज के बारे में। दोस्तों उम्मीद करते है की आपको हमारा आज का आर्टिकल अच्छा लगा होगा।

ऐसे जानिए ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़ी हर बात, होगा फायदा

Option Trading

पिछले कुछ सालों में हमने भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में ऑप्शन सेगमेंट की ट्रेडिंग गतिविधियों में तेज वृद्धि देखी है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) फ्यूचर और ऑप्शन (एफ एंड ओ) सेगमेंट में दैनिक कारोबार 4 लाख करोड़ को पार कर गई है और इस इंडेक्स में ऑप्शन का 80% से अधिक योगदान रहा है। यही कारोबार बैंक निफ्टी पर साप्ताहिक और मासिक समाप्ति के दिनों पर 10 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। आजकल ऑप्शन सेगमेंट अपनी प्रोफ़ाइल के कारण अधिक लोकप्रिय हो गया है और यह 50 ओवर या टेस्ट सिरीज मैचों की तुलना में आईपीएल या टी-20 मैचों की लोकप्रियता की तरह ही लगता है। इस सेगमेंट में ट्रेडिंग गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि यह सभी प्रकार के बाजार सेंटिमेंट्स का लाभ पाने का अवसर प्रदान करती है चाहे वह बुलिश, बियरिश, रेंज बाउंड या अत्यधिक अस्थिर हो। आइए पहले समझें कि ऑप्शन है क्या जो सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है? नकद बाजार, जहाँ शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं, के अलावा एक्सचेंज में एक ऐसा सेगमेंट भी होता है जहाँ इन शेयरों या इंडेक्स के भविष्य और विकल्प खरीदे या बेचे जाते हैं।

संक्षेप में यदि आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स का भविष्य अनुबंध खरीदते हैं या बेचते हैं और यदि यह आपकी अपेक्षित दिशा के विपरीत चल रहा है, तो इसका मतलब है कि आपकी जोखिम असीमित है, वहीं अगर आपने भविष्य के अनुबंध के स्थान पर एक विकल्प अनुबंध खरीदा है, जिसका मतलब है कि आपकी जोखिम रिटर्न भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए सीमित है जबकि फेवरेबल मार्केट मूवमेंट तक विस्तार करने के लिए रिटर्न असीमित होता है। ऑप्शन खरीदारों को प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है ताकि उन्हें अधिकार तो प्राप्त हो लेकिन कोई दायित्व न हो, इसलिए बाजार में गिरावट होने पर जोखिम सीमित होती है, जबकि बाजार में बढ़ोत्तरी होने पर रिवॉर्ड असीमित होता है। दूसरी ओर, चूँकि ऑप्शन विक्रेताओं को प्रीमियम प्राप्त होता है, इसलिए उनकी जोखिम असीमित होती है, जबकि लाभ केवल इस प्रीमियम के अनुबंध तक सीमित होता है जो उन्हें इस ऑप्शन के अनुबंध के लिए मिलता है। कॉल खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है जबकि पुट खरीदार को बेचने का अधिकार मिलता है, जबकि ऑप्शन विक्रेताओं को दायित्व हस्तांतरित होता है चाहे वे कॉल चुनें या पुट।

ऑप्शन खरीदारों स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? के लिए लाभ

ऑप्शन खरीदारों को केवल प्रीमियम का भुगतान करने की आवश्यकता होती है, इसलिए अनुबंध प्राप्त करने के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है। जोखिम सीमित होती है जो कि अधिकतम प्रीमियम राशि तक ही रहती है, चाहे बाजार स्थितियाँ कितनी भी प्रतिकूल हों। सुरक्षात्मक पुट्स ले कर पोर्टफोलियो की प्रतिरक्षा (हेजिंग) की जा सकती है।

ऑप्शन विक्रेताओं के लिए लाभ

रेंज बाउण्ड मूव से लाभ जैसे कि जब यह सीमा में रहता है तो प्रीमियम में गिरावट आती है। घटते प्रीमियम का लाभ जैसे कि डीप ओटीएम स्ट्राइक में कुछ प्रीमियम शामिल होते हैं, और इस बात की संभावना काफी उच्च होती है कि ये प्रीमियम शून्य की ओर बढ़ेंगे।
मनी कॉल की बिक्री करके स्थिति की लागत को कम करना।

