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बाजार अनुसंधान और व्यापार उपकरण

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भारत-अमेरिका व्यापार बैठक: चिकित्सा उपकरण, जीएसपी समेत अन्य मुद्दों पर होगी बातचीत

भारत, अमेरिका टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता के लिए तैयार : अधिकारी

अमेरिका (America) डेयरी उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिये बेहतर बाजार पहुंच चाहता है.

  • भाषा
  • Last Updated : November 14, 2019, 02:53 IST

नई दिल्ली. भारत (India) और अमेरिका (America) के व्यापार मंत्रियों की वाशिंगटन में होने वाली बैठक में चिकित्सा उपकरणों, कृषि और भारत के लिये अमेरिका की तरफ से निर्यात प्रोत्साहन फिर से बहाल किये जाने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी.

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) की अगुवाई में एक अतंर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी के व्यापार प्रतिनिधि राबर्ट लाइथाइजर के साथ बातचीत के बाजार अनुसंधान और व्यापार उपकरण लिये अमेरिका गया है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में कृषि मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रतिनिधि शामिल हैं.

'बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा होगी'
दोनों पक्ष लंबित द्विपक्षीय व्यापार मुद्दों पर चर्चा करेंगे ताकि ऐसे निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके जो दोनों पक्षों के लिये लाभकरी हो. दोंनों पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने के लिये व्यापार पैकेज पर बातचीत कर रहे हैं. अमेरिका ने भारतीय निर्यातकों को जीएसपी के तहत दिये जाने वाले निर्यात प्रोत्साहनों को वापस ले लिया था.

तब भारत ने इसके जवाब में अमेरिका से आयात होने वाले 28 उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया था. भारत अमेरिका को निर्यात प्रोत्साहन योजना के तहत करीब छह अरब डालर का निर्यात करता है.

इस स्थिति को देखते हुये भारत कुछ स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाये गये ऊंचे शुल्क से छूट, जीएसपी (सामान्यीकृत तरजीही व्यापार व्यवस्था) के तहत कुछ घरेलू वस्तुओं पर निर्यात लाभ फिर से देने के साथ कृषि, वाहन, वाहन कल-पुर्जे और इंजीनियरिंग सामानों के लिये अपने उत्पादों के लिये बाजार पहुंच की मांग कर रहा है. अधिकारी ने कहा, 'बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा होगी.'

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मुरे का सिर

मुर्रे को स्वास्थ्य सेवा की सफाई के समाधान में मजबूत अनुभव है। हेल्थकेयर सफाई उपकरण में 25 साल के अनुभव के साथ, वह एक परिवार एसएमई, डुप्लेक्स हेल्थकेयर के निदेशक भी हैं। मुर्रे के पास कई स्टार्टअप व्यवसाय हैं और स्वास्थ्य सेवा बाजार में 2 अन्य सफाई नवाचारों का बीड़ा उठाया है। पिछले स्टार्टअप के हिस्से के रूप में, उन्होंने मेलबोर्न बिजनेस स्कूल की उद्यमिता चुनौती जीती और एबीसी कार्यक्रम "द न्यू इन्वेंटर्स" पर भी चित्रित किया गया।

अमांडा के प्रमुख

अमांडा बाल्टज़र

अमांडा को स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुभव है। अमांडा की आणविक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के साथ-साथ मेलबर्न विश्वविद्यालय और मेलबोर्न बिजनेस स्कूल से जैव प्रौद्योगिकी और व्यवसाय के एक मास्टर में एक मजबूत पृष्ठभूमि है

कौस्तुति का शीर्षासन

कौस्तुभ मूंदड़ा

कौस्तुभ मुंडाडा (कौस्‍ती) 3+ वर्षों के सक्रिय अनुभव के साथ एक व्यवसाय विश्लेषक के रूप में कार्य कर रहे हैं। वह यूज केस, बिजनेस मॉडल, बिजनेस एनालिसिस, यूजर रिक्वायरमेंट्स, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और बिजनेस डेवलपमेंट को डिजाइन करने में माहिर हैं।
एक व्यवसाय विश्लेषक के रूप में कौस्‍ती परियोजना के जीवनचक्र, लागत और प्रक्रिया के अनुकूलन के माध्यम से काम करती है, कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी के लिए नई सुविधाएँ प्रदान करने के लिए चिकित्सा अनुसंधान परियोजनाओं का प्रबंधन करती है।

SJPL Works: कैरियर और व्यवसाय

में प्रवेश SJPL Works, बैठने और कंप्यूटर के साथ San Jose Public Library SJPL Works आइकॉन

