एक दलाल का वेतन क्या है

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जॉन सेवक—“जी हाँ, बड़ी आसानी से। आपसे मैं हिस्से लेने के लिए विनय करता, पर जब तक एक साल का लाभ दिखा न दूँ, आग्रह नहीं कर सकता। हाँ, इतना अवश्य निवेदन करूँगा कि उस दशा में, संभव है, हिस्से बराबर पर न एक दलाल का वेतन क्या है मिल सके। १००) के हिस्से शायद २००) पर मिलें।"
कुँवर साहब—"मुझे अब एक ही शंका और है। यदि इस व्यवसाय में इतना लाभ हो सकता है, तो अब तक ऐसी और कम्पनियाँ क्यों न खुलीं?"
जॉन सेवक—(हँसकर) "इसलिए कि अभी तक शिक्षित एक दलाल का वेतन क्या है एक दलाल का वेतन क्या है समाज में व्यवसाय-बुद्धि पैदा नहीं हुई। लोगों की नस-नस में गुलामी समाई हुई है। कानून और सरकारी नौकरी के सिवा और किसी ओर निगाह जाती ही नहीं। दो-चार कंपनियाँ खुलीं भी, किन्तु उन्हें विशेषज्ञों के परामर्श और अनुभव से लाभ उठाने का अवसर न मिला। अगर मिला भी, तो बड़ा मँहगा पड़ा! मशीनरी मँगाने में एक के दो देने पड़े, प्रबन्ध अच्छा न हो सका। विवश होकर कंपनियों का कारबार बन्द करना पड़ा। यहाँ प्रायः सभी कंपनियों का यही हाल है। डाइरेक्टरों की थैलियाँ भरी जाती हैं, हिस्से बेचने और विज्ञापन देने में लाखों रुपये उड़ा दिये जाते हैं, बड़ी उदारता से दलालों का आदर-सत्कार किया जाता है, इमारतों में पूँजी का बड़ा भाग खर्च कर दिया जाता है, मैनेजर भी बहुवेतन-भोगो रखा जाता है। परिणाम क्या होता है? डाइरेक्टर अपनी जेब एक दलाल का वेतन क्या है भरते हैं, मैनेजर अपना पुरस्कार भोगता है, दलाल अपनी दलाली लेता है; मतलब यह कि सारी पूँजी ऊपर-ही-ऊपर उड़ जाती है। मेरा सिद्धान्त है, कम-से-कम खर्च और ज्यादा-से-ज्यादा नफा। मैंने एक कौड़ी दलाली नहीं दी, विज्ञापनों की मद उड़ा दी। यहाँ तक कि मैंने मैनेजर के लिए भी केवल ५००) ही वेतन देना निश्चित किया है, हालाँ कि किसी दूसरे कारखाने में एक हजार सहज ही में मिल जाते। उस पर घर का आदमी। डाइरेक्टरों के बारे में भी मेरा यही निश्चय है कि सफर-खर्च के सिवा और कुछ न दिया जाय।"
कुँवर साहब सांसारिक पुरुष न थे। उनका अधिकांश समय धर्म-ग्रंथों के पढ़ने में लगता था। वह किसी ऐसे काम में शरीक न होना चाहते थे, जो उनकी धार्मिक एकाग्रता में बाधक हो। धूर्ती ने उन्हें मानव-चरित्र का छिद्रान्वेषी बना दिया था। उन्हें किसी पर विश्वास न होता था। पाठशालाओं और अनाथालयों को चंदे देते हुए वह बहुत डरते रहते थे, और बहुधा इस विषय में औचित्य की सीमा से बाहर निकल जाते थे-सुपात्रों को भी उनसे निराश होना पड़ता था। पर संयमशीलता जहाँ इतनी सशंक रहती है, वहाँ लाभ का विश्वास होने पर उचित से अधिक निःशंक भी हो जाती है। मिस्टर जॉन सेवक का भाषण व्यावसायिक ज्ञान से परिपूर्ण था; पर कुँवर साहब पर इससे ज्यादा प्रभाव उनके व्यक्तित्व का पड़ा। उनकी दृष्टि में जॉन सेवक अब केवल धन के उपासक न थे, वरन् हितैषी मित्र थे। ऐसा आदमी उन्हें मुगालता न दे सकता था।
एक दलाल का वेतन क्या है
बिगुल संवाददाता