ऑप्शन और ऑप्शन व्यापार के मिथक तथा वास्तविकता

ऑप्शन जोखिम से भरा होता है : ऑप्शन केवल तभी जोखिम भरे होते हैं जब हम उनका उपयोग करना नहीं जानते। खरीदार के लिए जोखिम केवल प्रीमियम राशि तक सीमित होता है। नेकेड विक्रेता होने पर ही ऑप्शन में उच्च जोखिम की संभावना होती है। इसलिए इसमें उचित बाजारगत निर्णय या हेजिंग रणनीति की आवश्यकता होती है जो वास्तव में जोखिम को कम कर देता है और यही ऑप्शन सेगमेंट की खूबसूरती है।

ऑप्शन को समझना मुश्किल है: ऑप्शन की वास्तविकता को समझना कोई मुश्किल काम नहीं है। असल में, आपको एक निर्दिष्ट मूल्य पर अंतर्निहित स्टॉक खरीदने या बेचने का अधिकार प्राप्त होता है। इससे भी बेहतर, केवल दो ऑप्शन हैं :-­ कॉल और पुट; और आप या तो खरीद सकते हैं या बेच सकते हैं। यदि आप इस क्षेत्र में नये हैं, तो कॉलर, लेडर स्प्रेड, आयरन कोंडोर, स्ट्रिप, स्ट्रैप, बटरफ्लाई, कैलेंडर स्प्रेड, बॉक्स इत्यादि के बजाय अपेक्षाकृत सरल रणनीतियों के साथ रहना सबसे अच्छा है।

ऑप्शन बेचना मुफ्त पैसे प्राप्त करने जैसा है: एक गलत धारणा यह भी है कि ऑप्शन की बिक्री लगभग जोखिम मुक्त है। यद्यपि नकदी एकत्र करने के लिए ऑप्शन की बिक्री की जा सकती है, लेकिन नेकेड या असुरक्षित विकल्पों को बेचने पर यह जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि इसमें रिस्क असीमित है। ऑप्शन विक्रेता ज्यादातर समय फायदे में रह सकते हैं; लेकिन कभी-कभी आकस्मिक नुकसान भारी पड़ सकता है जब अनुभवहीन निवेशक नियम के अनुसार जोखिम का प्रबंधन न करे।

केवल ऑप्शन विक्रेता पैसे कमाते हैं: तथ्य यह है कि दोनों ही यानी ऑप्शन के खरीदार और विक्रेता ऑप्शन व्यापार से लाभ कमा सकते हैं। यदि केवल विक्रेता ही पैसा कमाएंगे तो कोई खरीदार नहीं होगा, कोई खरीदार नहीं होगा तो कोई बाजार नहीं होगा। कभी-कभी कई स्थितियों में विकल्प खरीदने में भी बढ़त मिलती है, खासकर उच्च अस्थिरता, ट्रेंडिंग या विनिर्दिष्ट बाजार के परिदृश्य में। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि प्रीमियम कई गुना हो जाता है।

एक सामान्य मिथक यह है कि ऑप्शन व्यापार बहुत जोखिम भरा है। ऑप्शन जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन हमेशा ऐसा होना जरूरी नहीं है। जोखिम की सहनशीलता के आधार पर कोई ऑप्शन कम या अधिक जोखिम भरा हो सकता है। इसका उपयोग अनुमान के लिए भी किया जा सकता है और हेजिंग, सुरक्षा और लेवरेज के लिए भी। ऑप्शन के साथ पैसे कमाने के एक से अधिक तरीके हैं और हम मानते हैं कि ऑप्शन की ऐसी खूबसूरती और अनुकूलित ऑप्शन की रणनीति भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी।

