शेयर कैसे खरीदें और बेचे?

Share market क्या होता है? शेयर मार्केट में पैसा निवेश कैसे करें
पहले यह समझना जरूरी हैं कि Share Market क्या है और इसमें क्या होता हैं? Share Market को Stock Market या Equity Market भी कहा जाता हैं। यह वह जगह होती हैं जहाँ विभिन्न कंपनियों के शेयर्स खरीदने और बेचे जाते हैं।
लेकिन यह कोई सामान्य बाजार जैसा नहीं हैं, डिजटाइलेजशन के बाद तो बिल्कुल नहीं हैं। भारत मे मुख्य रूप से 2 शेयर मार्केट हैं, जो इस प्रकार हैं:
BSE : बीएसी का पूरा नाम मुंबई स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) है, जो भारत का सबसे पुराना आधिकारिक शेयर बाजार भी है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना 1875 में कई जा चुकी हैं।
NSE : एनएसी का फुल फॉर्म नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (National Stock Exchange of India) हैं जिसकी स्थापना 1992 में हुई थी लेकिन इसमे ट्रेडिंग की शुरुआत 1994 में हुई थी।
सरल भाषा में शेयर बाजार को समझा जाए तो शेयर बाजार एक ऐसा बाजार होता है, जहां पर काफी सारी कंपनियां लिस्टेड होती है और उनके शेयर खरीदे हुए बेचे जाते हैं। शेयर की कीमत कंपनी की वैल्यू, प्रॉफिट, लॉस और डिमांड और सप्लाई जैसे नियमों पर आधारित होती है।
आप कंपनी के जितने शेयर खरीदते हैं, उतने ही आप कंपनी के मालिक माने जाते हैं। यही कि अगर आपने किसी कंपनी के 1% शेयर खरीदे तो आप उस कंपनी के 1% मालिक होंगे।
शेयर बाजार कैसे काम करता हैं? How Share Market Works in Hindi?
अब क्योंकि आप शेयर कैसे खरीदें और बेचे? समझ चुके हैं कि शेयर बाजार क्या है और इसमें क्या होता है तो आपका यह जानना भी जरूरी है कि शेयर बाजार कैसे काम करता है?
सबसे पहले तो आपको यह जानना होगा कि किसी भी कम्पनी के शेयर शेयर कैसे खरीदें और बेचे? या फिर कहा जाए तो स्टॉक कम्पनी की ओनरशिप इक्विटी को दर्शाते हैं।
अर्थात आप कम्पनी के जितने प्रतिशत शेयर के मालिक होंगे, आपका कम्पनी पर उतना ही अधिकार होगा। इसके अलावा कैपिटल गेन और डिविडेंट्स के रूप में कम्पनी की कॉरपोरेट इनकम पर भी शेयर होल्डर का अधिकार होता हैं।
शेयर बाजार में विभिन्न कम्पनियो के लिमिटेड स्टॉक्स लिस्टेड किये जाते हैं, जिनपर ट्रेडिंग की जाती हैं अर्थात उन्हें ख़रीदा और बेचा जाता हैं। शेयर बाजार की पूरी गणित डिमांड और सप्लाई के नियम पर आधारित हैं।
अगर डिमांड अधिक है और सप्लाई कम हैं तो शेयर की कीमत बढ़ती है और अगर डिमांड कम है और सप्लाई अधिक हैं तो शेयर की कीमत घटी हैं।
वैसे तो शेयर की कीमत घटना और बढ़ना कई बातों पर डिपेंड करता है लेकिन वह भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डिमांड और सप्लाई के नियम पर ही निर्भर करती है।
शेयर मार्केट से पैसे कैसे कमाते हैं? How to Earn Money from Share Market in Hindi
अब शेयर कैसे खरीदें और बेचे? तक आप समझ चुके होंगे कि शेयर बाजार क्या है और यह कैसे काम करता है? तो अब बारी है शेयर बाजार से पैसे कमाने की प्रोसेस को समझने की। शेयर बाजार से पैसे कमाना बिल्कुल रियल एस्टेट से पैसे कमाने जैसा है।
रियल एस्टेट में आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं और विभिन्न कारणों से और इन्फ्लेशन के साथ उस प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ती है। जब आप उसे बेचते हैं तो आपको प्रॉफिट मिलता है और यह प्रॉफिट आपकी कमाई होती है।
जो आपको आपके इन्वेस्टमेंट से मिली है। लेकिन अगर आप गलत जगह पर अधिक कीमत में प्रॉपर्टी खरीदेंगे और उसे कम कीमत में बेचेंगे तो आपको लॉस होगा।
बिल्कुल ऐसा ही शेयर बाजार में भी होता है। डिमांड और सप्लाई की वजह से शेयर बाजार में शेयर की कीमत घटती और बढ़ती रहती है। जब भी किसी चीज की कीमत घटती है तो उसमें निवेश करके अच्छा प्रॉफिट भी प्राप्त किया जा सकता है और लॉस होने की संभावनाएं भी रहती है।
