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प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं

प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं

Rupee Opening: रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी, 13 पैसे गिरकर 79.58 पर आया

Rupee Vs Dollar: रुपये की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है और ये कल अपने ऑलटाइम निचले स्तर 79.45 पर बंद हुआ जबकि इंट्राडे में 79.50 तक नीचे गया था. जानें आज किन स्तरों पर खुला है रुपया.

By: ABP Live | Updated at : 12 Jul 2022 10:52 AM (IST)

Rupee Opening: घरेलू शेयर बाजार में गिरावट और विदेश में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती के चलते रुपया मंगलवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 13 पैसे गिरकर 79.58 पर आ गया. रुपया पिछले सत्र में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 19 पैसे लुढ़ककर 79.45 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह इसका सर्वकालिक निचला स्तर है. शुरुआती कारोबार में स्थानीय मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79.55-79.62 के दायरे में रही.

क्या है रुपये में गिरावट का कारण
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं इसके अलावा विदेशी फंड की लगातार बिकवाली और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने स्थानीय मुद्रा पर दबाव बनाया. हालांकि बाजार सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये के नुकसान पर कुछ अंकुश लगा दिया. कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तीसरे दिन गिरावट आई है. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार ने कहा कि डॉलर में ताजा तेजी यूरोप, ब्रिटेन और जापान की कमजोर आर्थिक गतिविधियों की वजह से आई है. डॉलर की भारी मांग और विदेशी पूंजी की भारी निकासी के बीच रुपया लगातार कमजोरी के दायरे में जा रहा है.

डॉलर इंडेक्स, क्रूड का हाल
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79.55 पर खुला और गिरावट दर्शाते हुए 79.58 पर आ गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 13 पैसे की कमजोरी दर्शाता है. इस बीच छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.27 फीसदी बढ़कर 108.31 पर पहुंच गया. वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड वायदा का दाम 1.43 फीसदी घटकर 105.49 डॉलर प्रति बैरल रह गया.

क्या कहते हैं करेंसी जानकार
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च डिपार्टमेंट की उपाध्यक्ष सुगंधा सचदेवा ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जून में नौकरियों की संख्या में प्रभावशाली वृद्धि होने के साथ ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि किये जाने की संभावना और प्रबल हो गई है, जो डॉलर सूचकांक को ऊंचाई की ओर धकेल रही है. डॉलर 20 साल के नए उच्च स्तर की ओर बढ़ गया है. उन्होंने कहा, "घरेलू मोर्चे पर बढ़ते व्यापार घाटे के बारे में चिंताओं के कारण रुपये पर और दबाव है. व्यापार घाटा जून के महीने में 25.6 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया हैं."

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Published at : 12 Jul 2022 10:52 AM (IST) Tags: Rupee currency dollar Dollar index Rupee opening हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

डॉलर के मुकाबले एक बार फिर लुढ़का रुपया, जानिए आप पर क्या होगा असर

दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.23 प्रतिशत गिरकर 104.95 रह गया. वहीं कच्चे तेल में थोड़ी बढ़त देखने को मिली है.

डॉलर के मुकाबले एक बार फिर लुढ़का रुपया, जानिए आप पर क्या होगा असर

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा

Updated on: Aug 11, 2022 | 8:25 PM

डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी बनी हुई है और एक बार फिर घरेलू करंसी 80 के स्तर की तरफ बढ़ रही है. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 37 पैसे की गिरावट के साथ 79.62 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ है. रुपये में यह गिरावट सतत पूंजी प्रवाह जारी रहने और घरेलू शेयर बाजार में तेजी के बावजूद दर्ज हुई है. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.22 के स्तर पर खुला. कारोबार के दौरान एक समय यह 79.22 के उच्चस्तर और 79.94 के निचले स्तर पर भी रहा. कारोबार के अंत में रुपया 37 पैसे की गिरावट के साथ 79.62 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 79.25 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.

छोटी अवधि में मिला जुला प्रदर्शन संभव

बाजार के सूत्रों ने कहा कि छोटी अवधि में रुपये में कारोबार का रुख मिला-जुला रहने की संभावना है. घरेलू बाजार के अपने निचले स्तर से सुधरने और विदेशी संस्थागत निवेशकों का निवेश बढ़ने से रुपये को समर्थन मिल सकता है. इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.23 प्रतिशत गिरकर 104.95 रह गया. कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, निवेशकों को जुलाई के लिए अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने खुश किया है, जो अनुमान से कम रही है. ऐसे में उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व अपनी अगली बैठक में ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी नहीं करेगा. बाजार सूत्रों ने कहा कि निवेशकों की निगाह अब आगे के संकेतों के लिए शुक्रवार को आने वाले औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) तथा व्यापार संतुलन जैसे वृहत आर्थिक आंकड़ों पर होगी.