दलाल यूनियन नेताओं के जाल में फँसे मज़दूर किस क़दर असहाय हो सकते हैं इसका ताज़ा उदाहरण नोएडा के जे-1, सेक्टर-63 स्थित लाज एक्सपोर्ट लिमिटेड में देखने को मिला। यह कम्पनी 1998 से काम कर रही है। आज इसमें क़रीब 500 मज़दूर काम करते हैं जिसमें क़रीब 125 महिला मज़दूर भी हैं। इस कम्पनी में बने सिले-सिलाये कपड़े विदेशी बाज़ारों में निर्यात किये जाते हैं जिसकी मुख्य ख़रीददार अमेरिका की वॉलकॉम कम्पनी है जिसके आलीशान शोरूम उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, अफ़्रीका और एशिया के कई देशों में हैं।
लाज एक्सपोर्ट के मज़दूरों की शिकायत थी कि कम्पनी उनकी मज़दूरी में से 12.5 प्रतिशत पीएफ़ का पैसा तो काट रही है लेकिन उसे उनके पीएफ़ अकाउण्ट में जमा नहीं करवा रही है। एक मज़दूर ने बताया कि जब वह अपना अकाउण्ट चेक करने पीएफ़ विभाग गया तो वहाँ उसे बताया गया कि दिया गया अकाउण्ट नम्बर फ़र्ज़ी है। मज़दूरों ने बताया कि पहले तो उन्हें वेतन पर्ची भी नहीं दी जाती थी। लेकिन काफ़ी दबाव बनाने के बाद जब यह मिलने भी लगी तो उसमें लाज एक्सपोर्ट की जगह एम.एम. इण्टरप्राइज़ेज़ या डी.के. इण्टरप्राइज़ेज़ का नाम लिखा आने लगा। इस वेतन पर्ची पर कोई मुहर नहीं होती और न ही उस पर जारीकर्ता के हस्ताक्षर रहते हैं। इन वेतन पर्चियों पर कम्पनी का पता भी जे-1, सेक्टर-63 की जगह सेक्टर-62 का पता छपा रहता है। मज़दूरों का कहना है कि जब वे वेतन पर्ची पर दिये गये पते पर मालूम करने गये तो वहाँ पर कोई और ही कम्पनी काम कर रही थी।
एक महिला मज़दूर ने बताया कि उनके काम के हालात बेहद ख़राब हैं। कम्पनी किसी भी क़िस्म की सुविधा नहीं देती। यहाँ तक कि कम्पनी के भीतर प्राथमिक उपचार तक की सुविधा नहीं है। उसने बताया कि एक महिला को नर्स के तौर पर पेश किया जाता है, लेकिन हक़ीकत में वो एक ऑपरेटर है और कम्पनी में मज़दूरी करती है। महिला मज़दूरों की सुरक्षा को लेकर कम्पनी कितनी फ़िक्रमन्द है इसका अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विक्रम गुप्ता नाम का कम्पनी अधिकारी महिला शौचालयों तक में घुस जाता है। मज़दूरों ने बताया कि उन्हें क़ानूनी तौर पर नियत छुट्टियाँ जैसे ईएल, पीएल, सीएलएसएल आदि तक नहीं मिलती। मज़दूरी में बढ़ोतरी की बात तो छोड़ ही दी जाये, नियमित रूप से लगने वाले महँगाई भत्ते का भुगतान भी नहीं किया जाता।
कम्पनी की बेईमानियों के खि़लाफ़ मज़दूर पहले से ही आक्रोशित थे। हाल ही में कम्पनी ने ओवरटाइम में एक घण्टे की कटौती भी कर दी। मज़दूरों को महसूस हुआ कि इस तरह तो उनकी मासिक आमदनी काफ़ी घट जायेगी और वे पीएफ़ अकाउण्ट में धाँधली के खि़लाफ़ आवाज़ उठाने लगे। 1 नवम्बर को जब विवाद ज़्यादा बढ़ गया तब दोपहर साढ़े तीन बजे कम्पनी ने गुण्डे बुलवाये और मज़दूरों को धक्के देकर कम्पनी से बाहर कर दिया गया। गुण्डों ने महिला मज़दूरों के साथ बदसलूकी और मारपीट भी की। मज़दूर इस अन्याय की शिकायत के लिए रिपोर्ट लिखवाने सेक्टर-63 की पुलिस चौकी पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि कम्पनी का एक दलाल चौकी इंचार्ज से बातचीत कर रहा था। जैसा कि होना ही था, चौकी इंचार्ज ने मज़दूरों की रिपोर्ट लिखने से इन्कार कर दिया और उन्हें वापस कम्पनी जाने की सलाह दी। आमतौर पर देखा गया है कि ऐसे हालात में मज़दूर अपने संघर्षों को दिशा देने के लिए किराये का नेता ढूँढ़ने निकल पड़ते हैं। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि मज़दूर अपने गली-मुहल्लों में ट्रेड-यूनियन की दुकान खोले नेताओं को ही आन्दोलन की बागडोर सौंप देते हैं। लाज एक्सपोर्ट के मज़दूरों ने भी यही किया। मज़दूरों के बुलावे पर पाँच-छह दलाल नेता उनके बीच पहुँच गये। पहले तो ये दलाल आपस में ही बन्दरबाँट के लिए खींचातानी करते हुए दिखे, लेकिन जल्दी ही उनके बीच एकता क़ायम हो गयी। एक दलाल नेता क़रीब सौ-सवा सौ मज़दूरों को लेकर अपने खोड़ा कार्यालय पर पहुँच गया। बाक़ी मज़दूर सम्भवतः हताश होकर छिटक गये और अपने-अपने घरों की ओर चले गये। जब नेताओं ने देखा कि सौ-सवा सौ मज़दूर उनके कहने में आ चुके हैं और अब उनके सामने कहीं और जाने का कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा है तब उन्होंने मज़दूरों को दबे स्वरों में धमकाना शुरू किया और यहाँ तक कहा कि अगर कम्पनी वालों से पैसा मिले तो हम वह भी लेने को तैयार हैं।
इस घटना के बाद लाज एक्सपोर्ट के ही कुछ मज़दूरों से व्यक्तिगत बातचीत के दौरान पता चला कि ज़्यादातर मज़दूर एकता के अभाव को अपनी असफलता का मुख्य कारण मान रहे हैं। यह बात एक हद तक सही भी है। लेकिन क्या आज मज़दूर यह जानते हैं कि उनके बीच एकता कैसे क़ायम हो पायेगी? इसका रास्ता क्या होगा? अगर मज़दूर किसी भ्रष्ट नेता या दलाल यूनियन या फिर किसी पूँजीवादी दल के इर्द-गिर्द संगठित हो भी जायें तो क्या वे पूँजी के विरुद्ध अपने संघर्षों को सही दिशा में बढ़ा सकने में सफल होंगे?
मज़दूर बिगुल, नवम्बर 2014
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आयकर की गणना
अब जाब आपको पता है कि आयकर क्या है और आय के विभिन्न अंग है, तो आगला कदम आपके आयकर की गणना करना है । आपकी कुल आय पार आयकर की गणना की जाती है ।कर स्लैब है, जो वित्त मंत्रालय द्वारा तय किए गए है । ये स्लैब बदल सकते है, और इस तर्ह के परिवर्तानोन को हर साल केंद्रीय बजट में सूचित किया जाता एक दलाल का वेतन क्या है है । वर्तमान में, आकलन वर्ष २०१७-१८ के लिये, व्यक्तीयों और एचयूएफ के लिए लागू स्लैब इस प्रकार है:
आय का स्तर | कर का दर |
यदि आपकी आय २.५ लाख रुपये तक की है | कुछ नही |
यदि आपकी आय २.५ लाख रुपये से ५ लाख रुपये है | २.५ लाख से अधिक आय पर ५% |
यदि आपकी आय ५ लाख रुपये से १० लाख रुपये तक है | २.५ लाख से अधिक आय पर ५% + ५ लाख रुपये से ज्यादा पर २०% |
यदि आपकी आय १० लाख रुपये या उससे ज्यादा की है | २.५ लाख से अधिक आय पर ५% + ५ लाख रुपये से ज्यादा पर २०% + १० लाख रुपये से ज्यादा पर ३०% |
यदी आप ६० वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक है, तो आपका कर स्लैब होगा:
आयकर स्तर | कर का दर |
यदि आप की आय ३ लाख रुपये तक है | कूछ नही |
यदि आपकी आय ३ लाख रुपये से ५ लाख रुपये तक है | ३ लाख रुपये से उपर की आय पर १०% |
यदि आपकी आय ५ लाख रुपये से १० लाख रुपये तक है | २ लाख रुपये पर १०% + ५ लाख से उपर की आय पर २०% |