शेयर बाजार में जब आप किसी स्टॉक को कम कीमत में खरीदकर अधिक कीमत में बेचते हो तो आपको प्रॉफिट मिलता है और वह प्रॉफिट आपकी कमाई होता है। इसी तरह से शेयर बाजार से पैसे कमाए जाते हैं।
ऐसा नहीं है कि शेयर बाजार में घाटे की संभावना नहीं रहती लेकिन अगर आप रिसर्च के साथ क्वालिटी स्टॉक्स में निवेश करोगे तो प्रॉफिट की संभावना अधिक रहेगी।
शेयर बाजार में इन्वेस्ट कैसे करें? How to Invest in Share Market in Hindi
शेयर बाजार के बारे में काफी कुछ समझ चुके हैं और अब आपको यह निर्णय करना है कि आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं या फिर नहीं।
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि शेयर बाजार में इन्वेस्ट कैसे करते हैं? (How to Invest in Share Market in Hindi)? शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना कोई मुश्किल बात नहीं है और आप घर बैठे हुए आसानी से ही अपने पसंदीदा कंपनी के स्टॉक्स खरीद सकते हैं।
शेयर मार्केट में निवेश करना आसान हैं और अब तो शेयर मार्केट मे पूरा डिजिटलाइजेशन हो चुका है तो आप आसानी से अपने स्मार्टफोन की मदद से बाजार में निवेश कर सकते है।
शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए आपको मुख्य रूप से तीन चीजों की आवश्यकता होती है:
- • आधार कार्ड और पैन कार्ड
- • सेविंग्स अकाउंट
- • इंटरनेट कनेक्शन और इंटरनेट सक्षम डिवाइस (Internet-enabled devices)
अगर आपके पास यह तीनों हैं तो आप शेयर मार्केट में निवेश करना शुरू कर सकते हो। लेकिन कैसे? आइये जानते हैं Step by Step प्रोसेस।
सबसे पहले किसी ट्रेडिंग एप्प का चुनाव करे
शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए आपको सबसे पहले किसी ट्रेडिंग एप का चुनाव करना होगा। Play Store या App Store पर Zerodha, Groww और Angel Broking जैसे कई विश्वसनीय Stock Trading App हैं।
यह सभी ब्रोकर कंपनियां हैं, जो शेयर मार्केट में शेयर खरीदने और बेचने के लिए कुछ ब्रोकरेज चार्ज देती है। इनके Apps के माध्यम से आप आसानी से शेयर बाजार में निवेश कर सकते हो।
डीमैट अकाउंट Open करे
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए अर्थात शेयर खरीदने और बेचने के लिए आपको डिमैट अकाउंट खुलवाना होता हैं। डिमैट अकाउंट वह अकाउंट होता है।
जहां पर आपके स्टॉक्स को रखा जाता है। डिमैट अकाउंट खोलने के लिए आपको कोई अलग प्रोसेस फोलो करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जिन एप्स (ब्रोकर) के बारे में हमने आपको बताया आप इन्हीं के माध्यम से आसानी से अपने स्मार्टफोन में ही डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
Savings Account जोड़े और Trading शुरू करे
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने जा रहे हो तो इसके लिए आपको पैसे भी चाहिए ही होंगे। क्योंकि आज के समय मे हम इलेक्ट्रॉनिक रुप से शेयर्स खरीदते है और सब काम वर्चुअल किए जाते हैं तो आपको अपने डिमैट अकाउंट से सेविंग अकाउंट्स को जोड़ना होगा ताकि शेयर खरीदने के लिए आप फंड ट्रांसफर कर सको।
Savings Account को Demat Account से जोड़ने के बाद आप Share खरीदना और बेचना शुरू कर सकते हो। इस तरह से आप आसानी से घर बैठे हुए शेयर बाजार में निवेश कर सकते हो।
अंत में
हमने जाना कि शेयर मार्केट क्या होता है और कैसे काम करता है। इसके साथ ही हमने यह भी जाना कि हम कैसे अपने मोबाइल फ़ोन से शेयर मार्केट में पैसा निवेश कर सकते है।
शेयर मार्केट में पैसा निवेश करने के लिए हमें कुछ छोटे से काम करने होते है। जिसको हम अपने घर से मोबाइल पर कर शेयर कैसे खरीदें और बेचे? सकते है। आपको यह जानकारी कैसी लगी आप हमें जरूर बताए।
शेयर मार्किट में शेयर खरीदने और बेचने का पूरा प्रोसेस क्या है?