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क्या होगा आप पर असर

रुपये में कमजोरी से अंतरर्राष्ट्रीय बाजार से आयात की गई कमोडिटी में किसी भी कमी का असर घट जाएगा. ऐसे में कच्चे तेल में गिरावट का फायदा पाने में और समय लगेगा क्योंकि कीमतों में गिरावट के बीच रुपये में कमजोरी से आयात बिल बढ़ जाएगा और इससे सरकारी खजाने पर बोझ बना रहेगा. भारत के लिए अच्छी स्थिति तब होगी जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी की भाव गिरे वहीं रुपया भी मजबूत बना रहे. अगर ऐसा नहीं होती है तो कमोडिटी कीमतों में कमी का भारत को पूरा फायदा नहीं मिलेगा. अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.84 प्रतिशत बढ़कर 98.22 डॉलर प्रति बैरल हो गया है.

डाॅलर के मुकाबले रुपये में लगातार 5वें साल नुकसान

मुंबई : वर्ष 2015 में लगातार पांचवें साल अमेरिकी डाॅलर के मुकाबले रुपया गिरावट की राह पर है. वर्ष के दौरान दुनिया में कभी सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली तो कभी सबसे प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्रा केरूप में रुपये की पहचान बनी. इस दौरान ऐसा लगा कि उसने नये निम्न स्तर कोप्राप्तकर लिया है. लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि डालर के मुकाबले 65-70 उसका नया सामान्य स्तर बन गया है.

सरकार ने कई पहलों की घोषणा की है और रिजर्व बैंक ने भी विदेशी मुद्रा बाजार को समर्थन प्रदान करने के लिए कुछ मौकों पर हस्तक्षेप किया. जबकि 2015 के दौरान वैश्विक उथल-पुथल के दौरान विनिमय दर में भारी उतार-चढ़ाव रहा. इस दौरान भारतीय मुद्रा डाॅलर के मुकाबले दो साल के न्यूनतम स्तर 67 रुपये पर पहुंच गयी. यह साल 66-67 के स्तर पर खत्म होगा और 2014 के 63.03 के बंद के स्तर के मुकाबले पांच प्रतिशत अधिक होगा. रुपया पिछले कारोबारी सत्र में 66.21 रुपये पर बंद हुआ. जबकि 2015 में चार कारोबारी दिन बचे हैं.

प्रमुख कारण
रुपये में गिरावट के लिए जो प्रमुख कारक जिम्मेदार हैं उनमें सबसे अहम रही अमेरिका में बहु-प्रीतिक्षित प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं ब्याज दर में बढ़ोतरी पर लगभग पूरे साल अनिश्चितता बनी रहना. इसकी वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में उल्लेखनीय गिरावट और चीन की अर्थव्यवस्था में नरमी शामिल है. चीन बेहतर आर्थिक वृद्धि के चलते पिछले कुछ साल से वैश्विक आर्थिक वृद्धि को गति में समर्थन मिलता रहा है. रुपया वैश्विक स्तर पर लगभग पूरे साल सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रहा लेकिन कई अन्य मुद्राओं में इससे भी भारी गिरावट से, दरअसल भारतीय मुद्रा को मदद मिली है और साल की समाप्ति में यह अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में शामिल रहा.

विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों ने कहा कि रुपया, दरअसल, अमेरिकी डाॅलर के मुकाबले सालाना स्तर पर भारी गिरावट के मद्देनजर प्रमुख मुद्राओं के बीच सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्रा साबित हो सकता है. यूरो करीब 16 प्रतिशत नीचे है जबकि इंडोनेशिया रुप्पइया को सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा करार दिया जा रहा है. चीन के युआन की भी स्थिति अच्छी नहीं रही.

कारोबारियो प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं को उम्मीद
कारोबारियों को उम्मीद है कि रुपया अगले साल डाॅलर के मुकाबले 65.50-70 रुपये के दायरे में रहेगा. विदेशी मुद्रा और जोखिम प्रबंधन से जुड़ी आईएफए ग्लोबल के मुख्य कार्यकारी अभिषेक गोयंका ने कहा कि रुपये का प्रदर्शन आमतौर पर वैश्विक जोखिम के रुझान और घरेलू सुधार को आगे बढ़ाने की पहलों पर निर्भर करेगा.

