स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है

Stock Market पेपर ट्रेडिंग क्या होता हैं ? पेपर ट्रेडिंग कैसे करते हैं ?
क्रिकेट के प्लेयर्स नेट प्रैक्टिस करते है। स्टॉक मार्केट ट्रेडर्स पेपर ट्रेडिंग करते हैं। समझ लिया, लेकिन थोड़ा ठहरो और पूरी बात को समझो। नेट प्रैक्टिस की तरह इसे भी लगातार करना होता हैं। पोजिशनल ट्रेडिंग के लिए स्ट्रेटेजी बनानी हो तो और भी ज्यादा वक्त देना होता हैं।
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी की, स्टॉक मार्केट में 80% ट्रेडर्स पेपर ट्रेडिंग नहीं करते हैं। बस 20 % ट्रेडर्स ही यह करते हैं। इनमे से ही आगे चलकर ट्रेडिंग में करियर करते हैं।
पेपर ट्रेडिंग क्या हैं ?
"पेपर ट्रेडिंग याने की पेपर पर ट्रेडिंग करना।" आसान हैं ? तो ठीक हैं। इतनी आसान बात को मुश्किल क्यों बनाना ?
इस बात पर ध्यान दें की, अपनी मेहनत की कमाई को स्टॉक मार्केट में निवेश करना जोखिम भरा काम हैं। और इससे भी ज्यादा जोखिम ट्रेडिंग में होती हैं। इसलिए नेट प्रैक्टिस तो बनती ही हैं। हैं ना ? इससे डर और लालच पर कंट्रोल करने में मदद मिलती हैं। फियर अँड ग्रीड के बारे में हम यहीं से दूसरे पेज पर जाकर पढ़ सकते हैं। और फिर यहाँ कंटीन्यू कर सकते हैं।
स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में, क्रिकेट की ही तरहा, गया तो सिक्स वर्ना कैच आउट वाली सिच्युएशन की संभावना रहती हैं। इसे पहचानने के लिए और बचने के लिए हमें पेपर ट्रेडिंग करनी होती हैं। और हम यह भी कह सकते हैं की, ट्रेडिंग में प्रॉफिट का सिक्सर लगाने के लिए हमें इसे करना चाहिए।
उदाहरण
हमें SBI के शेयर्स खरीदने हो तो हम ब्रोकर के जरिए बायिंग का ऑर्डर डालेंगे। इससे हमारी पोजीशन बनेगी। कीमत बढ़ने पर सेल करते हैं तो मुनाफा होगा। और अगर कीमत निचे जाती हैं तो लॉस उठाना पड़ सकता हैं।
लेकिन पेपर ट्रेडिंग में हम कागज पर ट्रेड को लिखते हैं। और क्या रिसल्ट आया है इसका मुआयना करते हैं। ऐसा करने से शुरू में लॉस उठाना नहीं पड़ता और स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग से परिचय भी होता हैं। जैसे की एक कहावत हैं की, साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टुंटे।
पेपर ट्रेडिंग की सामग्री और स्टेप्स
यहाँ पर हम सामग्री और प्रोसेस को समझ लेते हैं।
पेपर ट्रेडिंग की सामग्री
पेपर, पेन्सिल या पेन हो तो भी चलेगा। मोबाईल या लॅपटॉप जो अवेलेबल हैं और इंटरनेट कनेक्शन। बस स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है इतने से काम चल जाएगा।
महत्वपूर्ण बात
पेपर ट्रेडिंग करने के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता नहीं होती है। यह अगले स्टेप में आता हैं। आइए पहले हम पेपर ट्रेडिंग के स्टेप्स समज़ते हैं।
पेपर ट्रेडिंग करने के 8 स्टेप्स
1 ) स्टॉक मार्केट की जानकारी लेना, टेक्निकल एनालिसिस करना। यह हम इन्वेस्टिंग की वेबसाइट पर कर सकते हैं।
2 ) बायिंग, सेलिंग और स्टॉप लॉस ऑर्डर्स को समज़ना।
3 ) ट्रेडिंग के लिए स्टॉक्स, इंडेक्स, इत्यादि का चुनाव करना। इनकी लिस्ट बनाना।
4 ) अपने चुने हुए स्टॉक्स को चार्ट एनालिसिस के जरिए ट्रैक करना।
5 ) अपनी जानकारी के आधार पर ट्रेड तय करके कागज पर लिखना।
6 ) ट्रेड के स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है लिए टार्गेट और स्टॉप लॉस लिख लेना।
7 ) टार्गेट हिट होने पर हमने क्या सही किया इसका स्टडी करना हैं। और स्टॉप लॉस हिट होने पर हमसे क्या गलती हुई इसका स्टडी करना हैं। इसे संक्षिप्त में लिख लेना हैं।
8 ) इस अनुभव का उपयोग अगले ट्रेड में परफॉर्मेंस सुधारने के लिए करना हैं।
इन 8 स्टेप्स को फॉलो करते हुए पेपर ट्रेडिंग करके हम Nifty 200 के साथ Intraday Trading करने स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है में माहिर बन सकते हैं। यह इंट्राडे ट्रेडिंग करने की अच्छी ट्रिक हैं।
पेपर ट्रेडिंग कैसे करते हैं ?