SJPL Works रोजगार चाहने वालों, छोटे व्यवसाय के मालिकों और उद्यमियों के लिए आर्थिक और कार्यबल विकास संसाधन प्रदान करता है। SJPL Works की तीसरी मंजिल पर 2,000 वर्ग फुट केंद्र से बाहर संचालित होता है Dr. Martin Luther King, Jr. पुस्तकालय, सभी शाखा पुस्तकालयों में उपग्रह प्रोग्रामिंग के साथ। केंद्र में प्रौद्योगिकी और उत्पादकता उपकरणों के साथ सहयोगी कार्यक्षेत्र, वीडियोकांफ्रेंसिंग के साथ बैठक स्थान, विशेष संग्रह, कक्षाएं और बहुत कुछ है।

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मुक्त व्यापार की तेज डगर

हम उम्मीद करें कि अब जब आगामी वर्ष 2023 के लिए भारत के हाथों में जी-20 की कमान है और वर्ष 2023 में कई देशो के साथ भारत के एफटीए का विस्तार होगा तो बाजार अनुसंधान और व्यापार उपकरण देश में विदेशी निवेश बढ़ेंगे तथा देश मैन्युफैक्चरिंग हब व मेक फॉर दि ग्लोबल की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा। हम उम्मीद करें कि प्रसिद्ध वैश्विक निवेश बैंक मॉरगन स्टेनली की रिपोर्ट में वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की जो प्रबल संभावना बताई गई है, उस संभावना को साकार करने में भारत के द्वारा विभिन्न देशों के साथ किए गए एफ टीए अहम भूमिका में होंगे…

इस समय भारत मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) बाजार अनुसंधान और व्यापार उपकरण के जरिए विकास की तेज डगर पर तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहा है। हाल ही में भारत-आस्ट्रेलिया के द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि दोनों देशों के बीच हुए एफटीए को इसी वर्ष 29 दिसंबर से लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए नए मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार को करीब 27 अरब डॉलर से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 45 से 50 अरब डॉलर तक पहुंचाए जाने में मदद मिलेगी। सेवा निर्यात संवद्र्धन परिषद (एसईपीसी) के मुताबिक भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए एफटीए से दूरसंचार, कम्प्यूटर, यात्रा, अनुसंधान, विकास पेशेवर तथा प्रबंधन परामर्श सेवाओं जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच वर्तमान 1.9 अरब डॉलर का सेवा निर्यात आगामी पांच वर्ष में बढक़र पांच अरब डॉलर होने का अनुमान है। भारत-ऑस्ट्रेलिया एफटीए के लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत का करीब 96 फीसदी निर्यात और भारत को ऑस्ट्रेलिया का करीब 85 फीसदी निर्यात शुल्क मुक्ति के साथ किया जा सकेगा। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल, चमड़ा, कृषि और मत्स्य उत्पाद, इलेक्ट्रिक सामान, आभूषण को ऑस्ट्रेलिया बाजार अनुसंधान और व्यापार उपकरण में शुल्क मुक्त पहुंच मिल सकेगी। चूंकि हमारे प्रतिस्पर्धी बांग्लादेश का ऑस्ट्रेलिया के साथ पहले ही एफटीए है और उसे बेहद कम विकसित देश होने के कारण 5 प्रतिशत का लाभ मिलता है जो भारत को नहीं मिलता। ऐसे में अब नए समझौते से शुल्क मुक्ति के कारण भारत को हो रहे नुकसान को भी कम करने में मदद मिलेगी और भारत प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाकर ऑस्ट्रेलिया में निर्यात बढ़ा सकेगा। दूसरी तरफ भारत ने ऑस्ट्रेलिया के लिए जिन सामानों पर शून्य शुल्क की पेशकश की है, उनमें मुख्य रूप से कच्ची सामग्री, कोयला, खनिज और मध्यवर्ती सामान शामिल है। भारत ने ऑस्ट्रेलियाई बाजार अनुसंधान और व्यापार उपकरण शराब पर ड्यूटी कम करने पर सहमति जताई है। उल्लेखनीय है कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच एफटीए इस वर्ष 2022 में हुआ दूसरा एफटीए है। इसके पहले 18 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ हुए इसी तरह का समझौता हुआ था। इस एफटीए को समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता (सीपा) नाम दिया गया है।

