बाजार तरलता क्या है?

बाजार में नकदी की कमी नहीं, बस मौजूदा संसाधनों के सही इस्तेमाल की जरूरत: RBI
आरबीआई ने कहा कि खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त दोबारा से की जा सकती है ताकि व्यवस्था में पर्याप्त तरलता को सुनिश्चित किया जा सके.
नकदी की कमी को लेकर छाई चिंताओं पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि व्यवस्था में नकदी जरूरत से ज्यादा है. बाजार की जरूरतों के हिसाब से उपलब्ध विकल्पों का उपयोग कर टिकाऊ तरलता व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाएगा.
पिछले कुछ दिनों में बाजार तरलता क्या है? सक्रियता बाजार तरलता क्या है? से उठाए गए कदमों के बारे में आरबीआई ने कहा कि 19 सितंबर को उसने खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों का लेन-देन (ओएमओ) किया बाजार तरलता क्या है? था. साथ ही तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के सामान्य प्रावधान के अतिरिक्त रेपो बाजार तरलता क्या है? के माध्यम से अतिरिक्त तौर पर तरलता के लिए उदार तरीके से जान फूंकने की कोशिश की थी.
आरबीआई ने कहा कि खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त दोबारा से की जा सकती है ताकि व्यवस्था में पर्याप्त तरलता को सुनिश्चित किया जा सके.
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि 26 सितंबर को रेपो के माध्यम से बैंकों ने रिजर्व बैंक से 1.88 लाख करोड़ रुपये की सुविधा प्राप्त की. परिणाम स्वरूप व्यवस्था में पर्याप्त से अधिक तरलता मौजूद है. रिजर्व बैंक ने घोषणा की कि सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में जरूरी राहत एक अक्तूबर 2018 से प्रभावी होगी. इससे प्रत्येक बैंक की तरलता की क्षमता को मदद मिलनी चाहिए.
आरबीआई ने कहा कि व्यवस्था में टिकाऊ तरलता जरूरतों को पूरा करने के बाजार तरलता क्या है? वह तैयार है और विभिन्न उपलब्ध विकल्पों के माध्यम से वह इसे सुनिश्चित करेगा. यह उसके बाजार हालातों और तरलता का लगातार आकलन करने पर निर्भर करेगा.
उल्लेखनीय है कि आईएलएंडएफएस समूह कंपनी की चूक के बाद तरलता के संकट संबंधी चिंताएं जाहिर की जाने लगी थीं.
बाजार में बढ़ी तरलता, जून में विदेशी निवेशकों ने घरेलू बाजारों में डाले 21,235 करोड़ रुपये
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जून में भारतीय पूंजी बाजारों में शुद्ध रूप से 21,235 करोड़ रुपये डाले हैं। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच अब अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे खुल रही है और बाजार में तरलता भी बढ़ी है, जिससे भारतीय बाजारों को लेकर एफपीआई का आकर्षण बढ़ा है।
21,235 करोड़ रुपये रहा शुद्ध निवेश
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एक से 26 जून के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयरों में 22,893 करोड़ रुपये डाले, लेकिन उन्होंने ऋण या बॉन्ड बाजार से 1,658 करोड़ रुपये की निकासी की। इस तरह उनका शुद्ध निवेश 21,235 करोड़ रुपये रहा।
तीन माह तक बिकवाल बने रहे निवेशक
इससे पहले पिछले लगातार तीन माह तक विदेशी निवेशक शुद्ध बिकवाल बने रहे। उन्होंने मई में 7,366 करोड़ रुपये, अप्रैल में 15,403 करोड़ रुपये और मार्च में रिकॉर्ड 1.1 लाख करोड़ रुपये की निकासी की।
इस संदर्भ में ग्रो के सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हर्ष जैन ने कहा कि, 'एफपीआई ने स्मॉल और मिडकैप शेयरों में निवेश बढ़ाया है। इन शेयरों में वे पिछले एक साल से निवेश कर रहे हैं।'
2019 में एफपीआई ने डाले थे 73,276.63 करोड़ रुपये
साल 2019 में एफपीआई ने घरेलू बाजारों (शेयर और ऋण दोनों) में शुद्ध रूप से 73,276.63 करोड़ रुपये डाले थे। बता दें कि जनवरी, जुलाई और अगस्त को छोड़कर एफपीआई साल 2019 के शेष महीनों में शुद्ध लिवाल रहे हैं।
क्या है एफपीआई ?
