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मार्जिन क्या है?

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अगस्त के अंत में टी यशवंत प्रभु ने ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक का कार्यभार संभाला और वे नए माहौल में जल्द ही ढल गए।

नया कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले साक्षात्कार में प्रभु ने मनोजीत साहा को बताया कि बैंक को कम लागत वाली जमाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने और अपनी शाखाओं का विस्तार करने की जरूरत है। बैंक सरकार से 1,000 करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराने की बात भी की है। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:

बैंक के लिए आप किन चीजों को तरजीही तौर पर देख मार्जिन क्या है? मार्जिन क्या है? रहे हैं?

मेरी पहली प्राथमिकता होगी कुल जमाओं में चालू और बचत खाते (कासा) की हिस्सेदारी को बढ़ाना। हमारे कासा की हिस्सेदारी अन्य सार्वजनिक बैंकों की तुलना में कम है। चालू वित्त के अंत तक हम कुल जमा के 25 से 26 प्रतिशत तक इसे पहुंचाने में सक्षम होंगे। फिलहाल कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत है। हम प्रयास कर रहे हैं कि सितंबर 2010 तक कासा की हिस्सेदारी बढ़ कर 28 प्रतिशत हो जाए।

आप इस दिशा में क्या कर रहे हैं क्योंकि अन्य परिसंपत्ति वर्गों से भी प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है?

वर्तमान में हमारी मात्र 1,419 मार्जिन क्या है? शाखाएं हैं। इस साल हम 117 शाखाएं खोलने जा रहे हैं। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि ये शाखाएं दिसंबर के अंत से पहले खुल जाएं। इन नई शाखाओं से हमें कम लागत वाली जमाओं की हिस्सेदारी को सुधारने में मदद मिलेगी।

पिछले साल हमने 1,400 कर्मचारियों को नियुक्त किया था जिन्हें विभिन्न शाखाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा है और इससे हमारी शाखाओं के विस्तार की योजना में मदद मिलनी चाहिए। हमने नये उत्पाद भी लॉन्च किए हैं जिससे कासा को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।

बैंक का मार्जिन उद्योग में सबसे कम है। कासा पर बल देने से मार्जिन में भी सुधार होगा। हमारा शुध्द ब्याज मार्जिन काफी कम है (जून के अंत में 1.9 प्रतिशत था)। कासा पर ध्यान केंद्रित करने का उद्देश्य शुध्द ब्याज मार्जिन (एनआईएम) में सुधार करना है। दिसंबर के अंत तक हमारा लक्ष्य एनआईएम 2 प्रतिशत पार करने का है।

क्या आपको लगता है कि जमा दरों में कटौती की गुंजाइश है, इससे आपके मार्जिन के सुधरने में मदद मिलेगी?

हमारी परिसंपत्ति देनदारी समिति नियमित बैठकों के जरिए स्थिति की समीक्षा करती है। वर्तमान में, हमारी दरें काफी अधिक नहीं हैं। यह हमारी बराबरी के बैंकों की पेशकशों के अनुरूप ही है। जल्द ही हमें जमा दरों में कटौती की संभावना नहीं नजर आती है।

ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में सरकार की हिस्सेदारी 51.1 प्रतिशत की है। हिस्सेदारी डायल्यूट कर पूंजी जुटाने की कोई गुंजाइश नहीं है। क्या आपने सरकार से पूंजी प्रवाहित करने की बात कही है?

हमने सरकार से लगभग 1,000 करोड़ रुपये के पूंजी प्रवाह की बात की है। हम अभी तक इसकी रूपात्मकता नहीं जानते साथ ही यह भी नहीं मालूम कि पूंजी कब तक उपलब्ध मार्जिन क्या है? कराई जाएगी। पूंजी प्रवाहित करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हम पूंजी पर्याप्तता अनुपात 12.5 प्रतिशत बरकरार रखें साथ ही टियर-1 पूजी 9.5 प्रतिशत पर बनी रहे।

अतिरिक्त पूंजी से क्या आप खुदरा क्षेत्र, जहां आपका निवेश काफी अधिक नहीं है, पर अधिक ध्यान देना चाहेंगे?