इस व्यापार समझौते से भारत और यूएई के बीच वस्तुओं का कारोबार 5 साल में दोगुना बढ़ाकर 100 अरब डॉलर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, जोकि इस समय करीब 60 अरब डॉलर है। इस समय यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा निर्यात केंद्र है। इस एफटीए के तहत दोनों देशों के द्वारा एक मई 2022 से विभिन्न क्षेत्रों की निर्धारित वस्तुओं को शुल्क मुक्त और रियायती शुल्क पर पहुंच की अनुमति दी गई है। भारत के द्वारा यूएई को कपड़ा, आभूषण, फार्मा उत्पाद, मेडिकल उपकरण, फुटवीयर, चमड़े के उत्पाद, हस्तशिल्प व खेलकूद के सामान, कीमती रत्न, मिनरल्स, खाद्य वस्तुएं जैसे मोटे अनाज, चीनी, फल और सब्जियां, चाय, मांस और समुद्री खाद्य, इंजीनियरिंग और मशीनरी, रसायन जैसे उत्पाद निर्धारित रियायतों पर भेजे जा सकेंगे। वहीं यूएई के द्वारा भारत को पेट्रो केमिकल्स, मेटल जैसे सेक्टरों के साथ सेवा से जुड़े कई सेक्टरों में रियायतें दी गई हैं। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि इस एफटीए से यूएई के बाजार में अब किसी भी भारतीय फार्मा उत्पाद को आवेदन करने के 90 दिनों में शून्य शुल्क पर बिक्री की इजाजत मिल जाएगी। सेवा सेक्टर और डिजिटल ट्रेड को लेकर भी दोनों देशों में विशेष समझौता हुआ है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि यूएई के साथ भारत का एफटीए इसी वर्ष मई से लागू हुआ और उसके बाद वैश्विक मंदी चुनौतियों के बीच भी हर महीने भारत से यूएई को निर्यात में वृद्धि हो रही है। पिछले साल जून से अक्टूबर 2021 के दौरान भारत ने यूएई को 11.27 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जो इस वर्ष इसी अवधि में बढक़र 12.67 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

इतना ही नहीं, एफटीए के कारण ड्यूटी में कमी होने से मई बाजार अनुसंधान और व्यापार उपकरण से अक्टूबर 2022 तक यूएई को किए गए निर्यात से भारत को 1235 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है। नि:संदेह भारत के द्वारा ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ बड़े एफटीए सुकूनदेह हैं। ज्ञातव्य है कि 15 नवंबर 2020 को अस्तित्व में आए दुनिया के सबसे बड़े ट्रेड समझौते रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसेप) में भारत ने अपने आर्थिक व कारोबारी हितों के मद्देनजर शामिल होना उचित नहीं समझा था। फिर आरसेप से दूरी के बाद एफटीए की डगर पर आगे बढऩे की नई सोच विकसित की गई। इस समय भारत विदेश व्यापार नीति को नया मोड़ देते हुए दुनिया के प्रमुख देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे दुनिया में यह संदेश जा रहा है कि भारत के दरवाजे वैश्विक व्यापार और कारोबार के लिए तेजी से खुल रहे हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक एफटीए से जहां भारत में कृषि निवेश बढ़ेगा, वहीं कृषि निर्यात भी बढ़ेगा। भारत के द्वारा ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ एफटीए के बाद अब कनाडा, ब्रिटेन, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, यूरोपीय संघ, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ एफटीए के लिए तेजी से रणनीतिक कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं। ये ऐसे देश हैं जिनके साथ एफटीए भारत के लिए अधिक लाभप्रद हैं। साथ ही ये ऐसे देश हैं जिन्हें भारत के गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की जरूरत है और ये देश भारत के विशेष उत्पादों के लिए अपने बाजार के दरवाजे भी खोलने के लिए उत्सुक हैं। इससे भारतीय सामानों और सर्विस सेक्टर की पहुंच दुनिया के एक बहुत बड़े बाजार तक विस्तृत हो सकेगी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 16 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ हुई वार्ता के बाद भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र आकार लेने की संभावना बढ़ी है।

इस समझौते से भारत अधिक लाभान्वित होगा। हम उम्मीद करें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बदली हुई वैश्विक व्यापार व कारोबार की पृष्ठभूमि में भारत के द्वारा ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ एफटीए देश के वैश्विक व्यापार को बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। हम उम्मीद करें कि अब जब आगामी वर्ष 2023 के लिए भारत के हाथों में जी-20 की कमान है और वर्ष 2023 में कई देशो के साथ भारत बाजार अनुसंधान और व्यापार उपकरण के एफटीए का विस्तार होगा तो देश में विदेशी निवेश बढ़ेंगे तथा देश मैन्युफैक्चरिंग हब व मेक फॉर दि ग्लोबल की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा। हम उम्मीद करें कि प्रसिद्ध वैश्विक निवेश बैंक मॉरगन स्टेनली की रिपोर्ट में वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की जो प्रबल संभावना बताई गई है, उस संभावना को साकार करने में भारत के द्वारा विभिन्न देशों के साथ किए गए एफ टीए अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देंगे।

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