इस विडियो में पूरी डिटेल्स में दिखाया गया है की आप शेयर मार्किट में अकाउंट खोल कर उसमे शेयर कैसे खरीद और बेच सकते है और साथ ही शेयर की रिसर्च कैसे कर सकते है जिससे आपको पता रहे की कोनसा शेयर अच्छा है
Demat और Trading Account खोलने के लिए आपको जिन डोक्यूमेंट्स की जरूरत होगी
- PAN Card
- Aadhar Card
- Income Proof (for IPO only)
- Cancel Cheque
- Signature
- Live photo with code
इन सभी दस्तावेज़ों को जमा करते समय इस बात का ध्यान रखें इन सभी प्रमाण पत्रों में आपका नाम सही और स्पष्ट लिखा हो और एक ही तरीके से लिखा हो
शेयर खरीदना और बेचना
सब पहले आपको zerodha पर अपना डीमैट अकाउंट खोल लेना है जो की बहुत आसान है इसके बाद जब आपका डीमैट अकाउंट एक्टिवेट हो जाये तो आप उसमे लॉगिन करके पहले शेयर रिसर्च करेंगे की कोनसी कंपनी के शेयर खरीदने में आपको फायदा होगा।
शेयर आप 2 तरह से खरीदते है एक तो सुबह खरीद कर शाम में बेचने के लिए जिसको इंट्राडे ट्रेडिंग बोलते है और दूसरे शेयर को होल्ड करने के शेयर कैसे खरीदें और बेचे? लिए कुछ दिन या महीनों के लिए। दोनों ही तरीके अपनी जगह पर अच्छे है लेकिन लॉन्ग टर्म के लिए शेयर मार्किट में इन्वेस्ट करना बेस्ट होता है जिसमे लॉस कम और फायदा ज़्यादा होता है।
zerodha डैशबोर्ड में आप आसानी से कोई भी कंपनी का शेयर खरीद सकते है और उसको बेच सकते है। शेयर मार्किट के लिए डीमैट अकाउंट कैसे खोले और उसके बाद शेयर कैसे ख़रीदे और कैसे बेचे और शेयर रिसर्च कैसे करे ये सब चीज़े लाइव देखने के लिए आप ये वीडियो देखिये
काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी
हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।
IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।
कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।
क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।
IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।
जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।
IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। शेयर कैसे खरीदें और बेचे? इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।
प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।
आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।
अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।
ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।
निफ़्टी कैसे खरीदें और बेचें सम्पूर्ण जानकारी How to Buy and Sell Nifty in Hindi
निफ़्टी Nifty में ट्रेड करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरुरत होती है तथा निफ़्टी को खरीदने और बेचने का काम ऑप्शन ट्रेडिंग के अंतर्गत किया जाता है। निफ़्टी को खरीदना किसी शेयर को खरीदने से बिलकुल अलग होता है, निफ़्टी में शेयर की जगह कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे और बेचे जाते है जिन्हें कॉल [CE] कॉन्ट्रैक्ट और पुट [PE] कॉन्ट्रैक्ट कहते है।
निफ़्टी में ट्रेड करने से पहले यह जानना बहुत जरुरी है की निफ़्टी क्या होता है और कॉल CE और पुट PE कॉन्ट्रैक्ट क्या होते है।
निफ़्टी क्या है (What is Nifty)