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Stock exchange kya hai, भारत में स्टॉक एक्सचेंज परंपरागत रूप से ब्रोकर्स तथा बाजार विशेषज्ञों का एसोसिएशन है। आम जनता तथा वित्तीय संस्थानों द्वारा सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग का नियमत: संचालन करने के लिए इसकी स्थापना की गई है यह दो प्रकार के हैं BSE और NSE जिसमें जो कंपनी भी शेयर मार्केट में लिस्टेड कराना चाहती है तो मुंबई स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज मैं रजिस्टर्ड करवाना पड़ती हैं और इस दोनों एक्सचेंज को ‌सेबी के द्वारा रेगुलेट किया जाता है और सेबी के नियमानुसार सभी कंपनियां को भी चलना पड़ता है।

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यह सिक्योरिटीज एंड कॉन्ट्रैक्ट (रेग्यूलेशन) ऐक्ट 1956 के अंतर्गत स्टॉक एक्सचेंज भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।

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स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली

किसी भी बाजार में खरीद परोख्त उसकी मांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित होती है इस खरीद और बिक्री का रिकॉर्ड रखने का काम स्टॉक एक्सचेंज करता है। स्टॉक एक्सचेंज को अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर भी कहा जाता है यह जानना भी कम रोचक नहीं है की सबसे पहले स्टॉक एक्सचेंज कब अस्तित्व में आया ऐसा माना जाता है की दुनिया का पहला शेयर बाजार बेल्जियम के एंडवर्प शहर में सन 1531 के आसपास खोला गया था लेकिन अधिकृत रूम से विश्व का पहला शेयर बाजार सन 1602 में नीदरलैंड के एम्स्टर्डम शहर में स्थापित किया गया था।

अगर भारत की बात करें तो यहां सबसे पहला संगठित स्टॉक एक्सचेंज शन 18 सो 75 में मुंबई के स्थानीय दलालों के एसोसिएशन के रूप में सामने आया तब इसका नाम रखा गया था (नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन।) इस एसोसिएशन की स्थापना से पहले शेयर दलाल बरगद के पेड़ के नीचे खड़े होकर शेयरों की खरीद बिक्री किया करते थे धीरे धीरे इसी बरगद के पेड़ के नीचे BSE का जन्म हुआ जरूरत के अनुसार दलाल जगह बदलते रहे और आखिर में सन 1874 मैं आकर एक स्थाई जगह इन्हें मिली।

जिसे आज दलाल स्ट्रीट के नाम से जाना जाता है इसके बाद सन 1894 में अहमदाबाद मैं स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना हुई और 1908 मे कोलकाता में स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की गई सन 1994 से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE) का कार्य संचालन प्रारंभ हुआ आज भारत में कुल 24 स्टॉक एक्सचेंज काम कर रहे हैं इन मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों को तीन श्रेणी ए, बी, और सी में बांटा गया है भारत में इन स्टॉक एक्सचेंजों को प्रतिभूति संविदा अधिनियम 1956 के अधीन मान्यता दी गई है।

कंप्यूटरीकृत कारोबार कैसे किया जाता है

स्टॉक एक्सचेंज मे खड़े होकर बोली लगाने की जगह अब बोल्ट व नीट प्रणालियों से शेयरों का कारोबार होता है। बोल्ट ‘BSE’ की कंप्यूटरीकृत कारोबार प्रणाली है और नीट ‘NSE’ की इन प्रणालियों की सहायता से आप शेयरों का कारोबार संचालित कंप्यूटरीकृत नेटवर्क (ऑनलाइन) के माध्यम से पूरे भारतवर्ष में एक साथ चलता है ब्रोकर अब स्टॉक एक्सचेंज जाने के बजाएं अपने कार्यालय में लगे कंप्यूटर से अपने ग्राहकों के लिए शेयर खरीदते या बेचते हैं यह कारोबार प्रातः 9:55 बजे से 3:30 बजे तक सोमवार से शुक्रवार तक होता है इस समय मैं फेरबदल भी होता है जिसकी सूचना आपको विभिन्न समाचार पत्रों तथा आपने ब्रोकर के माध्यम से मिलती है।