जवाब में कहते हैं कि, नए ट्रेडर्स को बेसिक पेपर ट्रेडिंग करनी चाहिए। और जो ऑलरेडी ट्रेडर्स हैं, ट्रेडिंग करते हैं उनको एडव्हान्स लेवल के साथ पेपर ट्रेडिंग करनी चाहिए। स्टॉक मार्केट चर्निंग करने के लिए भी पेपर ट्रेडिंग उपयुक्त साबित होता हैं।
A ) पेपर ट्रेडिंग नए ट्रेडर्स के लिए
अगर हम नए ट्रेडर हैं। और शुरुआत करने जा रहे हैं तो, ऊपर दिए गए 8 स्टेप्स को इस तरह से फॉलो करना है।
1 ) स्टॉक मार्केट की जानकारी लेना। इसमें हम स्टॉक मार्केट में कौन-कौनसे शेयर्स हैं यह देखकर उनमे से कुछ शेयर्स की लिस्ट बनाएँगे। और उनकी प्राइस कितनी है यह जानकारी लेंगे।
2 ) टेक्निकल एनालिसिस करना। इसमें हम सिर्फ शेयर के प्राइस चार्ट को लेते हैं। चार्ट पर सपोर्ट, रेजिस्टेंस और ट्रेंड लाइन को सेट करते हैं। शुरुआत में इतना काफी है।
3 ) अब हम चार्ट के सेट अप के अनुसार बन रहे ट्रेड्स को कागज पर लिखेंगे। और रिजल्ट का स्टडी करेंगे।
B ) पेपर ट्रेडिंग अनुभवी ट्रेडर्स के लिए
अगर हम अनुभवी ट्रेडर हैं। और प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो, ऊपर दिए गए 8 स्टेप्स को इस तरह से फॉलो करना है।
1 ) स्टॉक मार्केट की जानकारी लेना। इसमें हम स्टॉक मार्केट की खबरें पढ़ेंगे। महवपूर्ण इंडेक्स की दिशा को समझेंगे। इस दिशा को फॉलो करने वाले शेयर्स की लिस्ट बनाएँगे। और उनकी प्राइस कितनी है यह जानकारी लेंगे।
2 ) टेक्निकल एनालिसिस करना। इसमें हम शेयर्स के प्राइस के चार्ट के साथ इंडेक्स के चार्ट को भी देखते हैं। चार्ट पर सपोर्ट, रेजिस्टेंस और ट्रेंड लाइन को सेट करते हैं। इसके साथ स्टॉक मार्केट के महत्वपूर्ण इंडीकेटर्स का इस्तेमाल करते हैं।
3 ) लाइव डाटा जैसे की पुट कॉल रेश्यो, शेयर्स के ट्रेडिंग वॉल्यूम, टोटल बायर्स सेलर्स इस जानकारी को समझेंगे।
4 ) अब हम चार्ट के सेट अप के अनुसार बन रहे ट्रेड्स को कागज पर लिखेंगे। और रिजल्ट का स्टडी करेंगे।
पेपर ट्रेडिंग की खासियतें
पेपर ट्रेडिंग हमारे ट्रेडिंग स्टाइल पर निर्भर हैं। इसपर मेरे ट्रेडिंग करने वाले, ज्यादातर भाई और बहनें कहेंगे की हमारी तो कोई स्टाइल हैं ही नहीं। उनके लिए खुशखबरी यह हैं की, पेपर ट्रेडिंग करो आपकी ट्रेडिंग स्टाइल अपने-आप बनती जाएंगी। जिसे की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी भी कहते हैं।
" जिनके पास ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी होती हैं वह सुधार के लिए बैक टेस्टिंग करते हैं। और जिनके पास यह नहीं होती वो पेपर ट्रेडिंग करके अपने लिए ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बना सकते हैं।"
रियल ट्रेडिंग करते वक्त, हम रियल मनी ट्रेडिंग अकाउंट में डालते हैं। और इसके जरिए ट्रेडिंग करते हैं। अगर हम नए हैं और हमें लॉस होता हैं तो यह हमारे लिए इमोशनल प्रॉब्लम बन सकता है। Stock Market % Game में फँसकर, स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के बारे में हमारा नजरिया निगेटिव हो सकता है। लेकिन पेपर ट्रेडिंग करने से हमें चार्ट को समझकर, प्राइस मूवमेंट को समझकर ट्रेडिंग करने की आदत हो जाती है।
उपयुक्त जानकारी
पेपर ट्रेडिंग के बारे में हमने यह जाना
स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग यह रिस्की बिजनेस है। इसमें डिसिप्लिन के सिवा पैसा कमाना मुश्किल होता है और डिसिप्लिन बनाने के लिए हमें कीमत चुकानी होती है।