बता दें कि जब एक अंतरराष्ट्रीय निवेशक, किसी अन्य देश के उद्यम की निष्क्रिय होल्डिंग में निवेश करता है, यानी वित्तीय परिसंपत्ति में निवेश करता है, तो इसे एफपीआई के रूप में जाना जाता है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) बाजार तरलता क्या है? ने जून में भारतीय पूंजी बाजारों में शुद्ध रूप से 21,235 करोड़ रुपये डाले हैं। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच अब अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे खुल रही है और बाजार में तरलता भी बढ़ी है, जिससे भारतीय बाजारों को लेकर एफपीआई का आकर्षण बढ़ा है।
21,235 करोड़ रुपये रहा शुद्ध निवेश
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एक से 26 जून के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयरों में 22,893 करोड़ रुपये डाले, लेकिन उन्होंने ऋण या बॉन्ड बाजार से 1,658 करोड़ रुपये की निकासी की। इस तरह उनका शुद्ध निवेश 21,235 करोड़ रुपये रहा।
तीन माह तक बिकवाल बने रहे निवेशक
इससे पहले पिछले लगातार तीन माह तक विदेशी निवेशक शुद्ध बिकवाल बने रहे। उन्होंने मई में 7,366 करोड़ रुपये, अप्रैल में 15,403 करोड़ रुपये और मार्च में रिकॉर्ड 1.1 लाख करोड़ रुपये की निकासी की।
इस संदर्भ में ग्रो के सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हर्ष जैन ने कहा कि, 'एफपीआई ने स्मॉल और मिडकैप शेयरों में निवेश बढ़ाया है। इन शेयरों में वे पिछले एक साल से निवेश कर रहे हैं।'
2019 में एफपीआई ने डाले थे 73,276.63 करोड़ रुपये
साल 2019 में एफपीआई ने घरेलू बाजारों (शेयर और ऋण दोनों) में शुद्ध रूप से 73,276.63 करोड़ रुपये डाले थे। बता दें कि जनवरी, जुलाई और अगस्त को छोड़कर एफपीआई साल 2019 के शेष महीनों में शुद्ध लिवाल रहे हैं।
क्या है एफपीआई ?
बता दें कि जब एक अंतरराष्ट्रीय निवेशक, किसी अन्य देश के उद्यम की निष्क्रिय होल्डिंग में निवेश करता है, यानी वित्तीय परिसंपत्ति में निवेश करता है, तो इसे एफपीआई के रूप में जाना जाता है।
तरलता प्रबंधन और विनिमय दर के बीच संबंध नहीं: बाजार तरलता क्या है? RBI
भारतीय रिजर्व बैंक के तरलता प्रबंधन कार्य का संबंध विनिमय दर से नहीं है और न ही रुपये में होने वाले उतार-चढ़ाव का प्रत्यक्ष संबंध खुला बाजार संचालन से है. यह बात एक अधिकारी ने बुधवार को कही.बाजार तरलता क्या है?
aajtak.in
- चेन्नई,
- 04 जुलाई 2012,
- (अपडेटेड 04 जुलाई 2012, 6:30 PM IST)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तरलता प्रबंधन कार्य बाजार तरलता क्या है? का संबंध विनिमय दर से नहीं है और न ही रुपये में होने बाजार तरलता क्या है? वाले उतार-चढ़ाव का प्रत्यक्ष संबंध खुला बाजार संचालन से है. यह बात एक अधिकारी ने बुधवार को कही.
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि रुपये में होने वाले उतार-चढ़ाव का संबंध खुला बाजार संचालन से है. तरलता प्रबंधन कार्य का विनिमय दर से कोई संबंध नहीं है.'
गोकर्ण ने यहां 'विजन तमिलनाडु बिल्डिंग सस्टेनेबल टुमारो' सेमिनार से इतर यह बात कही. सेमिनार का आयोजन एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया ने किया था.
गोकर्ण ने साथ ही कहा कि चालू खाता घाटे का असर रुपये पर पड़ता है और चालू खाता घाटा में सुधार करने से मुद्रा में स्थिरता आ सकती है.
मानसून में हो रही देरी पर उन्होंने कहा कि बैंक उसी तरह मानसून का इंतजार कर रहा है, जिस तरह दूसरे लोग.
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंक दर को कम करना _______की ओर जाता है
Key Points
- बैंक दर
- ब्याज दर जिस पर एक देश का केंद्रीय बैंक घरेलू बैंकों को पैसा अक्सर बहुत अल्पकालिक ऋण के रूप में उधार देता है।
- जब कोई बैंक बाजार तरलता क्या है? फंड की कमी को झेलता है, तो वह सेवाओं को जारी रखने के लिए RBI से पैसे उधार ले सकता है।
- जब केंद्रीय बैंक द्वारा बैंक दर में वृद्धि की जाती है, तो एक वाणिज्यिक बैंक की उधार बाजार तरलता क्या है? लेने की लागत बढ़ जाती है, जिससे बाजार में पैसे की आपूर्ति कम हो जाती है।
- पॉलिसी रेपो दर: 5.90%
- रिवर्स रेपो दर: 3.35%
- सीमांत स्थायी सुविधा दर: 6.15 %
- बैंक दर: 5.6 5%
- सीआरआर: 4 .50%
- एसएलआर: 18.00%
Share on Whatsapp
Last updated on Sep 21, 2022
UPPCS Cut Off and Marksheet released for the 2021 examination. Earlier, the final result for the same was released. A total of 627 candidates were selected after the interview. UPPSC PCS 2022 cycle is also ongoing. The Mains exam for the same was held between 27th September to 1st October 2022.