यदि आपकी आय १० लाख रुपये या उससे ज्यादा की है | २ लाख रुपये पर १०% + ५ लाख रुपये पर २०% + १० लाख रुपये से ज्यादा की आय पर ३०% |
यदि आपकी वार्षिक आय ५ लाख रुपये तक है तो आप धारा ८७ ए के प्रावधनों के तहत अपने कर दायित्व पर ५००० रुपये की छुट का दावा कर सकते है । हालांकी, अगर आपकी आय १ करोड रुपये से अधिक है, तो आपको कर दायित्व के अतिरिक्त १५% अधिभार लागू होगा । अधिभार (यदि कोई हो) सहित आपके कर दायित्व पर २% की शिक्षा उपज और १% की उच्च शिक्षा उपकर भी है ।
अब हम आयकर की गणना के लिए आगे बढते है । सरल शब्दों में, आयकर की गणना आपको लागू होने वाले सभी प्रमुखों से आय अर्जित कर रही है और आपके कर दायित्व की गणना कर रहा है । हालांकि, कर छूट और कर कटौती उपलब्ध है जो आपके जिससे आपके कर दायित्व कम करने के लिए आपकी कर योग्य आय से कटौती की जा सकती है । वेतन से आय मुख्य प्रमुख है जिसमें आपको कई छूट मिलती है । तो, आइए अपने कर दायित्व की गणना करने से पहले प्रमुख के तहत उपलब्ध कटौती और छूट को समझें ।
वेतन से आय
इस प्रमुख के तहत, आपका मूल वेतन, महंगाई भत्ता (DA), घर किराया भत्ता (HRA), परिवहन भत्ता और किसी भी अन्य भत्ते को आय के रूप में माना जा सकता है । इस सकल आय से, आप निम्नलिखित छुट का दावा कर सकते है:
- HRA: HRA के लिए, आपको निम्न मात्रा के निम्नतम के लिए छुट मिलती है:
° वास्तविक HRA प्राप्त हुआ
° मूल वेतन का १०% (किराया भुगतान)
तीनों में से सबसे कम आपके HRA से कर छुट के रूप में अनुमति दी गई है । (एचआरए कैलकुलेटर का उपयोग करें)
- परिवहन भत्ता: प्रति माह १,६०० रुपये या प्रति वर्ष १९,२०० रुपये टैक्स फ्री परिवहन भत्ते के रूप में अनुमति है । इसलिए, आप इस राशि को अपने कर योग्य वेतन से घटा सकते है । (यहां परिवहन कैलकुलेटर का उपयोग करें)
- छुट्टी यात्रा भत्ता (LTA): यदि आप यात्रा के बिल जमा करते है तो आप LTA छुट का दावा कर सकते है ।
- मेडिकल भत्ता: बिल के साथ समर्थित होने पर १५,००० रुपये तक के मेडिकल भत्ते की अनुमति दी जाती है ।
तो, भत्ते के छुट वाले भागों को घटाकर आप अपने वेतन की गणना कर सकते है ।
घर की संपत्ति से आय
आप घर की संपत्ति से अपनी आय के लिए धारा ८० के विभिन्न उप-वर्गों के तहत आयकर कानून के अध्याय VIA के तहत छुट का दावा कर सकते हैं । बाद की श्रुंखला में इन छुट और कटौती पर चर्चा की जाती है ।
अपने आयकर की गणना के लिए, इस प्रकार की प्रक्रिया निम्नानुसार है:
वेतन से आय | XXX |
कम: छूट | (XX) |
वेतन से कर योग्य आय (ए) | XXX |
हॉउस प्रॉपर्टी से आय | XXX |
कम: छूट | (XX) |
घर संपत्ति से कर योग्य आय (बी) | XXX |
पूंजी से लाभ आय (सी) | XXX |
व्यवसाय या पेशे से आय (डी) | XXX |
अन्य स्त्रोतों से आय (ई) | XXX |
सकल कुल आय (ए + बी + सी + डी + ई) = (एफ) | XXX |
धारा ८० (जी) के तहत स्वीकार्य कटौती | (XXX) |
सकल कर योग्य आय (एफ-जी) | XXX |
कर स्लैब तो आपके कर दायित्व की गणना के लिए सकल कर योग्य आय पर लागू होते है । छूट या अधिभार लागू है, और आपके कुल कर रवानगी की गणना के लिए दो विभिन्न प्रकार के उपकार लगाए गए है ।