यह कीमत हम, स्टॉक मार्केट रियल ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे डालकर लॉस करके चुका सकते हैं या फिर पेपर ट्रेडिंग करके पेपर पर लॉस करके भी चुका सकते हैं। इससे हमारे रियल मनी का नुकसान नहीं होगा। और स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के करियर में हम फिट हो सकते हैं या नहीं यह हमें पैसे गवाएं बिना पता चलता है।
पेपर ट्रेडिंग के रिजल्ट को ध्यान में रखते हुए हम तय कर सकते हैं कि, हमें स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग करना है या नहीं करना है। और हाँ तो अपनी आगे की दिशा तय कर सकते हैं।
ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है
ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते है आपके मन मे भी ये सवाल जरूर आया होगा की आखिर स्टॉक मार्केट में कितने प्रकार की ट्रेडिंग होती है. मै आपको बता दू स्टॉक मार्केट में चार प्रकार की ट्रेडिंग होती है intraday trading. Swing trading. Short term trading. Long term trading. ये चार प्रकार की ट्रेडिंग कैसे की जाती है ये हम आज आपको बतायेंगे तो चलीये जानते है.शेअर मार्केट मे ट्रेडिंग कैसे होती है. और कितने प्रकार की होती है.
Intraday trading – इंट्राडे ट्रेडिंग
जब मार्केट 9 बजकर 15 मिनिट में शुरू होता है. और 3 बजकर 30 मिनिट मे बंद होता है. उस टाइम के अंदर आप जो कोई भी शेअर्स खरीद लेते है. या बेज देते है उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है. यांनी की आपको इसी टाइम के अंदर शेअर्स खरीद लेना है और बेच देना है. अब हम जानते है इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान
इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे
इंट्राडे ट्रेडिंग मे आपको शेअर बाजार के उतार-चढाव के बारे मे पता होना बेहात जरुरी है. इंट्राडे ट्रेडिंग से अगर अच्छे स्टॉक का शेअर्स आप खरीद लेते है तो आप 8000 रुपये per day से भी ज्यादा कमा सकते हो
इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान
इंट्राडे ट्रेडिंग मे जितना फायदा होता है उतना ही रिक्स और loss होता है,इस ट्रेडिंग मे आपको कोई ये नही बताएगा स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है आखिर इंट्राडे मे ट्रेडिंग कैसे करे अगर आपके पास knowledge नही है और आप नये हो तो मेरी ये राय रहेगी आपके लिए ये ट्रेडिंग नही है. क्युकी नये लोग सबसे पहले यही ट्रेडिंग करना शुरू करते है और बाद में उनको असफलता मिलती है अब हम जानते है स्विंग ट्रेडिंग
Swing trading स्विंग ट्रेडिंग
इस ट्रेडिंग मे कोई भी स्टॉक खरीदकर कुछ दिनो मे या कुछ हप्तो के अंदर बेच सकते हो इसे स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता है .इसे ट्रेडिंग किंग भी कहा जाता है. ये ट्रेडिंग इंट्राडे की तरह नही है लेकिन इसमे आप अपना टारगेट प्राईस लगाकर loss और profit को आसानी से झेल सकते हो
स्विंग ट्रेडिंग के फायदे
अगर आप नये हो तो सुरुवात मे आपको यही ट्रेडिंग करनी चाहिए तभी आप अच्छा स्टॉक select कर पाओगे और शेअर मार्केट के उतार और चढाव के बारे मे आसानी से और बारीकीसे जान पाओगे
स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान
स्विंग ट्रेडिंग मे अगर आप अच्छे स्टॉक को नही चुन, पाओगे तो आपको लॉस ही होगा क्यूकी इस ट्रेडिंग मे अच्छे स्टॉक को चूनना बेहद जरूरी है ताकी आप ज्यादा दिन तक अच्छे से स्टॉक मे invest कर सके
Short term trading शॉर्ट ट्रम ट्रेडिंग