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ब्रोकर कौन होते हैं

Stock exchange kya hai, ब्रोकर यानी दलाल स्टॉक एक्सचेंज के लाइसेंस धारी सदस्य होते हैं जो स्वयं के लिए अथवा आपने ग्राहक के लिए उसकी सहमति से सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग करते हैं ये क्लाइंट से पूरे सौदे पर कमीशन चार्ज करते हैं पूर्णकालिक ब्रोकर आपने क्लाइंट्स की सिक्योरिटीज की निगरानी रखते हैं उन्हें निवेश संबंधी सलाह देते हैं क्लाइंट के पोर्टफोलियो को प्लान करते हैं तथा उसका प्रबंध करते हैं वे अपने क्लाइंट को मार्जिन पर खरीदारी की सुविधा भी देते हैं।

एक्टिव मार्केट क्या है

जब सेकेंडरी मार्केट मे शेयरों की या कुछ विशेष शेयरों की ट्रेडिंग बड़ी मात्रा में बहुत कम समय में की जाती है तो इस स्थिति को सक्रिय बाजार या एक्टिव मार्केट कहा जाता है। इस बाजार में शेयरों की खरीद कीमत व बिक्री कीमत में काफी कम अंतर होता है ऐसी स्थिति मैं वित्तीय संस्थानों द्वारा खरीदारी स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? अथवा बिक्री बाजार स्थिति पर विशेष प्रभाव नहीं डालती है।rank math review

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एक्टिव शेयर किया है

वे शेयर जिनकी ट्रेडिंग प्रतिदिन तथा निरंतर होती है सक्रिय शेयर या एक्टिव शेयर कहलाते हैं प्रमुख कंपनियों के शेयर जो आर्थिक तथा राजनीतिक घटनाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं इस श्रेणी में आते हैं इसके विपरीत कई शेयर ऐसे होते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में कभी-कभार ही खरीद और बेचे जाते हैं इनको खरीदार तथा बिक्री करता ढूंढना सामान्यत मुश्किल होता है ये निष्क्रिय शेयर या इनएक्टिव शेयर कहलाते हैं इनकी खरीद वह बिक्री दरों में भी काफी अंतर होता है।

नर्वस मार्केट क्या है Stock exchange kya hai.

जब शेयर बाजार में आर्थिक तथा राजनीतिक घटनाक्रम के चलते अस्थायी मंदी के दौर अकाल सरकारी नीति में बदलाव के चलते अनिश्चय का वातावरण छा जाता है तो ऐसे नर्वस मार्केट द्वारा परिभाषित किया जाता है ऐसी स्थिति स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? में अमूमन शेयरों की कीमत में कुछ गिरावट आती है और खरीदार बाजार से बेरुखी दिखाई देते हैं।

फंडामेंटल एनालिस्ट क्या है

आधारभूत विश्लेषण अथवा फंडामेंटल विश्लेषण बाजार तथा क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञ होते हैं जो किसी भी सिक्योरिटी की कीमत के आकलन में फंडामेंटल तथा वैज्ञानिक नजरिया रखते हैं किसी भी सिक्योरिटी की फंडामेंटल कीमत आंकने में इनकी सलाह ली जाती है।

फंडामेंटल एनालिसिस क्या है

किसी भी कंपनी की व्यवसाय कि आधारभूत कारकों का वैज्ञानिक अध्ययन के द्वारा उसके शेयर की कीमत का आकलन आधारभूत विश्लेषण कहलाता है विशेषज्ञ उद्योग की गति ,कंपनी की बिक्री ,संपत्ति ,देनदारी ,कर्ज ,उत्पादन ,बाजार में कंपनी का हिस्सा ,कंपनी का प्रबंध ,कंपनी के प्रतिद्वंदी इत्यादि तथ्यों का अध्ययन करके तथा कंपनी की बैलेंस शीट, लाभ हानि लेखा कथा वित्तीय अनुपातों का साल दर साल अध्ययन करके कंपनी तथा उसके शेयर का आधारभूत विश्लेषण करते हैं।

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किसी कंपनी में लंबे दौर के निवेश करने हेतु यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती है यद्यपि कम समय में निवेश हेतु इस जानकारी का समुचित उपयोग नहीं किया जा सकता है।Stock exchange kya hai.