मेरा नजरिया काफी स्पष्ट है कि सूक्ष्म और मझोली कंपनियां, कृषि और खुदरा क्षेत्रों पर हम विशेष ध्यान देंगे। हमारा खुदरा पोर्टफोलियो अभी काफी कम है और इसमें 20 प्रतिशत की मार्जिन क्या है? दर से बढ़ोतरी हो रही है। हम आवास ऋण की मांग में तेजी देख रहे हैं।

यही वजह है कि हम बाजार में बने रहना चाहते हैं। हम उन ग्राहकों को ऋण उपलब्ध कराना चाहते हैं जिनकी इच्छा धर खरीदने की है। तीन महीने की विशेष पेशकश के तौर पर हमने आवास ऋण की दरों में आधा फीसदी की कटौती की घोषणा की है।

रियल एस्टेट क्षेत्र को उधार देने के बारे में क्या ख्याल है क्योंकि आरबीआई ने सतर्कता बरतने की मार्जिन क्या है? बात कही है?

रियल एस्टेट क्षेत्र को हम आक्रामक रूप से ऋण नहीं दे रहे हैं। रियल एस्टेट के लिए मार्जिन क्या है? हमारी कुछ सीमाएं हैं। पहले भी हम इस मामले में काफी चुनिंदा थे।

अभी तक ऋण वृध्दि कम रही है। आपने अपने लिए क्या लक्ष्य तय किए हैं?

वर्तमान वर्ष में हमारा लक्ष्य उद्योग के औसत से कम से कम 2 से 3 प्रतिशत अधिक बढ़ोतरी का है। इसलिए, हमारी वृध्दि की रफ्तार 22 से 23 प्रतिशत की होनी चाहिए। सितंबर तक हमारे अग्रिमों तथा जमाओं में 22 से 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

क्या आपको उम्मीद है कि मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकता है?

अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं और वर्तमान नीति कुछ समय तक बनी रहनी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि नीतियों में महत्वपूर्ण रूप से बदलाव किए जाएंगे।

क्या सरकार द्वारा ऋण लिए जाने से दरों पर दबाव बढ़ रहा है?

Marjin Meaning in Hindi - मार्जिन का मतलब हिंदी में

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शेयर बाजार के नए नियम: जानिए क्या है पीक मार्जिन और उसका क्या होगा निवेशकों पर असर

शेयर बाजार पर निगरानी रखने वाली संस्था सेबी (SEBI-Securities and Exchange Board of India) ने पीक मार्जिन्स के नए नियम लागू कर दिए है. आइए जानें इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब.

शेयर बाजार के नए नियम: जानिए क्या है पीक मार्जिन और उसका क्या होगा निवेशकों पर असर

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी

Updated on: Jun 01, 2021 | 5:22 PM

आमतौर पर शेयर बाजार में शेयर खरीदते और बेचते वक्त ब्रोकर्स मार्जिन्स देते है. अगर आसान शब्दों में समझें तो 10 हजार रुपये आपने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में डाले. तो आसानी से 10 गुना मार्जिन्स के साथ 1 लाख रुपये तक के शेयर ग्राहक खरीद लेते थे. लेकिन अब ये निमय पूरी तरह से बदल गए है. उदाहरण के लिए अगर रिटेल निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक लाख रुपये मूल्य के शेयर खरीदता है तो ऑर्डर प्लेस करने से पहले उसके ट्रेडिंग अकाउंट में कम से कम 75000 रुपये होने चाहिए. बाकी पैसा वह टी+1 या टी+2 दिन में या ब्रोकर के निर्देश के मुताबिक चुका सकता है. सेबी के नए नियम के मुताबिक शेयर बेचते वक्त भी आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन होना चाहिए.

अब जानते हैं पीक मार्जिन्स क्या होते है?