जब कोई ट्रेडिंग कुछ हप्तो से लेकर कूछ महिनो मे complete होता है.उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग मे एक active trade investment हे आपको इसमे अपने स्टॉक पर नजर रखनी पडती है तभी आप अपने स्टॉक को minimise कर सकते है
शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है के फायदे
वैसे तो इस ट्रेडिंग मे आप अगर पुरी research के साथ stock स्सिलेक्ट करोगे तो आप अपने लॉस ओर प्रॉफिट को मिनिमाईज कर पावोगे
शॉर्ट ट्रेडिंग के नुकसान
अगर आप किसीके कहने पर या YouTube पर video देखकर किसी स्टॉक को खरीद लेते हो तो आपको पक्का लॉस ही होगा क्युकी आप जिस किसी भी स्टॉक को सिलेक्ट करते हो ऊस कंपनी के fundamentals के बारे मे हि आपको पता नही होता तभी आप लॉस मे जाते हो
Long term trading लॉंग टर्म ट्रेडिंग
अब आप इसके नाम से ही जान गये होंग आखिर लॉंग टर्म ट्रेडिंग क्या है. इस ट्रेडिंग में आप जो कोई स्टॉक एक साल या उससे ज्यादा के लिये खरीद लेते हो उसे लॉंग टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है
लॉंग टर्म ट्रेडिंग के नुकसान और फायदे
इसमे अगर आप कोई अच्छा स्टॉक सिलेक्ट नही कर पाओगे तो आपको नुकसान होगा .और रिसर्च करके अगर सिलेक्ट करोगे तो आपको बहुत ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है
दोस्तो आशा करता हु आपको यह आर्टिकल देहत पसंद आया होगा अगर आपका कोई सवाल है तो आप हमे नीचे comment मे जरूर बताये और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे
संबंधित लेख
FAQ
ट्रेडिंग कितने प्रकार कि होती है
ट्रेडिंग चार प्रकार की होती है
1, Intraday trading
2, Swing trading
3, Short term trading
4, Long term trading
नमस्ते दोस्तों आपका स्वागत है आपको इस website पर शेयर मार्केट, म्यूचल फंड, शेयर प्राइस टारगेट, इन्वेस्टमेंट,से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी रिसर्च के साथ हिंदी मे दी जाएगी
ट्रेडिंग क्या होती है? | ट्रेडिंग कैसे करें?
दोस्तों आप में से बहुत से लोग स्टॉक मार्केट में शेयर्स को खरीदने और बेचने का काम करते होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि ट्रेडिंग क्या होती है और इसके बारे में पूरी जानकारी है अगर नही?, तो आइये आज हम आपको ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी देते है तो जो कैंडिडेट इसके बारे में पूरी जानकारी चाहते है वो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े.
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Table of Contents
ट्रेडिंग क्या है (What is Trading in Hindi)
ट्रेडिंग एक तरह का बिज़नस होता है किसी भी चीज़ को कम दाम में खरीदना और उसके दाम बढ़ जाने पर उसे बेच देना ट्रेडिंग कहलाता है. ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य किसी भी चीज़ को खरीद कर कम समय में लाभ कमाना होता है, इसीलिए ट्रेडिंग सबसे ज्यादा शेयर मार्किट में की जाती है और लोग डेली शेयर पर ट्रेडिंग करके हजारों और लाखों रूपये कमाते है.
Stock Market Trading भी इसी तरह का होता है जहाँ हम किसी वस्तु को खरीदते और बिक्री में फायदा लेते हैं ठीक उसी तरह स्टॉक मार्केट में वस्तु की जगह कंपनियों के शेयर को खरीद और बिक्री करके प्रॉफिट कमाया जाता है, ट्रेडिंग का समय 1 साल होता है यानि कि 1 साल के अंदर शेयर को खरीदना और बेचना होता है लेकिन अगर एक साल के बाद खरीदे गये शेयर्स को बेचते हैं तो इसे निवेश कहा जाता है यह एक तरह का ऑनलाइन बेस्ड बिजनेस होता है.