Share market update: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बीच नई ऊंचाई पर पहुंचे सेंसेक्स-निफ्टी

Share market update: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच आज सेंसेक्स और निफ्टी नई ऊंचाई पर पहुंच गए.

Published: August 16, 2021 1:13 PM IST

(BSE Sensex)

Share market update: एशियाई बाजारों में सुस्त कारोबार के बावजूद सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में तेजी के साथ कारोबार होता हुआ देखा गया है. हालांकि, सेंसेक्स मामूली बढ़त के साथ 55,518.95 अंक के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 16,550.75 अंक के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया.

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सुबह करीब 10.15 बजे सेंसेक्स अपने पिछले बंद 55,437.29 से 36.93 अंक या 0.07 फीसदी की बढ़त के साथ 55,474.22 पर कारोबार कर रहा था. यह 55,479.74 पर खुला और इंट्रा-डे 55,281.02 अंक के निचले स्तर को छू गया. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 सिर्फ 0.50 अंक की तेजी के साथ 16,529.60 पर कारोबार कर रहा था.

सेंसेक्स पर शीर्ष कमाई करने वाले शेयरों में महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा स्टील और बजाज फिनसर्व थे, जबकि प्रमुख नुकसान उठाने वाले शेयरों में बजाज ऑटो, मारुति सुजुकी इंडिया और अल्ट्राटेक सीमेंट थे.

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What is Stock Market : क्या है शेयर बाजार, इसमे निवेश कैसे किया जाए… आईये विस्तार से जानते है।

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यह एक ऐसा स्थान है जहां सार्वजनिक रूप से आयोजित कंपनियों के शेयरों की खरीद, बिक्री और जारी करने की नियमित गतिविधियां होती हैं। शेयर बाजार में, कोई भी सूचीबद्ध कंपनी के शेयरों के साथ-साथ डेरिवेटिव, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय साधनों में भी व्यापार कर सकता है। जहां सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों का कारोबार होता है।

स्टॉक एक्सचेंज व्यापार के लिए खरीदारों और विक्रेताओं के लिए मिलन स्थल है। भारत में, प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज हैं।

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शेयर बाजार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा बारीकी से नियंत्रित किया जाता है। सेबी अपने कामकाज को नियंत्रित करने, पारदर्शिता बनाने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए शेयर बाजार पर नियम लागू करता है। ऐसा करने से निवेशकों को विश्वास के साथ शेयर बाजार में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

आईपीओ क्या है
आईपीओ पहली बार एक नए स्टॉक जारी करने में एक निजी कंपनी के शेयरों को जनता को देने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। एक आईपीओ एक कंपनी को सार्वजनिक निवेशकों से इक्विटी पूंजी जुटाने की अनुमति देता है। प्राथमिक बाजार वह जगह है जहां कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) में आम जनता के लिए शेयर जारी करती हैं।

प्राथमिक बाजार और द्वितीयक बाजार

भारत में शेयर बाजार दो प्रकार के बाजारों में विभाजित है:-
प्राथमिक बाजार (Primary Market/IPO) और द्वितीयक बाजार (Secondary Market)

1. प्राइमरी मार्केट (Primary Market/IPO)
जब कोई व्यावसायिक संस्था सार्वजनिक होने और स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने का निर्णय लेती है, तो वह एक आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) जारी करती है। आईपीओ के माध्यम से, संस्था पहली बार जनता को शेयर जारी करती है। जो निवेशक इन शेयरों की सदस्यता लेना चाहते हैं, वे प्राथमिक बाजार में ऐसा करते हैं। आईपीओ का उद्देश्य आम तौर पर व्यवसाय को बढ़ाने या विस्तार करने के लिए धन एकत्र करना है।