तो, इस प्रकार आयकर की गणना की जाती है । यदि आप खुद को इसे इस्तेमाल करने मे मुश्किलात महसूस कर रहे है तो आप करों की गणना के लिए सरकार के टैक्स कैलकुलेटर का भी इस्तेमाल कर सकते है । यहां आयकर कैलकुलेटर का उपयोग करें ।
सिम्बो एक ऑनलाइन बीमा दलाल है जो बीमा को सरल बना सकता है और आपकी वित्तीय जरूरतों के आधार पर आपको चुनाव करने में मदद करता है।
पत्रकारों दलाली छोड़ो, दलालों पत्रकारिता छोड़ो*
प्रयागराज :रिपोर्ट रिवेन्दर सिंह :(शंकरगढ़) पेशेवर व धंधेबाज पत्रकार जब भी चाहे जिससे जहां से कुछ प्राप्ति संभव हो, सम्मान या पुरस्कार मिलना संभावित हो, उसी के चरण चुम्बन व चाटुकारिता व चापलूसी करने में सदा ही कर्तव्यरत रह नतमस्तक रहते एक दलाल का वेतन क्या है हैं। इन्हें काफी कुछ मिलता है ऐसे दलाल पत्रकार विभिन्न सरकारी व् प्रशासनिक अधिकारियों के आफिसो में चटनी चाट चाटते और उनकी दलाली करते पुलिस स्टेशनों और दूसरे विभागों में देखे जा सकते हैं।ये दलाल दिन भर वहीं उनके दोने पत्तल और चाय की प्याली चाटते नजर आते हैं, और उनके इशारे पर खुद को असली बाकी अच्छे पत्रकारों को फर्जी तक का लेबल देंने में भी नहीं चूकते, जिसके विरूद्ध उनकी कलम चलेगी। उस पर व उसके परिवार पर जुल्म और अत्याचार का कहर न केवल उधर से टूटेगा। बल्कि, इस देश में जहां बेईमानी, झूठ, फर्जीवाड़े, भ्रष्टाचार, का साम्राज्य चहुंओर फैला हुआ है। वहां उन्हें सताया जाता है कि या तो वे खुद ही आत्महत्या कर लें या लिखना बंद कर दें।पत्रकारिता छोड़ दें। या उनकी सीधे हत्या ही करवा एक दलाल का वेतन क्या है एक दलाल का वेतन क्या है दी जाती है।उनकी कलम के चारों ओर खौफ, आतंक व दहशत का जाल पसरा रहता है। पल-पल मिलती धमकियां, कभी जान से मारने की धमकियां, और मजे की बात यह कि उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं, कोई कार्यवाही नहीं शायद आपको ऐसे पत्रकारों के लिये इनको सताने में, इनका गरीब होना, कमजोर होना, छोटा होना पत्रकारिता पेशा या व्यवसाय नहीं, एक मिशन है,इज्जत और कार्यवाही पत्रकार की बुलंद कलम कराती है। पत्रकारिता की चर्चा, पत्रकारों की चर्चा, विशेषकर आज कोई सम्मानित कर रहा है, तो कोई किसी को अपमानित कर रहा है। जैसे कि पत्रकार या तो पुण्य धर्म कर रहा है या घोर अपराध कर रहा है।आज के वक्त में किसी ईमानदार व सच्चे पत्रकार का कलम चलाना बेहद दूभर है। विशेषकर सोशल मीडिया के जमाने में तो यह तकरीबन नामुमकिन सा ही है। एक पत्रकार की परिभाषा बड़ी व्यापक होतीं है।जिसे व्यक्त करना या परिभाषा के दायरे में बांधना लगभग नामुकिन सा है।भारत के स्वतंत्रता संग्राम में पत्रकारिता की जो भूमिका रही। वह उन क्रातिकारियों के बलिदानों से कहीं ज्यादा ऊपर और अव्वल है। जो क्रांति करते थें, और पत्रकार अपना सब कुछ दांव पर लगा कर उनके समाचार व खबरें फैलाने का काम करके जनता में जागरूकता व उत्साह भरा करते थें।