उन्होंने कहा कि वैश्विक जोखिम रझान फेडरल रिजर्व की नीति, चीन तथा यूरोक्षेत्र अर्थव्यवस्था में सुधार पर निर्भर करेगा. इस साल विदेशी मुद्रा बाजार पर आम तौर पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत केंद्रीय बैंकों की पहलों का दबदबा रहा. फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में इस साल के अंत में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जबकि अगली पहल के संबंध में अटकलें बरकरार हैं. इस साल एक और घटनाक्रम का प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं वैश्विक बाजार पर असर रहा और वह था चीन के इक्विटी बाजार और इसकी अर्थव्यवस्था में नरमी. शांघाई कंपोजिट में कुछ हफ्तों के दौरान करीब 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई.

शुरुआती महीनों में रुपया
भारतीय रुपया वर्ष के शुरुआती महीनों में 63 से 65 के बीच स्थिर होता लगा. लेकिन चीन की मुद्रा युआन में करीब 4 प्रतिशत के अवमूल्यन से जल्दी ही यह आगे और गिरावट की राह पर चल पड़ा. रिजर्व बैंक ने हालांकि, घरेलू मोर्चे पर भारतीय मुद्रा को समर्थन देने के लिये कई कदम उठाये. रिजर्व बैंक ने स्थिर आय बाजार में एफपीआई निवेश सीमा बढ़ा दी. आयातकों को विदेशों में भारतीय रुपये में व्यापार के लिये ऋण लेने की अनुमति दी. कंपनियों को भी विदेशों से रुपया अंकित मूल्य लेने की अनुमति दी. केंद्रीय बैंक ने एक्सचेंज ट्रेडिड करेंसी डेरिवेटिव्ज :ईटीसीडी: में हस्तक्षेप की भी मंशा जताई.

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भारत में forex trading के 5 strategies?

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विदेशी मुद्रा वाणिज्य और व्यापार जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की प्रक्रिया है। एक विदेशी मुद्रा व्यापार वैश्विक बाजार स्थान है जहां मुद्राओं का आदान-प्रदान एक सहमत मूल्य पर किया जाता है। विदेशी प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं मुद्रा व्यापार में कई रणनीतियाँ हैं , लेकिन सवाल यह है कि सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियाँ कौन सी हैं जिनका पालन करने की आवश्यकता है ?

विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है?

एक विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति एक ऐसी प्रणाली है जिसका उपयोग व्यापारी यह निर्धारित करने के लिए करता है कि मुद्रा का व्यापार कब करना है ? लेकिन यह इतना मायने क्यों रखता है ? विदेशी मुद्राओं का मूल्य हर दिन बदलता है , और सबसे अच्छी रणनीति व्यापारी को अधिकतम लाभ कमाने की अनुमति देती है।

विदेशी मुद्रा के लिए कौन सी रणनीति सबसे अच्छी है , प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं यह निर्धारित करने के लिए , व्यापारी कई मानदंडों का उपयोग करके उनकी तुलना करते हैं –

भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए रणनीतियाँ

ट्रेडिंग वॉल्यूम के मामले में उच्च तरलता के कारण , विदेशी मुद्रा बाजार में अपना पैसा खोना बहुत आसान है। विदेशी मुद्रा सफलतापूर्वक व्यापार करने के लिए पूर्व अनुभव और ज्ञान होना महत्वपूर्ण है। यदि आप USDINR, GBPIR, JPYINR और EURINR में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए शोध-आधारित अनुशंसाएँ प्राप्त करना चाहते हैं , तो आप फ़ॉरेक्स पैक की सहायता भी ले सकते हैं।

आप भारत में आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली कुछ विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों की मदद भी ले सकते हैं। आइए हम आपकी मदद करने के लिए उनमें से कुछ के बारे में चर्चा करें।

1) प्राइस एक्शन ट्रेडिंग : प्राइस एक्शन स्ट्रैटेजी सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी है। यह आम तौर पर लगभग सभी बाजार स्थितियों में उपयोगी होता है और मुद्रा व्यापार में मूल्य कार्रवाई के बैल या भालुओं पर निर्भर करता है।