2. द्वितीयक बाजार (Secondary Market)
एक बार जब आईपीओ में जारी किए गए शेयर पूरी तरह से सब्सक्राइब हो जाते हैं और निवेशकों को आवंटित कर दिए जाते हैं, तो नवगठित कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो जाती है। इसके शेयर अब द्वितीयक बाजार में प्रवेश करते हैं। उन्हें स्टॉक एक्सचेंज पर उनके वर्तमान बाजार मूल्य पर स्वतंत्र रूप से खरीदा और बेचा जा सकता है। निजी से सार्वजनिक कंपनी में संक्रमण निजी निवेशकों के लिए अपने निवेश से पूरी तरह से लाभ प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण समय हो सकता है क्योंकि इसमें आम तौर पर मौजूदा निजी निवेशकों के लिए शेयर प्रीमियम शामिल होता है। इस बीच, यह सार्वजनिक निवेशकों को भी पेशकश में भाग लेने की अनुमति देता है।

भारत में दो तरह के स्टॉक एक्सचेंज है

1. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange or Nifty)

NSE

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (NSE) भारत का प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज है, जो मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। यह 2021 में दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज है एनएसई को 1992 में देश में पहले डीमैटरियलाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज के रूप में स्थापित किया गया था। एनएसई एक आधुनिक, पूरी तरह से स्वचालित स्क्रीन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम प्रदान करने वाला देश का पहला एक्सचेंज था, जिसने देश भर में फैले निवेशकों को आसान ट्रेडिंग सुविधाएं प्रदान कीं। इनमे 50 शीर्ष कंपनियां सूचीबद्ध हैं जिन्हें ब्लूचिप कंपनी के नाम से जाना जाता है।

2. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange or Sensex)

BSE

बीएसई लिमिटेड, जिसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के रूप में भी जाना जाता है, मुंबई में दलाल स्ट्रीट पर स्थित एक भारतीय स्टॉक एक्सचेंज है। 1875 में एक राजस्थानी जैन व्यापारी, कपास व्यापारी प्रेमचंद रॉयचंद द्वारा स्थापित किया गया था। इनमे 50 शीर्ष कंपनियां सूचीबद्ध हैं जिन्हें ब्लूचिप कंपनी के नाम से जाना जाता है।

शेयर बाजार में निवेश कैसे करें

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए सबसे पहले आपके पास डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना बहुत जरूरी है।
यह इंटरनेट के माध्यम से शेयरों में ट्रेडिंग या निवेश को संदर्भित करता है। आजकल, निवेशक और व्यापारी कई प्लेटफार्मों का उपयोग कर सकते हैं – जैसे कि ब्रोकर की वेबसाइट, स्मार्टफोन ऐप और बहुत कुछ। कोई भी दुनिया भर में कहीं से भी ऑनलाइन ट्रेडिंग में संलग्न हो सकता है।

डीमैट अकाउंट क्या है?
एक डीमैट अकाउंट आपकी वित्तीय प्रतिभूतियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखता है। यह एक बैंक खाते की तरह है, लेकिन आपकी वित्तीय प्रतिभूतियों के लिए, जिसमें शेयर, बांड, सरकारी प्रतिभूतियां, म्यूचुअल फंड और अन्य परिसंपत्ति वर्ग शामिल हैं। एक डीमैट अकाउंट के साथ, आप अपने सभी निवेशों को एक ही ऑनलाइन स्थान पर रख सकते हैं और उनकी निगरानी कर सकते हैं। डीमैट खाता केवल आपके द्वारा ट्रेडिंग खाते के माध्यम से खरीदे गए स्टॉक को संग्रहीत करता है।

ट्रेडिंग अकाउंट क्या है?
एक ट्रेडिंग खाता आपको बाज़ार में ऑर्डर खरीदने या बेचने में मदद करता हैं।

आइए विचार करें कि यह कैसे काम करता है, मान लीजिए, आप अपने ट्रेडिंग खाते के माध्यम से शेयर खरीदते हैं। आपके ट्रेडिंग खाते की शेष राशि डेबिट हो जाएगी और डिजिटल शेयर आपके डीमैट खाते में जमा कर दिए जाएंगे।
और जब आप शेयर बेचते हैं तो क्या होता है? आपके डीमैट खाते से शेयर हटा दिए जाएंगे और बिक्री से प्राप्त राशि आपके ट्रेडिंग खाते में जमा कर दी जाएगी।

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