इसका मतलब यह हुआ कि आपके दिनभर के जो ट्रेड्स (शेयर खरीदे और बेचे) किए हैं क्लीयरिगं कॉर्पोरेशन उसके चार स्नैप शॉर्ट लेगा.

इसका मतलब साफ है कि चार बार यह देखेगा कि दिन में जो ट्रेड हुए उसमें मार्जिन कितने हैं. उसके आधार पर दो सबसे ज्यादा मार्जिन होगा उसका कैलकुलेशन करेगा.

फिलहाल आपको उसका कम से कम 75 प्रतिशत मार्जिन रखना होगा. अगर आपने नहीं रखा तो आपको इसके एवज में पेनाल्टी लगेगी. यह नियम 1 जून 2021 से शुरू हो गया. अगस्त में ये 100 फीसदी हो जाएगा.

क्यों लागू किया ये नियम

बीते कुछ महीनों में कार्वी जैसे कई मामले सामने आए है. जिसमें आम निवेशकों के शेयर बिना बताए बेच दिए गए. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सेबी ने सोच-समझकर यह नियम लागू किया है. उदाहरण के तौर पर समझें तो मान लीजिए आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं.

ये शेयर आपको अकाउंट से मार्जिन क्या है? बुधवार को डेबिट होंगे. लेकिन, अगर आप मंगलवार (डेबिट होने से पहले) को इन शेयरों को किसी दूसरे को ट्रांसफर मार्जिन क्या है? कर देते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम पैदा हो जाएगा.

ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने मार्जिन क्या है? के लिए हथियार होते हैं. 95 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं होता है. सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो.

सितंबर से लागू होगा 100 फीसदी का नियम

यह पीक मार्जिन का तीसरा फेज है. पहला फेज दिसंबर 2020 में शुरू हुआ था, तब 25 प्रतिशत के पीक मार्जिन लगाए गए थे. मार्च से पीक मार्जिन दोगुना बढ़कर 50 फीसदी कर दिया गया. 1 जून से 75 फीसदी हो गया है. अब सितंबर में बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया जाएगा.

एक्सपर्ट के मुताबिक, दिसंबर से पहले मार्जिन कैलकुलेशन दिन के आखिर में करते थे. इसके बाद कार्वी और दूसरे कई मामले हुए थे. मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने इसके बाद पीक मार्जिन को बाहर निकाला था.

कहां कहां लागू होंगे पीक मार्जिन्स के नियम

पीक मार्जिन के नए नियम इंट्राडे, डिलीवरी और डेरिवेटिव (Intraday, delivery and derivatives) जैसे सभी सेगमेंट में लागू होंगे. चार में से सबसे ज्यादा मार्जिन को पीक मार्जिन माना जाएगा. सेबी ने इसके नियमों में बदलाव कर दिया है.

इरडा का सॉल्वेंसी मार्जिन घटाने का प्रस्ताव

बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों के लिए अगले वित्त वर्ष से सॉल्वेंसी मार्जिन घटाकर 150 से 145 फीसदी करने का प्रस्ताव किया.

इरडा का सॉल्वेंसी मार्जिन घटाने का प्रस्ताव

बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों के लिए अगले वित्त वर्ष से सॉल्वेंसी मार्जिन घटाकर 150 से 145 फीसदी करने का प्रस्ताव किया है। इससे जोखिम वाले निवेश के लिए उचित प्रावधान हो सकेगा। सॉल्वेंसी मार्जिन किसी बीमा कंपनी के दावों के निपटान की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

इरडा ने विवरण मसौदे में कहा है कि सॉल्वेंसी मार्जिन को घटाकर 145 फीसदी करने का प्रस्ताव है। यह वित्त वर्ष 2013-14 से लागू होगा।

यह मसौदा जीवन और गैर जीवन बीमा कंपनियों दोनों के लिए है। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि यदि बीमा प्रीमियम राशि सरकारी प्रतिभूतियों के अलावा ज्यादा जोखिमपूर्ण योजना में निवेश करती हैं, तो उन्हें अपनी पूंजी का एक हिस्सा अलग रखना होगा।

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