आज की पत्रकारिता कुछ अलग किस्म की हैं आज पत्रकारिता वर्गवार पत्रकारिता की जाने लगी है। पहले जहां गरीबी से जमीनी मिट्टी से कलम निकल कर चलती और सच को बयां करने में अंग्रेजी हुकूमत से सीधी टकराती कलम व जमीन देश, अपनी मिट्टी, मातृभूमि के लिये समर्पित कलम चलाने वाले वे पत्रकार जो कभी किसी सम्मान, पुरस्कार, वेतन, पारिश्रामिक या प्राप्ति की आकांक्षा व इच्छा न रख कर केवल अपना काम करते हैं, केवल सच बोलते हैं, सच लिखते हैं, उनके लेखन में ईमानदारी रहती है और वे सारे लोभ लालचों से दूर,अपना काम करते हैं। अब तो चुम्बन व चाटुकारिता व चापलूसी करने में सदा ही कर्तव्यरत रह नतमस्तक रहते है। जिन्हें पैसे के लिये या केवल सम्मान व पुरूस्कार के लिये ही फिल्म लिखना आता है। चौथे किस्म की पत्रकारिता का वर्ग एक रैकेट व एक दलाल के रूप में काम करता है। इस वर्ग में हर उमर से लेकर, दौलत का अंबार परोस कर, कुछ लोग पत्रकारिता की आड़ में असल पत्रकारिता या असल पत्रकारों की मेहनत मिशन व मशक्कत के साथ उनकी इज्जत और उन्हे मिलने वाला धन या सहायता हड़प जाते हैं। मगर किसे अधिमान्यता दिलानी है कार्यालयों तक इनका माया जाल हर जगह फैला रहता है। भ्रष्टाचार ऐसा कौन-सा कार्यालय है, जहां नहीं चलता। इसलिये इनका धंधा और पेशा बदस्तूर खुल कर चलता है। जम कर चलता है। पत्रकारों का है, जो पहले वाले किस्म के वर्ग की पत्रकारिता करें तो, जिसके विरूद्ध उनकी कलम चलेगी। उस पर व उसके परिवार पर जुल्म और अत्याचार का कहर न केवल उधर से टूटेगा। बल्कि, इस देश में जहां बेईमानी, झूठ, फर्जीवाड़े, भ्रष्टाचार, का साम्राज्य चहुंओर फैला हुआ है। वहां उन्हें सताया जाता है कि या तो वे खुद ही आत्महत्या कर लें या लिखना बंद कर दें। पत्रकारिता छोड़ दें। या उनकी सीधे हत्या ही करवा दी जाती है इनको अपना दुश्मन खुद ही मान लेना। ये कुछ आज 5 प्रकार के वर्ग के लोग पत्रकारिता कर रहे हैं। पाठक या दर्शक बहुत आसानी से यह पहचान लेता है। कि कौन पत्रकार किस वर्ग का है। लुटिया डुबो दी बल्कि चुटिया भी उड़ा दी। और पत्रकारिता जो एक मिशन है। उसकी खाल उधेड़ कर उसमें भूसा भर कर उसे धंधा एवं पेशा बना दिया।भारत के स्वतंत्रता संग्राम के वक्त पत्रकारों की डिग्रीयां और व्यापम-फयापम नही होते थे। पर कलम थी। जिस पर कुछ लिखने की कला व महारत थी। वह जुगाड़ लगा कर पत्रकारिता करने लगता था। उसे किसी अधिमान्यता की जरूरत नहीं होती थी।उसे न अधिमान्यता मिलने का लालच लोभ उसकी कलम को कुंद व भोंथरा करता और
न अधिमान्यता चली जाने या छिन जाने का खौफ उसे सता कर चमचागिरी चाटुकारिता चापलूसी भरी कलम चलवाता। न उसे किसी सम्मान के लिये या पुरूस्कार के लिये लिखना होता था, न किसी शराब, शवाब और कवाब के लिये उसकी कलम चलती।इन हालातों पर हम एक शेर कहना चाहेंगे।
*जो कलमें बिकतीं नहीं इस आला बाजार में, सरे राह बिकना पड़ता है उन पत्रकारों को बाजार में,*
*जो दे नहीं सकते रकम आबरू और गर्म गोश्त के कवाब उन्हें सब कुछ गंवाना पड़ता है संसार में*