उदाहरण- अगर हम शेयर मार्केट में शेयर्स खरीदते हैं तो कोई दूसरा व्यक्ति उन शेयर्स को बेच रहा होगा. मान लीजिए कि आपने किसी होलसेल स्टोर से कोई सामान 50 खरीदा और उसके बाद में उसका दाम बढ़ने पर आपने उसे 60 रूपये में बेच दिया तो इसे ट्रेडिंग कहा जायेगा. वैसे तो Trading को काफी रिस्की कहा जाता है क्योंकि इसमें किसी को ये नही पता होता है कि कुछ समय बाद शेयर के भाव में क्या उतार-चढाव आएगा.
ट्रेडिंग कैसे करें?
ट्रेडिंग करना बहुत ही आसान होता है, ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट एवं डिमैट अकाउंट स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है होना चाहिए, क्युकी ट्रेडिंग अमाउंट एवं डिमैट अकाउंट के बिना आप ट्रेडिंग नही कर सकते हैं. उसके बाद आपको ट्रेडिंग अकाउंट की मदद से शेयर मार्केट से शेयर को कम दामों में खरीदना होता है स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है और उस शेयर की कीमत बढ़ जाने पर उसे ज्यादा दाम में बेच कर मुनाफा कमाना होता है.
शेयर मार्केट ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते है?
शेयर मार्केट ट्रेडिंग मुख्यतः 4 तरह की होती है?
इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading)
इंट्राडे ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जो एक ही दिन के अंदर की जाती है, इसमें एक ही दिन के अंदर शेयर्स को मार्केट में खरीदा और बेचा जाता हैं. एक ही दिन के अंदर की जाने वाली इस ट्रेडिंग को हम इंट्राडे ट्रेडिंग या फिर डे ट्रेडिंग भी कह सकते है.
स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading)
स्विंग ट्रेडिंग मे शेयर्स को खरीदकर कुछ दिनो या कुछ हप्तो के अंदर बेचा जाता है इसे ट्रेडिंग किंग भी कहा जाता है. ये ट्रेडिंग इंट्राडे की तरह नही होती है लेकिन इसमे आप अपना टारगेट प्राईस लगाकर नुकसान और फायदे को आसानी से झेल सकते है, स्विंग ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग और स्कैलपिंग ट्रेडिंग से काफी अलग होता है. क्योंकि स्विंग ट्रेडिंग को हम 1 दिन या 1 हफ्ते या फिर 1 महीने के लिए भी करते हैं.
शॉर्ट ट्रम ट्रेडिंग (Short term trading)
जब कोई ट्रेडिंग कुछ हप्तो से लेकर कूछ महिनो की होती है उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहते है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग मे एक एक्टिव ट्रेड इन्वेस्टमेंट होता है इसमें आपको अपने स्टॉक पर नजर रखनी होती है तभी आप अपने स्टॉक को मिनीमाइज कर सकते है.
लॉंग टर्म ट्रेडिंग (Long term trading)
जब कोई ट्रेडिंग एक साल या उससे ज्यादा समय में की जाती है तो उसे लॉंग टर्म ट्रेडिंग कहते है.
इसे भी पढ़े?
आज आपने क्या सीखा?
हमे उम्मीद है कि हमारा ये (Trading kya hai in hindi) आर्टिकल आपको काफी पसन्द आया होगा और आपके लिए काफी यूजफुल भी होगा क्युकी इसमे हमने आपको ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी दी है.
हमारी ये (Trading kya hai in hindi) जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताइयेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगो के साथ भी जरुर शेयर कीजियेगा.
Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा
Stock Market Trading: स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं तो सभी चार्जेज को आसानी से समझें ताकि मुनाफा बढ़ा सकें. मुनाफे के मामले में एनएसई और बीएसई पर ट्रेडिंग में भी फर्क है.
स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है. (Image- Pixabay)
Stock Market Trading: अगर आप स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं और शेयरों की सक्रिय रूप से खरीद-बिक्री करते हैं तो इससे जुड़े चार्जेज के बारे में पहले से कैलकुलेशन कर लेना चाहिए. यह कैलकुलेशन इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलती है. इक्विटी में जब आप पैसे लगाते हैं तो यह इंट्रा-डे होता है या डिलीवरी या फ्यूचर या ऑप्शंस, इन सभी तरीकों में पैसे लगाने पर मुनाफा अलग-अलग हासिल होता है. स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है.