निफ़्टी में 1600 से अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड है, उनमे से अलग-अलग सेक्टर की पचास सबसे प्रमुख कंपनियों को लेकर एक सूचकांक बनाया जाता है जिसे निफ़्टी या निफ़्टी-50 कहते है।
निफ़्टी में ट्रेडिंग करने के लिए निफ़्टी के वर्तमान स्तर को देखकर और उपलब्ध जानकारियों के आधार पर उसके भविष्य का अनुमान लगाया जाता है और उसके हिसाब से निफ़्टी के अलग-अलग स्तरों के कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे और बेचे जाते है।
कॉन्ट्रैक्ट्स (Contracts)
निफ़्टी में ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading ) के अंतर्गत कॉल CE और पुट PE दो प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे और बेचे जाते है।
निफ़्टी के वर्तमान स्तर से ऊपर के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट होते है उन्हें कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट कहते है इसी प्रकार निफ़्टी के वर्तमान स्तर से निचे के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट होते है उन्हें पुट PE कॉन्ट्रैक्ट्स कहते हैं।
कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट (Call Contracts)
मान लेते है की वर्तमान में निफ़्टी 9000 के स्तर पर है और हमें लगता है की निफ़्टी अगले कुछ दिनों में 9500 का स्तर छू सकता है तो हम आज ही 9500 के स्तर (Strike: निफ़्टी में स्तर या लेवल को Strike कहतें है) का कॉन्ट्रैक्ट (कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट) खरीद सकते है जो की आज हमें कम दाम में मिलेगा और जब निफ़्टी 9500 का स्तर (Strike) छू लेगा तो हमारे CE कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य बढ़ जायेगा, जिसे बेच कर हम बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
पुट PE कॉन्ट्रैक्ट (Put Contracts)
इसी प्रकार हम मान लेते हैं की वर्तमान में निफ़्टी 9000 के स्तर (Strike) पर है और हमें लगता है की निफ़्टी अगले कुछ दिनों 8500 के स्तर (Strike) तक गिर सकता है तो हम आज ही 8500 के स्तर (Strike) का कॉन्ट्रैक्ट (पुट PE कॉन्ट्रैक्ट) खरीद सकते है और निफ़्टी के 8500 के स्तर (Strike) पर गिरने पर हम उसे अधिक दाम में बेच कर मुनाफा कमा सकते है।
निफ़्टी में कारोबार के दौरान उतर चढ़ाव के हिसाब से हर स्तर के कॉन्ट्रैक्ट के मूल्य लगातार बदलते रहते है जिन्हे NSE की वेबसाइट पर ऑप्शन चैन (Nifty Option Chain) में देखा जा सकता है
लॉट (LOT )
निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट 75 की लॉट में ख़रीदे और बेचे जाते है, अर्ताथ हम केवल एक कॉन्ट्रैक्ट खरीद या बेच नहीं सकते हमें निफ़्टी में ट्रेडिंग करने के लिए कम से कम 75 कॉन्ट्रैक्ट एक साथ खरीदने और बेचने पड़ते है।
इस प्रकार मान लेते है की यदि निफ़्टी के एक कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य 6.75 रूपए है तो हमें एक लॉट खरीदने के लिए 75 x 6.75 = 506.25 रूपए का मूल्य चुकाना पड़ेगा।
75 से अधिक कॉन्ट्रैक्ट खरीदने और बेचने के लिए हमें उसी हिसाब से अधिक लॉट खरीदने पड़ते है, जैसे 2 लॉट में 150 कॉन्ट्रैक्ट और 3 लॉट में 225 कॉन्ट्रैक्ट्स, और इसी तरह हर लॉट के साथ 75 के गुणांक में कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या बढ़ती जाती है।
एक्सपायरी (Expiry)