अब तो पत्रकारिता पर हावी हो कर हुस्न और महफिल का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है। वहीं दूसरी ओर यह कहना लाजिम है, धन्ना सेठों, पैसा लुटाने वालों, और गर्म गोश्त परोसने वाले, दलाल आज की पत्रकारिता की कमान संभाले दलाली और कमाई के समन्दर में गोते लगा रहे हैं वहीं आजकल जो बात बहुत सुनने में आती है।वह पत्रकारों के लिये एक वेतन आयोग बनाने और सभी पत्रकारों व गैर पत्रकार कर्मचारीयों को वेतन, भत्ते और पेंशन को लेकर सामने आती है। बस एक यक्ष प्रश्न मात्र इतना सा ही है कि क्या हर मीडिया का संसाधन, आय स्त्रोत और औकात, प्रसारण संख्या मिलने वाला दो नंबर के धन क्या एक बराबर है।क्या सारे मीडिया एक तुल्य आय संसाधन वाले हैं, और एकतुल्य कमाने वाले हैं, सीधा सा जवाब है, कोई मीडिया छोटा मीडिया है, मंझोला मीडिया है तो कोई एकल मीडिया है, कोई बड़ा और लंबा चौड़ा मीडिया हाउस है। कुल मिलाकर सबकी हालत और औकात एक बराबर नहीं है,कुछ असल व पात्र सुयोग्य अनुभवी पत्रकारों को उमर गुजर गई। मगर अधिमान्यता तक नहीं मिली, उनके पास देने को पैसे नहीं है, शराब शवाब और कवाब की व्यवस्था नहीं है।पत्रकारिता का पेशा और एक स्कूल चलाने का पेशा दोनों लगभग एकतुल्य मिशन हैं। मगर जो फर्क स्कूलों में है और जो वहां होता है, वही पत्रकारिता जगत का हाल है। मिशन होकर भी पत्रकारिता में पांच वर्ग हैं।इसी तरह स्कूल चलाने में भी ऐसे ही 5 वर्ग हैं। मगर स्कूलों में कभी वेतनमान आयोग बनाने और प्रावधान तय करने की बात तक नहीं होती। और उसी के समान समाज सेवा में जुटे पत्रकार न केवल कहर के तमाम प्रहारों से गुजरते हैं बल्कि जिसके विरूद्ध लिख दें उसी के दुश्मन बन जाते हैं और फिर शुरू होता है एक खेल स्कूलों में भी ऐसा खेल है मगर कुछ कहर और दुश्मनी कम है।अंत में ये ही कहना चाहेंगें पत्रकारों दलाली छोड़ो, दलालों पत्रकारिता छोड़ो।
एक बीमा एजेंट या दलाल के रूप में कनाडा में प्रवास करें
जैसे आप कनाडा जा रहे हैं, वैसे ही हजारों बीमा एजेंट और दलाल हैं। जानिए उनसे कैसे जुड़ें। कनाडा को अधिक बीमा एजेंटों और दलालों की आवश्यकता है। यदि आप एक बीमा एजेंट या दलाल के रूप में कनाडा जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको जो भी जानकारी चाहिए वह यहीं है।
एक बीमा एक दलाल का वेतन क्या है एजेंट या दलाल के रूप में कनाडा जाना
कनाडा में बीमा एजेंट और दलाल वांछित हैं
क्या आप जानते हैं कि कनाडा में बीमा एजेंट और दलाल सबसे अधिक मांग वाली नौकरियों में से एक हैं? कनाडा के सभी 11 प्रांतों और क्षेत्रों में बीमा एजेंटों और दलालों की अत्यधिक मांग है, और एक उच्च कुशल पेशेवर के रूप में, आप प्रति वर्ष $69300 और $98400 के बीच कमाई की उम्मीद कर सकते हैं।
कनाडा को अपने नए घर के रूप में देखते समय, न केवल आपके लिए चुनने के लिए कई आव्रजन विकल्प हैं, बल्कि नौकरी के बहुत सारे अवसर भी हैं।
कनाडा में बीमा एजेंटों और दलालों के लिए नौकरियां
कनाडा जाते समय सबसे बड़े प्रश्नों में से एक है "क्या मैं कनाडा में बीमा एजेंट या दलाल के रूप में काम ढूंढ पाऊंगा?"। सरल उत्तर है हाँ, आप करेंगे! (बेशक प्रत्येक बीमा एजेंट और दलालों के प्रशिक्षण और अनुभव का स्तर एक मुख्य कारक है, जैसा कि किसी भी देश में होता है।)
कनाडा में बीमा एजेंटों और दलालों के लिए नौकरियों के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए गए हैं।
क्या कनाडा में बीमा एजेंटों और दलालों की वास्तव में मांग है?