इन चार तरीकों से होती है ट्रेडिंग
- Intra-Day Equity: जब आप शेयर की खरीद-बिक्री यानी स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या होती है लांग या शॉर्ट पोजिशन सिर्फ एक ही दिन के लिए लेते हैं यानी कि आज ही खरीदकर बेच दिया तो यह इंट्रा-डे के तहत माना जाता है. इसमें इक्विटी की होल्डिंग नहीं मिलती है.
- Delivery Equity: इंट्रा-डे के विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जो शेयर खरीदते हैं, उसे डीमैट खाते में रखा जाता है और इसकी होल्डिंग कुछ समय के लिए मिलती है. इंट्रा-डे में चाहे घाटा हो या फायदा, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना जरूरी होता है, जबकि डिलीवरी इक्विटी ट्रेडिंग में अपने हिसाब से जब चाहें किसी भी कारोबारी समय पर शेयरों की बिक्री कर सकते हैं.
- Future: यह खरीदार और विक्रेता के बीच एक वायदा है जिसके तहत एक खास दिन निश्चित प्राइस पर स्टॉक्स का लेन-देन होता है. सौदा हो जाने के बाद दोनों ही पार्टियों को इस सौदे को पूरा करना अनिवार्य है और कोई भी पक्ष मुकर नहीं सकता है.
- Options: ऑप्शंस के तहत किसी खास दिन निश्चित प्राइस पर लेन-देन के लिए एक सौदा होता है जिसमें कुछ प्रीमियम चुकाना होता है. ऑप्शंस के तहत कॉल और पुट दो विकल्प मिलते हैं. कॉल ऑप्शंस के तहत खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है और पुट ऑप्शंस के तहत बेचने का.
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मुनाफे पर ऐसे पड़ता है असर
ऊपर चार तरीकों के बारे में जानकारी दी गई जिससे आप शेयर मार्केट के जरिए पैसे कमाते हैं. अब नीचे देखते हैं कि आपको सभी तरीके से कितना मुनाफा हो रहा है-
- मान लेते हैं कि आप किसी कंपनी के 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर इंट्रा-डे में ही 1100 रुपये में बेच देते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ. इस पर ब्रोकरेज, एसटीटी, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस, जीएसटी, सेबी शुल्क और स्टांप ड्यूटी मिलाकर करीब 202.24 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इस ट्रेडिंग में आपको 39795.76 रुपये का मुनाफा होगा.
- अगर आप 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर डिलीवरी लेते हैं यानी कि उनकी बिक्री किसी और दिन 1100 रुपये के भाव पर करते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ लेकिन टैक्सेज व चार्जेज के रूप में 935.04 रुपये चुकाने होंगे. इसमें 39064.96 रुपये का मुनाफा हुआ जो इंट्रा-डे ट्रेडिंग से कम है. हालांकि इंट्रा-डे में बहुत रिस्क है क्योंकि इसमें मुनाफा हो या नुकसान, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना ही होगा.
- फ्यूचर के मामले में अगर आपने 400 शेयरों को 1000 रुपये में खरीदकर 1100 रुपये में बेचा है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर वाले इस ट्रांजैक्शन में 119.86 रुपये का टैक्स व चार्जेज चुकाने होंगे. इसमें 39880.14 रुपये का मुनाफा होगा.
- अगर ऑप्शंस के तहत 1 हजार रुपये के 400 शेयरों के लिए सौदा किया है जिसकी बिक्री 1100 रुपये के भाव पर होती है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर के इस सौदे में 805.38 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इसमें 39194.62 रुपये का मुनाफा होगा.
(यह कैलकुलेशन ब्रोकरेज फर्म Zerodha के कैलकुलेटर से किया गया है और इसमें एनएसई- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग का कैलकुलेशन है. सभी फर्मों के लिए ब्रोकरेज जैसे चार्जेज भिन्न होते हैं.)
F&O ट्रेडिंग में BSE पर NSE की तुलना में अधिक मुनाफा
Zerodha कैलकुलेटर के मुताबिक अगर आप एनएसई की बजाय बीएसई पर फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग करते हैं तो मुनाफा बढ़ सकता है. बीएसई पर F&O के लिए कोई एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस नहीं लगता है और इससे जीएसटी भी कम हो जाता है. ध्यान रहे कि इंट्रा-डे इक्विटी और डिलीवरी इक्विटी में बीएसई पर एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस एनएसई के बराबर ही चुकानी होती है.