निफ़्टी के सभी कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपाइरी डेट होती है जो की समान्यतः एक हफ्ते की होती है, अर्ताथ निफ़्टी के सभी कॉन्ट्रैक्ट्स की वैधता एक निश्चित समय के लिए ही होती है , निफ़्टी के सभी कॉन्ट्रैक्ट्स को उस निश्चित समय सिमा के अंदर ही ख़रीदा और बेचा जा सकता है उसके बाद ये कॉन्ट्रैक्ट्स निष्क्रिय हो जाते है।
सामान्यतः निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट्स की अवधि 1 हफ्ते की होती है यदि हमें एक हफ्ते से अधिक समय सिमा वाले कॉन्ट्रैक्ट खरीदने है, तो हम उसी हिसाब से 2 हफ्ते बाद एक्सपायर होने वाले या 3 से 4 हफ्ते बाद एक्सपायर होने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स खरीद सकते है। जैसे :-
मान लेते है की 1 जून को निफ़्टी 9000 के स्तर (Strike) पर है और हमें 9300 के स्तर (Strike) का कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट खरीदना है, तो हमारे पास 9300 के स्तर (Strike) के लिए कुछ कॉन्ट्रैक्ट उपलब्ध रहेंगे जो अलग अलग तारीखों पर एक्सपायर होंगे जिनमें से हम अपनी पसंद के हिसाब से कॉन्ट्रैक्ट खरीद सकते हैं जैसे :-
NIFTY NSE 01 JUNE 20 9300 CE |
NIFTY NSE 07 JUNE 20 9300 CE |
NIFTY NSE 14 JUNE 20 9300 CE |
NIFTY NSE 28 JUNE 20 9300 CE |
NIFTY NSE 05 JULY 20 9300 CE |
निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपाइरी सामान्यतः गुरुवार को होती है, गुरुवार को अवकाश होने की स्थिति में गुरुवार से एक दिन पहले या फिर अवकाश के हिसाब से एक्सपायरी निर्धारित की जाती है।
ट्रेडिंग कॉस्ट (Trading Cost)
निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट्स खरीदने और बेचने पर निफ़्टी के मूल्य के अलावा ब्रोकरेज चार्ज और टैक्स अलग से लगते है।
सभी स्टॉक ब्रॉकर ऑप्शन ट्रेडिंग में अलग अलग ब्रोक्रेज चार्जेज लेते है कुछ 20 रूपए प्रति ट्रेड लेते है तो कुछ इससे जायदा या कम भी लेते है यह ब्रोक्रेज चार्ज हमें निफ़्टी के मूल्य के अलावा चुकाने होते हैं और इन ब्रोक्रेज चार्ज पर टैक्स भी लगते है वे भी हमें चुकाने होते है इसे हम एक उदाहरण द्वारा समझ सकते है :-
मान लेते है की हमें निफ़्टी का कॉन्ट्रैक्ट खरीदना है जिसका मूल्य 10 रूपए है और ब्रोक्रेज 20 रूपए है तो हमें कुल मूल्य इस प्रकार चुकाना पड़ेगा :-
निफ़्टी मूल्य | 10 x 75 = 750.00 |
ब्रोक्रेज | 20.00 |
ब्रोक्रेज पर GST 18 % | 3.60 |
चार्जेस पर GST 18 % | . 64 |
अन्य टैक्स | मान लेते है लगभग 2.50 |
कुल योग | 776. 74 |
इस प्रकार हमें 10 रूपए मूल्य पर निफ़्टी का एक लॉट खरीदने के लिए 776. 74 रूपए चुकाने होंगें।
इसी तरह जब भी हम निफ़्टी का कोई लॉट बेचेंगे तो हमें इसी प्रकार ब्रोक्रेज चार्ज और अन्य टैक्स चुकाने होते है।
Stock Market: शेयर बाजार क्या है?
अगर शाब्दिक अर्थ में कहें तो शेयर बाजार किसी सूचीबद्ध कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने-बेचने की जगह है.
BSE या NSE में ही किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर ब्रोकर के माध्यम से खरीदे और बेचे जाते हैं. शेयर बाजार (Stock Market) में हालांकि बांड, म्युचुअल फंड और डेरिवेटिव का भी व्यापार होता है.
स्टॉक बाजार या शेयर बाजार में बड़े रिटर्न की उम्मीद के साथ घरेलू के साथ-साथ विदेशी निवेशक (FII या FPI) भी काफी निवेश करते हैं.