2) ट्रेंड ट्रेडिंग: ट्रेंड ट्रेडिंग रणनीति में , आपको मुद्राओं की कीमतों की गति की पहचान करने और उसी के आधार पर अपना प्रवेश बिंदु तय करने की आवश्यकता होती है। स्टोकेस्टिक , रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडिकेटर्स आदि जैसे विभिन्न इनलाइन टूल हैं जो विश्लेषण में आपकी मदद कर सकते हैं।

3) काउंटर ट्रेंड ट्रेडिंग: इस रणनीति में , आपको मौजूदा बाजार प्रवृत्ति के खिलाफ ट्रेड करने की आवश्यकता है। यह छोटे लाभ कमाने के शुद्ध उद्देश्य से किया जाता है और इस भविष्यवाणी पर निर्भर करता है कि प्रवृत्ति उलट सकती है।

4) रेंज ट्रेडिंग : इस रणनीति में , ट्रेडों को कीमत की एक विशिष्ट श्रेणी में बनाया जाता है। आपको व्यापार के लिए अनुकूल मूल्य सीमा की पहचान करने की आवश्यकता है और मूल्य स्तर आमतौर पर मुद्राओं की मांग और आपूर्ति पर निर्भर होते हैं।

5) ब्रेकआउट ट्रेडिंग: जैसा कि नाम से पता चलता है , ब्रेकआउट ट्रेडिंग रणनीति में आपको उस समय बाजार में प्रवेश करने की आवश्यकता होती है जब बाजार पिछली ट्रेडिंग रेंज से बाहर निकल रहा हो , जो कि ब्रेकआउट पॉइंट है।

भारत में करेंसी फ्यूचर्स मार्केट में ट्रेड करने के लिए कौन पात्र है?

देश के क्षेत्र में रहने वाला कोई भी भारतीय , या बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित कंपनी वायदा बाजार में भाग ले सकती है। हालांकि , Foreign Institutional Investors और अनिवासी भारतीयों ( NRI) को मुद्रा वायदा बाजार में भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया है।

क्रॉस करेंसी एक्सचेंज क्या हैं?

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है , भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्रॉस-करेंसी फ्यूचर्स लॉन्च किया है। विकल्प अब यूरो-डॉलर , पाउंड-डॉलर और डॉलर-येन ( EUR-USD, GBP-USD, और USD-JPY) में खुल गए हैं।

भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार

भारत में विदेशी मुद्रा बाजार 1978 के अंत में अस्तित्व में आया जब बैंकों को RBI द्वारा मुद्राओं में व्यापार करने की अनुमति दी गई थी। भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार जैसा कि आज भी मौजूद है , अच्छी तरह से संरचित और RBI द्वारा रेगुलेटेड-फैशन में संचालित है। RBI द्वारा अधिकृत डीलर ऐसे लेनदेन में संलग्न हो सकते हैं। भारत में विदेशी मुद्रा बाजार “ स्पॉट एंड फॉरवर्ड ” बाजार से बना है। फॉरवर्ड मार्केट भारतीय क्षेत्र में अधिकतम छह महीने की अवधि के लिए सक्रिय है। हाल के वर्षों में , वायदा बाजार की परिपक्वता प्रोफ़ाइल लंबी हो गई है , जिसका श्रेय मुख्य रूप से RBI की पहल को जाता है। फॉरवर्ड प्रीमियम और ब्याज दर के अंतर के बीच की कड़ी लीड और लैग्स के माध्यम से बड़े पैमाने पर काम करती प्रतीत होती है और यह देखा जा सकता है कि विदेशी बाजारों को क्रेडिट अनुदान के माध्यम से विदेशी बाजार भी आयातकों और निर्यातकों से प्रभावित होते हैं।

फॉरेक्सय ट्रेडिंग के लिए समय क्षेत्र

विदेशी मुद्रा बाजार के समय-क्षेत्र विभाजन को विदेशी मुद्रा बाजार के रूप में संक्षिप्त करने के लिए निम्नलिखित चार्ट को संदर्भित किया जा सकता है:

भले ही 24 घंटे का बाजार कई व्यक्तिगत और संस्थागत व्यापारियों के लिए पर्याप्त प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं लाभ प्रदान करता है , लेकिन यह कुछ नुकसानों से वंचित नहीं है। जिनमें से एक पर चर्चा यह है कि इतने लंबे समय तक किसी स्थिति की निगरानी करना किसी भी व्यापारी के लिए अत्यधिक श्रमसाध्य और लगभग असंभव है , जिसका अर्थ है कि निश्चित रूप से व्यापारिक समय होगा जब अवसर चूक जाएंगे।