हाँ वहाँ है! जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, आप एक अनुभवी बीमा एजेंट और दलाल के रूप में कनाडा में प्रवास कर सकते हैं और कनाडा के 11 प्रांतों में से किसी में रोजगार पाने की उच्च संभावना है। इन नौकरी के अवसरों में पाया जा सकता है:
- अल्बर्टा
- ब्रिटिश कोलंबिया
- मनिटोबा
- न्यू ब्रुंस्विक
- न्यूफाउंडलैंड और लैब्राडोर
- नोवा स्कॉशिया
- ओंटारियो
- प्रिंस एडवर्ड आइलैंड
- क्यूबैक
- सस्केचेवान
अगले कुछ वर्षों में, यह अनुमान लगाया गया है कि कनाडा में रहने और काम करने की इच्छा रखने वाले स्नातकों और अप्रवासियों को भरने के लिए विस्तार और प्रतिस्थापन की आवश्यकता के कारण २१००० नए रोजगार सृजित होंगे।
यही कारण है कि कनाडा को बीमा एजेंटों और दलालों की आवश्यकता है। आप वास्तव में एक बीमा एजेंट या दलाल के रूप में कनाडा जा सकते हैं
कनाडा में बीमा एजेंट और दलाल कितना कमाते हैं?
कनाडा में वेतन बहुत प्रतिस्पर्धी हैं और, एक अनुभवी बीमा एजेंट और दलाल के रूप में, आप प्रति वर्ष $69300 और $98400 के बीच कमाने की उम्मीद कर सकते हैं।
मैं कनाडा में बीमा एजेंट और ब्रोकर पदों की खोज कैसे करूं?
कनाडा में अधिकांश बीमा एजेंट और ब्रोकर नौकरियों का विज्ञापन ऑनलाइन जॉब साइटों पर किया जाता है। अक्सर, बीमा एजेंट और ब्रोकर नौकरियों की पहचान करने के लिए एक कोड का उपयोग किया जाता है। ये कोड पूरे कनाडा में सभी प्रकार के व्यवसायों की पहचान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
कोड को एनओसी कोड कहा जाता है। बीमा एजेंट और एक दलाल का वेतन क्या है दलाल के लिए एनओसी कोड 6231 है। ऐसे कई पद हैं जो बीमा एजेंटों और दलालों से जुड़े हैं।
ये ऐसे व्यवसाय हैं जिनमें कई बीमा एजेंट और दलाल भी भाग लेते हैं। यदि आप निम्न में से किसी भी पद पर काम करते हैं या कार्यरत हैं, तो आप बीमा एजेंटों और दलालों के लिए 6231 के व्यापक एनओसी कोड से आच्छादित हैं।
बीमा एजेंट और दलाल व्यक्तिगत व्यवसायों और सार्वजनिक संस्थानों को जीवन ऑटोमोबाइल संपत्ति स्वास्थ्य और अन्य प्रकार के बीमा बेचते हैं। बीमा एजेंट व्यक्तिगत बीमा कंपनियों द्वारा नियोजित होते हैं या विशिष्ट बीमा कंपनियों के स्वतंत्र प्रतिनिधि होते हैं। बीमा दलाल ब्रोकरेज फर्मों द्वारा नियोजित होते हैं या साझेदारी में काम कर सकते हैं या एकमात्र स्वामित्व रख सकते हैं। इस इकाई समूह में बीमा एजेंटों के पर्यवेक्षक शामिल हैं।
बीमा एजेंट और दलाल की अवधि के भीतर आगे की स्थिति में शामिल हैं:
- ऑटोमोबाइल बीमा एजेंट
- ऑटोमोबाइल बीमा विक्रेता / महिला
- जिला पर्यवेक्षक - बीमा कार्यालय
- फील्ड एजेंट - बीमा
- अग्नि बीमा एजेंट
- अग्नि बीमा विक्रेता / महिला
- सामान्य बीमा प्रतिनिधि
- समूह बीमा प्रतिनिधि
- बीमा एजेंट
- बीमा एजेंट पर्यवेक्षक
- बीमा दलाल
- बीमा बिक्री एजेंट
- बीमा बिक्री प्रतिनिधि
- बीमा बिक्री पर्यवेक्षक
- बीमा विक्रेता / महिला
- जीवन बीमा एजेंट
- जीवन बीमा प्रतिनिधि
- जीवन बीमा विक्रेता / महिला
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यदि आपकी स्थिति उपरोक्त सूची में है, तो आपको अपना प्रासंगिक एनओसी कोड मिल गया है, यह 6231 . है