शेयर खरीदने का मतलब क्या है?
मान लीजिये कि NSE में सूचीबद्ध किसी कंपनी ने कुल 10 लाख शेयर जारी किए हैं. आप उस कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार जितने शेयर खरीद लेते हैं आपका उस कंपनी में उतने हिस्से का मालिकाना हक हो गया. आप अपने हिस्से के शेयर किसी अन्य खरीदार को जब भी चाहें बेच सकते हैं.
कंपनी जब शेयर जारी करती है उस वक्त किसी व्यक्ति या समूह को कितने शेयर देना है, यह उसके विवेक पर निर्भर है. शेयर बाजार (Stock Market) से शेयर खरीदने/बेचने के लिए आपको ब्रोकर की मदद लेनी होती है.
ब्रोकर शेयर खरीदने-बेचने में अपने ग्राहकों से कमीशन चार्ज करते हैं.
किसी लिस्टेड कंपनी के शेयरों का मूल्य BSE/NSE में दर्ज होता है. सभी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों का मूल्य उनकी लाभ कमाने की क्षमता के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है. सभी शेयर बाजार (Stock Market) का नियंत्रण भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी या SEBI) के हाथ में होता है.
Sebi की अनुमति के बाद ही कोई कंपनी शेयर बाजार (Stock Market) में लिस्ट होकर अपना प्रारंभिक निर्गम इश्यू (आईपीओ या IPO) जारी कर सकती है.
प्रत्येक तिमाही/छमाही या सालाना आधार पर कंपनियां मुनाफा कमाने पर हिस्साधारकों को लाभांश देती है. कंपनी की गतिविधियों की जानकारी SEBI और BSE/NSE की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होती है.
कोई कंपनी BSE/NSE में कैसे लिस्ट होती है?
शेयर बाजार (Stock Market) में लिस्ट होने के लिए कंपनी को शेयर बाजार से लिखित समझौता करना पड़ता है. इसके बाद कंपनी पूंजी बाजार नियामक SEBI के पास अपने सभी जरूरी दस्तावेज जमा करती है. SEBI की जांच में सूचना सही होने और सभी शर्त के पूरा करते ही कंपनी BSE/NSE में लिस्ट हो जाती है.
इसके बाद कंपनी अपनी हर गतिविधि की जानकारी शेयर बाजार (Stock Market) को समय-समय पर देती रहती है. इनमें खास तौर पर ऐसी जानकारियां शामिल होती हैं, जिससे निवेशकों के हित प्रभावित होते हों.
शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों आता है?
किसी कंपनी के कामकाज, ऑर्डर मिलने या छिन जाने, नतीजे बेहतर रहने, मुनाफा बढ़ने/घटने जैसी जानकारियों के आधार पर उस कंपनी का मूल्यांकन होता है. चूंकि लिस्टेड कंपनी रोज कारोबार करती रहती है और उसकी स्थितियों में रोज कुछ न कुछ बदलाव होता है, इस मूल्यांकन के आधार पर मांग घटने-बढ़ने से उसके शेयरों की कीमतों में उतार-चढाव आता रहता है.
अगर कोई कंपनी लिस्टिंग समझौते से जुड़ी शर्त का पालन नहीं करती, तो उसे सेबी BSE/NSE से डीलिस्ट कर देती है.
शायद आपको पता न हो, विश्व के सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल वारेन बफे भी शेयर बाजार (Stock Market) में ही निवेश कर अरबपति बने हैं.
आप कैसे कर सकते हैं शेयर बाजार में निवेश की शुरूआत?
आपको सबसे पहले किसी ब्रोकर की मदद से डीमैट अकाउंट खुलवाना होगा. इसके बाद आपको डीमैट अकाउंट को अपने बैंक अकाउंट से लिंक करना होगा.
बैंक अकाउंट से आप अपने डीमैट अकाउंट में फंड ट्रांसफर कीजिये और ब्रोकर की वेबसाइट से खुद लॉग इन कर या उसे आर्डर देकर किसी कंपनी के शेयर खरीद लीजिये.
इसके बाद वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जायेंगे. आप जब चाहें उसे किसी कामकाजी दिन में ब्रोकर के माध्यम से ही बेच सकते हैं.
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