इससे भी बदतर स्थिति यह हो सकती है कि जब बाजार में उतार-चढ़ाव में उछाल स्पॉट को एक निर्धारित स्थिति के खिलाफ ले जाने के लिए प्रेरित करता है। इस तरह के जोखिम को कम करने के लिए , एक व्यापारी को सतर्क और स्पष्ट रूप से जागरूक होना चाहिए कि बाजार में सबसे अधिक उतार-चढ़ाव कब होता है , और यह तय करना चाहिए कि उसके अनुसार उसके ट्रेडिंग पैटर्न के लिए कौन सा समय सबसे अच्छा है।

फॉरेक्‍स ट्रेडिंग की सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक , या बल्कि लाभ , यह है कि यह दिन में 24 घंटे खुला रहता है जिससे निवेशक व्यापार के सामान्य घंटों के दौरान या काम के बाद भी व्यापार कर सकते हैं। रात में भी ट्रेडिंग कर सकते हैं!

हालांकि , सभी समय-क्षेत्रों को समान रूप से नहीं माना जा सकता है क्योंकि ऐसे समय होते हैं जब मूल्य कार्रवाई लगातार अस्थिर होती है , और जब यह पूरी तरह से मौन होती है। यह एक प्रमुख अवलोकन के रूप में निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विदेशी मुद्रा में प्रमुख व्यापारिक सत्र सीधे बाजार के घंटों के साथ जुड़े हुए हैं।

भारत में किन करेंसी पेअर्स का कारोबार किया जा सकता है?

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है , भारत में केवल निम्नलिखित मुद्रा जोड़े का कारोबार किया जा सकता है –

भारतीय रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा, एक डॉलर के मुकाबले 78.29 रुपये हुई कीमत

डॉलर की मजबूती के कारण कारण एशियाई मुद्राओं में गिरावट के बीच बुधवार के कारोबार में रुपया गिरकर 78.29 डॉलर प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया।

Rupee hits fresh record low of 78.29 vs US dollar | भारतीय रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा, एक डॉलर के मुकाबले 78.29 रुपये हुई कीमत

भारतीय रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा, एक डॉलर के मुकाबले 78.29 रुपये हुई कीमत

Highlights पिछले सत्र में घरेलू मुद्रा 78.13 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुई थी ब्रेंट क्रूड वायदा 3.47 प्रतिशत गिरकर 110.67 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा

मुंबई: भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। मजबूत डॉलर के कारण एशियाई मुद्राओं में गिरावट के बीच बुधवार के कारोबार में रुपया गिरकर 78.29 डॉलर प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। इससे पहले घरेलू शेयर बाजार में गिरावट और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के चलते रुपया चार पैसे टूटकर 78.17 पर आ गया।

पिछले सत्र में घरेलू मुद्रा 78.13 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुई थी। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से रुपये की गिरावट सीमित रही।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 78.13 पर खुला, फिर कमजोर रुख के साथ 78.17 तक गिर गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले चार पैसे की गिरावट दर्शाता है।

इस बीच वैश्विक तेल सूचकांक ब्रेंट क्रूड वायदा 3.47 प्रतिशत गिरकर 110.67 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.17 प्रतिशत की बढ़त के साथ 104.61 पर प्रमुख विदेशी मुद्रा व्यापार सत्र क्या हैं था।

अमेरिकी फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की अमेरिकी कांग्रेस में बयान से पहले उभरते शेयर बाजरों और मुद्राओं में बिकवाली के बीच ताजा गिरावट देखी गई। उम्मीद जताई जा रही है कि पॉवेल मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए फेड की प्रतिबद्धता को फिर से शुरू करेंगे। इसने कई उभरती बाजार मुद्राओं के मुकाबले डॉलर को मजबूत रहने में मदद की है। ऐसे भारतीय रुपया कोई अपवाद नहीं है।

कमोडिटीज मेहता इक्विटी के वॉयस प्रेसीडेंट ने कहा कि "अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक ब्याज दरों में वृद्धि की योजना और एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली रुपये पर दबाव प्रदर्शित कर रही है। व्यापार घाटा और कच्चे तेल की ऊंची कीमतें भी रुपये के लाभ को सीमित कर रही हैं। हमें उम्मीद है कि रुपये में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।

बता दें कि 21 जून को भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा 2701.21 करोड़ रुपये की बिकवाली की। वहीं इसी दिन घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 3,066.41 करोड़ रुपये की खरीदारी की।

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